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Sudhir Kumar Pal

Drama Tragedy

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Sudhir Kumar Pal

Drama Tragedy

याद आयेगा वो याराना...

याद आयेगा वो याराना...

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याद आयेगा वो याराना तो पुकार उठेगा दिल,

जो जान लुटाते थे वो साँसें अब चुराने लगे...


जो सीने से लिपट जाते थे दोस्त-दोस्त कह कर,

वही आज दोस्ती को मेरी, मज़हब का तमका लगाने लगे...


कभी हिन्दू तो कभी मुसलमाँ बुलाने लगे...


हाय हँसाते थे जो ख़ूब,

आज क्यूँ मुझे हरदम वो रुलाने लगे,


क्यूँ यारी को मेरी दाग़ बदनुमा जान

दामन से अपने मिटाने लगे...


देख 'हम्द' यार तेरे तुझसे ही नज़रें चुराने लगे,

बेतहाशा जो थी वफ़ा

बेदाद नफ़रत से उसे जलाने लगे...


अरे, मय्यत को तो मेरे भाई करो थोड़ा इन्तज़ार,

कि तुम तो मुझे जीते जी ही आज दफ़नाने लगे....


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