Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Tragedy Inspirational

4  

Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Tragedy Inspirational

एक नई शुरुआत

एक नई शुरुआत

2 mins
422


 हर शुरुआत का अंत होता है। यह एक चक्र सा हैं। दिन के बाद रात आता है। और रात के बाद दिन आता है। प्रकृति का यह एक अकाट्य और शाश्वत नियम है।

 रघु हार जा रहा था। एक बार हारा,दो बार हारा तीसरी बार भी हारा। और जब भी हारता, दोगुने लगन और साहस से वो जितने के लिए,जोर लगाता। लेकिन बार-बार वो हार जाता।

रघु अंदर से टूट गया था। कुछ इस कदर टूटा था की बिखर सा गया था। वो अपने मां के आंचल में छुपकर रो रहा था। मां उसे समझाने की असफल कोशिश कर रही थी। लेकिन रघु जी भर रोकर खुद को हल्का कर लेना चाहता था।

 रघु मां से बोला, "मां पिताजी के मरने के बाद मैं ही आपका एकमात्र सहारा हूं। ...आप गांव में चौका बर्तन करके हमको पढ़ाई, इसलिए कि मैं एक कामयाब लड़का बनूंगा। लेकिन मैं जितनी भी नौकरी के लिए परीक्षा दिया, मुझे सफलता नहीं मिली। ...मैं थक गया हूं,...मैं निराश हो गया हूं..अब हिम्मत शेष नहीं बची है। "

 रघु की बात सुनकर ,रघु की मां के आंखों से आंसू निकल गए,लेकिन खुद को मजबूत करते हुए रघु की मां बोली। "बेटा, अपने इस असफलता को अपना गुरु बनाओ..जो कहीं थोड़ी सी कमी रह गई हैं,उसे सुधार करो,बार- बार जैसे परीक्षा दिए हो , तो एक बार और सही। ...बेटे सफलता कदम चूमेगी। "

 मां की बात को रघु काफी ध्यान से सुन रहा था।  

रघु बोला," मां आप कह रहीं है तो, एक बार मैं जरूर

फिर से कोशिश करता हूं। और जो कमी रह गई है,उसे सुधार कर पूरी लगन के साथ परीक्षा में बैठता हूं। "

रघु परीक्षा की तैयारी में जुट गया था। समय बिताने लगा। आखिर वो घड़ी भी आ गई। जब रघु परीक्षा देने गया। .. परीक्षा काफी अच्छा गया था। ..रघु परीक्षा देकर घर आया। रघु काफी खुश था। ..रघु की खुश देखकर मां भी काफी खुश हुई। ...रघु और उसकी मां परिणाम का बेसब्री से इंतजार करने लगे।

 आखिर वो दिन भी आ गया , जिस दिन परीक्षा का परिणाम आया। ...रघु को खुशी का ठिकाना न था।

वो परीक्षा में सफल हो गया था।

वो मां से लिपट गया और बोला," मां आप महान हों ..ये सफलता मेरी नहीं आपकी है। मैं तो हार गया था।

नर्वस हो गया था। "

मां के आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे।

रघु के लगातार हार के बाद एक नई शुरुआत ने जीवन जीने मायने हीं बदल दिए थे।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract