बेरोजगारी
बेरोजगारी
मेहनत करने के बाद भी अगर उसको बेहतर परिणाम न मिले तो , तकलीफ होती है।
ढेर सारे सपने देखने के बाद भी। अगर कुछ भी रिजल्ट न मिले तो, दोष अपने किस्मत को ही देते है।
तमाम नौकरी की परिक्षा देने के बाद भी संस्कार को कोई भी नौकरी नहीं मिल पा रही थी। अंततः एक दिन ऐसा समय भी आ गया की, उसका उम्र खत्म हो गया।
डिग्रीयां फाइल में धरी की धरी रह गई।
घर कि आर्थिक स्थिति चरमरा गई थी।
संस्कार मजदूरी करने पर मजबूर हो गया।..वो दिन भर कड़ी मेहनत करता। लेकिन मजदूरी भी रोज नहीं मिल पा रही थी।
संस्कार सुबह उठा ,और मजदूरी की तलाश में भटकने लगा। शाम तक के मशक्कत के बाद वो खाली हाथ ही रहा।
वो काफी गुस्से में था। ठंड पड़ रही थी। वो अपने फाइल से सारी डिग्रियां निकाला। और उसमें आग लगा दी। और वहीं बैठकर अपना बदन सेंकने लगा। आग बुझ गई थी, और खुद को वो काफ़ी हल्का महसूस कर रहा था।...