पहला प्यार
पहला प्यार
एक लंबी साँस के बाद आज फिर याद आया,
वो पहला प्यार...
.
कैसी अजीब बात थी ना ..
तेरे आने के आहट पर ही दिल धड़कने लगता,
नजरें बैचेन यहाँ - वहाँ भटकने लगती,
अजीब- अजीब से बहाने से तेरे पास चले तो आते,
नजरें चुराकर ही सही, तेरी नजरों से ये कुछ कह ही जाते,
अंजानी सी थी हलचल पूरी जिंदगी में,
सारे जतन से संभाले रखे थे,
मुस्कुराना तो छोड़ ही दो...अब तड़पना भी अब अच्छा ही लगता था...फिर भी...
कैसे अधूरा रह गया वो ... पहला प्यार..
याद है मुझे जब तुम आते थे,
तुम्हारे नाम से ही महफिल में बदनाम हम हुआ करते थे,
डालियों पर सजे हर फूल पत्तों को तोड़कर,
तुम्हारी मुहब्बत का इज़हार हम करवाते थे,
चिलमन से झाँककर इंतजार हम गलियों में तेरा करते,
तुम्हें देख ले तो पतझड़ से बहार हम बन जाते थे..
अब बस कुछ कहानियों सा लगने लगा है....
बूढ़ी माँ पर झुर्रियों सा कुछ अटका है...पहला प्यार..
गुनगुनाने के लिए गीत अब भी कुछ नये बन जाते हैं,
पर तेरी याद में जो गुनगुनायें थे,
आज भी वो सिर्फ मेरे अपने हैं,
नींद ना आने पर जो आसमाँ सँग चले थे,
चाँद रह गया आज भी बाकी, पर तारे कहीं बिखरे हैं..
मैं याद हूँ तुझे कहीं...या अब बदनाम कहानी कोई...
जो कुछ भी हूँ मगर तुम तो आज भी हो मेरे..पहला प्यार.....

