Priyadarshini Kumari

Abstract Fantasy

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Priyadarshini Kumari

Abstract Fantasy

दोतरफा अहसास

दोतरफा अहसास

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प्रकाश झा कलकत्ता का एक बहुत ही होनहार काबिल बिजनेस मैन है जिसकी उम्र लगभग उन्तीस वर्ष है..कद काठी के लम्बा चौड़ा एकदम रॉयल स्टाइल में रहता और किसी का भी रोब नहीं सहता... जहाँ भी रहता शान से रहता,, आज भी प्रकाश झा अपने फ़्लैट के कमरें में ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहें था और खुद को आईने में देखते हुए गले में टाई बांध रहा था और मुस्कुराता हुवा मन ही मन सोच रहा था आज की मीटिंग में अगर संजय सक्सेना की कम्पनी के काम का फ़ाइल मुझे मिल जाता तो इस साल भी बिजनेस कम्पनी में सबसे आगे मेरा ही नाम होगा और मुझे आगे बढ़ने से कोई भी नहीं रोक सकता है.. तभी कमरें में प्रकाश की पत्नी मेनका,, प्रकाश के लिए ब्रेकफास्ट लेकर आती है.. और प्रकाश के तरफ देखते हुए कहती है... मुझे पता है आप क्या सोच रहें हो... आप टेंशन न लो आज की मीटिंग में आपकी ही जीत होंगी..मेनका,, प्रकाश के गालों पर चुंबन लेते हुए कहती है.. बेस्ट ऑफ लक.. सोना,,

मेनका के हाथों से ब्रेकफास्ट का ट्रे लेते हुए प्रकाश कहता है... तुमने क्यूँ.. लाया,, मैं तो निचे हॉल में आ ही रहा था और वैसे भी अब तुम्हें ज्यादा आराम की जरुरत है.. सातवां मंथ चल रहा है तुम्हारी प्रेगनेंसी का तो ऐसे हालत में ज्यादा ख्याल रखने की जरुरत है.. अपना ख्याल रखा करो स्वीट हार्ट.. मेरी जान,, मेनका को समझाते हुए प्रकाश कहता है...

जरा इठलाते हुए मेनका बोलती है..ओफोहो.. सोना (मेनका प्यार से प्रकाश को सोना बुलाती थी ) मैं जानती हुँ.. इन सब बातों के बारे में और मैं,, अपना ख्याल भी रखती हुँ.. और.. वैसे तुम हो ना.. मेरे साथ तो मुझे कुछ भी नहीं होगा,, मेनका,, प्रकाश से कहती है.. और प्रकाश को ब्रेकफास्ट करने के लिए कहती है.. और प्रकाश भी ब्रेकफास्ट करने लगता है.. तभी मेनका को पेट में दर्द होने लगती है... और मेनका,, प्रकाश से दर्द भरी आवाज में कहती है.. मुझे दर्द हो रहा है.. सोना,,, बहुत जोर से होने लगी पेट में,,

प्रकाश अपनी मम्मी को बुलाने के लिए जल्दी से आवाज लगाता है.. मम्मी...मम्मी... कहाँ हो.. जल्दी से,, आवो मेनका को पेट में दर्द हो रही है... जल्दी आवो,, मम्मी..

प्रकाश की माँ शांति देवी,, सुनते ही जल्दी जल्दी प्रकाश के कमरें में आ जाती है... और अपनी बहू मेनका से पूछने लगती है.. क्या हुवा बेटा,, कुछ उल्टा सीधा तो नहीं खा ली हो.. जो पेट में दर्द हो रहा है...

मेनका अपनी सासू माँ से कहती है नहीं मम्मी,, मैंने तो बस अभी एक ग्लास दूध ही पी है.. और दूध पिये हुए भी आधा घंटा हो चूका है.. तो फिर दर्द कैसे हो सकती है... मेनका के इतना बोलते ही उसे और भी जोरो से दर्द होने लगा.. तबतक शांति देवी जी समझ चुकी थी की ये मामूली पेट दर्द नहीं है.. ये तो प्रसव पीड़ा हो रही है मेनका को.. तभी शांति देवी अपने बेटे प्रकाश को कहती है.. बेटा शायद डिलीवरी का वक्त हो चूका है... हमें मेनका को अभी के अभी हॉस्पिटल ले जाना पड़ेगा..

प्रकाश अपनी माँ के तरफ देखता हुवा कहता है.. पर मम्मी अभी तो सातवें महीने ही चल रहें है.. प्रेगनेंसी का,, तो.. अभी कैसे डिलीवरी का टाइम हो सकता है..

शांति देवी, अपने बेटों को समझाती हुई कहती है.. बेटा कभी कभी ऐसा हो जाता है.. सात महीने पर भी डिलीवरी हो सकती है.. अब तू जा जल्दी से गाड़ी निकाल और हमदोनों को पहले हॉस्पिटल छोड़ दे उसके बाद तू.. ऑफिस चले जाना..

प्रकाश अपनी मम्मी से कहता है.. मम्मी,,, मुझे लेट हो जाएगी,, मेरा आज ऑफिस में जल्दी जाना बहुत ही जरुरी है अगर नहीं गया तो बहुत नुकसान सहना पड़ेगा...,, मैं दूसरी वाली गाड़ी निकलवा देता हुँ.. और ड्राइवर को कह देता हुँ वो आप दोनों को हॉस्पीटल पहुंचा दे.. और मैं खुद ही आज ड्राइव करके चला जाऊंगा..

तभी प्रकाश की छोटी बहना,, सोनी आती है और कहती है..

भईया मैने भी गाड़ी सिख रखा है चलाना... तो,, मैं किस दिन काम आउंगी आप जाइये ऑफिस आराम से मैं भाभी और माँ को लेकर हॉस्पिटल चली जाउंगी..

प्रकाश,, सोनी को समझाते हुए कहता है.. नहीं.. नहीं.. तूने अभी भीड़ भाड़ में गाड़ी नहीं चलाई है..अभी तेरा ड्राइव करना ठीक नहीं है....और तू घर पर ही रहना.. घर पर भी तो कोई न कोई होने चाहिए... और इतना कह कर प्रकाश ऑफिस के लिए निकल जाता..

सोनी,, मुँह बनाते हुए कहती है..घर पर ही रुक जाती है..और अपनी भाभी को गाड़ी तक ले जाने में मदद करती है..

मेनका को शांति देवी लेकर हॉस्पीटल पहुँचती है... और जल्दी जल्दी मेनका को लेबर रूम में ले जाया जाता है..

इधर संजय सक्सेना के ऑफिस में सभी अलग अलग कम्पनियों के क्लाइंट आकर अपनी अपनी प्रोजेक्ट के बारे में एकदूसरे क्लाइंट से डिसकस करतें है...और इसी मीटिंग में रवि शर्मा भी आए रहते है.. अपनी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के सिलसिले में.. संजय सक्सेना से बात करने के लिए..

संजय सक्सेना दुबई के बहुत ही बड़े बिजनेस मैन रहते है.. जो साल में दो या तीन बार ही कलकत्ता आते और अपनी कम्पनी के फाइल को उसी क्लाइंट को देते जिनकी प्रोजेक्ट उनको,, अच्छा लगता.. संजय सक्सेना उसी को ही अपना बिजनेस में शामिल करतें और कम्पनी को परसेंट के हिसाब से बेनिफिट शेयर में सिस्टी परसेंट का लाभ देते... इसलिए सभी बिजनेस मैन अपनी प्रोजेक्ट को लेकर अच्छे से अच्छे सर्व करने में लगे रहते..

रवि शर्मा की उम्र लगभग तीस वर्ष के आस पास रहती है,, रवि शर्मा भी बेहद स्मार्ट लुकिंग डैशिंग... कद काठी से लम्बा चौड़ा.. और रवि शर्मा का एक रॉयल लुक देना वाला शौख था जो हर रोज अपने आँखो पर हमेशा ही अलग अलग डिजाइन वाली एक चश्मा लगाता जो उसकी स्मार्टनेस को और भी स्मार्ट और डैशिंग बना देता.. आज भी ब्लु कलर के चश्मा पहने हुए रवि शर्मा बेहद ही खूबसूरत दिख रहें थे.. कोई भी ऑफिस की कुवारी लड़की देखती तो..वो,, रवि शर्मा के दीवाना ही हो जाती.. और बातें करने की भी कोशिस में लगी रहती.. पर, रवि शर्मा किसी भी लड़की से ज्यादा बात नहीं करता सिवाय अपनी सेक्रेटरी रोनिता खुराना और अपनी प्रेमिका मेनका को छोडकर,, अबतक रवि शर्मा कुंवारा ही रहता है....

प्रकाश झा और रवि शर्मा के आपस में कभी नहीं बनती थी.. और दोनों में बहुत ही कटटर दुश्मनी चलती थी.. हमेशा वे दोनों इसी कोशिस में लगे ही रहते की हमारी ही कम्पनी का नाम आगे हो..,, उनदोनों की कोशिस रहती..हर शाल हमारी ही कम्पनी का नाम आगे जाए और.... होता भी... और दोनों ही टॉप पर रहते हर शाल बिजनेस में..,, पर जब बात रहती मीटिंग की तो दोनों ही बात चित करतें..., पर मनमुटाव लिए हुए ही...होती थी.. और आज भी दोनों का आमना सामना होने वाला है.. पर,, आज रवि शर्मा किसी दूसरे काम की वजह से संजय सक्सेना से मिलने आये है.. क्युँकि संजय सक्सेना को मीटिंग के बाद सीधे दुबई के लिए फ्लाइट से रवाना होना है... इसलिए रवि शर्मा को प्रकाश के ऑफिस आना पड़ा है ।

सभी क्लाइंट अपने अपने चेयर पर बैठ कर मीटिंग में सबसे बेहतर प्रोजेक्ट का आइडिया का अवलोकन करतें है.... तभी संजय सक्सेना के साथ ही प्रकाश झा भी आते है...और संजय सक्सेना को देखते ही सभी क्लाइंट अपने चेयर से उठ खड़े होते है और संजय सक्सेना का वेलकम करतें है.. संजय सक्सेना के ऑफिस में उनके लिए एक बहुत ही खासप्रकार की चेयर रहती है और संजय सक्सेना अपनी चेयर पर बैठ जाते है और सभी क्लाइंट से बातें करने लगते है..

संजय सक्सेना को सभी बिजनेस मैन अपने अपने काम के प्रोजेक्ट के बारे बताते है... फिर प्रकाश झा भी अपनी प्रोजेक्ट को समझाते है... और सबसे अच्छी प्रोजेक्ट संजय सक्सेना को प्रकाश झा की ही लगती है.. और कम्पनी के काम का फाइल प्रकाश को ही मिलती है..

सभी बिजनेस मैन प्रकाश झा को कोंग्रटुलते बोलते है..पर रवि शर्मा चुपचाप रहता है...और कुछ नहीं बोलता है..    

प्रकाश झा अपनी ख़ुशी का इजहार एक बियर की बोतल शेक करतें हुए खोलता है... और सभी को ड्रिंक सर्व करने के लिए ऑफिस के पियून को कहता है.. सभी ड्रिंक्स ग्लास लेकर चेयरप करतें है..जब ग्लास से ड्रिंक्स खत्म होने लगती है.. तो सभी क्लाइंट एक दूसरे को बाय बोलते हुए सभी बिजनेस मैन वहाँ से जाने लगते है.. और प्रकाश झा भी थोड़ी ही देर में संजय सक्सेना के ऑफिस से निकल जाता है.. हॉस्पीटल जाने के लिए और रवि शर्मा वही रुक जाता है.. संजय सक्सेना से बिजनेस के सिलसिले में बातें करने के लिए..

प्रकाश झा हॉस्पीटल पहुंचते ही अपनी मम्मी शांति देवी को ढूंढने लगता है... तभी थोड़ी ही देर के बाद अपनी मम्मी को प्रकाश लेबर रूम से बाहर निकलती हुई दिखती है.. प्रकाश झा अपनी मम्मी के तरफ देखता है.. प्रकाश झा के मम्मी के चेहरे पर खुशियाँ खिलखिला कर हस रही थी.. और उनकी मम्मी अपने हाथों में एक छोटा सा बेबी लिए हुए रहती है.. प्रकाश झा अपनी माँ के साथ छोटा सा बेबी को देखकर बहुत ही खुश हो जाता है.. और तेजी पाव चलते हुए अपनी मम्मी के पास पहुँचता है.. प्रकाश झा की मम्मी अपने बेटे को देखते, ही कहती है... तुम आ गये बेटा,, ये देखो तुम्हारा लाडला इस दुनियां में आ गया.. देखो तो कैसा दिख रहा है बिल्कुल अपनी मम्मी मेनका की तरह दिख रहा है..

प्रकाश झा के चेहरे पर भी खुशियाँ साफ साफ झलक रही रही थी.. और प्रकाश झा जैसे ही अपने बच्चे को गोद में लेते है.. उनके मन में दोतरफा एहसास होने लगता है.. खुश होते होते.... प्रकाश झा के चेहरे पर एक प्रश्न की लकीरें उभरने लगती है... और प्रकाश के मन ही मन में कुछ और ही बातें चलने लगते है...वो,, सोचता है.. ये,, खुशियों के माहौल में मैं ये सब क्यूँ सोच रहा हुँ.. या फिर मेनका ने मुझसे झूठ बोली था.. वो सोचता रहता है... और थोड़ी सी मायूस भरी आवाज में अपनी मम्मी से पूछता है.. मम्मी,, दो महीने पहले ही डिलीवरी हो गयी.. पर बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है.... इसे देखकर ऐसा लग रहा है की जैसे पूरा नौ माह का बच्चा जन्मा हो..

शांति देवी अपने बेटे को समझाते हुए कहती है.. तू इतना क्यूँ सोचता है.. सुबह में ही न मैं तुमको समझायी थी.... कोई कोई बच्चा सात महीने पर ही जन्म ले लेता है.. और वो भी एकदम स्वस्थ,, ये तो भगवान की लीला है बेटा जो.. ये बच्चा सही सलामत है.. और पूरी तरह स्वस्थ भी,, शुक्रिया अदा करो भगवान का इतना खूबसूरत बेटा दिया तुम्हे भगवान ने और इतना कहते कहते प्रकाश झा की गोद से बच्चे को शांति देवी अपने गोद में लेती है.. और कहती है अब जा काउंटर पर और बिल की चार्ज लिस्ट देख कर पेय करदे और जल्दी से बहू और मेरे पोते को घर ले चल..

हाँ.. हाँ.. कहते हुए अपनी मम्मी से प्रकाश झा,, मेनका के बारे में पूछता है... मम्मी,, मेनका तो ठीक है न,, और अभी तो डॉक्टर हॉस्पीटल से जाने के लिए तो मंजूरी नहीं ही देंगे.. शायद शाम तक हॉस्पिटल में रुकना ही पड़ेगा..

अच्छा ठीक है बेटा,,शाम तक रुक जायेंगे..,, तू घर पर सोनी को फोन करके बता दे.. की उसका भतीजा आ गया. ..,,, वरना लेट से फोन जायेगा तो बड़ी हुड़दंग मचायेगी वो लड़की..

जी,, मम्मी मैं कह दूंगा.. आप फिक्र न करें..

प्रकाश,, जैसे ही अपनी बहन सोनी को कॉल करता है.. उधर से चंचलता भरी आवाज में सोनी बोलती है.. हाँ, भईया मुझे पता है ... की मेरा प्यारा सा भतीजा आ गया है.. और मैं घर की सजावट भी कर रही हुँ साथ में अपने भतीजे के पालने को भी सजा रही हुँ.. अपने हाथों से.. ताकि मेरा भतीजा को पालने बहुत ही पसंद आये.. अच्छा भईया आप सब कब तक आ रहें हो.. मुझे मेरे भतीजे को देखने के लिए मेरा मन बड़ा ही उतावला हो रहा है...

प्रकाश,, सोनी से कहता है.. बस अब जा ही रहा हुँ डॉक्टर से बातें करने.. शाम तक हम सभी आजायेंगे.. वैसे घर पर सब ठीक है ना..

जी,, भईया सब ठीक है... आप घर की फिक्र न करो,, और जल्दी से मेरे भतीजे को लेकर आवो.. इतना कह कर सोनी कॉल कट कर देती है..

शाम को प्रकाश अपने पत्नी मेनका,, मम्मी और अपने नन्हें से बेटे को गोद में लिए गाड़ी में बैठ कर घर आता है.. 

यहाँ घर पर सभी स्वागत की तैयारी की हुई दरवाज़े पर सोनी आती है.. और अपने भतीजे की नजर उतारकर घर में लेआती है.. प्रकाश भी मेनका को सहारे देते हुए उसको कमरें तक बेड पर पहुंचा देता है... और मेनका को आराम करने को कहता है..

घर में नन्हें से राजकुमार के आने से घर की खुशियाँ दो गुनी हो गयी थी और बधाई देने के लिए सगे सम्बन्धी भी आने जाने लगे थे. ... शांति देवी अपने पोते के छठी पुजाई और नामकरण के लिए घर में बहुत ही बड़ी सी पार्टी रखती है 

पार्टी में शहर के सभी बड़ी हस्ती बिजनेस मैन वाले को निमंत्रण भेजा जाता है.. पार्टी में आने के लिए....

पार्टी की तैयारी बड़ी ही जोरो सोरों से चल रही थी..मेहमानों की खातिरदारी के लिए तरह तरह के पकवान बनाए जा रहें थे.. और बिजनेस मैन वालों के लिए स्पेशल ड्रिंक्स की व्यवस्था की गयी थी....

मेनका सभी गेस्ट के आने की सूची गेस्ट लिस्ट में देख रही थी.. और शहर के सभी जानी मानी बिजनेस मैन को पार्टी में बुलाया गया.. सिर्फ रवि शर्मा को छोड़कर.. पर मेनका रवि शर्मा के गेस्ट लिस्ट की सूची में नाम न देखकर गुस्सा हो जाती है.. और प्रकाश से कहती है.. ये क्या देख रही हुँ सोना,, तुमने ऐसा क्यूँ किया सब को बुलाया बस उसी को नहीं...

ओफोहो.. मेनका,,, तुम क्या कहना चाहती हो.. किलियर बोलो न... प्रकाश,, अपना भौ सिकुड़ते हुए मेनका से कहता है..

जान बुझ कर अनजान ना बनो... तुम भी अच्छी तरह से जानते हो मैं,, किसकी बात कर रही हुँ.. मेनका गुस्से से प्रकाश को बोलती है..

प्रकाश भी मेनका पर गुस्सा करता हुवा बोलता है... और तुम भी जानती हो की रवि शर्मा मेरा सबसे बड़ा दुश्मन है.. तो,, मैं क्यूँ बुलाऊ उसे,,, उसे देखते ही मेरा दीमाग खराब हो जाता है....उसका चेहरा मुझे देखना बिल्कुल ही पसन्द नहीं है..

मैं,, उसे कभी भी नहीं बुला सकता.. हुँ

मेनका भी,,, प्रकाश पर चिलाती हुई बोलती है.. और तुम भी जानते हो.. की रवि शर्मा मेरा सबसे करीबी दोस्त है.. और वो,, मेरे बेटे की पार्टी में जरूर आयेगा.. और तुम उसे कॉल करके पार्टी का निमंत्रण दोगे..

प्रकाश अपना मोबाइल बेड पर फेकते हुए कहता है.. ये तुम्हारी गलतफहमी है... मैं,, उसे कॉल नहीं करूंगा.. वैसे तुम्हें जिसे बुलाना है.. बुला सकती हो.. पर,,, मुझे जिसको मन होगा उसे ही बुलाऊंगा.. इतना कहते हुए.. प्रकाश अपने कमरें से बाहर आ जाता है..

मेनका,,, उसी वक्त अपने मोबाइल फोन से रवि शर्मा को कॉल करती है... पर कॉल वेटिंग पर आता है.. मेनका दुबारा कॉल करती है... लेकिन फिर रवि शर्मा का फोन बिजी बताता है... तभी,,, मेनका कॉल कट करके रवि शर्मा के बारे में सोचने लगती है.. तभी अचानक मेनका का मोबाइल फोन पर रवि शर्मा का कॉल आने लगता है... मेनका,, मोबाइल पर रवि शर्मा का नाम सिर्फ रवि के नाम से सेव की रहती है.. और कॉल रवि के नाम से मेनका के मोबाइल के स्क्रीन पर शो हो रहा था.. मेनका जल्दी से कॉल रिसीव करती है और चहकती हुई आवाज में बोलती है..

हेलो रवि.. कैसे हो? कब से तुम्हारे पास कॉल कर रही थी,, पर वेटिंग आ रहा था..

हाँ,, मैं किसी जरुरी काम से क्लाइंट से बातें कर रहा था..

वैसे मैं बिल्कुल ही ठीक हुँ.. तुम कैसी हो..और आज अचानक से इतनें दिनों बाद याद किया सब ठीक तो है न.. रवि,, मेनका से पूछता है..

हाँ.. मैं भी बिल्कुल ठीक हुँ.. रवि,, तुम्हे मेरे बेटे के नामकरण की पार्टी पर आना होगा... मेनका,, रवि को एक ही सांस में बोल देती है..

रवि कहता है... पर,, मैं कैसे आ सकता हुँ ... तुम तो जानती हो ना.. तुम्हारे हस्बैंड से मुझे कितनी नफ़रत है.. फिर तो आना पॉसिबल नहीं है.. तुम और कही भी कहो अकेले में आने को मैं आ जाऊंगा...पर उसके घर और उसके बेटे के नामकरण के पार्टी में... आना,, मुश्किल होगा मीनू (रवि,, मेनका को प्यार से मीनू कहता था )प्लीज मीनू तुम,, मुझे समझने की कोशिस करो ... मैं नहीं आ सकता..

देखो... रवि,, मैं कुछ नहीं जानती तुम्हारी दुश्मनी प्रकाश से है... न की मुझसे और कैसे नहीं आवोगे रवि,,, मीनू का बस एक ही तो दोस्त है वो तुम हो रवि,,तुम,,, मुझे जान से भी ज्यादा प्यारे हो...मैं,, कुछ नहीं जानती बस तुम्हें पार्टी में आना है तो आना है अब मैं फोन रखती हुँ.. इतना कहते ही मेनका कॉल कट कर देती है..

मेनका के फोन रखते ही... रवि दो साल पहले के यादों में उन पहलुओं को याद करने लगता है.. जब रवि शर्मा,, मेनका से पहली बार मिला था....और रवि शर्मा के आँखों से आँसू के बुँदे छलकती हुई उसके गालों पर आ टपकती है.. और अपने यादों के गम से उभरने के लिए रवि एक बियर की बोतल खोल कर एक बड़ा सा पैग बनाता है.. और एक ही सांस में गटक जाता है... पर इतने पिने से उसकी यादें और भी ताजी होने लगती है... और मेनका के साथ बिताये हुए पल याद करने लगता है...


