उपहार
उपहार
पैसठ वर्षीय नवीन महतो जी अपनी पत्नी देवकी के साथ एक छोटे से गांव में रहते थे। उनके दो बेटे दोनों ही विदेश रहते थे। वे दोनों कभी कबार मौका मुनासिब वर्ष में एक बार या दो बार फोन पर ही अपनी मां बापू जी का हाल-चाल पूछ लिया करते थे। जब भी उनका फोन आता तो देवकी जी हफ़्तों तक बहुत खुश रहा करती थी।
समय बीतता गया...देवकी जी अपनी बहू बेटों की फोन का इंतजार करने लगी...वह फोन लगाती तो नॉट रिकेबल या फिर स्विच ऑफ बताता तो वे फोन नहीं लगाती थी। इस बार लंबे इंतजार के बाद भी उनके बेटे का कॉल ना आने पर वो उदास रहने लगी , ना कुछ समय पर खाती ना ही कुछ पीती। अब उनका ऐसा हाल देख कर... महतो जी ने सोचा अगर ऐसा ही चलता रहा तो देवकी बीमार हो जाएंगी फिर मेरा क्या होगा...!?मैं किसके सहारे रहूँगा..।मुझे अपनी पत्नी के लिए कुछ करना ही होगा लेकिन ऐसा क्या करूं...!!? जिसकी वजह से उनके चेहरे पर खुशी आ जाए..। फिर उनके दिमाग में एक आईडिया आता है और वह जल्दी से अपने दोस्त के बेटे कुणाल के पास जाते है और अपनी सभी बातें बताते हैं...।
कुणाल महतो जी की बात सुनकर बहुत दुखी हो जाता हैं और कुछ देर के बाद कहता है..,"काका जी आप घर जाइए और काकी का ख्याल रखिए।मैं समझ गया...मुझे क्या करना है...!? "।
महतो जी घर पर देवकी के पास चले आते हैं। कुछ ही समय के बाद घर के लैंडनम्बर पर कॉल आता है..।
महतो जी जल्दी से कॉल रिसीव करके अपनी पत्नी को देते हुए कहते हैं..,"ये लो बात करो...तुम्हारे छोटे बेटे का फोन आया है.."।
छोटे बेटे का नाम सुनकर देवकी जी बहुत खुश होती है और फोन पर बातें करके बेटे का हाल-चाल पूछती हुई कहती है.., "बेटा अब मैं बुढ़ी हो चुकी हूं पता नहीं कब तक मेरा जीवन चले...!! तो मुझे तुमसे एक उपहार
चाहिये.. "।
फोन पर कुणाल अपनी रोनी आवाज को सम्भालता हुआ कहता है.., "हां...हां...बोल ना माँ तुझे क्या चाहिए..!? मैं आज ही यहाँ से कोरियर कर दूंगा ओर कुछ दिन बाद ही वह समान तेरे पास पहुंच जाएगी.. "।
"बेटा तू बस एक बार यहां मेरे पास आ जा...।मैं तुझे जी भर के देखना चाहती हूं , तुम्हारा यहाँ आना मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपहार होगी। अब ओर इंतजार मत करवा ओर जल्दी से यहाँ मेरे पास आ जा", देवकी जी रोती हुई कहती हैं।
काकी की बातें सुनकर कुणाल बहुत ज्यादा भावुक हो जाता है और बिना कुछ बोले ही वह फोन काट देता है !