Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Tragedy Inspirational

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Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Tragedy Inspirational

चलाचल है जिंदगी

चलाचल है जिंदगी

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यह क्या है जिंदगी ? यह क्यों है जिदंगी ? यह कैसी है जिंदगी ? चलने का नाम है जिंदगी। ठहरता नही है जिंदगी। हमेशा कुछ न कुछ की तलाश करती रहती है, जिंदगी। जिंदगी जिस दिन ठहरती है, उसे मौत कहते है। जीवन में निरंतरता बनी रहती है। जब तक सांस रहती है, तब तक कुछ न कुछ आस रहती है ‌ पाने की। खोना कभी भी नहीं चाहती जिंदगी। लेकिन खोना भी तो है जिंदगी। अनवरत पाने और खोने के बीच फंसी रहती है जिंदगी। किनारा की तलाश करते - करते बीच मझधार में भी फंस जाती है जिंदगी। कभी भी न रुकने वाला चलाचल है जिंदगी।बेहतर भाविष्य के तलाश में दर दर ठोकर खाती है जिंदगी। अपना भविष्य बनाने के खातिर वर्तमान खराब कर देती है जिंदगी। सुख के तलाश में काफी दुख उठाती है जिंदगी। जहां गणित फेल हो जाए कुछ वैसी है, जिंदगी। एक और एक मिलकर भी एक हीं रहे कुछ ऐसी होती है, जिंदगी। संबंधी और रिश्ता की परकाष्ठा के कसौटी पर रोज कसी जाती है जिंदगी।कभी धूप तो कभी छांव कभी रात कभी दिन मौसम से भी तेज गति से बदलती है जिंदगी।...सांस की गति से भी जल्दी-जल्दी चलती है जिंदगी।

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  राजन बेहद शांत लड़का था। वो अपने मां-बाप का इकलौता बेटा था। इसलिए मां-बाप का वह आंखों का तारा भी था। वो काफी प्यार में पला बढ़ा था। मां- बाप उसे पढ़ने के लिए बाहर नहीं भेजते थे। लेकिन होनी को तो कुछ और हीं मंजूर था।... समय के साथ, जिंदगी में नकारात्मकता इतनी हावी हो गई की, राजन कम उम्र में हीं बिलकुल अकेला हो गया। माता - पिता का मौत एक एक्सीडेंट में हो गया।.. माता- पिता की मौत ने राजन को अंदर से बिल्कुल झकझोर कर रख दिया था। वो बिल्कुल खोखला हो चुका था। कुछ दिनों तक घर में का रखा हुआ समान और धन से गुजारा करता रहा। और जब सारा धन खत्म हो गया, यहां तक की रहने वाला घर भी बिक गया। अब तो ऐसा समय भी आ गया की राजन को मांगकर खाने के सिवाय और कोई रास्ता हीं नहीं बचा था। बाहर कोई काम भी नहीं मिलता था।...कलतक राजन की खूबसूरत जिंदगी अब नासूर बनकर चुभने लगी थी।....उसका पूरा भविष्य अंधकारमय हो गया था। वो खुले आसमान में रोड पर सोता। उसका जीवन रोड पर आ गया था। उसके आंख में आंसू था। और आगे अंधेरा था। लेकिन जीवन है चलता रहता हैं। सो वो अपने जीवन को मंथर -मंथर गति से ढो रहा था। फुटपाथ वाली जिंदगी के साथ।


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