रवि,, मेनका के साथ बिताये हुए पल को याद करने लगता है.. और अपने कमरें के कबर्ड से एक एलबम निकाल कर अपने हाथों में रखता है.. और उस एलबम में बस मेनका की ही तस्वीर सजी रहती है.. और रवि,, मेनका के तस्वीरों को को देखने लगता है... मेनका के तस्वीरों को देखते वक्त रवि,, कभी उसकी तस्वीर देखता है.. तो कभी तस्वीर को सीने से लगा लेता है... और मेनका के साथ बिताये लम्हों को महसूस करने लगता है..,, रवि का पहली मुलाक़ात मेनका के साथ और उसी दिन उसका मैनेजर के पोस्ट पर जॉब लगना रवि अपने ज़िंदगी का अब तक के सबसे अच्छा दिन मानता है..

.... रवि का मेनका के साथ की यादें -- मेनका कॉलेज जाने के लिए बस में बैठकर सफर कर रही थी.. और उसी बस में रवि शर्मा भी अपने जॉब के लिए एक ऑफिस में इंटरव्यू देने के लिए जा रहा था... उस वक्त रवि शर्मा के पास जॉब नहीं थी लेकिन इसमें काबिलियत कूट-कूट कर भरी थी और आज भी रवि के मेहनत का रंग भी दिखता है तभी तो बिजनेस में रवि अपने काबिलियत और हुनर के बदौलत पर टॉप लेबल पर रहता है मेनका अपने दोस्तों के साथ बस में बैठी हुई बातें कर रही थी..और रवि मेनका के एक दो सीट से आगे सामने के तरफ खड़ा था... तभी एक बस स्टॉपेज आती है और बस स्टॉप पर रूकती है और एक प्रेग्नेंट महिला उस बस में चढ़ती है पर सीट खाली न होने की वजह से प्रेग्नेंट महिला खड़ी होकर ही सफर करने लगती है.. उस खड़ी प्रेग्नेंट महिला को देखकर मेनका को अच्छा नहीं लगता है.. और मेनका खड़ी होकर उसे अपना सीट पर बैठा देती है.. प्रेग्नेंट महिला मेनका को धन्यवाद कहते हुए सीट बैठ पर जाती है.... मेनिका के सुंदर सजीला गोरा गोरा बदन देखकर बस के पिछले वाले सीट पर कुछ मनचले बैठे थे.. वो सभी मेनका के पास आकर मेनका की बॉडी को छूने की कोशिश करता है...उन मनचलों की गंदी हरकतों देखकर रवि को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है और रवि मेनका को आगे करके खुद बिच में खड़ा हो जाता है और मेनका को उन मनचलों लड़के से दूर कर देता है...

मेनका यह सब देख रवि का व्यवहार उसे बहुत ही अच्छा लगता है और रवि को मेनका,, शुक्रिया कहते हुए पूछती है.. क्या आप कहीं जॉब के लिए जा रहे हो..

हां.. मैं,, जॉब के लिए ही जा रहा हूं.. पर,, आप

मैं कॉलेज के लिए जा रही हूं..और इतना कहते ही मेनका अपने पर्स से एक ऑफिस का एड्रेस कार्ड निकालकर रवि को देती है और कहती है आप इस एड्रेस पर जाएं उनको एक मैनेजर की जरूरत है...

रवि यह सुनते ही बहुत खुश हो जाता है और मेनका का शुक्रिया अदा करता है..

मेनका कहने लगती इसमें शुक्रिया अदा करने की क्या बात है आपको जॉब की जरूरत है और कंपनी वालों को मैनेजर की इतना कहते हैं दोनों एक दूसरे का नाम पूछते हैं..

मैं,, मेनका।

मैं ,, रवि शर्मा।

और थोड़ी ही देर बाद मेनका के कॉलेज का स्टॉपेज आता है.. और मेनका अपनी दोस्तों के साथ बस से उतरते हुए चली जाती है....

रवि शर्मा भी मेनका के दिए हुए एड्रेस पर पहुंचता है और निचे ही फ्लोर के पियून से पूछता है.. महेश भाटिया सर के केबिन किस फ्लोर पर है..तभी,, पियून हसता हुवा कहता है.. अच्छा.. अच्छा.. आप रवि शर्मा जी हो...,, अरे आपका ही भाटिया सर इंतजार कर रहें है... वहाँ देखिये सामने लिफ्ट है... लिफ्ट से जाइये चौथे मंजिले पर.. कुछ दूर पर दाहिने के तरफ ही भाटिया सर का केबिन है.. 

मन ही मन रवि सोचने लगता है... इस पियून को मेरा नाम कैसे पता है... और बिना देरी किये हुए रवि,, पियून को काका कहते हुए पूछता है.. अच्छा काका आपको मेरा नाम कैसे पता है...

पियून मुस्कुराते हुए.. अरे बेटा अभी जावो जल्दी सर के केबिन में..भाटिया सर आपका इंतजार कर रहें है.. बातें तो बाद में भी मुझसे कर लेना.. मैं,, कही थोड़े न भागा जा रहा हुँ... 

रवि,, बिना एक पल भी देरी किये हुए.. लिफ्ट से चौथे माले पर पहुँचता है.. और सीधे भाटिया सर के केबिन के गेट के बाहर खड़ा होकर नॉक करता है..

क्या मैं,, अंदर आ सकता हुँ?

यस प्लीज,, कॉम इन..

रवि,, केबिन में पहुंचते ही... भाटिया सर को अपना इंट्रोड्यूस कराता है.. और अपनी फाइल में रखी डिग्री भाटिया सर को दिखता है...

भाटिया सर,, रवि के डिग्री देखते ही.. बोल पड़ते है..

एक्ससीलेंट... एक्सीलेंट.... बहुत अच्छे,,, अच्छा किया है तुमने मेरे ऑफिस में आकर,, भाटिया सर अपना हाथ रवि के तरफ बढ़ाते हुए कहते है.. मैं तुम्हे अपने मैनेजर के पद के लिए नियुक्त करता हुँ...

रवि,, तुरंत अपना हाथ बढ़ाकर भाटिया सर के हाथों से हाथ मिलाता हुआ धन्यवाद कहता है...

भाटिया सर,, रवि से वेलकम कहते हुए...बोलते है.. ठीक है तो तुम अभी से ही काम पर लग जावो... एक जरुरी मीटिंग्स है... आज ही दोपहर एक बजे से तो तुम उसे हैंडल कर लो...

रवि,, जी सर.. जी सर.. कहता हुवा मीटिंग्स की फाइल लेकर

अपने केबिन का पता पूछते हुए भाटिया सर के केबिन से बाहर आ जाता है.. और,, अपने केबिन में जाकर फाइल को देखने लगता है...

भाटिया सर,, चुपके से रवि के केबिन के तरफ देखते हुए मन ही मन सोचते है.. बहुत ही अच्छा मैनेजर मिल गया है.. आते ही काम को अच्छी तरह से कर रहा है..

दोपहर एक बजे की मीटिंग को समाप्त कर सभी फाइल को लेकर रवि,, भाटिया सर के केबिन में जाता है.. और मीटिंग अच्छे से सफल होने की न्यूज़ भी देता है..

थोड़ी ही देर में भाटिया सर के केबिन में एक लड़की आती है.. रवि उसे देखकर कर कहता है.. तुम,,,

हाँ... मैं,,, ये ऑफिस मेरे पापा का है.. तो,, मुझे पूरा हक है यहाँ आने का..

अच्छा इसलिए ही मुझे मेरे आने से पहले ही,, सभी को मेरे बारे में खबर हो गया था.. पर,, आप बस में क्यूँ... आई मिन आप इतने धनी बाप के बेटी होते हुए भी मामूली बस में सफर करना.. ये मुझे समझ में नहीं आया..

भाटिया सर हसते हुए बोलते है.. अरे रवि मत पूछो...इसके जिद्दीपन को... मैंने तो कई बार कहा है.. अपनी कार से जावो.. पर ये तो सुनती ही नहीं... बस अपनी ही मनमर्जी करती है,, बोलती है.. मैं तो अपने दोस्तों के साथ ही जाउंगी.. और दोस्तों के पास कार न होने की वजह से उनको बुरा न लगे... इसलिए ये भी उनके साथ ही बस पर चली जाती है..

रवि,, अपना सर हिलाता हुवा कहता है.. जी,, सर अब मुझे मेनका जी के सारी बातें समझ में आ गयी..

हाँ.. रवि,, तुमने बिल्कुल सही कहा...भाटिया सर रवि से बोलते है.. और अपनी बेटी को बोलते है.. अच्छा मेनका मुझे काम से आज ही फ्लाइट से मुंबई जाना है.. तो तुम अपना ख्याल रखना और मैं दो दिन बाद ही आ पाउँगा.. और रवि,, तुम मेरे ऑफिस का ख्याल रखना..

रवि,,, मुस्कुराते हुआ कहता है..जी,, सर आप जाये मैं ऑफिस का ख्याल बहुत ही अच्छे से रखूंगा..

और कुछ ही देर बाद भाटिया सर ऑफिस से चले जाते है..

भाटिया सर के जाने के बाद रवि,, मेनका को धन्यवाद कहता है.. मुझे इतना अच्छा पोस्ट मैनेजर का जॉब दिलाया.. 

मेनका,, रवि के करीब आकर कहती है... तुम इसके ही लायक थे.. इसलिए ये जॉब मिला.. अच्छा और बतावो तुम्हारी फैमिली में कौन कौन है..मेनका,, रवि से पूछती है..

रवि,, थोड़ा सा उदास होकर कहता है मैं,, और मेरी तन्हाई है...

मेनका,,, थोड़ी सी घबराती हुई क्या मतलब तुम्हारा...

हाँ... मैं,,, अकेला ही रहता हुँ... मेरे मॉम डैड अब इस दुनिया में नहीं है... रवि,,, अपना नजर झुकाते हुए मेनका से कहता है...

ओफो... सॉरी,,, मुझे पता नहीं था... आई एम रेअली सॉरी.. रवि,,

इट्स ओके मेनका,, डोंट वोर्री.. अब मुझे इन सब बातों की आदत सी हो गयी है...

अच्छा... ठीक है रवि,, इन सब बातों को छोड़ो.. तो,, अब हम घर चले... मेनका,, रवि से कहती है... रात के आठ भी बजने वाले है...

रवि,, मेनका को जवाब देते हुए.. हाँ... पर,, आप अपनी ड्राइवर के साथ गाड़ी में चले जावो... मैं बस से चला जाऊंगा...

नहीं... नहीं... रवि,, आज पापा भी घर पर नहीं... होंगे तो,, मुझे खाना खाने की अकेले आदत नहीं है... अगर तुम घर तक मुझे छोड़ देते तो... हमदोनों साथ में खाना भी,, खा लेते और उसके बाद तुम अपने घर चले जाते... मैं,, तुम्हे फोर्स नहीं करूंगी... बस तुम्हारा कम्पनी चाहती थी...

क्यूँ...मेनका ऐसा क्यूँ.. बोल रही हो... घर पर तो तुम्हारी माँ होंगी न... तो,, आज उनके साथ खाना खा लेना..

रवि के मुँह से माँ शब्द सुनते ही मेनका के आँखों में आंसू आकर उसके गालों से टपकते हुए.. निचे जमीन पर गिर परती है.. और उदास होकर कहने लगती है... कोई बात नहीं..रवि,, मैं चली जाउंगी.. अकेले ही... और अकेले ही खाना भी खा लुंगी...

क्या.. हुवा पर,, इस तरह से तुम्हारी आँखों से आँसू क्यूँ.. मेनका..

कुछ.. नहीं..रवि,,, बस माँ की याद आ गयी... मेरी माँ अब इस दुनियां में नहीं है... रवि,, मैं जब आठ साल की थी तभी मेरी माँ,,, मुझे छोड़कर भगवान के पास चली गयी... तब से मैं,, माँ के प्यार के लिए तरसती रहती हुँ...

सॉरी.. मेनका,,, सॉरी मुझे इस तरह से तुम्हें रुलाने का इरादा बिल्कुल भी नहीं था... चलो मैं,, तुम्हारे साथ घर चलता हुँ.. और साथ में खाना भी खाएंगे...

रवि के बातें सुनते ही.. मेनका की होठों पर हसीं खिलखिला कर हस परती है... और मेनका कहती है.. हाँ.. हाँ.. रवि चलो

वैसे भी मुझे बहुत ही जोरो की भूख लग रही है.. मानो मेरे पेट में चूहें कूद रहें हो..

रवि और मेनका दोनों ही.. लिफ्ट से निचे आ जाते है.. और गाड़ी में बैठ कर रवि और मेनका घर आने लगते है... तभी रास्ते में मेनका को आइसक्रीम पार्लर दिखती है.. और मेनका,, रवि से गाड़ी रोकने को कहती है...

रवि गाड़ी रोकता हुवा... मेनका से पूछता है... अब क्या हुवा यहाँ बिच रास्ते में गाड़ी क्यूँ.. रुकवाई..

रवि,,, वो देखो.. क्या,,, ? दिखा बतावो,,

हाँ.. ये आइसक्रीम पार्लर है...

हाँ.. तो सिंपल सी बात है... अभी भी नहीं समझे..  रवि,,, आज तुम्हारी मैनेजर की जॉब लगी है.. कम से कम आइसक्रीम से ही तो मेरा मुँह मीठा करा दो..

अच्छा... अच्छा...,, सॉरी मेनका मैं अभी लाता हुँ... आइसक्रीम तुम्हारे लिए... वैसे कौन सा फ्लेवर का आइसक्रीम तुम्हे पसंद है... रवि,, मेनका से पूछता है..

मुझे तो चॉकलेट फ्लेवर वाली आइसक्रीम बहुत ही पसंद है.. मेनका,, रवि से कहती है..

रवि,, आइसक्रीम पार्लर में जाता है... और दो चॉकलेट फ्लेवर वाली आइसक्रीम रेडी करने को कहता है..

तब तक... गाड़ी से बाहर मेनका भी निकल जाती है... और रवि के पास जाकर उसके हाथों से आइसक्रीम लेकर खाने लगती है... मेनका को बच्चो की तरह आइसक्रीम खाते देख.. रवि,, मुस्कुराने लगता है... और मन ही मन सोचता है.. कितनी सच्ची और दिल की अच्छी है.. मेनका,,, भगवान मेनका को बुरी नजरों से बचाए.. तभी,,, मेनका की नजर रवि के मुस्कुराते हुए चेहरे पर परती है... और मेनका पूछने लगती है.. मेरी तरफ देख कर क्यूँ.. मुस्कुरा रहे हो...

रवि,,, मेनका से कहता है.. कुछ नहीं... तुम आइसक्रीम खावो...

मेनका,,, रवि से कहती है... हाँ... मैं,,, तो खा ही रही हुँ. तुम भी खावो.. और मेनका के कहने पर रवि भी आइसक्रीम खाने लगता है... दोनों आइसक्रीम खा ही रहें थे.. तभी,,, अचानक से आसमान में बिजली चमकने लगते हैं और जोरो की बारिश होने लगती है... रवि,,, जल्दी से भागता हुवा.. मेनका को बोलता है.. मेनका जल्दी भागो.. और गाड़ी में आकर बैठो.. वरना भींग जावोगी... पर मेनका,, रवि की बातें नहीं मानती है.. और बारिश में भीगने लगती है.. और भीगते भीगते बच्चों की तरह नाचने भी लगती है..

रवि,,, मेनका को गाड़ी के शीशे से देखता है... और फिर से आवाज लगाता है... मेनका वापस आवो,,, वरना बीमार पड़ जाओगी..पर मेनका,,, गाड़ी के पास आकर रवि को कहती है.. खिड़की का शीशे निचा करो.. मुझे कुछ कहना है.. रवि,, जैसे ही शीशा निचे करता है... मेनका,,, बारिश की पानी से रवि को भींगाने लगती है... मेनका को ऐसा करतें देख रवि भी गाड़ी से बाहर निकाल कर.. मेनका के ऊपर बारिश का पानी फेकने लगता है.. फिर दोनों ही बच्चों की तरह बारिश में भींगने लगते है... थोड़ी देर बाद रवि,, मेनका के हाथ पकड़ कर जबरदस्ती गाड़ी के पास लाता है.. और गाड़ी में बिठा देता है.. और खुद भी गाड़ी में बैठ कर.. ड्राइव करने लगता है... दोनों जल्दी ही मेनका के घर पहुंच जाते है... घर पहुंचते ही मेनका के काकी माँ(काकी माँ जो मेनका को बचपन से देख भाल करती है ) कहती है...हाय.. मेरी बच्ची इतना कैसे भींग गयी.. और ये कौन है तुम्हारे साथ काकी माँ,, मेनका से पूछती है...

मेनका काकी माँ को जवाब देते हुए कहती है.. काकी माँ,, ये मेरे सबसे दोस्त है,,, और पापा के ऑफिस के नये मैनेजर भी.. अच्छा काकी माँ, अब सवाल बाद में भी कर लेना.. पहले आप खाना गर्म करके मेरे ही रूम में ला दो... मुझे जोरो की भूख लग रही है... तबतक हमदोनों खुद को तौलिया से सूखा लेते है..

काकी माँ कहती है.. ठीक... है.. ठीक... है और रूम में हीटर भी ऑन कर लेना.. वरना सर्दी लग जायेगी तुझे..

मेनका,, रवि को अपने रूम में लेकर जाती है.. और एक तौलिया और अपने पापा के नाइट सूट देती है... और कहती है.. खुद को सूखा कर ये नाइट सूट पहन लेना... तब तक मैं भी खुद को सूखा कर आती हुँ.. मेनका जैसे ही आगे बढ़ती है.. बाथरूम में जाने के लिये.. मेनका के पैर निचे जमीन पर गिरी पानी की वजह से फिसल कर गिरने लगती है... मेनका को गिरते देख रवि,, जल्दी से मेनका को अपनी बांहों में भर लेता है... फिर मेनका की नजर रवि पर,, और रवि का नजर मेनका पर...

रवि की नजरें मेनका के चेहरे पर और मेनका की नजर रवि की आँखों पर... दोनों ही कुछ देर के लिये एक दूसरे को देखने लगते है... उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था बस वे दोनों इस पल में ही ठहराव चाहते हो... पर अगले ही पल मेनका,, रवि के बांहों से खुद को दूर करतें हुए.. कहती है .. इस पानी को मुझे ही गिराना था...,, तुम्हें भी तो गिरा सकता था ना..

रवि,,, मेनका की बातें सुनकर हसता हुवा बोलता है... हाँ,, अगर तुम नहीं गिरती तो इतना अच्छा पल मैं मिस कर देता तुम्हे अपने बांहों में भरने से... हाय वो एहसास... और मेरा ये दिल.... का धडकन.. देखो.. देखो.. कैसे धक... धक.... कर रहा है...

मेनका,,,रवि के बातें सुनकर सरमा जाती है और शर्माती हुई अपने हाथों में तौलिया लेकर बाथरूम के तरफ चली जाती है..

थोड़ी ही देर बाद काकी माँ रवि और मेनका के लिए गरमा गर्म खाना मेनका के रूम में ले आती है...

काकी माँ के हाथों में खाना की थाली और ट्रे देखते हुए रवि,, झट से बेड पर से उठ जाता है.. और काकी माँ के हाथों से खाने की प्लेट लेते हुए कहता है... काकी माँ,, आप,, मुझे बुला लेती.. मैं चला आता आपकी मदद के लिए... एक ही साथ आपने इतनी सारी प्लेट लाने की क्या जरूरत थी.. अगर आपके हाथों से छूट जाती तो...

काकी माँ,, रवि की बातें सुनकर मुस्कुरा कर रवि से कहने लगती है.. अरे,, बेटा मुझे आदत है.. मैं ये सब काम आसानी से कर लेती हुँ... अच्छा बेटा मेनका बाथरूम में गयी है..बड़ी 

नटखट है बेटा,, मेनका बहुत ही शरारती करती रहती है कभी मीठा नहीं खाउंगी कभी नमकीन नहीं खाउंगी.. सारा दिन घर को सर पर लिये घूमते रहती है.. कभी यहाँ गिरती है.. तो कभी वहाँ गिरती है....

तभी,, बाथरूम का गेट खट से खुलता है और मेनका कमरें में आते ही चहकते हुए बोलती है अच्छा.. अच्छा.. कर लो मेरी शिकायत.. . काकी माँ,,, कर लो.. और मेरी सारी बुराइयाँ बता दो... ताकि,, रवि जी भी मुझे चिढ़ा सके...

रवि,,, काकी माँ का साइड लेता हुआ बोलने लगता है.. नहीं नहीं मेनका वो तो काकी माँ,, तुम्हारी तारीफ कर रही थी..

अरे क्या गाना गाती हो... सबके साथ बहुत ही अच्छे से बातें करती हो...

अच्छा.. अच्छा... काकी माँ क्या कम थी जो तुम भी अब बोल रहें हो... मेनका काकी माँ,, के तरफ देख कर बोलती है...

काकी माँ,, मेनका को अपनी तरफ देखते हुए देखती है... तो ठहाके लगा कर हसने लगती है.... काकी माँ को हसते हुए देख रवि और मेनका भी जोर जोर से हसने लगते है... और कमरें में हसीं के प्यारी सी गूंज गूंजने लगती है...

हा.. हा.. हा... हा... . हा... हा... हा...

तभी,,, काकी माँ,, अपनी हसते हसीं को रोक कर मेनका से कहती है.. क्यूँ तुझे अब भूख नहीं लगी.. पहले खाना खा ले.. वरना खाना ठंडा हो जायेगी और तेरे नखरे भी सुरु होने लगेंगे.. की खाना ठंडा हो गयी तो नहीं खाना.. मुझे,,,

इस खूबसूरत खुशियों वाले पल को एहसास कर मेनका के आँखों में आंसू आ जाते है.. और अपनी आँसू को पोछते हुए कहती है.. हाँ.. काकी माँ खा लेती हुँ.. लेकिन उससे पहले इस पल में हस कर खुद को बहुत ही बड़ी वाली खुशियाँ दे दूँ... आज ऐसा लग रहा है.. जैसे बहुत दिनों बाद आज मैंने इतना खुलकर हसीं... और मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा है.. काकी माँ,,,,

काकी माँ,, मेनका को अपने सीने से लगाकर कहती है.. हाँ मेनका बेटी,, बिल्कुल सही कह रही है.. आज ऐसा लग रहा है.. खुशियाँ खुद चलकर हमारे घर आई है... और ये सब शायद रवि के कदम हमारे घर आने से मिली है...

