Rashmi Nair

Abstract

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Rashmi Nair

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" ठुकराये फूल "

" ठुकराये फूल "

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सड़क के किनारे कुछ किन्नरोंकी टोली नाचते–गाते–ताली बजाते जा रही थी। उनमेंसे एकके पैरोंको किसी प्लास्टीक चीजसा एहसास हुआ। वो किन्नर चौंक गया और इससे पहले कि उसपर उसके पैर पडे या उसकी ठोकरसे वो दूर जा गिरे उसकी नजरे उसपर पडी। इनकी आवाजसे उस चीजमें हरकत हुई और दूधमुँहे बच्चेकी रोनेकी आवाज आई। उसने झुकर उस चीजको टटोला देखा तो उसमें कपडोंमें एक मासुम नवजात बच्चा निकला। उस मासुमकी रोनेकी आवाजसे उसका दिल पसीज गया। इंसानियतके नाते उसे युँ सडकपर छोडना उसे गवाँरा न था। उसने आसपास देखा दूर-दूरतक वहाँ कोई नहीं था। आवाजेंभी लगाई पर कोई जवाब नहीं मिला। उसने उसे उठाया और अपनी बस्ती में ले आया।

से घरके अंदर ले गया और उसे साफ करके और उसके कपडे बदले तो पता चला कि वो एक लडका है। उसने उसे दूध पीलाकर सुला दिया। शामको दूसरे सारे किन्नर आये उनको उस बच्चेके बारेमें पता चला सबने उसे राजी खुशी अपना लिया। रातमें खाना खानेके बाद सब सोने चले गये।

आधी रातके बाद दरवाजेपर एक दूधमुहाँ बच्चा बहुत जोर-जोरसे रोये जा रहा था।। सब थककर सोनेकी वजहसे कोई उठ नहीं पाया। सबको लगा आज जो बच्चा आया वो रो रहा होगा। पर लाईट लगाकर देखा, पता चला वो आरामसे सो रहा था। फिर ये रोनेकी आवाज कहाँसे आ रही है ये जाननेके लिए एक किन्नर उठा और आवाजका पीछा करते हुए दरवाजे पर आ गया। उसने दरवाजा खोला तो एक और दूधमुहाँ उनके दरवाजे पर था। अब इसे कैसे दरवाजेपर ही रहने दे। सोचकर उसे भी वो लेकर घरके अंदर ले आया। सबने उसे भी अपनाया जब कि वो बच्चा एक किन्नर था । दोनोंकी परवरिश वो बहुत अच्छेसे करने लगे।

दोनों बच्चे समयके साथ बडे होने लगे। दोनोंको इन किन्नरोंका प्यार-दुलारभीके साथ खाना-पीना कपडा और रहनेकेलिए एक छत और उनकी सुरक्षा भी मिली। पर वो समाजके भेदभावसे बचा न सके। ये दोनों जबभी बाहर बच्चोंको साथ खेलने जाते सब या वो सब भाग जाते या किन्नर–किन्नर चिढाकर भाग जाते। दूसरे बच्चेको नाजायज कहकर ठुकराते। कोई भी न प्यारसे पेश आता और न उनको किन्नरोंके अलावा कोई उनसे बात करता। दोनों ही खुदको ठुकरायेसे महसूस करते। जब बर्दाश्त नहीं होता दोनों आकर किन्नरोंसे शिकायत करते, तरह-तरहके सवाल करते पर उनका जवाब उनके पास नहीं था।

बहुत छोटे होनेके कारण वो उनके मासुम दिलको ठेस पहुँचाना नहीं चाहते। जो प्यार उनके मातापितासे नहीं मिल पाया वही प्यार वो उनको दे रहे थे। समाजमें होते उनके साथ होते हुए भेदभावभी जानते थे। उन्होने उन बच्वोंको इतना प्यार दिया। वो उन मासुमोंका दिल तोडना नहीं चाहता थे। कैसे इनसे कह दे,कि बेटा तू एक लावारिस है और तू एक किन्नर है। इसलिये तुम दोनोंको तुम्हारे मातापिताने ही ठुकराया है। तो कौन उनको अपनायेगा। तुम दोनों अपनोंसे "ठुकराये फूल "हो। ऐसे फूलोंको ये समाज,ये दुनियाँ कैसे अपनायेगी ?


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