ढ़िबरी
ढ़िबरी
आँख वाले लोग
वहाँ से आते हैं
ये आँख वाले लोग
जहाँ जलती थी ढ़िबरी
और कजरौटे में चिपका कर
बटोर ली जाती थी काजल
लगा दी जाती थी बचपने को
नज़र के टीके से लेकर
खेत में खडे़ बिजूके तक
बहुत दूर तक दिखता है
इन कजरारे आँख वालों को
थोडी़ सी हलचल पर
पुतलियाँ ठहराते हैं
सबकुछ समझ जाते हैं।