""टेक्नोलॉजी ""(26)

""टेक्नोलॉजी ""(26)

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टेक्नोलॉजी का अर्थ है -तकनीकी ज्ञान, वैज्ञानिक जानकारी, प्रौद्योगिकी सूचना।

आज प्रत्येक व्यक्ति टेक्नोलॉजी की मदद के बिना, जी नहीं सकता।

मेरे जीवन में नौकरी, घर और हर जगह टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका है और रही हैं, हमेशा से ही।

जब मैं सरकारी बैंक में कार्यरत था।हमारी शाखा मध्यप्रदेश में, जिला स्तर की ब्रांच थी।हमारे सहायक प्रबंधक ने कहा "सर हम तीन दिन, तीन रातों से शाखा को कम्प्यूटरीकृत करने में लगे हुए हैं। अभी तक आधे से ज्यादा काम बाकी है। कब तक ऐसा चलेगा। "

मैंने अपने साथी से उस समय कहा था "मित्र रह टेक्नोलॉजी का जमाना है। बैंक के ग्राहकों को फास्ट

लेनदेन चाहिए। ग्राहक सेवा के बदले ज्यादा पैसा भी देना पसंद करते हैं। लगे रहो ।अभी तो काम करते रहना है, जब तक शाखा कम्प्यूटरीकृत ना हो जाये।"

हमने निरंतर सात दिन,सात रात तक काम करके शाखा को पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत किया था और उस समय मैं शाखा का मैनेजर हुआ करता था।

हमें हर पल जीने के लिए, नवीन तकनीकी ज्ञान और यंत्र की जरूरत पड़ती है।

पत्नि ने एक बार कहा था "घर हो या बाहर सभी को कम्प्यूटर, मोबाइल, लक्जरी आइटम ,मशीन फ्रीज,कूलर,टीवी जैसी वस्तुओं की, सबको जरूरत होती है। सुनिये, हमको दशहरे में वाशिंग मशीन चाहिए। कपडे ज्यादा निकलने लगे हैं। "

मैंने पत्नि से कहा था "अरे अभी तक तो कपडे हाथ से धूले जाते थे,अब क्या हो गया है। हाथ पैर से काम करने पर ,शरीर भी स्वस्थ रहता है। "

पत्नि ने कहा "आपके पास पैसे ना हों तो बता दीजिए, मैं स्वयं खरीद लूंगी।"

आशय यह है कि, हम सभी को टेक्नोलॉजी का उपयोग करना ही है।क्योंकि इससे समय और शरीर की बचत होती है।

इसी तरह लड़के ने हमसे कहा "पापाजी हमारी दसवीं बोर्ड की परीक्षा समीप ही है।आप हमें कम्प्यूटर खरीदकर दीजिये, परीक्षा के लिए यह बहुत आवश्यक है। "

मैंने भी सोचा कि अब तो शिक्षा भी ,बिना टेक्नोलॉजी के संभव नहीं है। किसी तरह व्यवस्था करके,हमने कम्प्यूटर खरीदा और वह हमारे परिवार। में, खरीदा गया ,पहला कम्प्यूटर था ।हालांकि यह बात पुरानी है।

हमारे पुत्र ने कहा "पापाजी मैं अपने छोटे भाइयों को भी कम्प्यूटर सीखाने की कोशिश कर रहा हूँ। क्योंकि उन्हें भी सीखना जरूरी है। "

मैंने पुत्र से कहा "बेटा टेक्नोलॉजी जरूर सीखना चाहिए, आगे बढ़ने के लिए यह जरूरी भी है। किन्तु ज्ञान जब हम उचित रूप से प्राप्त कर लेते हैं। तभी दूसरों को सिखाना चाहिए। आधा अधूरा ज्ञान बहुत ही खतरनाक होता है। इससे लेने वाला,देने वाला दोनों ही प्रभावित होते हैं। अधूरे ज्ञान से हमें सदैव बचना चाहिए। "

हमारे पुत्र ने इस बात को आज भी याद रखा है। वह अपने पुत्र को भी टेक्नोलॉजी का ज्ञान देते समय ,यही सिखाता है।

हमारे जीवन में, जब भी, जैसे ही टेक्नोलॉजी विकसित होती गयी और हमारे जीवन का हिस्सा बनती गयी ,तभी हमने न्यू टेक्नोलॉजी अपनाने की कोशिश की है। या यूं कहें कि टेक्नोलॉजी का उपयोग हमारे दैनंदिनी जीवन में, हिस्सा बनते गयी है। आज हम अपने जीवन से,टेक्नोलॉजी को अलग नहीं कर सकते हैं।

एक बार हमारी बड़ी बहू ने कहा "पापाजी मुझे एक पत्र लिखना है। परन्तु मूझे टाइपिंग करना नहीं आता है,कभी किया नहीं है।मुझे इन्टरनेट से मेल भी करना है, क्या आप मुझे सीखायेंगे?"

मैंने बहू से कहा "क्यों नहीं बेटा?मेरे पास आकर बैठो।मैं तुम्हें पत्र लिखना, टाईप करना,और उसे मेल करना सीखाता हूं ।बहुत आसान सा है।एक बार सीख जाओगी,तो फिर आसान हो जायेगा। "

इस तरह बहू ने सफलतापूर्वक मेल किया।बहू मुझसे बोली "पापाजी आप सरकारी बैंक से रिटायर हुए हैं ना और बैंक में तो नयी टेक्नोलॉजी आये दिन आती रहती है। आपको उसी का अनुभव है,आपका अनुभव हम सभी के काम आ रहा है। ।



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