सरकारी सेवा से त्यागपत्र

सरकारी सेवा से त्यागपत्र

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बात फरवरी 1981 की है। मेरा चयन सरकारी बैंक में, लिपिक सह खजांची पद के लिए बी एस आर बी (बैंकिंग सर्विस रिक्रुटमेंट बोर्ड)ने प्रतिस्पर्धा में सफल और योग्य पाये जाने के उपरान्त हुआ था। पश्चात मुझे सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया में, ज्वाइन करने का आदेश प्राप्त हो गया था।

मैंने अपने पिताजी से कहा था "बाबा मैं तो केन्द्रित शासन के विभाग (पी एण्ड टी ) पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ डिपार्टमेन्ट में, पोस्टल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत हूं ही। ब सरकारी बैंक का भी,नियुक्ति पत्र आया है,

तो मैं क्या करूं? मुझे बताइये।"

पिताजी पुराने जमाने के थे। अल्प शिक्षित। उन्हें खुद नहीं समझ रहा था कि पुत्र को क्या सलाह दें। तुम सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया की, सिविक सेन्टर भिलाई (छत्तीसगढ़) ब्रांच जाओ और वहां जो भी बड़े साहब होंगे, उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करो। उसके बाद निर्णय तुम को ही करना होगा। "

मैं शाखा जाकर मुख्य प्रबंधक से मिला। अपनी पूरी स्थिति बताई। उन्होंने मुझसे कहा "देखो यंग मैन। आपको बैंक ज्वाइन करनी चाहिए। यहां प्रमोशन के चांस ज्यादा मिलेगा। आगे बढ़ने के लिए। यहां आपका भविष्य भी सभी तरह से सुरक्षित रहेगा।

मैंने पी एन्ड टी विभाग से,नियम के अनुसार लिखित रूप में त्यागपत्र भेज दिया था। इस अनुरोध के साथ कि मुझे इस तारीख तक ,सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया के, क्षेत्रीय कार्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़)में अन्य दस्तावेजों के साथ ही, (पी एण्ड टी विभाग का स्वीकृत त्यागपत्र)भी आवश्यक रूप से चाहिए। ताकि मैं नियुक्ति पत्र देने के पूर्व बैंक मेरे आवश्यक दस्तावेजों और अन्य की जांच कर संतुष्ट हो जाये।

बैंक के रिपोर्टिंग की तिथि नजदीक आ रही थी और डाक विभाग ने मेरा त्यागपत्र स्वीकृत नहीं किया था। मैं निराशा और हताशा में अवसादग्रस्त हो उठा था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं और क्या ना करूँ।

मैंने पिताजी की सलाह लेना उचित समझा क्योंकि वे परिवार के मुखिया भी थे। मैंने कहा "बाबा मैं क्या करूँ। बैंक की रिपोर्टिंग की तिथि नज़दीक आ रही है। मेरा रेसिग्नेशन डाक विभाग के बड़े अधिकारी ने, अभी तक स्वीकृत नहीं किया है। मुझे अपने भविष्य की चिंता हो रही है। "

पिताजी ने मुझे दुखी देखकर, वे द्रवित हो उठे। मुझसे कहने लगे "बेटा निराश कभी नहीं होना चाहिए। भगवान पर भरोसा रखो। सब अच्छा होगा। तुम अपने विभाग के सबसे बड़े अधिकारी से मिलो। उन्हें अपनी बात स्पष्ट रूप से और सत्य बताओ कि तुम्हारा त्यागपत्र स्वीकृत होना कितना आवश्यक है। यह याद रखो कि जो तुम्हारा बड़ा अधिकारी है, वह भी नीचे से ऊपर ही आया होगा। अगर तुम नौकर हो तो वह भी नौकरी कल रहे हैं। मालिक नहीं है वो।तुम चाहो तो मैं तुम्हारे साथ चल सकता हूँ। परन्तु उनसे तुम्हें ही बात करनी होगी। "

मैंने गहन विचार किया और पिताजी से कहा दिया कि कल मैं एस एस पी साहब से मिलने जाऊंगा। मैं सुबह ही एस एस पी साहब से मिलकर उनके सामने, अपनी बात और जरूरत पूरी दृढ़ता से कही। उन्होंने मुझसे कहा "फस्ट ऑफ आल आपको बधाई। आप सरकारी बैंक में अपनी योग्यता से जा रहे हैं। आप निश्चित रहिए, आज शाम तक आपका त्यागपत्र हम सेंशन करके देंगे। आप शाम को आकर हमसे कलेक्ट कीजिए। "

मैंने एस एस पी साहब को अनेकानेक धन्यवाद दिया और शाम को स्वीकृत त्यागपत्र प्राप्त कल लिया।

इस तरह सरकारी बैंक में मेरे नियुक्ति कि मार्ग प्रशस्त हुआ और मैं बैंक से सीनियर मैनेजर पद से रिटायर हुआ। अर्थात मैं रोते हुए हँस पड़ा।।



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