Priyadarshini Kumari

Comedy

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Priyadarshini Kumari

Comedy

गुंजन की रेडियो रामलाल

गुंजन की रेडियो रामलाल

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ये कहानी बिहार के सबसे छोटा जिला शिवहर के छोटे से गांव की कहानी है..। गुंजन के घर में माँ पापा अपना सगा दो भाई रहता है और इनके आलावा दादा दादी, चाचा चाची ,बड़े पापा बड़ी मम्मी उसकी चचेरी चार बहनें और दो चचेरे भाई रहता है। गुंजन बारह साल की बहुत ही चंचल मिजाज और पढ़ने लिखने में बहुत ही

तेज-तराका होनहार लड़की रहती है ।गुंजन जब से होश संभाली तभी से वो रेडियो प्रेमी रहती है।घर में अपने सब भाई-बहनों में सबसे छोटी होने की वजह से सबकी लाडली हुवा करती है और सभी को अपनी बात बनाने में आगे रहती है ..।गुंजन सोते उठते वक्त बिना रेडियो सुना नहीं रहती थी ...। बस स्कूल के समय ही रेडियो से दूर रहा करती अगर उसका बस चले तो रेडियो को भी अपने साथ में स्कूल में ले जाए पर मास्टरनी जी के डाट की की वजह से रेडियो स्कूल में नहीं लें जाती थी ।गुंजन अपनी दादी के साथ ही सोया करती थी । उसकी दादी भी गुंजन के साथ-साथ रेडियो खूब सुनना और गाने सुनते वक्त अपनी दादी के संग खूब मस्ती किया करती थी । गुंजन अपने रेडियो का नामकरण भी कर रखी थी ,रेडियो का नाम रामलाल रहता है ...।गुंजन रेडियो को अक्सर रामलाल ही कहती थी ।और वो अपने रामलाल के सभी स्टेशन से परिचित थी । और कौन-कौन -से समय पर कौन-कौन-से कार्यक्रम आने वाले है, इसकी जानकारी तो उसके दिमाग में हमेशा बल्ब की तरह जलती रहती थी ..। विविध भारती ,आकाशवाणी

,रेडियो मिर्ची ,राजदेवी एफ-एम ,इंद्रएनी एफ-एम और भी बहुत सारे रंग बिरंगी रेडियो के चैनल पर अपना पसंदीदा कार्यक्रम सुना करती थी ...। रात के 9:00 बजते ही धीरे आवाज में रेडियो की धुन लगा लेती और हाथों में किताब लेकर गाने सुनते हुए पढ़ते पढ़ते सो जाती थी ।

गुंजन के बड़े पापा की बेटी रंजना दीदी की शादी रहती है। बारात भी दरवाजे पर आ खड़ी होती है..।घर के सभी महिलाएं कोई आरती की थाली ,कोई फूलों की थाल ,कोई मिष्ठान की थाल लिए दूल्हा जी और उनके साथियों के स्वागत में लग जाती है...।दरवाजे की विधि व्यवहार पुरे होते ही दूल्हा को शादी के मंडप में लाया जाता है ...।यहाँ उनकी रस्म करने के बाद दूल्हा जी का बड़ा भाईसाहब ( भैंसूर )लड़की की कन्या निरीक्षण कर रहे होते है ..।और कुछ महिलाएं मंगल गीत गा रही थी ...। तभी लड़के वाले की बीच से सबसे बड़ा भाईसाहब(भैंसूर) बोलते है..," क्या मैडम जी जरा चटकारे लगाकर मंगल गान सुनाएं इस तरह सीधे सीधे गीत गाना शोभा नहीं देता । कन्या निरिक्षण हो रहा है ..तो कुछ तो यादगार पल होने चाहिये ..."।वहाँ बैठी महिलाएं आपस में बोलने लगती है ..,"लगता है ..भाईसाहब को अच्छी वाली गाली सुनने का मन हो रहा है ..."।

गुंजन भी बैठी उनकी बात सुन रही थी ....।तभी गुंजन को रेडियो पर प्रसारित होने वाले स्पेशल प्रोग्राम के बारे में याद आती है ...," अरे आज के दिन ही तो रात में 10:00 बजे से शादी की विशेष मंगल गीत और भैंसूर के स्वागत में विशेष प्रकार के प्रोग्राम प्रसारित होने वाले है .."।

गुंजन खड़ी होकर कहती है ...,"रुक जावो काकी ,अम्मा आप सभी फिकर ना करो । अभी मैं स्पेशल वाली गीत इनसब को सुनाती हूं अपने रामलाल के साथ "।

सभी बाराती कहने लगते है ..,"अब रामलाल हमें सुनाएगा मंगल गीत "।

गुंजन जल्दी से अपना रेडियो लाकर साउंड बॉक्स के केबल को रेडियो के साथ जोड़कर गाने का प्रोग्राम लगाती है..। गाने में खूब मजेदार भैंसूर ससुर जी के स्वागत गान और गंदी गंदी गालियों की बौछार होती है...। लड़के पक्ष सुनकर लाल पीले होने लगते है ...।उनकी हालत देख सभी महिलाएं अच्छे से उनका मजाक उड़ाने लगती है ..।लड़के पक्ष वाले गुस्से में होकर भी हंसते रहते हैं और करते भी क्या उनकी ही फरमाइश थी...?स्पेशल वाली मंगल गान सुनने का ।शादी सम्पन्न होती है और रंजना की विदाई भी हो जाती है ...।