रवि,, काकी माँ को बातों में उलझा देता है... क्या काकी माँ अब आप भी मेनका की तरह ही बन रहें हो.. मुझे भूख लग रही है... मुझे खाना खाना है... आप,, जल्दी जल्दी प्लेट सजा दो...

मेनका,, चहकती हुई.. हाँ.. रवि,,, मुझे भी भूख लगी है जोरो से तो आवो न टेबल के पास खाना खाते है...

काकी माँ,, दोनों से कहती है अच्छा बेटा तुम दोनों खाना खावो.. खाने में कुछ कम हो तो मुझे आवाज लगा देना,, मैं ला दूंगी..

रवि,, और मेनका दोनों ही टेबल के पास आकर खाना खाने लगते है...मेनका चुप चाप खाना खाती रहती है.. और खाते खाते मेनका के आँखों से आँसू टपकने लगते है...

रवि,,, मेनका को रोते हुए देखकर अपनी हाथों की उंगलियों से मेनका के आँसू पोछते हुए कहता है.. मुझे,, पता है मेनका ये तुम्हारे आँसू ख़ुशी के है.. और,, रवि के बातें सुनते ही मेनका मुस्कुरा देती है.. दोनों इतने भूखे रहते है की प्लेट के सभी खाना खा कर पूरा का पूरा प्लेट चट कर जाते है...

रवि,, टेबल पर से उठता हुवा,, बेसिन के पास जाकर हाथ धोते हुए.. मेनका से कहता है.. आज मैंने कई दिनों बाद इतना अच्छा खाना खाया.. थैंक्स मेनका,, इतना अच्छा घर का बना खाना खिलाने के लिए... वैसे अब मुझे चलना चाहिये..

रवि,, की बातें सुनते ही मेनका के चेहरे पर मायूसी छा जाती है.. और रवि से कहती है.... अच्छा ठीक है जावो पर घर पहुंचते ही.. कॉल कर देना....

मेनका के मायूस चेहरा देखकर रवि कहता है...,, क्यूँ... तुम्हारा... यार हुँ..या फिर कुछ और... जो कॉल करू..

मेनका,,, हसती हुई.... नहीं... पर,, अच्छे दोस्त हो,, मुझे तुम्हारी फिक्र है.. इसलिए बोली...

अच्छा बाबा कर दूंगा..,, हाँ.. ये हुई न बात ऐसे ही हमेशा हसते रहो... रवि,, मेनका को अपने सीने से लगा कर बाय बोलता हुवा चला जाता है...

अगले दिन ऑफिस में रवि आता है.. और ऑफिस का सभी काम और मीटिंग्स की डेट चेक करतें हुए... ऑफिस के काम में बिजी हो जाता है.. दोपहर के दो बज जाती है.. तभी मेनका,, अपने कॉलेज से सीधा ऑफिस में ही आती है.. और रवि को काम में बिजी देख.. मन ही मन सोचती है... ये बिजी लड़का ना लंच भी ना किया होगा काम के चक्कर में.. और मेनका,, तुरंत होटल में फोन करके खाने का आर्डर करके खाना मंगवा लेती है...फिर,, अपने पापा के केबिन में जाकर रवि को कॉल करके किसी बहाने से बुला लेती है... और रवि,, मेनका के पापा के केबिन में आ जाता है... और मेनका को देखते हुए बोलता है...

तुम,,, कब आयी? मेनका,,

बस अभी ही... आवो बैठो.. पहले लंच करो...

अरे वाह...!! मेनका तुम्हें कैसे पता मुझे भूख लगी... वैसे क्या.. आर्डर की,,,

आलू पराठा.. और पनीर की सब्जी मेनका,, रवि से कहती है.. तुम्हे पसंद है ना...

हा... मेनका,, मुझे आलू के परांठे और पनीर के सब्जी बहुत ही पसंद है.. वाह... !! मेनका,,, बहुत ही अच्छी खुश्बू आ रही है..

रवि,, मेनका के हाथों से प्लेट लेकर पराठा को छोटी छोटी टुकड़े में बाट देता है.. और पनीर के सब्जी के साथ खाने लगता है.. और मेनका भी,, अपनी पराठे की प्लेट लेकर खाने लगती है... तभी,, रवि के मोबाइल पर भाटिया सर का कॉल आता है... रवि,, भाटिया सर के कॉल देखते ही रिसीव कर लेता है... और ऑफिस की हाल खबर भाटिया सर को बताने लगता है..... थोड़ी ही देर बाद भाटिया सर कॉल रख देते है.. रवि अपना लंच फिनिश करके केबिन से बाहर निकलने लगता है... तभी, मेनका,, रवि से रुकने को कहती है.. पर रवि,,, मेनका से बोलता है.. नहीं,, मेनका मुझे बहुत सारे बाकि काम करने है मैं अभी नहीं रुक सकता और रवि इतना कहते ही केबिन से बाहर निकल जाता है और अपने केबिन में जाकर ऑफिस का काम करने लगता है....

मेनका एक कागज के छोटी सी पर्ची पर कुछ लिख कर भाटिया सर के केबिन में टेबल पर रख कर,, केबिन से बाहर निकल कर सीधे लिफ्ट से निचे आती है और गाड़ी में बैठ कर घर चली जाती है...

रवि को ऑफिस में काम करतें करतें रात के आठ बज जाते है... तभी पियून आता है.. और रवि को टोकता है.. रवि सर,,, रात के आठ बज चुके है.. तो अब ऑफिस बंद करने का वक्त हो चूका है..

रवि,, अपने हाथ की घड़ी में वक्त देखता है.. अरे हाँ.. सच में.. काम करतें करतें कब वक्त निकला पता भी नहीं चला.. अच्छा मेनका चली गयी क्या.. रवि,, पियून से पूछता है..

हाँ... रवि सर,,, मेनका तो कब की चली गयी...

रवि,,, पियून से पूछता है... कुछ कहा भी मेनका ने... आपसे,,, मेरे लिए कोई संदेश भी दिया क्या..?

नहीं..,,, सर कुछ बोल कर नहीं गयी.. पर मेनका बेबी,, परेशान लग रही थी...

अच्छा ठीक है.. आप मेरे केबिन को लॉक कर दो... और मैं ये सब फाइल भाटिया सर के केबिन में रख कर चला जाऊंगा उसके बाद आप भाटिया सर का केबिन भी लॉक कर देना.. और रवि भाटिया सर के केबिन में फाइल रखने चला जाता है.. जैसे ही केबिन के अंदर आता है.. टेबल पर एक कागज की पर्ची देखता है.. रवि,, फाइल को रैक में जल्दी से रख कर टेबल पर से पर्ची उठा कर देखने लगता है.. क्या लिखा है.. और रवि पढ़ने लगता है...,,

रवि,,, मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही है.. मैं घर जा रही हुँ.. तुम अपना काम खत्म करके घर चले जाना... और अपना ख्याल रखना....

रवि,,, जल्दी जल्दी लिफ्ट से निचे आता है.. और ऑटो लेते हुए सीधे मेनका के घर पहुंच जाता है... और मेनका को आवाज लगाने लगता है.. मेनका... मेनका.. कहाँ हो..

तभी..काकी माँ,,, रवि से कहती है.. रवि ज्यादा आवाज नहीं.. लगावो...

पर... क्यूँ काकी माँ.. मेनका कहाँ है... वो ठीक तो है ना..

हाँ.. बेटा ठीक है.. पर अपने कमरें में सो रही है.. और बोली की,, मुझे नींद आ रही है.. तो मुझे उठाना मत....

रवि,, काकी माँ से पूछता है.. काकी माँ क्या मैं,, मेनका को उसके कमरें जाकर देख सकता हुँ... बस देख कर आ जाऊंगा... और फिर अपने घर चला जाऊंगा...

रवि,,, की आँखों में मेनका के लिए फिक्र देख कर काकी माँ कहती है.. हाँ.. बेटा जा,,, जाकर देख लो...

रवि बिना एक पल भी देरी किए हुए दौड़ता हुआ मेनका के कमरें में चला जाता है... और कमरें में पहुंचते ही देखता है.. मेनका सो रही है... पर मेनका के बॉडी पर से चादर हटी हुई थी... रवि चादर ठीक करने के लिए मेनका के पास जाता है.. फिर मेनका को चादर ओढा देता है और चादर रखते वक्त मेनका के हाथ रवि के हाथ से टच हो जाती है...

मेनका के हाथ टच होते ही... रवि कहता है.. अरे इसको तो बहुत ही तेज बुखार है... रवि,, काकी माँ को आवाज लगाने लगता है.. काकी माँ... काकी माँ.. जल्दी आवो...

काकी माँ सीढ़ियों पर चढ़ती हुई जल्दी जल्दी आती है और हाफते हुए बोलती है.. क्या हुवा रवि,, बेटा ऐसे जल्दी में क्यूँ बुलाया.. सब ठीक तो है..

रवि,, मेनका के पास बैठा हुआ काकी माँ से बोलता है.. कुछ ठीक नहीं है... मेनका को बहुत ही तेज बुखार है.. आप मुझे ठंडा पानी और पट्टी लाकर दे.. ताकि मेनका के माथे पर पानी की पट्टी देने से इसकी बुखार उतर जाए...

अच्छा... अच्छा.. बेटा अभी लाई.. और काकी माँ जल्दी जल्दी पानी और पट्टी लाकर रवि को दे देती है...

रवि,,, मेनका के ललाट पर बार बार ठंडी पट्टी देकर... बुखार उतारने की कोशिश करता है... पर बुखार उतरती ही नहीं... अब रवि को चिंता होने लगती है...की.. बुखार क्यूँ.. नहीं उतर रही है... रवि,,, फिर से बार बार पानी से भींगा हुवा पट्टी मेनका के ललाट पर पट्टी करने लगता है... रात के पुरे एक बज जाते है.. तब जाकर मेनका के बुखार उतरती है..पर मेनका पूरी गहरी नींद में रहती है.. और मेनका को कुछ होश खबर नहीं रहता है की मेरे साथ क्या हो रहा है...

मेनका के बुखार उतरते ही.. रवि खुद के साथ रिलैक्स महसूस करता है... तभी,, कमरें में काकी माँ अपने हाथ में एक ग्लास दूध से भरा हुवा लेकर आती है और रवि से कहती है.. बेटा रात बहुत ज्यादा हो गयी है.. ये दूध पीकर तुम भी आराम कर लो...

रवि,, काकी माँ के हाथ से ग्लास का दूध लेकर.. पिने लगता है और कहता है.. नहीं काकी माँ मैं यहीं सोफे पर आराम कर लूंगा.. आप अपने कमरें में जाकर आराम करें..

रवि के कहने पर काकी माँ अपने कमरें में चली जाती है..

रवि,, मेनका के ही कमरें में सोफे पर आराम करने लगता है.. और आराम करतें करतें रवि की आँखे कब लगती है.. उसे पता भी नहीं चलता है.. और रवि,, उसी सोफे पर सोने लगता है..

सुबह होते ही... मेनका के नींद से आँखे खुलती है.. और सोफे पर रवि को सोता देख... फिर अपने कमरें में पानी और पट्टी देखकर सभी बातें समझे जाती है.. की रात क्या क्या हुवा था... और रवि के पास आकर रवि के सीने से लग जाती है... और खुद से ही कहने लगती है... ओह... रवि,, तुम कितने अच्छे हो.. तुमने सारी रात जग कर मेरी सेवा करते रहें और मैं उस पल के एहसास को अपनी आँखों से देख ना पायी... महसूस ना कर पायी.. कैसा ये दोतरफा एहसास है.. जो एक तरफ मुझे बेसुमार प्यार की एहसास दिला रहा है... और एक तरफ तुम्हारी मासूमियत चेहरे की एहसास मेरे दिल को बेचैन कर रहा है... और मुझसे कह रहा है... अब इस मेरे दिल को बस तुम्हारी ही जरूरत है... मेरे धरकती धडकनो को बस अब आपकी ही सीने की एहसास चाहिए...

तभी,, रवि के आँखों से नींद खुल जाती है.. और मेनका को अपने करीब पाकर कहने लगता है...


रवि की आंखें खुलते ही खुद के सामने मेनका को अपने करीब पाकर रवि,,, मेनका से फिक्र भरी आवाज में पूछने लगता है.. मेनका तुम ठीक हो ना...इतना कहते ही रवि,,, मेनका के हाथ और ललाट को स्पष्ट करके देखने लगता है की कही बुखार तो नहीं अभी भी... और देखते ही एक लम्बी गहरी सांस लेते हुए खुद से कहता है.. नहीं अभी तो बुखार नहीं... अब मेनका बिल्कुल ठीक है...

मेनका,, रवि से बड़े ही प्यार भरी आवाज में आवाज में बोलते हुए कहती है... रवि,,, तुम सारी रात जागते रहे मेरे लिए... ऐसा क्यूँ रवि,,,

रवि बहाने बनाते हुए कहने लगता हैं... नहीं.. नहीं.. मैं भला क्यूँ... सारी रात जागु... बस तुम्हारी तबियत ठीक नहीं थी इसलिए यहीं तुम्हारे पास रुक गया और घर पर भाटिया सर भी तो नहीं है.. तो कोई तो होने चाहिए ना,, तुम्हारे देखभाल के लिए..

मेनका,,, रवि के करीब आकर कहती है.. रवि अब तुम्हें,,, मुझसे कुछ छुपाने की जरूरत नहीं है.. मुझे पता है कि तुम सारी रात मेरे लिए जगते रहें.. और कोई ऐसा इसलिए करता है... क्योंकी वे...

रवि,,, चिल्लाता हुवा.. कहता है अरे... तेरी.. के...,, पुरे पुरे 9:00 बज चुके हैं... मुझे ऑफिस के लिए लेट हो रहा है,,

अब मैं चलता हूं मेनका...तुम अपना ख्याल रखना..

मेनका,,, रवि की रोकते हुए नहीं.. अभी.. नहीं...

रवि अभी रुको जावो.. नाश्ता करके जाना..

रवि,,, मेनका की कमरे से बाहर निकलता हुवा बोलता है..  मैं बाद में कुछ खा लूंगा अभी मुझे घर जाना है और फ्रेश भी होने है फिर उसके बाद ऑफिस तो ऑफिस में ही कुछ खा लूंगा.... एक बहुत ही जरूरी मीटिंग है अभी के अभी जाना होगा... मेनका,, नहीं तो ऑफिस के लिए लेट हो जाऊंगा 

रवि के तरफ मेनका देखते हुए रवि को रोकती है.. रुको रवि तुम कुछ भूल रहे हो...

रवि,,, मेनका के तरफ आगे बढ़ते हुए.. मेनका के ललाट पर  एक प्यारा सा किस कर लेता है और कहता है मेनका तुम अपना ख्याल रखना मैं शाम को मिलने आऊंगा तुमसे,, और हां.. भाटिया सर यहां पर कुछ ही देर में पहुंचने वाले हैं..तो तुम भाटिया सर को याद से बोलना की ऑफिस में जरूरी काम है और 2:00 बजे तक पापा को ऑफिस भेज देना...

मेनका,, रवि को कहती है.. अच्छा रवि ठीक है मैं पापा को याद से ऑफिस जाने के लिए कह दूंगी... तुम भी अपना ख्याल रखना... रवि,,

रवि,,, मेनका के घर से चला जाता है अपने घर पर जाकर जल्दी-जल्दी फ्रेश हो जाता है और फिर उसके बाद ऑटो से ऑफिस पहुंचता है और भाटिया सर के केबिन में जाकर कुछ जरुरी फाइल को लेकर अपने केबिन में जाकर काम करने लगता है सभी जरुरी फाइल को चेक करके मीटिंग के लिए एक तरफ रख देता है...तभी भाटिया सर का कॉल आता है..

हेलो... रवि,,,

जी सर,, बोलिए... आप घर पर आ गए..

हां अभी ही मैं घर पर आया हुँ और सुनो रवि,, दो तीन कम्पनी के क्लाइंट अभी कुछ ही देर में ऑफिस मीटिंग के लिए पहुंचता होगा.. और उसमें से एक प्रकाश झा के नाम के बिजनेस मैन है जिसका आजकल मार्केट में बड़ा ही नाम है... तो,, उसके साथ मीटिंग जरा चालाकी के साथ करना.. और तुम अपने हिसाब से उसके साथ मीटिंग करना.. तो,, तुम अपने रूल्स के हिसाब से उसके साथ बात कैसे करना है..,, उसके साथ काम कैसे करना है.. हमारी कंपनी को.. ये सभी बातों का ध्यान रखना.. वर्क फाइल के साथ कौन काम कैसे करने चाहिए या नहीं उसके साथ नहीं करने चाहिये.. तुम सब देख लेना... तुम्हें जो ठीक लगे रवि,, वैसा ही करना तो मैं फोन रखता हूं...

रवि,, भाटिया सर को संतावना देते हुए... जी सर आप टेंशन ना ले मैं सब हैंडल कर लूंगा... और रवि फोन रख कर,, कम्पनी के क्लाइंट के आने का इंतजार करने लगता है..

अब थोड़ी ही देर के बाद प्रकाश झा,, भाटिया सर के ऑफिस में पहुँचता हैं और रवि के केबिन में मीटिंग के लिए आ जाता है... बिना नॉक ही किये..

प्रकाश जैसे ही रवि के केबिन में आता है..अपना हाथ की हथेली को आगे बढ़ाते हुए रवि से बोलता है..

हैल्लो..रवि,,, आई ऍम प्रकाश झा नाम तो सुना ही होगा..

रवि,, प्रकाश झा के तरफ आगे अपने हाथ की हथेली बढ़ाकर मिलाता है और वेलकम करतें हुए बोलता है मैं,, रवि मुझे भी तो आप जानते ही होंगे...

हाँ.. बिल्कुल अच्छी तरह से जानता हुँ... भाटिया सर के इंटेलिजेंट मैनेजर जो,,, पुरे ऑफिस का संचालन खुद ही बड़ी ईमानदारी के साथ करता है...

रवि,,, प्रकाश से कहता है... अच्छा अब इन सब बातों को छोड़िये और काम की बात करें समय ना बर्बाद करतें हुए..

और आपके साथ दो और भी कंपनी के क्लाइंट आने वाले थे... वे दोनों नहीं आए...

अरे... अब मैं,,, सभी कम्पनी के क्लाइंट को अपने पॉकेट में लेकर थोड़े ना चलता हुँ... जो,, उनलोगों को भी हाजिर कर दूँ... वैसे बिल्कुल सही कहा तुमने हम समय बर्बाद ना करतें हुए काम की बातें करतें है...

रवि,,,मुस्कुराते हुए हा.. हा... जरूर... और पहले मैं,,, भाटिया सर के कम्पनी के नियम को आपको समझा दूँ..

रवि,, वैसे एक बात बता दूँ... मैं किसी भी कंपनी के नियम को नहीं सुनता हुँ और नहीं मानता हुँ.. मेरे साथ मीटिंग के लिए अच्छे अच्छे कंपनी के क्लाइंट तरसते है... और तुम्हे ये मौका मिला है मेरे साथ मीटिंग का तो वक्त को जाया ना करो.. और ध्यान से सुनो जो मैं कहता हुँ... और प्रकाश रवि से कहने लगता है.. जैसे... जैसे... मैं,, कहता हुँ... बस तुमको वैसे वैसे फॉलो करतें जाना है...

रवि,, प्रकाश पर गुस्साता हुवा ये क्या फालतू की बातें कर रहे हो... ये सभी बातें कंपनी को आगे बढ़ाने की हो रही ना की.... कोई ऐसी वासी बातें जो बिना सोचे समझे तुम्हारी हर बात को मान लूँ....

ओफो... रवि,,, पहले मेरी बातें तो सुन लो... मैं,, तुम्हारा ही फायदे की बात कर रहा हुँ... और तुम हो की सुनने को तैयार नहीं... अब ध्यान से सुनो.. एक बार.. फिर तुम बोलना.. और प्रकाश,, रवि से कहता है.. देखो जितना तुम्हे भाटिया सर पैसा देते है मैं,, तुम्हे उससे भी दुगुना का तन्खा दूंगा.. बस मेरी एक बात मान लो.. और उसके बाद खुद तुम्हारे नाम की एक अलग कंपनी भी खोल दूंगा...

रवि,, प्रकाश से कहता है.. ये किस तरह की बातें कहने की कोशिश कर रहे हो मैं समझा नहीं.... अगर,,कुछ भी गलत कहने की कोशिस की तो फिर बिना बोले ही इस मीटिंग को छोड़ कर वापस चले जावो.. वरना मुझसे बुरा कोई ना होगा..

अरे.. रवि बाबू,,, पहले मेरी अवसर तो सुन लो... इतने गुस्से में क्यूँ.. बोल रहे हो... सेहत के लिए अच्छा नहीं है.. कह देता हुँ.. पहले ही.. बाद में कुछ मत बोलना की हमने ना समझाया... और प्रकाश,, रवि से कहता है अब सुनो जो मैं कहने जा रहा हुँ.... बस तुम्हे यहीं करना है की भाटिया सर के जितने भी इम्पोर्टेन्ट वर्क फाइल है...उसकी कॉपी करके मुझे दे दो... फिर देखो... तुम्हारा खाली अकॉउंट कैसे करोड़ो रूपये से भर जाता हैं...और तुम मालामाल हो जावोगे...

रवि,,, प्रकाश की बातों को सुनते ही गुस्से से आग बबूला हो जाता है... और चिल्लाता हुआ कहता है... अभी के अभी निकलो मेरे केबिन में से....वरना मेरे हाथों पिट जावोगे..

तुमने,, कैसे सोच... लिया कि मैं,,, तुम्हारे गंदे कामों में साथ दूंगा और भाटिया सर के साथ गद्दारी करूंगा.. मैं,, कभी उनके साथ गद्दारी नहीं कर सकता हूं...मैं ईमानदारी के साथ काम करूंगा और सच्चाई के साथ अपना जीवन व्यतीत करूंगा.. पर कभी भी गलत काम में किसी का भी साथ नहीं दूंगा,, मैं अपने मेहनत और कोशिश के बल पर कंपनी को चला सकता हूं ना की गद्दारी से.. अब तुम जा सकते हो.. और हाँ.. याद रहे भूल से भी अब दुबारा मुझसे मिलने की कोशिश ना करना वरना अंजाम बुरा होगा..

