तू अगर इज़ाज़त दे
तू अगर इज़ाज़त दे
तू अगर इज़ाज़त दे तो हम कुछ दिन सुकून से जी लें,
ना ही किसी की परवाह करनी हो ना ही अपनी परवाह,
दुनिया से दूर दुनियादारी से दूर सब से दूर रह कर,
अपनी ज़िंदगी के चंद लम्हे गुजार लेंI
थक से गये हैं दुनिया की किटपिट-किटपिट से,
परेशान-सी हो गयी है ज़िंदगी अब तो,
उलझनों से दूर-दूर रहना चाहते हैं हम,
कुछ पल शांति से ज़िंदगी जी लेंI
दे दो इज़ाज़त हमको जो हम तुमसे ना मिल पाए,
तुमसे बात ना कर पाए तो तुम नाराज़ नहीं होगे,
हमको और हमारी मजबूरियों को समझोगे,
साथ निभाओगे हमारा हमारी बेरुखियों में भी,
हमारी तन्हाइयों में भी हमारा साथ निभाओगे,
जब हम लौट कर आएंगे हमारा इन्तजार कर रहे होगे।