भावना कुकरेती

Abstract Romance Fantasy

4.0  

भावना कुकरेती

Abstract Romance Fantasy

वो और मैं - 14

वो और मैं - 14

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वो- हाय.. क्या हो रहा था।

मैं- सोचना और लिखना।

वो-क्या सोचा, क्या लिखा।

मैं-जो सोचा था वो नहीं लिखा।

वो-क्यों? जो सोचा वो क्यों नहीं लिखा? मुझसे बात नहीं 

  हुई इसलिए क्या ? 

मैं-एक बात बताओ ,आज बहुत फुरसत है क्या तुम्हारे 

  पास?

वो-हां, बहुत आज दोस्ती का दिन है।

मैं-तो उसे यहां बर्बाद मत करो, कहीं और आबाद करो।

वो-पर मैं तो यहां आबाद हो रहा हूँ।

में-दफा हो और फ़्लर्ट कहीं और करो।

वो-यार, चला जाऊं पर उल्टे जवाब वहां नहीं मिलेंगे न! 

मैं-अब बोर मत करो।

वो-ओके बी, हैप्पी फ्रेंडशिप डे।

मैं-ओके।


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