रवि की बातें सुनते ही प्रकाश जोर जोर से चिल्ला कर कहने लगता है.... तुमने मेरी बात नहीं मानी अब देखो मैं तुम्हारे साथ क्या-क्या करता हूं... मैं,,, तुम्हे बर्बाद कर दूंगा.. तुम कही के ना रहोगे... जस्ट वेट एंड वॉच रवि,,, प्रकाश रवि पर गरजता हुवा उसके केबिन से निकल कर ऑफिस से चला जाता है...

रवि,,, अपने केबिन में बैठ कर सोचने लगता है.. प्रकाश झा,, भाटिया सर के कंपनी को नुकसान भी पहुंचा सकता है.. हमें,, प्रकाश से सावधान रहने चाहिए नहीं तो पता नहीं.. कब ये कंपनी को बर्बाद करने में लग जाए....

रवि,, के केबिन में पियून जूस लेकर आता है.. और कहता है सर निचे वाले ऑफिस में दो और कंपनी के क्लाइंट आपसे मीटिंग करने के लिए आये है... क्या मैं,,, उनको आपके केबिन में भेज दूँ...

रवि,, पियून के हाथ से जूस लेते हुए कहता है... हाँ... हाँ...तुम भेज दो..

दोनों ही क्लाइंट रवि के केबिन में नॉक करतें हुए अंदर आ जाते है...

हाय... रवि,, मैं संदीप खुराना,, पहला क्लाइंट रवि से हाथ मिलाते हुए कहता है...

हाय.... मैं,,, महेश ककर,,, दूसरा क्लाइंट रवि से हाथ मिलाते हुए कहता है...

रवि,, संदीप,,, महेश तीनों ही आपस में बहुत ही अच्छे से कंपनी के काम को बारीकियों से समझते हुए मीटिंग करतें है.. और तीनों के आपस में काम करने की बात डील हो जाती है.. और अगले ही दिन सुबह नौ बजे से रवि को बंगलौर जाना होता है...

तभी,,, भाटिया सर भी रवि के केबिन में पहुंचते है.. और उनकी भी बात... संदीप और महेश के साथ हो जाती है... फिर दोनों ही क्लाइंट मीटिंग खत्म करके भाटिया सर के ऑफिस से चले जाते है... और रवि,, कल ही बंगलौर जाने की तैयारी में अपना प्रोजेक्ट फाइल पर काम करने लगता है.. काम करतें करतें कब रात के आठ बज जाते है.. रवि को पता भी नहीं चलता... रवि को इस तरह इतना मन लगाकर काम करते हुए देख भाटिया सर बहुत ही खुश हो जाते है.. और रवि के पास आकर कहते है... रवि,, काम के आलावा कभी कभी खुद पर भी ध्यान दिया करो...

रवि मुस्कुराते हुए कहता है.. जी,, सर करता हुँ.. सर आपको बहुत ही जरुरी बात बतानी है...

हाँ... क्या बोलो.. भाटिया सर,, रवि से बोलते है..

सर,, ये सभी बहुत ही जरुरी फाइल है... और इस फाइल में.. ऑफिस के आज की मीटिंग की सारी डिटेल इसमें है.. तो,, ध्यान से किसी और के हाथों में ये फाइल नहीं लगनी चाहिये.. और,, मुझे कल सुबह ही नौ बजे बंगलौर के लिए निकलना है....और पुरे के पुरे एक महीने के लिए जा रहा हुँ... जब मैं वहाँ से आऊंगा तो.. आपकी कम्पनी का हर प्रोडक्ट और भी बेहतर होंगे और सेल भी बहुत ही बढ़ जाएगी.. फिर तो मार्केट में बस आपका ही नाम होगा सबसे आगे.. और एक बात और सर जब आप घर पहुंच जाए तो मेनका को आप मेरी तरफ से सॉरी कह देना... मैंने,, मेनका से कहा था उससे शाम को मिलने आऊंगा.. पर काम की वजह से मिलने नहीं जा पाया...,, ठीक सर तो अब मैं चलता हुँ...

अच्छा ये लो... भाटिया सर अपनी गाड़ी की चाभी रवि को देते हुए कहते है... अब ले भी लो.. ये तुम्हारे मेनहत का गिफ्ट है.. अब से ऑटो से नहीं. तुम अपनी गाड़ी से घर जावोगे...

रवि,, भाटिया सर को थैंक यू बोलते हुए.. अपने घर के लिए ऑफिस से निकल जाता है..

इधर मेनका,, रवि के इंतजार में अपने ही कमरें में इधर से उधर चलती रहती है.. और रवि का इंतजार करती रहती है..

तभी थोड़ी ही देर बाद भाटिया सर अपने घर आ जाते है.. और सीधा मेनका के कमरें में जाते है...

मेनका अपने पापा को देख कर पूछने लगती है..

पापा,, आप सीधे मेरे कमरें में अपने अपना कपड़ा भी चेंज नहीं किया सब ठीक तो है.. ना,,

हाँ.. बेटा सब ठीक है.. पर तुम जिसका इंतजार कर रही हो.. वो,, आज नहीं आ सकता..

पर...क्यूँ पापा,,, रवि ने कहा था मुझसे मैं,, शाम को मिलने आऊंगा.. और देखो ना पापा रात के नौ बजने वाली है.. और रवि अभी तक नहीं आया...

भाटिया सर,, अपनी बेटी मेनका से पूछने लगता है.. मेनका क्या तुम,, रवि को पसंद करती हो...,, वैसे रवि मुझे भी बहुत ही पसंद है... अगर रवि,, तुम्हे पसंद हो तो.. मैं,, उसके साथ तुम्हारे रिश्ते की बात करूंगा.. वो,,, मेरी बात कभी नहीं टालेगा...

मेनका अपने पापा के गले लगकर रोने लग जाती है.. और कहने लगती है.. ओह... !! पापा आप बहुत ही अच्छे हो.. आपने अपनी बेटी की मन की बात कह दि...

भाटिया सर मेनका के पीठ को थपथपाते हुए कहते है.. क्या मैं,, अपनी बेटी की खुशियाँ के बारे में नहीं जानता.. बेटा ये सब धन दौलत किसके लिए है.. सब तुम्हारे लिए है.. अगर तुम ही खुश ना रहो.. तो फिर क्या फायदा.. इन सब के होने से .. वैसे बेटा तुम रवि से फोन पर बातें कर लो... वो कल सुबह ही नौ बजे की फ्लाइट से बैंगलोर जाने वाला है.. और वो भी पुरे एक महीने के लिए...

ओह... पापा आप ये क्या बोल रहे हो एक महीने के लिए.. मैं,, तो एक दिन भी ना रहु .. रवि को देखा बिना.. और दो महीने कैसे रहूंगी... मुझे अभी जाना है.. रवि से मिलने... प्लीज पापा जाने दो ना..

अच्छा... ठीक.. है... ठीक... है...,, चली जाओ.. पर,, सुनो ध्यान से जाना.. मैं ड्राइवर को कह देता हुँ.. तुम्हे पंहुचा दे..

मेनका,, खुद को आईने में देखने लगती है.. मैं,, कैसी लग रही हुँ.. और फिर जल्दी.. जल्दी.. अपना कपड़ा चेंज करती है.. हल्की गुलाबी कलर की सूट पहन लेती है.. और नीले कलर की दुप्पटा अपने कंधे से लगा कर ओढ़ लेती है.. और माथे के बिच में लाल रंग की छोटी सी बिंदी लगा लेती है.. और हल्के कथ्थई रंग की लाली अपने सुर्ख होठों पर लगाकर और भी खूबसूरत हो जाती है... और काकी माँ से पूछती है.. काकी माँ... काकी माँ... बतावो ना मैं कैसी लग रही हुँ...

काकी माँ,,, मेनका को देखते हुए कहती है चाँद बिल्कुल चाँद लग रही है... अब जा... नहीं,, तो मेरे हाथों से बनी हुई खाना ठण्ड हो जायेगी... फिर रवि को खाना पसंद नहीं आयेगा... मेनका काकी माँ के हाथों से खाने की टिफिन लेकर गाड़ी में बैठ जाती है . और आधे घंटे के अंदर में मेनका,,, रवि के घर पहुँचती है.. और ड्राइवर को जाने को कहती है.. आप जाइये.. मैं,, रवि के साथ आ जाउंगी.. और ड्राइवर चला जाता है... मेनका,, रवि के घर के गेट की बेल बजाती है...

रवि,,, अभी अभी ही बाथरूम से स्नान करके निकला था और उसने अपने बदन पर.. बस तौलिया ही लपेट रखी थी.. और अपने डोर बेल की रिंग सुनता है... और जल्दी.. जल्दी.. में गेट खोल देता है....

रवि के आँखों के सामने... मेनका थी,,, गुलाबी रंग की सूट में.. माथे पर छोटी सी बिंदी लगाई हुई होंठ उसके लाल सुर्ख कथ्थई रंग लगाई हुई मेनका को और भी खूबसूरत बना रहा था... रवि,,, बस मेनका को देखे ही जा रहा था...

मेनका,, रवि से कहती है... क्यूँ... अंदर आने देने का इरादा नहीं है क्या... ऐसे ही घर के बाहर खड़ी रहूँ...

रवि,, हसता हुवा.. नहीं.. नहीं... आवो ना... पर इतनी रात को आने की क्या जरुरत थी...

हाँ.. तुमने तो अपना वादा निभाया नहीं... तो मैं ही चली आई.. अब चलो काकी माँ ने तुम्हारे लिए खाना भेजी है.. पहले खा लो...

अच्छा... खाना,,, हाँ बहुत ही जोरो की भूख लगी है.. जरा रुको अभी आया कपड़े पहन कर...

मेनका,, मुस्कुराते हुए बोलती है... वैसे तुम तौलिये के साथ भी काफ़ी हैंडसम लग रहे हो...

अच्छा... फिर,, तो मैं,, ऐसे ही तुम्हारे साथ खाना खाऊंगा..

दोनों ही खाना खाते खाते बहुत सारी बातें करतें है.. रवि,, अपना खाना खत्म करके अपना हाथ बेसिन में धोकर वहाँ बेसिन के पास रखा तौलिया में हाथ पोंछने चाहता है.. तभी मेनका जल्दी से आकर रवि के हाथ अपने दुप्पटे से साफ करने लगती है फिर रवि,, के होंठ पर लगा.. पानी को पोंछने लगती है... दोनों ही उस वक्त एक दूसरे के काफी करीब होते है... रवि धीरे धीरे मेनका के तरफ आगे बढ़कर अपनी बांहों में भर लेता है... फिर उसके साथ कुछ पल वैसे ही रहकर मेनका के माथे पर कीस करके मेनका से अलग हो जाता है... पर रवि का मन बिल्कुल नहीं होता की वो मेनका को एक पल भी अकेला छोड़े... मेनका,, रवि से कहती है... रवि.. अब तुम्हे दूर जाने की जरुरत नहीं है.. पापा ने कहा है.. तुम्हारे बंगलौर से आते ही हमारी सादी जल्दी से करवा देंगे..

रवि,, इतना सुनते ही.. मेनका को फिर से अपनी बांहों में भर लेता है...और मेनका के होठों को चूमने लगता है.. मेनका भी रवि का पूरा पूरा साथ देने लगती है... और फिर दोनों ही बेड पर आकर एक दूसरे के बदन से लिपट लिपट कर प्यार करने लगते है... दोनों की धरकती धडक़ने तेज तेज सांसे लेते हुए दोनों एक दूसरे को काम वासना के लिए उत्तेजित करतें है.. और फिर रवि,,, मेनका के साथ हम बिस्तर होकर एक दूसरे के प्यार को बहुत ही करीब से महसूस करतें हुए.. एक दूसरे में खो जाते है... दोनों का मिलन,,, उस चांदनी रात को को और भी हसीन बना रहा था.. और दोनों एक दूसरे को प्यार की अनंत सीमा एहसास में महसूस करतें हुए सारी रात एक दूजे के बांहों में गुजार देते है... फिर वक्त कब रेत की तरह फिसल जाती है... पता नहीं चलता... अगले सुबह होते ही.. रवि,, मेनका को बाय बोलते ही बैंगलोर के लिए निकल जाता है....

रवि,,, बैंगलोर पहुंचते ही... मेनका को कॉल करके बता देता है..... की मैं बंगलौर पहुंच गया हुँ... और अगले पुरे एक महीने तक बीजी रहूंगा तो... तुम कॉल मत करना.. जब मुझे वक्त मिलेगा.. तो,, मैं खुद ही कर लूंगा... और रवि,, कॉल कट कर देता है... रवि,, बंगलौर के सड़को पर गाड़ी में बैठा..किसी होटल के तरफ जा रहा होता है.. तभी रवि के गाड़ी एक ट्रक से जोरदार टककर हो जाती है.. और बहुत ही भयानक एक्सीडेंट हो जाता है.. 

रवि के गाड़ी का ट्रक से टक्कर होते हैं ट्रक वाला अपनी ट्रक लेकर भाग जाता है और रवि का बहुत ही बुरी तरह से एक्सीडेंट हो जाता है... तुरंत ही एक्सीडेंट वाली जगह पर बहुत ही भीड़ जमा हो जाती है... और थोड़े ही देर में पुलिस और एंबुलेंस की गाड़ी भी आ जाती है..

पुलिस रवि के गाड़ी के पास आता है.. और रवि को गाड़ी से बाहर निकाल उसकी सांसे चेक करता है..रवि की सांसे अभी चल रही थी... रवि को जल्दी से स्ट्रेचर पर रखकर एंबुलेंस के द्वारा बेंगलुरु के सरकारी हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले जाया जाता है...और जल्दी जल्दी रवि को ऑपरेशन रूम में ले जाया जाता है.. और ऑपरेशन किया जाता है... रवि,,, को बहुत जगह चोट लगने की वजह से.. उसकी हालत बहुत ही नाजुक थी... और सबसे ज्यादा दिमाग में चोट लगने की वजह से रवि को पूरे 5 दिन तक होश में नहीं आता है... और डॉक्टर व पुलिस रवि के होश में आने का इंतजार करतें है....

इधर कलकत्ता में मेनका और भाटिया सर,, रवि के कॉल का वेट करने लगे... लेकिन पूरे आठ दिन बीत जाने के बाद भी रवि का एक भी कॉल नहीं आता है....

अब भाटिया सर,,बेचैन होने लगते है... उनके दिमाग में कई तरह की बातें चलनी लगती है... पता नहीं.. रवि को क्या हो गया...या,, रवि ने हमारे साथ धोखा किया.. इस तरह की बातें सोचते हुए भाटिया सर,, रवि का इंतजार करतें करतें रवि को कॉल करते हैं तो रवि का फोन स्विच ऑफ आता है... भाटिया सर अपने केबिन में बैठे सोच सोच कर बहुत ही परेशान हो रहे थे... पता नहीं अब कैसे मैं खुद को और मेनका को संभालूंगा.. अब,, भाटिया सर अपनी बेटी मेनका को कॉल करके कहते है.. बेटा क्या तुमने रवि को फोन किया.. पर मेनका भी उत्तर देती है.. पापा,,, मैंने तो जितनी दफा कॉल किया उतनी दफा फोन स्विच ऑफ आ रहा है... और मेनका कहते कहते रोने लगती है... और मेनका कॉल कट कर देती है...

रवि को पुरे दस दिन हो जाते हैं लापता हुये.... पर रवि का अता पता भाटिया सर को नहीं मिलती है... भाटिया सर अपने ऑफिस के केबिन में बैठ कर बैंगलोर से लॉन्च होने वाली वर्क फाइल को चेक करने लगते है.... तभी उनके केबिन में प्रकाश झा आता है... और कहता है..

क्या मैं,, आपकी कुछ मदद कर दूं... क्या इन फाइलों को देख सकता हुँ....

भाटिया सर,, चौक कर प्रकाश के तरफ देखते हुये.. अरे तुम प्रकाश झा कहो... यहां मेरे केबिन में कैसे आना हुआ,, सब ठीक तो है... ना...

भाटिया सर,, मैं आपके ही फायदे के लिए आया हूं...अगर आपकी मंजूरी हो तो...

कैसा... फायदा तुम से मुझे भला क्या फायदा हो सकता है? तुम्हारी कंपनी अलग है उनके प्रोडक्ट अलग है.. फिर फायदे कैसे हो सकते है.. मैं कुछ समझा नहीं...

ओफो.. भाटिया सर अभी तक आप नहीं समझे.. आपका मैनेजर रवि शर्मा झूठा है.. मक्कार है... वह आपको धोखा देकर कर चला गया है... आपकी सभी वर्क फाइल की फोटो कॉपी अपने साथ ले गया... और खुद की कम्पनी खोलना चाहता है... रवि,,, आपके ऑफिस और आपको बर्बाद करना चाहता है... तभी,, तो उसने ये सब किया..

भाटिया सर,,, प्रकाश की बातों में आकर प्रकाश की बात को मान लेते हैं... और कहते हा.. तुम शायद बिल्कुल सही कह रहे हो रवि,,, मुझे धोखा दे कर मेरी ही आँखों में धूल झोक कर चला गया... और प्रकाश से पूछने लगते हैं अब मैं क्या करूं कि मेरे वर्क फाइलों का मदद रवि ना ले सके..

प्रकाश,,, भाटिया सर से कहता है... मेरे साथ एक समझौता कर लीजिए... जिसमे मैं,, आपको फिफ्टी परसेंट का मुनाफा दूंगा...

भाटिया सर चौक कर कहते है... तुम्हारे साथ समझोता कैसे समझोता करना है.. मैं,, कुछ समझा नहीं... तुम क्या कहना चाहते हो...

ओफो... भाटिया सर सारी बातों को समझते हुये भी नादान बन रहे हो... खैर मैं,, आपको समझता हुँ.. भाटिया सर,, आप मेरी बातों को ध्यान से सुने और जैसे जैसे मैं कहता हुँ... अगर वैसे ही किया आपने तो.. आपकी कम्पनी डूबने से बच जायेगी...

प्रकाश,, भाटिया सर से कहता है.... सर किसी भी फाइल को सक्सेस होने में कम से कम पंद्रह दिन लग ही जाते है... तो,, अभी रवि जितना भी जल्दी करें कामों को करने में पर उसका काम होगा नहीं... और अगर मैं उसी काम को आज से ही शुरू कर दूँ... तो वर्क फाइल अपडेट होकर सक्सेस हो जायेगी...,,, तो आप वह सभी वर्क फाइल को मुझे,, दे.. दो और मैं,, आज से ही इस पर काम करना शुरू कर दूँ...

प्रकाश की बातें सुनकर भाटिया सर प्रकाश की बातों में आ जाते है.. और सभी वर्क फाइल को प्रकाश को दे देते है...

प्रकाश अपना काम शुरू कर देता है और शर्त के अनुसार भाटिया सर को भी पचास परसेंट का मुनाफा भी देता रहता है प्रकाश को भाटिया सर के साथ काम करतें करतें पूरे एक महीने बीत जाते हैं... और प्रकाश की कम्पनी का नाम मार्केट में खूब चर्चित में रहता है...

मेनका,, बस रवि के यादों में ही खोयी रहती है... और ना ही खाने पिने की सुध में रहती है.. और ना ही किसी से बातें करना चाहती है... बस रवि के याद के गम में खुद को बहुत ही कमजोर बना लेती है... तभी मेनका को अचानक से उल्टी और चक्कर आने शुरू हो जाते हैं...

काकी माँ,,, मेनका को उल्टिया करतें देख समझ जाती है कि मेनका,, मां बनने वाली है...और काकी माँ मेनका को समझाती है.. तू अपना जल्दी से चेकप करा ले... मेनका,, काकी माँ की बात मानकर घर के ही फैमिली डॉक्टर संगीता को बुलाकर मेनका अपना चेकप करवाती है... डॉ संगीता,, मेनका से कहती है... मेनका अब तुम्हे अपना बहुत ही ख्याल रखना होगा तुम माँ बनने वाली हो..

डॉ संगीता की बातें सुनकर मेनका बहुत ही घबरा जाती है और काकी माँ के सीने से लग कर सुसुक सुसुक कर रोने लगती है... और काकी माँ से कहने लगती है.... काकी माँ,, यह सब क्या हो गया...मेरे साथ,, रवि क्यों नहीं आ रहा है क्या सच में रवि ने मुझे धोखा दिया है?,, या फिर उसे कुछ हो गया है मेरा दिल नहीं मान रहा है... कि रवि,, मुझे धोखा दे सकता है....

काकी माँ चुपचाप गुमसुम सी रहती है... तभी मेनका कहती है... काकी माँ,,, तुम कुछ बोलो ना... क्यों नहीं बोल रही हो....,, तभी भाटिया सर,, मेनका की सभी बातें सुन लेते हैं...और उसी वक्त प्रकाश झा के पास जाकर कहते है..

क्या आप मेरी बेटी मेनका से शादी करेंगे...?

प्रकाश झा शादी मेनका से सादी की बात सुनकर बहुत ही खुश हो जाता है... और शादी के लिए तैयार हो जाता है.. फिर अगले ही हफ्ते का शुक्रवार के दिन प्रकाश और मेनका की शादी की तारीख भी तय हो जाती है..

भाटिया सर,, अपने घर आकर मेनका को कहते है.... बेटा अब रवि का इंतजार मत करो... रवि,, तुम्हे छोड़कर हमेशा के लिए चला गया है... वह हमसभी को धोखा देकर चला गया है... भाटिया को ये सभी बातें बोलते वक्त उनकी आँखों में आंसू आ जाते हैं... और मेनका से कहते हैं... बेटा मैंने,, तुम्हारी शादी प्रकाश झा के साथ है तय कर आया हूं अगले सप्ताह शुक्रवार को ही तुम्हारी शादी प्रकाश के साथ होने वाली है... अब ना मत कहना बेटा तू मेरी बात का मान रख लेना... मेनका,, अपने पापा की आंखों में आंसू देखकर चुपचाप अपने सीने में रवि के लिए प्यार को चुप रहने देती है और मेनका के कुछ भी नहीं बोल पाती है...मेनका की चुप्पी को भाटिया,, प्रकाश से शादी के लिए हां में समझ लेते हैं.. और अगले शुक्रवार को ही मेनका और प्रकाश झा की शादी बड़े ही धूम धाम से हो जाती है... मेनका अपने ससुराल में सबका बहुत ही प्यार और सम्मान पाती है... उसका पति प्रकाश भी मेनका को बहुत प्यार करने लगता है.. मेनका भी प्रकाश झा की बातें पुरे दिल से मानकर अपना रिश्ता सच्चाई के साथ निभाने लगी थी.. इस तरह अब मेनका की जिंदगी में खुशियाँ आने लगी थी... शादी के एक महीने बाद ही मेनका,, प्रकाश को बताती है... प्रकाश,, मैं मां बनने वाली हूं... प्रकाश यह बातें सुनकर बहुत ही खुश हो जाता है और मिठाई का डब्बा लेकर भाटिया सर के पास जाकर मिठाई खिलाते हुए कहता है बधाई हो भाटिया सर आप नाना बनने वाले हो... भाटिया सर मुस्कुराकर मिठाई खा लेते हैं और प्रकाश को भी मिठाई खिला देते हैं... और मन ही मन सोचते हैं चलो अच्छा हुआ जो भी हुआ मेरी बेटी का घर बस गया...