समय बीतता जाता है ..।नये जमाने के अनुसार नये रंग बिरंगे टीवी और केबलों की भरमार और भी बहुत सारे नए नए उपकरण मोबाइल फोन, स्किनटच मोबाइल, नेट वाईफाई कनेक्शन और बहुत सारे सोसल मिडिया के लिंक इन सब उपकरणों के उपलब्ध्ता होते हुए भी गुंजन अपने रेडियो रामलाल का साथ नहीं छोड़ती ...।और बढ़ती दुनियां के साथ आगे बढ़ती रहती है ...।गुंजन पुरे बाइस साल की हो गयी थी ..।ग्रेजुएशन भी फाइनल कर चुकी थी ..।गुंजन की शादी की बात पक्की हो रही थी..., इसी बीच लड़कों वाले लड़की को देखने आते है और गुंजन को देखते ही पसंद कर लेते है ...।गुंजन की शादी की तारीख तय हो जाती है ।गुंजन की शादी रमन के साथ पूरे विधि व्यवहार के अनुसार हो जाती है ...।गुंजन की विदाई के समय होता है -गुंजन घर में सबसे भेट मिलन करके रो रही थी ...।विदाई के अंतिम समय में गुंजन अपने कमरें में रामलाल को लेने के लिए जाती है ...पर रामलाल कमरा में नहीं रहता है ...।विदाई में लेट होने की वजह से गुंजन के ससुर जी हल्ला करने लगते है जल्दी विदाई करो ..वरना विदाई का मुर्हत निकल जायेगा ..।गुंजन की माँ ,चाची ,बड़ी माँ सभी मिलकर जल्दी से विदाई के रश्म करके गुंजन को रमन के साथ गाड़ी में बिठा देती है ..।गुंजन विदा होकर अपने ससुराल चली जाती है...। सारा दिन गुंजन के मुंह-दिखाई का कार्यक्रम चलता रहता है...। शाम होते ही गुंजन थक जाती है ...।गुंजन की ननद उसे खाना खिला देती है और एक सजी हुई कमरे में लेजाकर बिठा देती है। गुंजन के कमरें में थोड़ी देर बाद रमन आता है। रमन गुंजन के पास बैठता है और उससे बातें करने की कोशिस करता है ।रमन अभी बोलने ही जाता है तभी गुंजन जोर से रोना शुरु कर देती है ।

गुंजन को रोते हुए देख रमन मन में सोचता है ..,"लगता है गुंजन मुझसे डर रही है "।

रमन ,गुंजन को प्यार से पूछता है ..," क्या हुआ तुम्हें ? इसतरह से अचानक क्यूँ रोने लगी ?कुछ हुआ है तो बोलो.."।

गुंजन रोती हुई ...," नहीं ...मैं अपने साथी के बिना नहीं रह सकती "।

साथी का नाम सुनते ही रमन डर जाता है और घबड़ाया हुवा आवाज में बोलता है ..,"साथी ...ये कौन सी साथी की बात कर रही हो ...?"।

"रामलाल के बारे में । मेरा बचपन का साथी रामलाल है ,मैं उसके बिना नहीं सो पाऊँगी ।बिना रामलाल के साथ गाना सुने मुझे नींद ही नहीं आयेगी "।गुंजन सुसुकती हुई बोलती है ।

रमन मन में सोचता है ...,"ये कैसी लड़की है ..? अपने पति के सामने किसी गैर मर्द का नाम लें रही है ..और देखो तो रामलाल के लिए रो भी रही है ।मुझे तो लगा था इसको अपने घर की याद आ रही है "।रमन ,गुंजन के करीब आकर कहता है "अच्छा ठीक है मैं ,तुमको गाने सुना देता हूं ..।तुमको नींद आ जायेगी " ।

"नहीं ...नहीं ...रमन जी मुझे रामलाल के बिना नींद नहीं आयेगी "।

रामलाल का नाम बार बार सुनकर रमन को गुस्सा आने लगता है ।वो कमरें से बाहर निकल कर चिल्लाता हुवा अपने ताऊ जी को बुलाता है ।

ताऊ जी रमन की आवाज सुनते ही जल्दी से पास आकर बोलते है ..,"क्या हुवा क्यूँ चिल्ला रहे हो "।

रमन के आवाज सुनकर बाकि घरवाले भी रमन के पास आ जाते है ।

" ताऊ जी आपने कैसी लड़की से मेरी शादी करा दी? ।वो मेरे पास से होकर अपने साथी रामलाल के बारे में बात कर रही है ।और बोलती है उसको रामलाल के बिना नींद नहीं आयेगी "।रमन ,ताऊ जी से बोलता है ।

ताऊ जी रमन की बातें सुनते ही कहते है ..,"हाय ...! ये कैसा जमाना आ गया?। अच्छा तुम रुको मैं कुछ करता हूं "।

