Rashmi Nair

Tragedy

5.0  

Rashmi Nair

Tragedy

मोबाइल का असर

मोबाइल का असर

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संपदा को रक्षाबंधन के लिए अपने भाई सुमेश के घर जाना था । इसलिए वो राखी और मिठाई लेकर घर से निकली । रास्ते पर आकर रिक्शा का इंतजार करने लगी। पर त्योहार होने के कारण बस, ट्रेन में बहुत भीड़ थी । इसलिए उससे जाने का खयाल छोड़ना पड़ा । इसमें समय भी ज्यादा लगता क्योंकि दोनों रुक-रुक कर जाती तो और देर जाती। रिक्शा से जल्दी पहुँचा जा सकता । यही सोचकर वो इंतजार करने लगी पर बहुत देर से रिक्शा भी नजर नहीं आ रहा था । 


  जो भी रिक्शा आता बिना रुके ही चला जाता। रिक्शा या तो भरा होता या खाली। पर खाली रिक्शा ड्राईवर के नखरे बहुत होते । ऐसे भगाये जाते मानो किसी मेरेथॉन में जा रहे हों। बड़ी मुश्किल से एक रिक्शा आकर उसके सामने रुका । रिक्शा में बैठने पर उसने ड्रायवर से अपने भाई के घरका पता बताया । वो चल पडा । ड्रायवर आशिक मिजाज था । उसने अपना मोबाईल फोन ऑनकर रखा था और ड्राईविंग करते – करते सफरमें वो अपनी माशुका को मनाने की कोशिश में लगा था ।


वैसे उसकी बातों से संपदा को कुछ लेना–देना नहीं था । पिछली सीट पर बैठी होने के कारण उनकी बातें वो पूरी तरह और साफ-साफ सुन रही थी । उसने देखा कि बातें करते-करते वो ड्राईविंग सीट से बाहर की  तरफ खिसक रहा था और उसे होश नहीं था । उसने एक दो बार उसे टोका भी । पर उसने कहा " नहीं,मैम आप घबराईये मत कुछ नहीं होगा मैं आपको पहुचाँ दूंगा जहाँ,आपको जाना है ।" "पर तुम जिस तरह ड्राईविंग कर रहे हो उसे देखकर ऐसा लगता है पता नहीं कहाँ पहुँचाओगे ? " "नहीं, नहीं मॅम अब नहीं।" कुछ देर मेहबूबा से ब्रेक लेकर , फिर वो उससे बतियाने लगा ।

ये देखकर उसने फिर उसे टोका," अरे , तुम्हें इतना कहने.परभी समझ नहीं आ रहा है । मैं, मेरे ही सेफ्टी के बारे में नहीं सोच रही हूँ , तुम इस तरह बात करते–करते रिक्शा चला रहे हो कि कभी भी तुम्हारे रिक्शे का बैलेंस जा सकता है ,तुम्हारे रिक्शा का एक्सीडेंट भी हो सकता है । " "आप ठीक कह रही है, मैं ध्यान से चलाऊंगा " ड्राईवर ने कहा । फिर उसने अपने कान से ईयरफोन निकाला और बताये पते पर निकल पड़ा। घंटे भर के सफर के बाद वो अपने भाई के बिल्डिंग के सामने पहुँची । ड्राईवर ने रिक्शा  रोका । संपदा ने बाहर निकलकर पैसे दिये और अपने भाई के घर चली गई ।


 



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