बेंगलुरु में रवि का इलाज होते होते पूरी तरह ठीक हो गया था....पर सर में चोट लगने की वजह से उसकी याददाश्त चली गई थी...तो,,, रवि को याददाश्त के बेहतर इलाज के लिए हॉस्पिटल में रखा गया था... और हर रोज रवि के याददाश्त लाने के लिए डॉक्टर कुछ सवालों की पूछ ताछ करके रवि,, का इलाज करता... आज भी इसी तरह रवि को डॉक्टर के पास लाया गया... और बैठा दिया गया.. चेकअप के लिए... पर,, उस वक्त डॉक्टर अपनी चेयर पर बैठकर पेपर पढ़ रहा था और पेपर के पिछले हिस्से पर प्रकाश झा की तस्वीर छपी थी आप की आज की ताजा खबर प्रकाश झा इस साल के भी बिजनेस के टॉप लेवल पर है.. प्रकाश की फोटो देखते ही रवि को सभी बातें याद आने लगती है और रवि को सभी बातें याद आते आते चक्कर आकर नीचे जमीन पर गिर जाता है... डॉ,,, रवि को जल्दी से बेड पर सुलाता है और जैसे ही रवि,, होश में आता है... सभी बातें कहने लगता है... मेरा एक्सीडेंट प्रकाश ने ही करवाया है उसने मेरी वर्क फाइल को चुराकर धोके से लिया है... मैं उसे नहीं छोडूंगा.. डॉ,,, रवि से पूछता है रवि तुम क्या बहकी बहकी बातें कर रहे हो.... होश में आओ रवि,,, होश में आवो...

रवि,,, बेड पर उठ कर बैठ जाता है.. और कुछ देर के लिए शांत हो जाता है.. और फिर थोड़ी देर बाद डॉक्टर को अपने सभी आप बीती बातें बता देता है... और डॉक्टर से अब जाने के लिए परमिशन लेता है... डॉक्टर,, रवि को समझाते हुये कहते है... देखो रवि इस एक्सीडेंट के बाद तुम्हारे शरीर में बहुत सारे बदलाव आ चुके है... तो,, तुम्हें उस बदलाव का सामना करना होगा और हमेशा ही तुम्हे,, डॉक्टर के संपर्क में रहना होगा... मेरा कहने का मतलब है तुम्हें अपना खुद का चेकअप कराते रहना होगा...

रवि,,, डॉक्टर से कहता है... ठीक है मैं,, कोलकाता में ही अपनी दोस्त डॉ रिया सेन से अपना चेकअप करवाता रहूंगा.. और डॉक्टर,, आप यह बताइए कि इस एक्सीडेंट में मेरे शरीर में क्या चेंज हुए हैं...

डॉक्टर अभिषेक बताता है.. अब तुम कभी भी बाप नहीं बन सकते... इस एक्सीडेंट के बाद तुम्हारे अंदरूनी पार्ट पर ज्यादा चोट लगने की वजह से तुम बाप बनने की क्षमता खो चुके हो... तो,, तुम कभी भी बाप नहीं बन सकते..

डॉक्टर की बात सुनते ही.. रवि को एकदम झटका सा लगता है... और खुद को संभालते हुए मेनका को याद करने लगता है.. और मायूस होकर डॉक्टर से पूछता है... क्या अब मैं जा सकता हूं...

डॉक्टर,, रवि से कहता है... हां.. हा... तुम जा सकते हो,, पर याद रखना तुम अपना चेकप समय समय पर करवाते रहना और डॉक्टर,,, रवि को सारे रिपोर्ट्स देते हुए कहता है... देखो रवि इन प्रिसक्रिप्शन को संभाल कर रखना जब डॉक्टर रिया तुम्हारा चेकप करेंगी तो.. इसका जरूरत पड़ेगा..

रवि,, अपना सभी रिपोर्ट डॉक्टर से लेते हुए.. बंगलौर से कलकत्ता के लिए फ्लाइट पकड़ कर निकल पड़ता है..और अगले ही दिन भाटिया सर के ऑफिस पहुंच कर उनके केबिन में जाता है.. और भाटिया सर को देखते ही प्रणाम करता है...

भाटिया सर,, रवि को देखकर चौक जाते है... तुम,,, अब क्यूँ आये हो.. सब कुछ तो मेरा ऑफिस का लेकर चले गये..  तुमने ऐसा क्यों किया... रवि,, क्यूँ धोखा दिया मुझे और मेनका को...

रवि,,, भाटिया सर से कहता है... मैंने क्या किया.. मेरे साथ तो बहुत बड़ा धोखा हुआ है...जो नहीं सोचा था वो हो गया और आप कहते हो की मैंने धोखा दिया आपको..

भाटिया सर,, रवि से पूछते है... तुम क्या कह रहे हो खुल कर बताओ सभी बातों को..

प्रकाश झा के बारे में रवि सभी बातें भाटिया सर को बता देता है... रवि की सभी बातें सुनते ही भाटिया सर भी जान जाते हैं प्रकाश झा ने हमारे कंपनी के साथ बहुत ही बड़ा धोखा किया है... लेकिन अब प्रकाश झा,, भाटिया सर के दमाद रहता है तो भाटिया सर कुछ नहीं बोलते है... और चुपचाप रहते है..

भाटिया सर को चुप रहते हैं देख रवि कहता है.. क्या अभी भी आपको मुझपर विश्वास नहीं है...क्या अभी भी आपको लगता है.. की मैंने ही आपकी कंपनी को धोखा दिया है..

भाटिया सर,, रवि से कहते नहीं.. नहीं.. ऐसा बिल्कुल नहीं है.. मुझे तो तुमपर आज भी उतना ही विश्वास है जितना कि पहले था... लेकिन अब बहुत कुछ बदल गया है...

रवि चौकता हुआ बोलता है.. क्या बदल गया है सर,, आप क्या कहना चाहते हो...

मेरी बेटी मेनका की शादी प्रकाश झा के साथ हो चुकी है..और वो माँ भी बनने वाली है...

रवि को फिर से दिल के करीब बहुत ही बड़ा झटका सा लगता है... भाटिया सर की बात सुनते हैं रवि एकदम से चुपचाप मौन हो जाता है... और बिना कुछ बोले ही अपने घर पर आ जाता है।

भाटिया सर,, अपनी बेटी को फोन करके रवि के बारे में सभी बातें बता देती है.... मेनका रवि के आने की खबर सुनते ही बहुत ही खुश हो जाती है.. और मेनका को अपने पति पर बहुत ही गुस्सा आता है... पर कुछ कहती नहीं और चुपचाप अपने घर से निकलकर रवि के घर पर आती है.. और रवि के दरवाजा को नॉक करती है...

रवि बेजान सा होकर अपना सुध खोये हुए... घर का दरवाजा खोलता है... रवि,, दरवाज़े पर मेनका को देखता है और मेनका के पेट की तरफ देखता है..,, रवि बिना कुछ बोले ही मेनका के गले से लगकर रोने लग जाता है... और कहने लगता है...मेनका इतनी भी क्या जल्दी थी जो तुमने,, मेरा इंतजार ना किया और उस दुष्ट प्रकाश से सादी कर ली..

मेनका कुछ नहीं बोलती... बस,, रवि के सीने से चुपचाप लगी रहती है.. और रोती जाती है...

मेनका को रोते देख रवि,, मेनका से कहता है... मेनका अच्छा कुछ नहीं कहूंगा.. देखो तुम माँ बनने वाली हो.. और इस समय तुम्हे अपना पूरा ख्याल रखना है.. और ऐसी हालत में बिल्कुल भी रोते नहीं... चलो अब चुप हो जावो.. हम तुम्हें कुछ ना कहेंगे तुम बस मेरी सबसे अच्छी दोस्त बनकर रहना.. इसी दोस्ती के सहारे मैं अपना जिंदगी तुम्हारे बिना भी गुजार लूंगा.. वादा करो मेनका,, दोस्ती में कभी ना साथ छोड़ोगी..

मेनका रोते हुए कहती है..कभी नहीं,, मैं मरते दम तक अपनी दोस्ती तुम्हारे साथ निभाऊंगी....,, लेकिन तुम भी वादा करो रवि तुम भी दोस्ती में साथ निभावोगे.. कभी ना मुझे,, खुद से जुदा करोगे.. और मैं जो भी कहूंगी वैसा तुम करोगे...

रवि,,, मेनका के हाथों को अपने हाथों में लेकर कहता है.. हां...मैं वादा करता हुँ.. तुम्हारा साथ दूंगा तुम जो भी बोलोगी... मैं, करूंगा.. बोलो मेनका,, मुझे क्या करना है..

मैं तो तुम्हारे लिए जान भी दे दूँ.. बस एक बार आवाज लगा कर देखो..

मेनका,, रवि के होठों पर अपनी उंगलियां रखती हुई कहती है... ना रवि ऐसा ना बोलो... हमें,, तुम्हारी जान नहीं चाहिए रवि,, मुझे तुम्हारा खोया हुवा मान सम्मान चाहिए... वह दाग जो तुम पर लगे हैं.. जो मेरे ही पति प्रकाश ने तुमसे गद्दारी की है.. उन सबका हिसाब लो रवि,, खुद पर लगे बदनामी का दाग तुम हटा कर सब मिटा दो... मैं जानती हूं यह सब तुम कर लोगे और बिजनेस में इतना नाम कमाओ कि मैं,, शान से कह पाऊँगी की रवि सिर्फ मेरा दोस्त है...

रवि,,, मेनका की गालों पर अपना दोनों हाथ रखते हुए कहता है.. मेनका,, मैं तुमसे वादा करता हुँ... बस कुछ ही महीनों के अंदर अपना खोया हुवा मान सम्मान सब हासिल कर लूंगा और बिजनेस के स्थान में भी टॉप पर रहूंगा.. ये मेरा तुमसे सच्चा वाला वादा है..

रवि अपने अतीत के यादों से बाहर निकलता और खुद को यादों के उभरे जख्मो से संभालते हुए मेनका के बच्चे के नामकरण पार्टी में जाने के लिए तैयार होने लगता है.. तभी रवि के सेक्रेटरी रोनिता खुराना आती है.. और रवि को तैयार होते देख पूछती है.. सर आप कही जा रहे हो.. शाम की मीटिंग कैंसिल कर दूँ क्या?

रवि,, मुस्कुराते हुए कहता है... हाँ... मैं ,,, मेनका के बेटे के नामकरण की पार्टी में जा रहा हूं... अब तुम भी चलने वाली हो मेरे साथ..

अरे.. सर तो पहले क्यों नहीं बताया...

तो अब बता दिया ना अब जाओ रेडी हो कर आ जाओ तब तक मैं,, मेनका के बेटे लिए गिफ्ट लेकर आता हूं.... 


रवि,, रोनिता के साथ मेनका के घर पार्टी में पहुंचता है... घर के हॉल में पार्टी की खूब धूमधाम मची थी.. शाम खूब रंगीन रंग लिये रंगबिरंगे फूलों से सजावट की हुई... पार्टी के माहौल को और भी शानदार बना रही था... उसी हॉल में एक तरफ मेनका अपने बेटे को गोद में लेकर पूजा पर बैठी हुई थी... और अग्नि हवन के समीप मेनका का बेटा के नामकरण की पूजा विधि हो रही थी..

मेनका,, रवि को पार्टी में देखकर बहुत ही खुश हो जाती है.. और इशारों में ही बैठने को कहती है...

रवि,, रोनिता के साथ मेनका के करीब ही आकर दोनों एक चेयर पर बैठ जाते है.. और पूजा देखने लगते है...

तभी,, पंडित जी मेनका से कहते है.. बेटी कुछ दान दक्षिणा मेरे हाथों में रख दो.. और मैं मंत्र पढ़ता हुवा तुम्हारे बेटे का नामकरण कर दूँ...

रवि,,, पंडित जी के बातें सुनते ही जल्दी से अपने वॉलेट से पुरे एकावन सौ एक रूपये निकाल कर पंडित जी के हाथ में रख देता है... मेनका,, रवि को पैसे देते देख मन ही मन खुश हो जाती है... और खुद से कहने लगती है.. चलो जिसका हक था उसी ने रख दिया.. पर ये सभी दृश्य प्रकाश भी देख रहा था उसको ये सभी... बातें बिल्कुल अच्छा नहीं..लगता है.. और पंडित जी.. के पास आने... लगा...

तभी.... पंडित जी,,, बच्चे के कानो में मंत्र कहते हुए...पंडित जी अपना हाथ बच्चे के सर पर रखते है... और कहते है.. आज से यह कुमार कार्तिक के नाम से जाना जायेगा.. जैसे ही... पंडित जी बच्चे का नामकरण कर देते है.. वैसे ही प्रकाश, पंडित के पास पहुँचता और कहने लगता है.. ये क्या.. पंडित जी,,, आपने किसी और के हाथों से दक्षिणा क्यूँ.. लिया,,, दक्षिणा देने का हक तो सिर्फ बाप को होता है.. और इस बच्चे का बाप मैं हुँ...

तभी,, पंडित जी कहते है... बेटा कोई बात नहीं तुम उतना ही पैसे इनको वापस कर दो... अब तुम समझ लेना की मैंने ही दक्षिणा दिया है... प्रकाश,, रवि के तरफ गुस्से भरी नजरों से देखता है... और उतने ही पैसे रवि को वापस करता है..

रवि पैसे लेने से इंकार कर देता है... और कहता है.. मैं,, दक्षिणा में दिया हुवा पैसा कभी वापस नहीं लेता... अगर देने का इतना ही शौक है... तो पंडित जी को दुबारा से दे दो..

रवि की बातें सुनते ही प्रकाश और भी गुस्से में आ जाता है और वहाँ से चला जाता है..

मेनका,, कुमार कार्तिक को रवि के हाथों में देती है.. और रवि से कहती है... रवि,, तुम इसे अपना आशीर्वाद और प्यार की एहसास.. कार्तिक को अपने सीने से लगा कर दो...

रवि,, जल्दी से अपना हाथ मेनका के तरफ आगे बढ़ाकर कार्तिक को गोद में ले लेता है... और कार्तिक को जैसे ही सीने से लगाता है.. रवि,,, को एक अनोखा प्यारा सा एहसास होता है...और रवि,, कार्तिक का प्यारा सा मुखड़ा निहारने लगता है... और मन ही मन सोचने लगता है... कार्तिक के सीने से लगाने से ये कैसा शुकुन वाला एहसास मुझे हो रहा है... ऐसा लग रहा है... जैसे कार्तिक मेरा ही अंश है... फिर अगले ही पल रवि के मन में ख्याल आता है... अरे ये मैं क्या सोच रहा हुँ... ये दोतरफा एहसास क्यूँ... हो रहा है... कार्तिक तो प्रकाश का बेटा है.... पर,, इसके छुअन से अपनों का एहसास क्यूँ... और फिर रवि सोचने लगता है...कार्तिक में मेनका का भी तो अंश है... शायद इसलिये मुझे ऐसे एहसास हुवा हो... खैर जो भी हो... मैं,, तो अब अक्सर आता रहूंगा.. कार्तिक के साथ खेलने के लिए.. 

रोनिता वही.. बैठी सब कुछ देख रही थी... और मन ही मन सोच रही थी... मेनका,, अपने बेटा को नामकरण के बाद सबसे पहले प्रकाश को गोद में क्यूँ नहीं दी... और रवि को ही पहले क्यूँ.. कही ऐसा तो नहीं... रवि ही इसका बाप है...

अरे... ये मैं क्या.. सोच रही हुँ... ऐसा भी तो हो सकता है.. रवि,, मेनका का सबसे अच्छा दोस्त है.. इसलिये दिये हो..

रवि,,, रोनिता को टोकते हुए... हे.. रोनिता कहा खोई हुई हो... देखो तो कार्तिक कितना प्यार लग रहा है.. लो,, अपनी गोद में लो...

रोनिता अपने गोद में कार्तिक को लेते हुए कहती है.. सच में रवि,,, कार्तिक बहुत ही प्यारा है.. इसे कोई भी देखे तो.. बार बार.. देखता ही रह जाए... तभी,, कार्तिक रोनिता के गोद में रोने लगता है.. कार्तिक को रोते देख रवि तुरंत ही रोनिता के गोद से कार्तिक को ले लेता है... और अपनी गोद में रख कर चुप कराने लगता है... और कार्तिक कुछ ही देर बाद चुप हो जाता है... कार्तिक को रवि के गोद में.. प्रकाश देखता है.. और प्रकाश को जरा भी अच्छा नहीं लगता की रवि,, मेरे बेटे कार्तिक को अपनी गोद में रखे... और बिना देर किए रवि के पास आता है... और रवि के गोद से कार्तिक को अपने गोद में ले लेता है... प्रकाश के गोद में कार्तिक आते ही जोर जोर से रोने लगता है... मेनका,,, प्रकाश से कहती है.. शायद इसे भूख लगी है.. मुझे दिजिए मैं कार्तिक को दूध पीला देती हुँ....

मेनका अपने गोद में लेकर कार्तिक को दूध पिलाने लगती है.. कार्तिक दूध पीते पीते सो जाता है.. फिर मेनका,,, कार्तिक को पालने में रख देती है.. और सभी गेस्ट बारी बारी से आकर कार्तिक को देखते है और अपना प्यार और आशीर्वाद कार्तिक को देते है.. रवि,, वही पालने के पास खड़ा रहता और कार्तिक को बस निहारते रहता है..

रोनिता,, रवि से मजाक करतें हुए कहती है... सर,, आप कार्तिक को इतना मत निहारिये.. वरना शायद.. कही आपकी नजर कार्तिक को ना लग जाये...

रवि,,, रोनिता से कहता है... हाँ.. रोनिता शायद तुम ठीक कह रही हो... मुझे इस तरह से बार बार नहीं निहारने चाहिए... तो,, ठीक है चलो अब चलते है.. पार्टी में से..

रोनिता,, रवि से कहती है.. हाँ.. चलिए पर मेनका से तो बोल दिजिए.. हम अब जा रहे है..

रवि,, रोनिता से कहता है.. मेनका,,, मुझे कही दिख नहीं रही.. मैं कहा ढूँढू..

रोनिता,, रवि सर से कहती सर,, आप अपनी नजर सामने तो कीजिए मेनका वही सामने खड़ी है.. पर आपकी नजरें है की.. कार्तिक पर से हटती नहीं.. तो,, मेनका कैसे दिखेगी..

रवि,, अपनी नजरें सामने करतें हुए मेनका को इशारों से कहता है... मेनका,, मैं जा रहा हुँ...

रवि को मेनका से इशारों में बातें करतें हुए प्रकाश की बहन सोनी झा देखती है... तो,, रवि को सोनी देखते ही रहती है...और सोनी मन ही मन सोचती है ... हाय...क्या.... स्टाइल है.. इसके बात करने का.. और देखो तो.. कितना स्मार्ट लग रहा है.. पर है ये कौन?,, मुझे मेनका भाभी से पता करना होगा...और उसी वक्त सोनी,, मेनका के पास पहुँचती है.. और पूछती है.. भाभी वो कौन है जो आपसे इशारों में बातें कर रहा है...

मेनका,, सोनी से बताती है... मेरा सबसे अच्छा दोस्त.. चलो मैं,, तुम्हे,, रवि से मिलवाती हुँ... सोनी भी तैयार हो जाती है.. और कहने लगती है.. हाँ.. हाँ भाभी,, चलो..

मेनका,, सोनी के साथ रवि के पास पहुँचती है.. और रवि से कहती है.. रवि,, इससे मिलो मेरी ननद यानि की प्रकाश की छोटी बहन सोनी है ...

सोनी अपना हाथ झट से रवि के तरफ आगे बढ़ाते हुए हाय बोलती है... पर,, रवि अपना दोनों हाथ जोड़ते हुए नमस्ते कहता है.. रवि को ऐसा करतें देख सोनी तो रवि पर फ़िदा ही हो जाती है.. और रवि से बातें करना चाहती है... पर रवि इग्नोर करता है... रवि,,, मेनका से कहता है.. अब मैं चलता हुँ.. मुझे लेट हो रहा है..

रोनिता,, रवि को टोकते हुए कहती है.. सर आप कुछ भूल रहे हो...

रवि रोनिता से कहता है मैं,,,पर क्या..भूल रहा हुँ.. बतावो ना..

ओफो.. सर,, आप कितने भूलकर हो रहे हो.. एक स्मार्ट बिजनेस मैन को भूलने की बातें शोभा नहीं देती सर..

रवि,,, रोनिता के तरफ देखते हुए कहता है... अब बतावो भी... क्या भूल रहा हुँ मैं,,

सर,,, कार्तिक का गिफ्ट... तो देके चलो.. या फिर गिफ्ट को वापस लेकर चलना है...

अरे... हाँ... मैं भी कितना भूलकर हो गया हुँ... रवि अपने पॉकेट से एक गिफ्ट का बॉक्स निकाल कर मेनका के हाथों में दे देता है.. और कहता है.. इसे एक बार कार्तिक को जरूर पहना देना.. मेरा दिली ख्वाईश है.. कार्तिक इसे पहने..

सोनी झट से बोलती है.. तो,, देरी किस बात की है..  मैं कार्तिक को लाती हुँ और आप पहना दो अपनी हाथों से रवि जी..

सोनी,, तुरंत ही कार्तिक को अपने गोद में ले आती है.. और रवि के करीब आकर खड़ी हो जाती है.. और कहती है.. अब पहनावों रवि जी,, देर किस बात की है कार्तिक आपके सामने है..

रवि,, गिफ्ट का पैक खोलकर उसमे से हिरे का ब्रासलेट निकाल कर कार्तिक के हाथों में पहना देता है...

सोनी,, कार्तिक के हाथों में हिरे का ब्रासलेट देखते ही कहती है.. वाव.... रवि जी कितना शानदार तौफ़ा दिया है... आपने और बहुत ही महंगी भी... है..

मेनका रवि से कहती है.. इतना महंगा गिफ्ट लाने की क्या जरूरत थी....