रमन के ताऊ जी गुंजन के दादी अम्मा को फोन लगाकर सभी माजरा कहते है ।और बोलते है .,"अब मेरे बेटे के साथ न्याय कैसे होगा ? "।

दादी अम्मा सभी बातें सुनते ही बोलती है ..,"फोन रमन को दो मुझे रमन से बातें करनी है और कुछ हकीकत रमन को बतानी भी है .."।ताऊ जी बोलते है ..,"फोन स्पीकर पर है और रमन भी यहीं है .."।

"हां ...दादी अम्मा मैं भी यहीं हूं ।आप बोलिए क्या हकीकत बताना चाहती है ?"।

दादी अम्मा ,रमन से कहती है ..,"बेटा तुम जैसा सोच रहे हो वैसा कुछ भी नहीं है..।तुम ऐसा करो गुंजन को बोलो अपने बक्से की ताला खोलकर देखेगी ।और जब गुंजन बक्से खोलकर देखेगी तो तुम्हारी भी गलतफहमी दूर हो जायेगी "।

रमण गुंजन के पास आकर कहता है ..,"गुंजन चुप हो जावो अब रोने की जरुरत नहीं है और चलो आंगन में अपना बक्सा खोल कर देखो.."।

"क्यूँ ...बक्से में क्या है जो खोल कर देखु "।गुंजन ,धीमे आवाज में बोलती है ।

"मुझे नहीं पता बक्से में क्या है ...? तुम्हारी दादी अम्मा बोली है ,बक्से को खोल कर देखे तो बस तुम्हें कह दिया .."।

गुंजन अपने चेहरे पर मुस्कान लाती हुई कहती है ...,"अच्छा..!! दादी अम्मा बोली .."।

गुंजन कमरें से बाहर आकर आंगन में आती है और बक्से को खोलकर देखते ही बोलती है ...,"हाय ...!! मेरा रामलाल

तुम मेरे ही साथ आये और मैं तुम्हारे लिए रोती रही .."।

गुंजन ,रामलाल को लेकर कमरें में चली जाती है ..।गुंजन की रेडियो रामलाल को देख गुंजन के सभी ससुराल वाले हँसने लगते है और कहते है ...,"तो ...ये रेडियो रामलाल है ,इनका साथी ,,वैसे बड़ा ही प्यार सा साथी है रामलाल "।

रमन भी कमरें में गुंजन के पास आ जाता है ..।गुंजन हँसती हुई अपनी रेडियो की गाने बजा रही थी ..। गुंजन के रेडियो रामलाल पर उस वक्त खूब रोमांटिक गाने बज रही थी..। रमन गुंजन के पास आते हुए कहता है ..,"वैसे अच्छा किया तुमने अपने रामलाल को अपने सुहाग रात पर लाकर वरना इतना ज्यादा रोमांटिक गाने हमारे सुहाग रात पर बजने को नसीब नहीं होता .."।

गुंजन सरमाती हुई ...,"ये क्या बोल रहें हो ..?"।

रमन ,गुंजन को अपनी बांहों में भरते हुए कहते है ..,"वैसे तुम भी जानती हूं ! मैं क्या बोलना चाहता हूं ..?।पर एक सवाल है मेरे मन में ...आज देखो जिस किसी को भी ,कोई भी बिना स्किन टच मोबाइल के एक मिनट नहीं रहता और आजकल के गूगल एवं और भी बहुत सारे नेटवर्क एरिया है जिसपर करोड़ो की संख्या में बच्चों से लेकर बूढ़े व्यक्ति तक कोई अपने मनोरंजन के साधन तो कोई अपने अनुसार पढ़ने या वीडिओ देखने ,गाने सुनने और भी बहुत सारे सुविधाएं उपलब्ध है ...।पर तुम रामलाल के साथ इतना अधिक कंफरटेबल कैसे हो ...?"।

गुंजन मुस्कुराती हुई ..,"आप नहीं समझोगे रमन जी सबका अपना अपना एक हॉबी वाली जिद्द होती है ...!शायद वहीं समझ लो ..। एक बात और ...माना की नेट पर हजारों रंग की सुविधाएं उपलब्ध है ..लेकिन जो रामलाल के साथ सुकून भरा अहसास के साथ सुनने में मजा है ..!वो किसी नेट या सोसल मीडिया पर नहीं मिलती जी ...और देखो रामलाल में तो बस तीन सेल लगावो और महीनों तक अनगिनत गाने ,कहानिया ,देशी और शाही पकवान की बातें और भी बहुत सारे ज्ञान एवं शिक्षा से जुड़ी बातें का प्रसासन होता है ..."।

"अच्छा ...अच्छा ...अब चुप करो मेरी गुंजन जी किसी और दिन भी अपनी रामलाल की कथा सुना देना ।आज सुहाग रात है ..वैसे भी देर हो चुकी है ...।आज अपनी कहानी बनाते है साथ मिलकर "।

गुंजन ,रमन की बातें सुनते ही हंस पडती है ...और अपना चेहरा रमन के सीने में छुपा लेती है ।



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