विश्वास की आंखें
विश्वास की आंखें
अमित कभी भी नहीं सोचा था, कि उसे ये दिन देखना पड़ेगा,और अपनी पवित्र धर्मपत्नी के बारे में थोड़ा भी शक करना पड़ेगा । लेकिन बाबूजी को कौन समझाएं।बाबूजी मानने को तैयार ही नहीं थे।बाबूजी एक हीं बात रट लगाए थे ।
"आखिर पोते का डीएनए जांच कराने में है क्या?..दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।..बहु के नैहर का भोरिक मुझसे बोला था..आपकी बहू को अपने हीं गांव के लड़के सुमित के साथ कुछ ज्यादा हीं पटती है।"
बाबूजी की बात से अमित पूरी तरह से परेशान हो गया, वो कैसे अपने पत्नी से कहें, की वो अपने बेटे का डीएनए जांच कराना चाहता हैं ?
अमित आत्ममंथन करते हुए,अनमने ढंग से अपने कमरे में प्रवेश किया।अमित की पत्नी सुनैना अपने बेटे अंश को तैयार कर रही थी। अमित आश्चर्य से अपनी पत्नी से पूछा,"अंश को नए-नए कपड़े क्यों पहना रही हो ?"
सुनैना अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान बिखेरते हुए बोली, "मैं बाबूजी की बात सुन ली हूं...बाबूजी तनिक भी गलती नहीं कह रहे है..उनकी जगह कोई भी रहता तो यही कहता..आखिर अंश इस खानदान का वारिश है।.....खानदान का वारिश खानदानी खून न होकर किसी और का खून हो, इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।..जो सुमित की बात बाबूजी से कोई बोला है, वो सुमित मेरा भाई जैसा है या यूं कहे की भाई ही है।..हर साल उसको मैं राखी बांधती थी। वो बहुत ही अच्छा लड़का है। मुझे वो भी अपनी सगी बहन की तरह मानता है।"
अंश कपड़ा पहन कर तैयार हो गया था। अमित अंश को गोद में उठाया..वो घर से बाहर के लिए कदम बढ़ाया। लेकिन उसके कदम आगे बढ़ हीं नहीं पा रहे थे।..बढ़े हुए कदम पीछे आ जा रहे थे। अंततः पिता के आज्ञा का पालन करते हुए वो अंश को लेकर डीएनए जॉच के लिए निकल गया।
कुछ ही दूर गया होगा, तभी उसके दिमाग में एक बात आई। पिता की आज्ञा का पालन हो चुका...मैं अब डीएनए जॉच नहीं कराऊंगा। जांच कराने के बाद जीवन भर अपनी पत्नी को मुंह नहीं दिखा पाऊंगा। पति-पत्नी का रिश्ता विश्वास की नीव पर टिकी होती है। यह डीएनए जांच हम दोनो के बीच एक मोटी दीवार खड़ा कर देगी। हम दोनों पास रहकर एक दूसरे से काफी दूर हो जाएंगे।अमित अंश को लेकर घर लौट आया । पत्नी ने आश्चर्य से पूछा, "इतनी जल्दी ...? क्या आप सैंपल दे दिए? "
सुनैना का जवाब देते हुए अमित बोला," हां, मैं सैंपल दे भी दिया और रिपोर्ट भी आ गया , रिपोर्ट मैं देख लिया डीएनए मैच कर गया अंश मेरा ही बेटा है।" " इतनी जल्दी ऐसे कैसे ?" सुनैना ने आश्चर्य से पूछा। "अपनी विश्वास की आंखें से मैने अंश का रिपोर्ट देख लिया...अंश का मैं हीं जैविक पिता हूं।" एक लाइन में अमित ने जवाब दिया ।
सुनैना अमित की महानता और समर्पण पर फिदा हो गई वह निशब्द होकर अपलक निहार रही थी । और अमित बोले जा रहा था ।सुनैना मुझे तुम पर पूरा भरोसा है, और भरोसा की आंखें कितना हूं मोटी दीवार हो उसके पार देखा जा सकता है। दुनियां के किसी भी जगह बिस्वास की आंखे देखती रहती है। तुम हमारी सीता हो, सावित्री हो, गंगा की तरह पवित्र हो ,और अंश गंगा से निकला गंगापुत्र है ।मेरे बिस्वास के गर्भ से जन्मा विश्वास पुत्र है..मैं पिताजी को समझा लूंगा । मुझे खुद पर भरोसा है ।
सुनैना अमित के सीने में छुप गई।उसको अपने पति पे गर्व था।