रवि,,, मेनका से कहता है... क्यूँ..मेनका,, कार्तिक मेरा कुछ नहीं लगता.. मुझमें,, कार्तिक का हक नहीं है...

मेनका कुछ नहीं बोलती है... बस,,, मुसकुरा कर रह जाती है...

अच्छा तो अब मैं चलता हुँ... अगर मन किया कार्तिक से मिलने का... तो,,, क्या मैं आ सकता हुँ.. कार्तिक से मिलने..

सोनी झट से बोल पड़ती है.. अरे हाँ... हाँ... रवि जी क्यूँ नहीं.. अपना ही घर समझे... और जब भी मन करें मिलने का तो आ सकते है... इसमें पूछने वाली कौन सी बात है..

सोनी को रवि से बातें करतें देख प्रकाश गुस्सा हो जाता है.. और सोनी को आवाज लगाकर बुलाने लगता है... सोनी इधर मेरे पास आवो मुझे,,, तुमसे बातें करनी है...

सोनी... जैसे ही कार्तिक को लेकर जाने लगती है.. रवि,, सोनी को कहता है.. रुको... सोनी रुक जाती है... सोनी को लगता है... शायद रवि मुझसे कुछ कहना चाहता है...

रवि,,, सोनी के तरफ आगे बढ़ते हुए... कार्तिक के ललाट पर धीरे से प्यारा सा कीस करता है... और मेनका से कहता है... मेनका,, कार्तिक का ख्याल रखना और... इतना कह कर रवि और रोनिता कार्तिक के पार्टी से चले जाते है...

रवि के जाते ही कार्तिक रोने लगता है... और सोनी कार्तिक को मेनका को दे देकर अपने भईया प्रकाश के पास चली जाती है..

प्रकाश झा,, सोनी से पूछते है.. तुम रवि से क्यूँ बातें कर रही थी... तुम रवि को नहीं जानती वो बिल्कुल अच्छा आदमी नहीं है..अब से तुम,, रवि से दूर ही रहना...

सोनी अपना भौ सिक़ुराती हुई... पर,, भईया मुझे तो कोई खराबी नहीं लगी रवि में... और आप रवि को खराब क्यूँ.. कह रहे हो... आपको क्या खराबी लगी रवि में..

प्रकाश गुस्से में बोलता है... क्योंकी रवि मेरा सबसे बड़ा दुश्मन है.. और मैं,, नहीं चाहता की मेरी बहन मेरे दुश्मन के साथ हस हस कर बातें करें...

पर भईया... रवि तो मेनका भाभी की सबसे अच्छा दोस्त है.. और आप कह रहे हो.. रवि,, आपका सबसे बड़ा दुश्मन है ...

हाँ... ये बात सही है... की रवि,,, मेनका का दोस्त है...पर..अच्छा..ये सब... छोड़ो... और सुनो मुझे अब इस बारे में ज्यादा बातें नहीं करना.. तो ध्यान रहे तुम रवि से दूर ही रहना...

सोनी मन ही मन सोचती है...पता नहीं भईया को रवि में क्या खराबी दिखती है... या,, उनके तररकी से जलते है... सो..

इसतरह की बातें कर रहे है... पर,, मैं तो रवि जी से बातें करूंगी... चाहे भईया को अच्छा लगे या ना लगे...

पार्टी खत्म होते ही... प्रकाश अपने कमरें में आराम करने के लिए जाता है... कमरें में पहले से ही मेनका और कार्तिक रहते है... प्रकाश,, कार्तिक के हाथ में हिरे का ब्रासलेट देखकर चौक जाता है.. और मेनका से पूछने लगता है... ये इतनी महंगी ब्रासलेट कार्तिक के नाना ने दिया...

मेनका,,, धीरे आवाज में बोलते हुए कहती है.. नहीं,,, कार्तिक के नाना जी आज नहीं आ पाए.. वो,, अगले दिन आने वाले है... और ये ब्रासलेट रवि ने दिया..

क्या.. रवि ने खुद ही पहनाया कार्तिक को ये ब्रासलेट.. प्रकाश,, मेनका से गुस्से में पूछता है....

मेनका,,, हाँ कहती है... हाँ.. रवि ने ही खुद पहनाया ये ब्रासलेट कार्तिक को,,

प्रकाश फिर से गुस्से में आकर... कहता है... रवि ने इतना महंगा गिफ्ट क्यूँ दिया.. क्या कारण है.. सो इतना महंगा गिफ्ट दिया... कही.. तुम्हारा,,, अपने पुराने आशिक रवि के साथ चक्कर तो नहीं चलने लगा.. 

मेनका गुस्से में आकर प्रकाश पर चिल्लाती है...और प्रकाश से कहती है.. प्रकाश,, लगाम दो अपनी बोली पर... मैं,, कुछ नहीं बोल रही इसका मतलब ये नहीं की... तुम कुछ भी बोलो.. बोलने से पहले जरा सोच समझ कर बोलो... और रवि को जैसा मन किया वैसा गिफ्ट दिया.. गिफ्ट महंगा हो या सस्ता... इससे क्या फर्क पड़ता है.. बस देने वाली की नियत सही होनी चाहिए...

प्रकाश भी मेनका पर चिल्लाता हुवा कहने लगता है... अब जो हुवा सो हुवा.. अब से मेरे घर में रवि की बातें कभी नहीं होनी चाहिये... और अगर तुम्हे रवि की ज्यादा याद सताए तो... तुम बाहर जाकर मिल सकती हो... पर रवि को मेरे घर मेरे सामने बुलाने की जरुरत नहीं... आइंदा से इस बात का ध्यान रहे..

प्रकाश की बातों से मेनका का दिल भारी सा होकर उसकी आँखों में आँसू आ जाते है.... पर मेनका अपने दिल पर पथर रखकर... प्यार भरी आवाज में प्रकाश से कहती है... अच्छा ठीक है... अब से रवि की बातें तुम्हारे सामने कभी नहीं होंगी... इस बात का ध्यान ध्यान रखूंगी... और कार्तिक को प्रकाश की तरफ बढ़ाते हुए प्रकाश से कहती है... सोना,,, कार्तिक को अपनी गोद में लो... पर प्रकाश,, कार्तिक के तरफ देखता भी नहीं.. और कहने लगता है... मुझे नींद आ रही है.. मैं थक चूका हुँ.. मैं,, आराम करना चाहता हुँ.. और इतना कहते ही बेड पर जाकर अपनी तरफ का लाइट लैंफ ऑफ कर देता है और सोने की कोशिस करने लगता है... पर,, प्रकाश को नींद नहीं आती है.. और बार बार यहीं.. सोचता रहता है... मेनका को सातवें मंथ पर ही डिलीवरी क्यूँ हो गईं... और हुई तो एकदम स्वस्थ क्यूँ...क्या शादी से पहले ही मेनका प्रेंग्नेट थी... क्या,,,, कार्तिक मेरा बेटा नहीं...

ये सभी सवाल प्रकाश के दिमाग में बार बार आते रहते है.. और प्रकाश सारी रात सोता नहीं है... अगले सुबह होते ही प्रकाश बड़े ही प्यार से मेनका को कहता है... मेनका...

'अगले सुबह प्रकाश उठते ही मेनका से बड़े ही प्यार भरी मीठी मधुर धुन में कहता है'.." गुड मॉर्निंग मेनका "

मेनका भी प्रकाश की तरफ देखते हुए " गुड मॉर्निंगसोना" 

प्रकाश,, मेनका को बाहों में भरते हुए" मेनका सॉरी "

"अब, सॉरी क्यों बोल रहे हो..."

कल रात के लिए... रात मैं,, तुमसे अच्छे से बात नहीं किया ना इसलिए फिर से सॉरी.., वो क्या है मेनका,, मैं जब भी रवि को देखता हूं यह रवि का नाम सुनता हुँ तो,, "मुझे गुस्सा आ जाता है "और फिर गुस्से में मैं क्या बोलता हुँ... इसका ख्याल मुझे भी नहीं रहता... तो,, "उस बात के लिए भी सॉरी"

अब, किस बात के लिए सॉरी बोल रहे हो..

मैं,, तुमसे कल बोला था ना कि रवि को घर पर नहीं बुलाना... तो तुम बुला सकती हो.. 

पर तुम्हें तो पसंद नहीं रवि का आना जाना तुम्हारे इस घर में तो इस तरह से क्यों बोल रहे हो.." रवि को बुलाने के लिए"

मेनका,,, मैं तुम्हारी खुशी के लिए सब सहन कर लूंगा.. मैं,, तुम्हारे लिये अपने दुश्मन का चेहरा भी देख लूंगा.. लेकिन तुम मुस्कुराती रहो.. हसती रहो मेरी वजह से दुखी ना रहो... इसलिये बोला की तुम रवि को बुला सकती हो..

मेनका,, रवि को थैंक्स कहते हुए... अच्छा ठीक है अब चलो नीचे हॉल नाश्ता तैयार है.. नाश्ता कर लो वरना ऑफिस के लिए लेट हो जाओगे..

हां.. हां.. ठीक है तुम चलो मैं आता हूं.. थोड़ी देर में,,

मेनका के नीचे हॉल में चले जाने के बाद प्रकाश खुद के साथ ही बातें करने लगता है, चलो अच्छा है... अगर रवि फिर से मेरे घर आने जाने लगा तो मुझे,,,मेरे सवालों का जवाब जल्दी ही मिल जाएगा और यह पता भी चल जाएगा.. कार्तिक मेरा बेटा है या रवि का,,

प्रकाश नीचे हॉल में नाश्ता करने के लिए आता है और अपनी फैमिली के साथ हंसते हुए बातें करके नाश्ता करने लगता है घर में रवि के बर्ताव से सभी बहुत ही खुशी खुशी रहने लगते हैं कुछ महीने बीतने पर प्रकाश अपने घर पर एक पार्टी रखता है...उस पार्टी में सभी गेस्ट को बुलाया जाते हैं

" प्रकाश मेनका से कहता है"

"मेनका तुम चाहो तो रवि को पार्टी में बुला सकती हो.. "

ठीक है... मैं,, रवि को कॉल करके पार्टी में आने के लिए निमंत्रण दे दूंगी...

मेनका रवि के पास कॉल करती है और रवि के मोबाइल फोन पर में मेनका का कॉल आता है..., उस वक्त रवि किसी मीटिंग में इंगेज रहता है.. और इंगेज होने की वजह से कॉल रिसीव नहीं करता है...

कॉल रिसीव ना होने पर मेनका सोचती है... शायद रवि किसी काम में बिजी होगा तभी कॉल रिसीव नहीं किया वरना मेरा नंबर देख कर रवि कभी भी इग्नोर नहीं करता है... और मेनका अपने कामों में बिजी हो जाती हैं..

मीटिंग खत्म होते ही रवि तुरंत हबराया सा मेनका को कॉल करने लगता है...मेनका के मोबाइल पर रवि का कॉल आने लगता है .. मेनका झट से रवि का कॉल रिसीव कर लेती है..

" हेलो रवि कैसे हो? "

हां ठीक हुँ.." मेनका,, तुम कैसी हो? और कार्तिक कैसा है?

" हां मैं भी ठीक हूं... और कार्तिक भी ठीक है.. "

रवि,, अपने दिल पर हाथ रखता हुवा कहता है.." चलो बहुत ही अच्छी बात है.. तुम और कार्तिक दोनों ही ठीक हो.. अच्छा ये बतावो आज इतने दिनों बाद मुझे कैसे? याद किया"

"हाँ.. आज घर में पार्टी है.. तो,, तुम्हे निमंत्रण देने के लिए कॉल किया.. "

"अच्छा पार्टी है.. पर,, मैं नहीं आ सकता हुँ "

"क्यूँ.. क्या हुवा तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना.."

"हाँ.. मैं बिल्कुल ठीक हुँ पर अभी कलकत्ता में नहीं हुँ.. अगले पुरे छः माह तक मुझे बैंगलोर में ही रहना है.. बिजनेस की काम की वजह से.. अच्छा ये बतावो.. अब तो कार्तिक बड़ा हो गया होगा..कैसा दिखता है.. कार्तिक "

"हाँ.. पूरे पाँच महीने का हो चूका है.. और हा..ही.. हुँ.. यहीं सब बोलता है... और बहुत ही प्यारा बिल्कुल तुम्हारी तरह दिखता है कार्तिक "

"अच्छा.. मेरी तरह दिख रहा है, मेरा तो मन बहुत ही उतावला हो रहा है.... जी,, करता है .. . अभी ही भागकर चला आऊं कार्तिक को देखने... मैं,, जैसे ही कलकत्ता आऊंगा तो सबसे पहले कार्तिक से ही मिलने आऊंगा.... तब तक इंतजार करता हूं कार्तिक से मिलने के लिए.... अच्छा सुनो मेनका,, कार्तिक के कुछ तस्वीर व्हाट्सएप पर भेज देना.. मुझे उसको देखना है बड़ा ही मन हो रहा है अभी कार्तिक को देखु "

"ठीक है... भेज दूंगी अब फोन रखती हूं...अपना ख्याल रखना रवि "

"हां.. ठीक है.. तुम भी,, अपना और कार्तिक का ख्याल रखना अब बाय "

प्रकाश पार्टी के लिए तैयार होकर निचे हॉल में पार्टी के लिए आ जाता है... सभी गेस्ट आते है.. और प्रकाश से हैंडशेक करतें हुए पार्टी का इंजॉय लेते है... पर,, प्रकाश की नजर बार बार हॉल की दरवाज़े की तरफ रहती है.. और पार्टी की भीड़ में भी रवि को ढूंढने का कोशिस करता है... पर,, प्रकाश को रवि अभी तक पार्टी में नजर नहीं आता है.. प्रकाश,, मेनका के पास जाकर पूछता है..

"मेनका क्या तुमने रवि को निमंत्रण नहीं दिया पार्टी के लिए"

"ओफोहो... सॉरी मैं,, तो आपको बताना ही भूल गयी.."

"क्या बताना भूल गयी.... प्रकाश,, मेनका से पूछता है.. "

यहीं की रवि,, पार्टी में नहीं आने वाला है... वो,, बंगलौर में है.. और अगले छः माह तक बंगलौर ही रहने वाला है..

मेनका की बातें सुनते ही प्रकाश अंदर ही अंदर गुस्साने लगता है.. और पार्टी छोड़कर अपने कमरें में आ जाता है..

प्रकाश खुद से ही बातें करने लगता है.. सारा किया कराया पानी में मिल गया... ये पार्टी जिसके लिए रखी थी.. वो ही नहीं आया... खैर अब कोई बात नहीं... जो हुवा सो हुवा, अब तो,, बस छः माह तक इंतजार ही करना होगा...

छः माह के बाद... कार्तिक अपना पहला कदम बढ़ाते हुए मेनका के पास जाता है... और तोतले आवाज में मेनका को माँ.. माँ... पुकारने लगता है .. कार्तिक का पहली बार चलना.. देखकर मेनका बहुत ही खुश हो जाती है.. और मेनका,, कार्तिक की विडिओ क्लिप बनाकर रवि के वाट्सअप पर भेज देती है...

प्रकाश अपने कमरें में तैयार होता है.. किसी खास मीटिंग में जाने के लिए... और तैयार होकर जल्दी जल्दी सीढ़यों से उतरकर निचे हॉल में आता है ..

मेनका कार्तिक को देखते ही आवाज लगाती है...

सुनो सोना,, जरा देखो ना इधर कार्तिक कितना सुन्दर से चलने लगा है..

पर प्रकाश,, कार्तिक के तरफ देखता भी नहीं... और बिना कुछ मेनका से बोले ही ऑफिस के लिए निकल जाता है...

रवि,, अपने वाट्सअप पर कार्तिक की विडिओ क्लीप देखकर बहुत ही खुश हो जाता है... और बंगलौर से कार्तिक के लिए बहुत सारी खिलौने और अच्छे अच्छे कपड़े कार्तिक के लिए खरीदता है.. और अगले दिन के फ्लाइट से कलकत्ता आने के लिए अपने समान की पैकिंग करने लगता है...

प्रकाश,, के मीटिंग खत्म होते ही... अपने घर पर आता है.. और अपने कमरें में जाकर सुटकेश में अपने कपड़े व कुछ जरुरी फाइल को रख कर पैकिंग कर लेता है .... इतने में मेनका भी कमरें में पहुँचती है.. प्रकाश को पैकिंग करतें देख पूछती है..

"सोना आप कही जा रहे हो क्या.. "

"हाँ... जा रहा हुँ... और वो भी पुरे आठ महीने के लिए "

"पर जा कहाँ रहे हो... और इतने दिनों के लिए क्यूँ.. जा रहे हो.. "

"मुझे ऑफिस के काम से दुबई जाने है.. और अभी ही निकलना है.. वरना फ्लाइट मिस हो जायेगी "

प्रकाश,, उसी वक्त दुबई के लिए निकल जाता है...

अगले दिन ही.. रवि बंगलौर से आते ही... सीधा मेनका के घर पर ही आता है... और कार्तिक को आवाज लगाने लगता है.. कार्तिक... कार्तिक.... देखो तो कौन आया तुमसे मिलने..

मेनका,, रवि की आवाज सुनते ही, कार्तिक को गोद में लिए सीढ़यों से उतरकर निचे हॉल में आ जाती है....

मेनका रवि के तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर बोलती है,

"तुम आ गये रवि, तुम कैसे हो रवि "

मैं,, तो बिल्कुल ठीक हुँ.. तुम कैसी हो.. और कार्तिक को मुझे दो... मैं,, अपने कार्तिक लाडले को अपने गोद में रखना चाहता हुँ..।

रवि,, कार्तिक को गोद में रखते ही... बड़ा शुकुन वाला एहसास पाता है... और उसके लिए आया हुवा खिलौना अपना लगेज बैग खोलकर कार्तिक को देने लगता है.. कार्तिक भी खिलौने को पाकर खूब प्यारी सी मुस्कान में हसने लगता है.. और तोतली भरी आवाज में.. पा.. पा... पा.. पा... रवि को पुकारने लगता है...

रवि,, कार्तिक से तोतली आवाज पा... पा... सुनते ही उसे अपने सीने से लगा लेता है.. और कार्तिक के संग खेलने लगता है....

सोनी,,, रवि को देखते ही... रवि के पास आ जाती है...

अरे वाह रवि जी,, आज इतने दिनों बाद आये और इतने सारे खिलौने... और सुन्दर सुन्दर कपड़े भी सभी कार्तिक के लिए है...

हाँ.. सभी खिलौने और कपड़े कार्तिक के लिए है..

मेनका,, रवि से कहती है.. तुम सफर से आये हो पहले फ्रेश हो जावो.. फिर कुछ खा लो उसके बाद कार्तिक के साथ खेलते रहना...

हा.. हा... रवि जी,,, भाभी बिल्कुल सही बोल रही है... आइए आपको गेस्ट रूम में ले चलती हुँ...

सोनी,,, रवि को लेकर गेस्ट रूम में छोड़ कर आ जाती है.. और ये भी कहती हुई जाती है.. की किसी भी समान की जरूरत पड़े तो.. हमें बताएगा.. आपकी सेवा में हाजिर रहूंगी..

रवि नो थैंक्स कहते हुए बोलता है.. नहीं इतना ही काफी है.. अब आप जा सकती है...

रवि फ्रेस होकर कमरें से बाहर आता है.. और मेनका,, रवि को खाने के लिए टेबल पर बुलाती है.. रवि खाना खाते खाते मेनका से उसकी शादी शुदा जिंदगी के बारे में पूछता है..,

मेनका सब ठीक ठाक से तुम्हारे जीवन में चल रहा है ना...।

मेनका अपनी नजरें झुकाते हुए .. हा.. सब ठीक है.. वैसे तुम कब सादी करने वाले हो.. कब तक अकेले रहोगे, अब अपना भी घर बसा लो।

नहीं... मेनका, मैं अकेला कहा हुँ... तुम्हारी यादें हमारे साथ है..जिंदगी जीने के लिए तुम्हारी यादें काफी है... और अब तो, कार्तिक भी है.. जब नहीं मन लगेगा तो कार्तिक से मिलने आ जाया करूंगा...।

मेनका,, रवि से पूछती है  कुछ और चाहिये रवि.. खाने में...

नहीं... अब बहुत खा चूका..,, और कुछ नहीं... बस चाहिए तो, तुम्हारा ऐसे ही साथ चाहिये हमसफ़र बनकर ना सही पर एक सच्चा दोस्त बनकर... अगर तुम्हारे शादीशुदा जीवन में प्रॉब्लम ना हो तो..

रवि के बातें सुनकर मेनका के आँखों में आँसू आ जाते है..।  

रवि,, मेनका के आँखों में आँसू देखकर अपनी हाथ की उंगलियों से आँसू पोछता है.. और कहता है...

" नहीं, मेनका ये आँसू तुमपे अच्छे नहीं लगते तुम मुस्कुराती हुई अच्छी लगती हो...हमेशा मुस्कुराती रहो... और, अगर किसी भी बात का तकलीफ हो तो मुझे जरूर बताना.. मैं, किसी भी वक्त तुम्हारे सहायता के लिए आ जाऊंगा.. "

और रवि,, मेनका से जाने की परमशीन लेता है..

"अच्छा मेनका तो अब मैं चलता हुँ... एक बात और,

क्या मैं कार्तिक को अपने साथ कल बाहर घुमाने ले जा सकता हुँ..? अगर तुम्हारी सहमति मिली तो... वरना नहीं.. "

सोनी,,, रवि के बातें सुनते ही झट से बोल पड़ती है... अरे हाँ.. क्यूँ नहीं... अवश्य ले जा सकते हो... वैसे कितने बजे कल आप आ रहे हो..

कल शाम को चार बजे तक आ जाऊंगा.. अच्छा तो अब मैं चलता हुँ...

रवि,,, के जाने के बाद मेनका अपने कमरें में चली जाती है.. और प्रकाश को कॉल करती.. प्रकाश के मोबाइल फोन पर रिंग होता है.. लेकिन प्रकाश कॉल रिसीव नहीं करता है..

सोनी कल के इंतजार में बेताब हुए जाती है..मन ही मन सोचती है.. कल रवि जी के साथ खूब बातें करूंगी और अपने दिल का हाल भी बता दूंगी.. मेरे दिल में उनके लिए प्यार वाला एहसास है... कार्तिक के बहाने ही सही.. पर रवि जी साथ में घूमने का बस मौका नहीं जाने देना है..।

अगले दिन शाम चार बजे सोनी सजधज के तैयार होने लगती है... सोनी को तैयार होते देख मेनका कहती है...

"सोनी , एक छोटा सा बिंदी अपने माथे पर लगा लो रवि जी को अच्छी लगेगा "

सोनी, ख़ुशी से उछलती हुई..

