Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Inspirational Thriller

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Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Inspirational Thriller

रिश्ता भाई बहन का

रिश्ता भाई बहन का

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शांति घर पर अकेली थी । रोज हीं शांति के माता-पिता घर से बाहर कमाने चले जाते थे । शांति भी अपने विद्यालय चली जाती।लेकिन आज विद्यालय का छुट्टी था , सो वह घर में अकेली थी।

  शांति अंदर से किवाड़ बंद करके खाना बना रही थी।जेठ का महीना था। दिन के बारह बजे थे। धूप काफी तेज हो गई थी । तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आई।

    "कौन?"

 ".............!" कोई जवाब नहीं आया।

  शांति ने फिर पूछा , "कौन है? "

  "मैं बगल का पड़ोसी राजेश।" दरवाजा के उस पार से आवाज आई।

 शांति दरवाजा खोली, तभी राजेश घर में घुसकर अंदर से कुंडी बंद कर दिया । यह देखकर शांति घबरा गई । राजेश आव न देखा ताव तुरंत शांति की कलाई पकड़ लिया । शांति की धड़कन काफी तेज हो गई थी। शांति को समझते देर न लगी कि राजेश गलत नियत से घर में घुसा है । लेकिन वो हिम्मत नहीं हारी और राजेश की आंखों में झांकते हुए बोली, "भैया मैं मां-बाप भी अकेली हूं मेरा कोई भाई नहीं है , मैं आपको भाई की नजर से देखती थी। आप हमारे रक्षक है। जब रक्षक ही भक्षक बन जाएगा, तो दुनिया में कौन किस पर विश्वास करेगा ? "

 शब्द और उसके अर्थ से भाव बदल जाते हैं, चाहे वो रिश्ता ही क्यों न हो ?

 शांति की बातें सुनकर राजेश की पकड़ ढीली पड़ गई। राजेश शांति की कलाई को

छोड़ दिया।..और दरवाजे की कुंडी खोलकर बाहर निकल गया।

 शांति अंदर से ही आवाज दी," राजेश भैया।" 

   राजेश शांति की तरफ देखा, शांति राजेश की कलाई पकड़ कर दरवाजे के अंदर खींची और अपना दुपट्टा को फाड़कर राजेश की कलाई पर बांध दी।

  राजेश की आंखों से आंसू गिरने लगा।

   

  


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