"सच्ची में भाभी,, रवि जी को बिंदी बहुत पसंद है और क्या पसंद है रवि जी को "

सोनी,, तुमने रवि को बताया है.. उनके साथ घूमने जा रही हो.. "मेनका,, सोनी से पूछती है "

नहीं.. भाभी,, रवि जी को नहीं पता.. पर कार्तिक अकेला कैसे जायेगा.. रवि जी के साथ, कार्तिक के देखभाल के लिए तो कोई होने तो चाहिये ना...।

अच्छा ठीक है सोनी। मैं,, रवि को बता दूंगी तुम, कार्तिक के साथ जा रही हो...

रवि,, अपना गाड़ी लिए मेनका के घर पर आ जाता है.. और कार्तिक को गोद में लिए सोनी,, रवि के पास आती है..। और मेनका वही थोड़ी दूर खड़ी रहती है... मेनका को रवि देख इशारों में ही पूछता है.." क्या तुम नहीं चल रही हो "

मेनका इशारों में कहती है.. नहीं,, साथ में सोनी जा रही है,

तो तुम,, दोनों का ख्याल रखना।

रवि,, कार्तिक ,, सोनी गाड़ी में बैठकर घूमने के लिए निकल जाते है.. और रवि, सबसे पहले दोनों को सुपर मार्केट में ले जाता है .. और सोनी को रवि कहता है.. तुम्हे जो भी लेना है.. ले लो तबतक मैं यहाँ टॉय प्लेस में टॉय से कार्तिक के साथ खेलता हुँ..पर सोनी,, भी झट से बोल पड़ती है.. नहीं मुझे भी खेलने है मैं भी आती हुँ आपके साथ...

रवि,, कार्तिक के साथ खेलने लगता है... और सोनी अलग बैठकर दोनों को खेलते हुए देखने लगती है.. कब दो घंटे बीत जाते है.. रवि को पता भी नहीं चलता और ... रवि,, सोनी और कार्तिक को गाड़ी में बिठाए.. ड्राइव करने लगता है..

मेनका,, घर के बाहर ही तीनों का इंतजार कर रही थी.. तभी रवि अपना गाड़ी रोकता है.. और गाड़ी में सोनी कार्तिक को गोद में लिए उतर जाती है और रवि अपने घर चला जाता है..

प्रकाश दुबई में सारा दिन ऑफिस का काम करता है, और शाम होते होते.. दुबई के होटलों में.. हसीन हसीन खूबसूरत हसीनाओं के साथ अपना शाम रंगीन करतें रहता है... और प्रकाश दुबई आकर तो मेनका और कार्तिक को भूल ही जाता है, नहीं मेनका को कॉल करता और नाही मेनका के कॉल को रिसीव करता बस.. अपनी दुनियां में मशगूल रहता...

मेनका,, समझ नहीं पाती है.. प्रकाश, मुझसे बातें करना क्यूँ नहीं चाहता है.. या फिर कुछ और ही बात है... और इसतरह मेनका के हर दिन इंतजार में गुरजने लगा की प्रकाश आज कॉल करेगा... आज कॉल करेगा.. पर कॉल नहीं आता..

रवि,, भी कभी कभी कार्तिक से मिलने आ जाया करता था.. और कार्तिक,, रवि के साथ काफी ही घुल मिल गया था.. अब कार्तिक रवि के साथ अकेले भी घूमने चला जाता था..

आठ महीने कब बीत गये ... समय का पता नहीं चला..

अब प्रकाश दुबई से कलकत्ता आ गया था... पर,, उसका मेनका और कार्तिक के प्रति हाव भाव सही नहीं थे....... 

प्रकाश के दुबई से आने जा पर,उस रात को मेनका प्रकाश के मन पसंद का खाना बनाती है... और खाना लेकर कमरे में ही आ जाती है...

प्रकाश, कमरें में कॉल पर किसी के साथ बिजी था.., मेनका,, प्रकाश को कॉल पर बीजी देख... सोचती है.. जब तक ये प्रकाश की बातें खत्म हो जायेगी तबतक मैं,, कार्तिक को सोनी के पास से ले आती हुँ.. और मेनका,, सोनी के पास से कार्तिक को लेकर अपने कमरें में आ जाती है.. और कार्तिक को बेड पर सुला देती है..

प्रकाश,, अभी भी कॉल पर किसी के साथ बीजी था।

मेनका,, प्रकाश को पीछे से अपने दोनों बांहों को फैलाकर अपनी बांहों में कस लेती है... और प्रकाश से कहती है.. अब बातें कल भी कर लेना इतने दिनों बाद आये हो... क्या मुझसे बातें नहीं.. करनी,, आज मैंने आपकी पसंद का खाना बनाया है... चलो आज साथ में खाना खाते है।

प्रकाश,, मेनका पर गुस्साता हुवा ओफो.. मेनका, तुम्हें दिखायी नहीं देता मैं जरुरी बात कर रहा हुँ.. बात खत्म होने पर ही खाना खाऊंगा.., तुम्हें भूख लगी है तो खाना खा लो.. 

मेनका मायूस होकर नहीं... मैं,, आपका इंतजार कर लुंगी.. आप बात कीजिये.. इतना कहकर मेनका बेड पर आ जाती है.. और अपने हसती खेलती जिंदगी को अँधेरे के तरफ जाती देखती है... मन ही मन सोचने लगती है.. पता नहीं क्यूँ ऐसा लगता है प्रकाश,, अब मेरी बातों को इग्नोर करता है.. और मेनका यहीं सब बातें सोचते सोचते सो जाती है...

रात के पुरे बारह बज चुके थे.. कार्तिक रोता हुवा उठता है....

कार्तिक के रोने पर मेनका की आँखे खुल जाती है.. और देखती है प्रकाश भी सो चूका है.. और मेनका मन ही मन सोचने लगती है.. प्रकाश ने बिना खाना खाये ही सो गये...

मेनका जल्दी जल्दी कार्तिक को ममता भरी लोरी गा कर सुलाने लग जाती है... और थोड़े ही देर के बाद कार्तिक सो जाता है....। मेनका,, प्रकाश को धीरे धीरे आवाज में उठाने लग जाती है.. प्रकाश उठो... उठो.. बिना खाना खाये ही सो गये.. उठो खाना खा लेते है..

प्रकाश,, मेनका से कहता है.. नहीं तुम्हें खाना, खाना है तो खा लो, पर मुझे अब खाना नहीं है.. और प्लीज मुझे तंग ना करो सोने दो..

मेनका को भूख लगी थी पर रात ज्यादा होने से उसका मन नहीं किया अकेले खाने का... मेनका,, प्रकाश से बातें करना चाहती थी... पर कुछ बोली नहीं... मेनका,, प्रकाश के करीब आकर उसकी तरफ मुड़ कर अपना एक हाथ प्रकाश के सीने पर रख कर सोना चाहती थी... तभी,, प्रकाश मेनका से कहता है.. तुम्हे कहा था ना मुझे तंग ना करो.. फिर ये क्या है.. या,, तुम्हे और कुछ चाहिये मुझसे... प्रकाश इतना बोलते ही... मेनका के ऊपर चढ़ जाता है... और मेनका को कीस करने लगता है.. फिर काम वासना में लिप्त होकर मेनका के साथ अपने बदन की गर्मी को शांत करने लगता है.. जैसे ही प्रकाश अपने काम वासना से तृप्त हो जाता है.. वैसे ही मेनका को बोलता है.. जो तुम्हें चाहिये थे मैंने वो पूरा कर दिया.. अब तुम खुश होंगी..। प्रकाश,, मेनका से ये सभी बातें कहते ही तुरंत नींद के आगोश में चला जाता है.... पर,, मेनका सोचती रह जाती है... ये मेरे साथ क्या हो गया मैंने तो सोचा भी नहीं.. वैसा कुछ करने के लिए... बस प्यार भरी बातें करना चाहती थी और साथ में खाना खाना चाहती थी.. पर,, प्रकाश मेरे साथ ऐसा करेगा..,, प्रकाश मेरे प्यार को हवस समझा... और सारी रात मेनका,, प्रकाश के व्यवहार पर मन ही मन खुद को कुसूरवार ठहराने लगी और सोचने लगी.. ना मैं प्रकाश,, को प्यार करती और ना ये सब होता..

अगले सुबह प्रकाश अपनी बहन सोनी के पास जाता है.. और सोनी के साथ बड़े ही प्यार से बातें करने लगता है.. बातें बातें करतें करतें प्रकाश,, सोनी से पूछता है... सोनी,, यहाँ से मेरे जाने के बाद रवि आता है.. क्या, मेनका से मिलने,,

हाँ.. भईया,,रवि जी कभी कभी आते है पर रवि,, मेनका भाभी से मिलने नहीं.. कार्तिक से मिलने के लिए.. और तो और जब बंगलौर से रवि जी यहाँ आये थे तो कार्तिक के लिए बहुत सारी खिलौने और अच्छे अच्छे कपड़े भी लाये थे.. पर भईया आप ये सब क्यूँ पूछ रहे हो... आपको तो रवि जी पसंद नहीं,,, उनके बारे में बातें करना भी पसंद नहीं..

कुछ नहीं... बस ऐसे ही पूछ लिया... और तू,, रवि को रवि जी, रवि जी क्यूँ बुलाती है.... दूर रहा करो रवि से वो तुम्हारे लायक नहीं...

पर भईया मैं रवि को पसंद करती हुँ.. वो बहुत ही अच्छे है.. सोचो भईया जब वो दोस्त के बेटे को इतना प्यार करतें है.. जब खुद का होगा तो कितना करेंगे... और,, आपने तो अभी तक अपने बेटे के लिए एक भी खिलौना नहीं लाया.. और नाही कार्तिक के साथ आप खेलते हो..

प्रकाश,, सोनी पर गुस्साते हुए.. चुप कर सोनी आजकल तेरी बहुत जबान चलती है.. कम बोला कर और जा भाभी को बोल नाश्ता तैयार रखे मैं अभी फ्रेश होकर आता हुँ...

सोनी,, झटके कदमों से प्रकाश के समीप से दूर हो जाती है.. और मेनका से कहती है.. भाभी जबसे भईया दुबई से आये है.. बदले बदले से लगते है... बस गुस्सा करने की आदत हो गयी है... आप भईया के लिए नाश्ता लगा दो.. वो फ्रेस होकर आ रहे है...

मेनका,, सोनी के बात सुनते ही उसे रात वाली बातें याद आ जाती है थोड़ी मायूस होकर सोनी से कहती है.. अच्छा ठीक है मैं,, नाश्ता लगा देती हुँ....और सोनी तुम फिक्र ना करो.. प्रकाश का गुस्सा उतरते ही..खुद ही , अच्छे से बातें करेंगे..

हाँ.. भाभी,,, शायद ऐसा ही हो तभी अच्छा होगा..

मेनका,, टेबल पर नाश्ता लगाकर प्रकाश का इंतजार करने लगती है...

प्रकाश,, अपने कमरें से तैयार होकर निचे हॉल में आता है और नाश्ते के लिए चेयर पर बैठ जाता है... और नाश्ता करने लगता है...

मेनका,, धीरे ही शब्दों में प्रकाश से पूछती है... कार्तिक का दूसरा जन्म दिन अगले सोमवार को है... क्या हम छोटी सी पार्टी रख सकते है...

प्रकाश,, पार्टी के बात सुनते ही.. खुश हो जाता है.. अरे पार्टी हाँ.. हाँ... रखो... और छोटा सा क्यूँ... बड़ा पार्टी होने चाहिये कार्तिक,, प्रकाश झा का बेटा है.. एकदम बड़ी वाली पार्टी होनी चाहिये.. और सबको बुलाओ पार्टी में.. तुम अपने दोस्त रवि को भी बुलाना पार्टी में...

मेनका,, प्रकाश की बातें सुनते ही सोचने लगती है.. प्रकाश पार्टी के नाम पर इतना खुश क्यूँ हो गया.. क्या चलता रहता है इसके दीमाग में....,, जो भी हो.. कम से कम अच्छे से बात तो किया ....

प्रकाश,, अपना नाश्ता खत्म करके हाथ धोकर मेनका के पास आता है... और मेनका के दुप्पटे में अपना हाथ साफ कर मेनका को अपनी बांहों में भरकर एक प्यारा सा चुंबन

मेनका के गालों पर करके ऑफिस के लिए निकल जाता है..

मेनका,, प्रकाश के इतना प्यारा सा व्यवहार देखकर हैरान सी हो जाती है... और मन में ही सोचने लगती है... इसको क्या हो गया गिरगिट की तरह अपना रंग क्यूँ बदल रहा है... कल रात तो इसके बदन से बस हवस की बदबू आ रही थी और आज इतना प्यार क्यूँ बरसाने लगा? ...

इतने में सोनी,, मेनका को आवाज लगाती है.. भाभी.. भाभी कहा खोई हो... कब से आवाज दे रही हुँ...

सोनी की पुकार मेनका सुनते ही.. अपने सोच के ख्यालों से बाहर निकलती है..

हाँ... तुम बोलो कुछ नहीं... बस ऐसे ही...वो,, कार्तिक का जन्मदिन आ रहा है ना... तो वही सोच रही थी...

अच्छा... भाभी वो सब बाद में सोच लेना मुझे आपसे कुछ बात करनी है... मेरा मतलब है की रवि जी के बारे में कुछ पूछना है...

हा.. बोलो, क्या पूछना चाहती हो..?

भाभी,,, मैं,, रवि जी को बहुत ही पसंद करती हुँ... ये बात तो आप भी जानती हो.. पर मैं,, आज रवि जी को प्रपोज़ करना चाहती हुँ.. तो,, क्या मेरा प्रपोज करना सही रहेगा.. आई मिन आप भईया को तो जानती ही हो इस फैसले से भईया खुश रहेंगे...

नहीं.. सोनी,, तुम्हारे भईया इस बात से कभी खुश नहीं होंगे वो,, तुम्हारी सादी रवि से कभी नहीं होने देंगे... प्रकाश तो रवि से बहुत ही नफ़रत करता है.. तुम्हारे और रवि के सादी के लिए प्रकाश कभी नहीं मानेंगे.. अगर तुम,, अपने भईया के खिलाफ जाकर सादी करना चाहती हो तो प्रपोज कर सकती हो... आगे तुम्हारी मर्जी...

भाभी,,क्या मेरे और रवि जी के सादी की बात के लिए आप,, भईया को नहीं मना सकती हो...

नहीं... सोनी,, मेरी बातों का प्रकाश पर कोई असर नहीं पड़ने वाला... वैसे तुम कार्तिक के जन्मदिन दिन तक इंतजार कर लो... रवि,, पार्टी में आयेगा ही... तब तुम पहले उसकी दिल की बात जान लेना वो क्या चाहता है?, उसके बाद ही प्रपोज करना..

हा.. भाभी,,, आप सही बोल रही हो.. मुझे सही वक्त का इंतजार करना चाहिये .. जल्दीबाजी में काम बिगर भी सकता है.. वैसे भाभी,, कार्तिक के जन्मदिन की तैयारी मुझे करने दीजिये... मैं,, बहुत ही अच्छे से करूंगी...

मेनका,, सोनी के सर पर हाथ रखती हुँ.. हाँ.. क्यूँ नहीं.. तुम ही करो... और बाकि के काम....मैं कर लुंगी...

मेनका और सोनी कार्तिक के जन्मदिन के पार्टी के तैयारी करने में लग जाते है... प्रकाश भी पार्टी के लिए सबसे अच्छे क्वालिटी का वोडका का ऑडर कर देता है.. सभी गेस्ट को इनविटेशन दिया जाता है.... रवि को तो स्पेशल सोनी इन्वाइट करती है...।

कार्तिक को मेनका पार्टी के लिए राजकुमार की तरह तैयार कर देती है... प्रकाश,, कार्तिक को अपने गोद में लेकर निचे हॉल में पार्टी के लिए आता है...

मेनका,, नीले रंग की सारी पहन कर तैयार हो चुकी थी..

सोनी भी,, हल्की गुलाबी गाउन पहनकर बेहद खूबसूरत लग रही थी.. सभी,, पार्टी में आये हुए गेस्ट कोई हार्ड ड्रिंक्स (वोडका ) तो कोई सॉफ्ट ड्रिंक्स से पार्टी का इंजॉय ले रहे थे..

एक बहुत बड़ी गिफ्ट पैक के साथ रवि,, कार्तिक के पार्टी में आता है... कार्तिक उस वक्त अपने पापा प्रकाश के गोद में रहता है... रवि को अपनी तरफ आते देख कार्तिक प्रकाश के गोद में से उतर कर दौड़ता हुवा रवि के पास चला जाता है..

रवि,, कार्तिक को गोद में उठाकर अपने सीने से लगा लेता है और जन्मदिन की बधाईया कार्तिक के बलइया लेते हुए देता है... और कार्तिक को केक के पास लाया जाता है.. मेनका अपने हाथों से पकड़ कार्तिक से केक कटवाती है.. फिर सभी को केक दिया जाता है.. खाने के लिए... सभी,, कार्तिक को बर्थडे सेलिब्रेट करतें है..

प्रकाश,, रवि के लिए ड्रिंक लाता है... और कहता है.. लो,,मेरे बेटे के जन्मदिन पर,, मेरे हाथों से खास पैग बनाए हुए एक एक जाम हो जाये..

रवि,, प्रकाश के साथ चियर्स करता हुवा एक जाम पी लेता है.. जाम पीते ही.. रवि को चक्कर सा आने लगता है..

प्रकाश,, कहता है.. हे रवि आर यू ओके..

यस आई ओके.....।

अच्छा तुम यहाँ चेयर पर बैठो मैं,,मैं अभी तुम्हारे लिए निम्बू पानी लाता हुँ..

प्रकाश,, रवि के लिए नींबू पानी लाकर उसके हाथों में थमा देता है और पिने को कहता है.. रवि तुम पी लो.. अच्छा महसूस करोगे.. तब तक मैं तुम्हारे सर में ठंडे तेल लगा देता हुँ ..

नहीं इसकी जरुरत नहीं ....मैं, ठीक हुँ..।

पर प्रकाश नहीं मानता और रवि के सर में अपनी उंगलियां घुमाने लगता है.. कुछ ही देर में रवि को अच्छा महसूस होने लगता है... अब मैं ठीक हुँ..

ओके तो मैं दूसरे गेस्ट के पास जा रहा हुँ तुम अपना ख्याल रखना ..

रवि,, उसी वक्त सोचने लगता है... आज प्रकाश का व्यवहार बदला बदला सा क्यूँ लगा या फिर उसकी कोई चाल है..

पर जो भी हो मुझे पता करना होगा आखिर प्रकाश के दिमाग में क्या चल रहा है..।

मेनका,, रवि के पास आती है.. रवि तुम यहाँ चेयर पर अकेले क्यूँ बैठे हो..? वहाँ चलो.. कार्तिक के पास

हाँ.. चलो चलता हुँ.. रवि,, कार्तिक के साथ पार्टी में खेलने लगता है.. पार्टी में सभी रहते है पर प्रकाश नहीं ..

मेनका,, पार्टी में प्रकाश को ढूंढती है.. पर दिखाई नहीं देता मेनका,, प्रकाश को तुरंत ही कॉल करती है पर प्रकाश मेनका का कॉल कट कर देता है...

पार्टी खत्म हो जाती है... सभी गेस्ट अपने अपने घर चले जाते है... रवि भी जाने की परमिशन मांगता है.. पर सोनी थोड़ी देर और रुकने को कहती है पर रवि रुकने से इंकार कर देता है और कहता है मेरा सर भारी भारी सा लग रहा है.. तो मैं अब चलता हुँ..।

रवि भी अपने घर चला जाता है.., थोड़े ही देर बाद प्रकाश,, अपनी गाड़ी से आता है.. मेनका प्रकाश को गाड़ी से आते देख पूछती है तुम कहा चले गये थे.. पार्टी छोडकर..,,

प्रकाश हसता हुवा मेनका से कहता है.. क्यूँ बताने जरुरी है... तुम महारानी हो.. जो सब कुछ तुमसे बताता रहूँ...।

प्रकाश नशे की हालत में मेनका को अपने सामने से हटाते हुए.. हटो,, मुझे सोना है नींद आ रही है.. मैं सोने जा रहा हुँ। कल बातें करता हुँ  ....।

मेनका,, प्रकाश के व्यवहार को समझ नहीं पाती है.. कभी इतने प्यार से बातें करता है.. कभी इतने गुस्से से.. और मेनका भी अपने कमरें में सोने चली जाती है...।

अगले सुबह उठते ही प्रकाश की नजर रवि की दी हुई खिलौने पर पड़ता है.. और रवि का दिया हुवा खिलौना को देख प्रकाश,, मेनका पर चिल्लाने लगता है..

ये क्या.. है? इसे कमरें में क्यूँ लायी? बाहर हॉल में भी तो रख सकती थी ना। कितनी बार कहा है ना तुमसे रवि की दी हुई चीज मेरे आँखों के सामने नहीं रहनी चाहिए.. वो,, तुम्हारा दोस्त है मेरा नहीं.., मेरा सिर्फ दुश्मन है सिर्फ दुश्मन

मेनका,, खिलौनों को कमरें से हटाती हुई कहती है... तुम्हारा मन का तो कुछ पता ही नहीं चलता कभी कहते हो पार्टी में रवि को बुला लो... और कभी रवि के दिए खिलौने से चिढ़ होती है तुमको.. क्या चल रहा है तुम्हारे मन में कुछ बतावोगे भी.. या फिर ऐसे ही जिंदगी काटनी है... बस नफ़रत के साथ

प्रकाश बिना कुछ बोले ही कमरें से बाहर चला जाता है....

अब हर रोज का सिलसिला प्रकाश ने बना लिया था कोई न कोई वजह ढूंढ कर मेनका पर चिल्लाता रहता....। मेनका भी प्रकाश के व्यवहार से तंग आ गयी थी...।

डॉक्टर रिया सेन(रवि का हर मंथ के ब्लड चेकप रिपोर्ट को चेक करती थी ) रवि के पास कॉल करती है..।

"हैल्लो रवि क्या तुम अभी के अभी मेरे पास आ सकते हो? "

"पर हुवा क्या... रिया,, सब ठीक है ना रिपोर्ट में और मैंने तुम्हारे बताए हुए रूल को ही फॉलो किया है "

"अरे रवि सब ठीक है पर.. बहुत ही इम्पोर्टेन्ट बात करनी है। प्रकाश से जुड़ी बातें है फोन पर बता नहीं सकती जितना जल्दी हो सके तुम मेरे केबिन में आकर मिलो। "


रवि अपने ऑफिस के केबिन से डॉ रिया के पास जाने के लिए जैसे ही निकलता है.. तभी,, रोनिता( रवि की सेक्रेटरी) रवि को बोलती है...  

"सर आप कही जा रहे हो क्या..? "

"हा रिया बहुत ही जरुरी काम से जा रहा हुँ.. "

"रोनिता रवि से कहती है पर आपका मीटिंग फिक्स हो गया

है सर "

"ओह... रिया,, प्लीज तुम मीटिंग हैंडल कर लो या पोस्टपोन कर दो मेरा जाना बहुत जरुरी है... "

और इतना कहते ही... रवि,, अपने गाड़ी में बैठ कर ड्राइव करने लगता है...गाड़ी कुछ आगे चलते ही है.. तभी,, रवि सड़को पर भीड़ देखता है ...

रवि,, कार के हैंडल पर मारता हुवा, ओह... सेट... अभी ही ट्रैफिक लगनी थी... ट्रैफिक हटते हटते लगभग पंद्रह मिनट बीत जाते है... रवि,, अपने हाथ की कलाई में बँधा हुवा घड़ी में समय देखने लग जाता है..

मैं लेट हो रहा हुँ अभी पुरे आधे घंटे लग जाएंगे.. रिया के पास जाते जाते... रवि गाड़ी की स्पीड बढ़ाते हुए... पुरे बीस मिनिट में रिया के क्लिनिक के पास पहुंच जाता है.... गाड़ी बिना पार्क किये ही रवि तेजी से रिया के पास पहुँचता है..

रवि हाफते हुए..., हाँ..बोलो रिया क्या बताना चाहती हो..

रिया,, मायूस भरी आवाज में बोलती है.. रवि तुमने पुरे दस मिनट आने में देर कर दिये... अब जिस चीज के लिए तुम आये हो... वो रिपोर्ट प्रकाश आकर ले गया..

रिया,, तुम कहना क्या चाहती हो..किस रिपोर्ट के बारे में बताना चाहती हो.. जल्दी से वो बतावो.. मेरा दिल जोरों से धड़का जा रहा है... मुझे इंतजार नहीं होता..

रिया,, रवि से कहती है तो,, सुनो बड़े ही ध्यान से सुनना..

प्रकाश झा,, ने तुम्हारे हेयर रुट और अपने कार्तिक का हेयर रूट आठ दिन पहले लैब में दिये थे.. जांच के लिए..,, पर मुझे पता नहीं था... इन सब के बारे में.. लेकिन जब मैं आजसुबह लैब में गयी तो.. तुम्हारा हेयर रूट डीएनए टेस्ट और कार्तिक का डीएनए टेस्ट हेयर रूट सैंपल मैच देखी... पहले तो इग्नोर कर दी मैंने... फिर कुछ मैच सैंपल तुम्हारे डीएनए से मिलता हुवा दिखा... फिर जब पुरे ध्यान से पढ़ी तो... तुम्हारे डीएनए का मैच सैंपल पूरा का पूरा मैच कार्तिक के डीएनए मैच सैंपल से मिल गया.. और तुम जब भी मेरे पास चेकप के लिए आते थे तो.. अक्सर कार्तिक का नाम लिया करतें थे.. इसलिये मैं,, डीएनए के रिपोर्ट को पहचान पायी...

अगले ही पल रवि के आँखों से झर झर आँसू बहने लगे.. यानि की कार्तिक मेरा बेटा है.. मैं बाप बन चूका हुँ पर मेनका ने मुझसे क्यूँ नहीं बताया..

रिया,, रवि से कहती है.. अरे कैसे बताएगी... वो किसी और की पत्नी हो चुकी है... और तुम,, प्रकाश को तो जानते ही हो.. वो रिया के साथ क्या हस्र करेगा..?

पर रवि ये बतावो... तुम्हारा हेयर रुट प्रकाश ने लिया कैसे?

तुमदोनों तो कभी आपस में मिलते नहीं l

हाँ.. मुझे याद आया जब मैं कार्तिक के बर्थडे पार्टी पर गया था तब मुझे,, प्रकाश ने खुद अपने हाथ से ड्रिंक पिलाया और मुझे चक्कर जैसे आने लगा शायद उसी वक्त प्रकाश ने मेरा हेयर रूट लिया हो...

रवि के मोबाइल पर रिंग होने लगती है... रवि,, मोबाइल निकाल कर देखता है... मेनका का कॉल पर इस वक्त क्यूँ..

रिया,, रवि से कहती है.. उठावो रवि शायद मेनका कुछ कहना चाहती हो...

"हैल्लो मेनका बोलो सब ठीक है ना "

हाँ.. रवि,, ठीक है बस तुम जल्दी से मेरे घर पर आ जावो "

"पर अचानक ऐसे सब ठीक है ना "

"प्लीज रवि,, बात समझने की कोशिस करो और जल्दी से आ जावो "

और मेनका कॉल कट कर देती है.. जैसे ही मेनका का कॉल कट जाता है.. वैसे ही रवि के मोबाइल फोन पर सोनी (प्रकाश की बहन )का कॉल आने लगता है..

रवि,, रिया से कहने लगता है.. अब सोनी क्यूँ कॉल करने लगी..

रिया,, रवि से कहती है... उठा लो रवि,, शायद सोनी भी कुछ कहना चाहती हो..

रवि फोन रिसीव करता है..

"हैल्लो रवि,, अभी अभी तुम्हे भाभी ने कॉल करके आने को कहा है.. तुम मत आना रवि,, मेरे भईया तुम्हारे साथ गलत करने वाले है.. तुम मेरी बात मानना.. तुम मत आना रवि" तभी सोनी के फोन से चीखने की आवाज आती है ऐसा लगता है जैसे सोनी को कोई मार रहा हो.. और सोनी की चीखने की आवाज आते आते कॉल कट जाती है..

रवि,, सोनी के कॉल से और भी परेशान हो जाता है रवि समझ नहीं पाता है.. क्या होने वाला है...?

रिया मैं जा रहा हुँ मेनका के पास शायद मेनका खतरे में है मेनका को मेरी जरूरत है.. मुझे जाना ही होगा...

रवि,, मैं भी तुम्हारे साथ चलूँ, रिया,, रवि से पूछती है..

नहीं रिया मैं नहीं चाहता तुम मेरी वजह से परेशानी में पड़ो तुम यहीं पर रहो अगर मुझे जरुरत पड़ी.. तो,, मेरे एक कॉल पर पुलिस को कॉल कर देना..

ठीक है रवि तुम अपना ख्याल रखना..

रवि,, अपनी गाड़ी में बैठ कर ड्राइव करने लगता है और मन ही मन सोचने लगता है.. पता नहीं प्रकाश ने मेनका के साथ क्या किया होगा मुझे सोच कर भी घबराहट हो रही है..

रवि,, प्रकाश के घर पहुंचते ही.. मेनका को आवाज लगाने लगता है.. मेनका मेनका तुम कहाँ हो.. मैं आगया हुँ.. बोलो मेनका...

प्रकाश,, मेनका को ताने मारते हुए चल बोल जल्दी से बोल.. तेरा पुराना आशिक आ गया है.. आवाज दे और उसे ऊपर बुला...

मेनका,, प्रकाश के गलत व्यवहार को देखते हुए जोर से चील्लाती हुई बोलती है.. रवि तुम चले जावो... तुम मेरे पास मत आना...

मेनका की आवाज सुनते ही रवि झट से दौड़ता हुवा मेनका के कमरें में जाता है..

प्रकाश,, राक्षसों के तरह हसते हुए हा आ हा आ हा आ आ

आगया तू.. रवि,, देख देख अपनी प्रेमिका,, मेनका को,

क्या हालत बना रखी है मैंने,, इसकी..?, तुझे तो बड़ा ही दर्द होता होगा मेनका को इस हालत में देख कर... पर मुझे बहुत ख़ुशी मिल रहा है... तुझे इस हालत में देख कर..

याद कर रवि,, मैंने तुझसे कहा था एक दिन तेरा सब कुछ छीन लूंगा.. और देख मैंने तुझसे छीन लिया..., अब तू कुछ भी नहीं कर सकता बस देख... देख.. कर दुखी हो सकता है और रो.. रो..कर आँसू बहा सकता है..

प्रकाश,, इतना कहते ही फिर से जोर जोर राक्षसों की तरह हसने लगता है... हा.. आ.. हा.. आ.. हा.. आ..

रवि,,, प्रकाश पर चिल्लाता हुवा बोलता है... चुप कर ज़ालिम,, नामर्द,, शैतान,, बिना दिल के मनुष्य थोड़ा भी तो शर्म कर... मेनका तेरी पत्नी है... बस तेरी पत्नी है.. माना की मेनका मेरी प्रेमिका थी और आज भी है... पर आज के वक्त में नहीं बस मेरी यादों के वक्त में है... मैंने तो मेनका को पाकर खो दिया और... तूने क्या किया पाकर भी खो रहे हो.. अभी भी वक्त है संभल जा... वरना बहुत पछतायेगा... और माना की ये कार्तिक मेरा बेटा है. मेरा खून है... लेकिन कार्तिक को उसके अपने बाप से दूर करने वाला कौन है... बस तू.. है प्रकाश बस तू.. अगर मेरा एक्सीडेंट तूने ना करवाया होता तो.. तो आज मेरी बांहों में मेनका और कार्तिक मेरा बेटा होता.. पर तूने क्या किया.. सब कुछ धोखे से हासिल किया.. अपने दम पर कुछ भी किया है... बोल अब क्यूँ चुप है..?

प्रकाश,, रवि के बातें सुनकर गुस्सा हो जाता है और अपने कमरें का ड्रावर खोलता है... और दो गन निकाल लेता है... एक गन खुद रखता है और एक गन रवि के हाथों में देते हुए कहता है ....."चल अब तैयार हो जा... "

प्रकाश,, तू ये क्या कह रहा है? और गन किस लिए.. "

प्रकाश,, रवि के कॉलर पकड़ते हुए... जितना कह रहा हुँ चुप चाप कर.. नहीं तो... और भी बुरा होने वाला है.. मैं थोड़ी देर में आया अगर चालाकी करने की कोशिस की तो मुझसे बुरा कोई ना.. इतना कहते ही प्रकाश कमरें से बाहर जाता है...

प्रकाश के कमरें से बाहर जाते ही... मेनका,, रवि के सीने से लग जाती है... और रोने लग जाती है.. रवि भी मेनका को अपनी बांहों में भरकर चुप कराने लगता है.... और अपने पॉकेट से मोबाइल फोन निकाल कर डॉ रिया के पास मिस कॉल कर देता है...

डॉ रिया भी समझ जाती है... शायद कुछ बुरा होने वाला है.. और डॉ रिया पुलिस को कॉल कर देती है और खुद भी अपनी कार में बैठकर प्रकाश के घर पर आने के निकल जाती है..

मेनका,, रवि से रोते रोते कहती है... रवि,, तुम चले जावो प्रकाश बहुत ही बुरा इंसान है... तुमको मार देगा..

रवि,, मेनका को समझाते हुए.. तुम फिक्र ना करो... मेनका,, अगर वो कुछ भी गलत करेगा तो अबकी बार मैं नहीं छोड़ने वाला... और तुमने इतनी बड़ी बात मुझसे क्यूँ छिपायी.. कार्तिक मेरा बेटा है... क्या तुम्हे मुझपर भरोसा नहीं था..?

नहीं... रवि,, मुझे तुमपर खुद से भी ज्यादा भरोसा था.. तभी तो नामकरण में तुम्हे बुलाई थी.. और कभी भी मना किया तुम्हे की कार्तिक से ना मिलो..

तुम्हे नहीं पता मेनका अनजाने में ही सही पर तुमने,, मुझे बहुत बड़ी ख़ुशी दी है.. मुझे,, बाप बनाकर..

मैं जब भी कार्तिक को अपने गोद में रखता था... तो,, मुझे हमेशा ही उसके साथ में बस अपनापन का ही एहसास होता था... पर,, फिर सोचने लगता.. ये कैसा दोतरफा एहसास है... कार्तिक,,, प्रकाश का बेटा है... तो मुझे ऐसे ख्याल नहीं आने चाहिए फिर... एक पल बाद ही तुम्हारा ख्याल आ जाता और कार्तिक को बस अपना मानने लगता...

प्रकाश,, कार्तिक को अपने गोद में लिए कमरें में आता है..और कार्तिक के हाथ में गन थमा देता है... l

रवि और मेनका को गले से मिलता देख.., प्रकाश बोलता है.. कर लो कर लो आख़री ही मिलन है.. जरा अच्छे से आखरी मिलन का एहसास कर लो..

रवि और मेनका एक दूसरे से अलग होते हुए... प्रकाश के तरफ देखने लगते है...

मेनका,, प्रकाश पर चिल्लाती हुई.. प्रकाश,, ये कैसा मजाक है कार्तिक के साथ? तुम कार्तिक को यहाँ क्यूँ लाये हो.. वो,, छोटा बच्चा है.. डर जायेगा...

मेनका डरती हुई औ र. ररर.... ये गन कार्तिक के हाथ से हटाओ.. ये खेलने की चीज नहीं है... कार्तिक डर जायेगा...

अरे... मेनका मेरी जान यहीं तो खेलने की चीज है.. और अभी से खेलेगा तभी तो बड़ा होकर.. मुझ पर जायेगा.. और मैं,, रवि के आँखों के सामने ही... कार्तिक जैसे जैसे बड़ा होगा इसको सभी गंदे काम सिखला दूंगा और एक दिन क्रिमनल बना दूंगा..

रवि,,, प्रकाश पर चिल्लाता हुवा... बंद करो अपनी बकवास जरा तो शर्म करो.. प्रकाश,, भगवान से डरो... भगवान के घर में देर है पर अंधेर नहीं... तुम्हारी दुश्मनी मुझसे है... मेरे साथ ये गंदा खेल खेलों... कार्तिक को बिच में क्यूँ लाते हो...

अरे डिअर रवि,,, अभी तो खेल शुरू हुवा है... और तुम अभी ही हार मानने लगे... अभी तो मुझे इस खेल का और भी मजा लेना है... और ये क्या.. ये कार्तिक बच्चा थोड़ा ना है.. ये तो रवि शर्मा का बेटा है.. और रवि शर्मा तो खुद को मर्द कहता है ना... और मुझे नामर्द.... प्रकाश,, कार्तिक के हाथ से गन लेकर एक फायरिंग करता है... जोरदार धमाके भरी आवाज सुनकर कार्तिक डर जाता है.. और जोर से रोने लगता है..

कार्तिक को रोते देख मेनका बहुत ही डर जाती है...

प्रकाश,, रवि से कहता है.. चल.... चल... अब शुरू हो जा.. तू भी हवा में एक फायरिंग कर... के देख ले.. तेरी गन सही है या गलत...

रवि,, थोड़ी देर... शांत रहता है...

प्रकाश,, रवि पर चिल्लाते हुए... सुना नहीं..मैंने,, तुझे क्या कहा.. चल फायरिंग कर.. l

प्रकाश के इस हैवानियत को देख कर रवि पूरी तरह से डर जाता है... और डरते डरते... रवि हवा में एक फायरिंग करता है... फिर से एक जोरदार धमाके की आवाज कार्तिक सुनते ही... और भी जोर जोर से रोने लगता है...

प्रकाश,, ने सोनी को भी दूसरे कमरें में बंद कर दिया था.. बंद कमरें में सोनी फायरिंग की आवाज सुनकर बहुत ही घबरा जाती है..और मन ही मन सोचती है.. ना,, जाने भईया ने क्या किया उनके साथ...

कार्तिक के जोर जोर रोने की आवाज प्रकाश को अच्छा नहीं लगता है.. और प्रकाश,, कार्तिक को बेड पर दूर से ही उछाल फेक देता है... और प्रकाश हसता हुवा रवि को कहता है.. अब चल दूसरी फायरिंग कर... पर हवा में नहीं.... मेनका पर... सुना नहीं... मेनका पर फायरिंग कर,, नहीं तो मेरी अगली फायरिंग तेरे बेटे कार्तिक पर होंगी... चल जितना ज्यादा देर करेगा उतना जल्दी ही कार्तिक पर गोली चलेगी..

रवि,,, भी गुस्से में आकर अपनी हाथों में रखी गन फेक देता है.. प्रकाश पर चिलाने लगता है.. अरे नामर्द कही का.. अगर मर्द है.. तो,, सिर्फ मुझसे लड़.. मुझसे लड़ने की कोशिस कर

तू,,, दो साल के छोटे बच्चे और एक औरत का सहारा लेता है... अगर मर्द बनना चाहता है तो.. मुझसे लड़,,, मुझपर गोली चलाकर देख... फिर देख जीत किसकी होती है..

प्रकाश,, रवि की बातों में खुद को नामर्द बार बार सुनता है... और उसको नामर्द शब्द उसके दिमाग पर खटक जाती है.. और प्रकाश,, रवि पर चिल्लाते हुए... मुझे नामर्द कहता है... अब ले गोली खा...प्रकाश अपने गन को रवि के तरफ घुमाकर गोली चलाने लगता है.. तभी...मेनका,, रवि के सामने झट से आकर खड़ी हो जाती है... और सारी की सारी गोलियां मेनका के सीने में लग जाती है...

उसी वक्त पुलिस और डॉ रिया भी आ जाते है.... पुलिस प्रकाश को रंगे हाथ पकड़ लेते है.. और प्रकाश के हाथों में हथकड़ियां पहना देते है...

मेनका छटपटाती हुई जमीन पर गिर जाती है...। रवि,, मेनका को जल्दी से अपनी बांहों में रख लेता है और कहने लगता है.. मेनका तुमने ये क्या कर दिया? तुमने,, मुझे क्यूँ बचाया?

मुझे मर जाने दिया होता.. l

नहीं... रवि,,, तुम्हारा जीना बहुत ही जरुरी था.. कार्तिक को तुम्हारी,,, मुझसे ज्यादा जरुरत है... मेनका बोलते बोलते रवि के बांहों में खुद को दम तोड़ती हुए महसूस करने लगी.. l

मेनका की नाजुक हालत देख कर रवि कहता है.. l

तुम्हें कुछ नहीं होगा बस तुम सांसे लेती रहो.. मैं तुम्हें हॉस्पीटल ले जाऊंगा... तुम्हारा ऑपरेशन होगा और तुम ठीक हो जावोगी... l

मेनका,, रवि से कहती है... रवि मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं है.. मेरी बात सुनो...

रवि रोता हुवा नहीं मेनका ऐसे ना बोलो.. तुम्हें कुछ नहीं होगा..

नहीं... रवि,, अब मेरा जाने का वक्त हो चूका है.. मैं,, तुम्हारी अमानत कार्तिक को तुम्हें सौंप रही हुँ कार्तिक का ख्याल रखना..।

नहीं... मेनका,,, मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं कर पाउँगा और कार्तिक तो अभी बहुत छोटा है.. कार्तिक को मुझसे ज्यादा तुम्हारी जरुरत है... तुम कार्तिक को छोड़ कर मत जावो...मैं,, अकेले कार्तिक को नहीं संभाल पाउँगा...

मेनका अपनी आखरी सांसे लेते हुए.... र वि.... मैं..म.. म..

अ..ब... मे... री.. सां...से.. सा...थ.. न...हीं.. दे... ही...

तु...म... कार्तिक का ख्.. या...ल... र..ख...ना... l

रवि,,, मेनका को अपने सीने से लगाए हुए जोर से चिल्ला कर रोने लगता है... मेनका... मेनका... वापस आवो,,, मैं,,,तुम्हारे बिना अधूरा हुँ... l

डॉ रिया,, रवि से कहती है... रवि खुद को सम्भालो... और सच को स्वीकारों... देखी कार्तिक तुम्हारे तरफ ही देख रहा है.. कार्तिक को गोद में लो l

रवि,,, कार्तिक को गोद में लेकर सीने से लगा लेता है.. और कार्तिक से कहता है.. अब दोतरफा एहसास नहीं होंगी...मेरे बेटे,, बस अपनापन वाला एहसास होगा मेरे बेटे चल... मेरे साथ अपने पापा के घर l

कार्तिक,, रवि के गोद में जाकर अपने पापा के सीने से लग जाता है l

बंद कमरें को खोलकर सोनी को बाहर निकाला जाता है... सोनी की हालत भी डर की वजह से बहुत डरी हुई लग रही थी, डॉ रिया,, सोनी को अपने साथ घर ले जाती है.. और सोनी के माँ (प्रकाश ने अपनी माँ को तीर्थ यात्रा पर भेज दिया था )को कॉल करके सभी बात बता देती है l

रवि,, मेनका का दाह संस्कार पुरे रीती रिवाज़ के अनुसार करवाता है  और दाह संस्कार में सोनी और उसकी माँ भी आती है l

कुछ दिन बाद कोर्ट में मेनका के मर्डर की सुनवाई चलती है और अदालत की फैसले सुनने के लिए सोनी और उसकी माँ,, रवि,, कार्तिक को अपने साथ लेकर ही जाता है.. अदालत,, प्रकाश झा को उम्र कैद की सजा सुनाती है l

फैसले को सुनते ही... रवि,, कार्तिक को गोद में लिए जाने लगता है.. तभी सोनी,, रवि को आवाज देती है.. l

रवि,, सोनी की आवाज सुनते ही रुक जाता है l

"हा बोलो क्या कहना चाहती हो? "

सोनी अपनी दिल की बात रवि से बताती है..." मैं,, तुमसे प्रेम करती हुँ और शादी करना चाहती हुँ "l

रवि,, सोनी से कहता है.. "नहीं सोनी,, मैं मेनका के आलावा किसी और से कभी प्रेम नहीं कर सकता हुँ...,,और करूंगा भी तो बस कार्तिक से मेनका के हक का प्यार भी कार्तिक को ही दूंगा,, मुझे माफ करना सोनी अगर मेरी वजह से तुम्हारा दिल दुखा हो तो.. तुम बहुत अच्छी हो बिल्कुल अपने भाई पर नहीं गयी तुम्हे बहुत ही अच्छा जीवनसाथी मिलेगा "l

सोनी,,, रवि की बातें सुनकर उदास हो जाती है.. और कार्तिक को गालों पर एक प्यारा सा कीस कर के रवि से कहती है.. कार्तिक का ख्याल रखना... और सोनी,, वहाँ से जाने लगती है..

रवि,, मुस्कुराते हुए कहता है.."रुको सोनी, क्या हम दोस्त बन सकते है ? "

"सोनी,, हँसते हँसते रोने लगती है... और हाँ कहती है " l


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