Dr. Madhukar Rao Larokar

Drama

5.0  

Dr. Madhukar Rao Larokar

Drama

मेरा नया साल

मेरा नया साल

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हमारा नाती अर्णव दुष्यन्त लारोकर, यूँ तो 7वीं कक्षा में अध्ययनरत है। बहुत तेज और एडवांस में सोचता है।

आज सुबह ही मुझे, गुड मार्निग जी कहा और बोला "बाबाजी 2019 का आज अंतिम दिवस है। 2020में क्या करने का,क्या नहीं करने की योजना तैयार तो कीजिए। आपके पास आज का पूरा दिन बचा है। "

मैंने अर्णव से कहा "बाबाजी,बात तो तुमने पते की, की है। मुझे 2020 के लिए आज ही योजना तैयार करनी चाहिए। "

अर्णव अपने स्कूल चला गया। मुझसे यह कहकर कि जब वह आयेगा तो 2020 की योजना मुझसे पूछेगा। मैं सोचते रहा । मुझे 2020में क्या संकल्प लेना चाहिए, जिससे 2019 की तरह नया वर्ष 2020 सुख,शांति और कुशलता से व्यतीत हो।

मेरे दिल ने मुझसे कहा "डाक्टर साहब, सबसे पहले तो आपको शारीरिक रूप से फीट रहना चाहिए। कारण यह है कि आपकी उम्र 65वर्ष के लगभग हो चुकी है। सेहत ठीक रखेंगे तो आप मानसिक रूप से भी,स्वस्थ रहेंगे और साहित्य की सेवा तन मन से कर पायेंगे। "

मैंने अपने दिल से कहा "मित्र कल से मैं, रोज सुबह की सैर, योगा और कसरत करने जाऊंगा। कम से कम एक धंटा रोज ही। यार मैं जाता तो हूँ परंतु कभी-कभी ठंड के कारण गैप हो जाता है और मैं गोल मार देता हूँ। "

फिर मेरे दिल ने मुझसे कहा "नये साल में आप संकल्प लेवें कि मीठा खाना बंद करेंगे, भोजन भी जरूरत से कम करेंगे। ताकि पानी का उपयोग ज्यादा कर सकूँ। "

मैंने अपने दिल को जवाब दिया "हाँ यार,मीठा कुछ खा ही लेता हूँ। उससे मुझे तकलीफ भी होती है। अब मैं मीठा खाना पूरी तरह से बंद कर दूंगा। परंतु एक बात तो है,मैं भर पेट भोजन कभी नहीं करता और परिवार में सबसे ज्यादा पानी पीता हूँ। भोजन के कारण मेरा पेट कभी खराब हुआ हो तो बताओ। "

दिल ने भी मेरी बात पर सहमति दे दी। आखिर सत्य तो सत्य ही होता है भाई। परंतु दो संकल्प तो मैंने स्वेच्छा से लिए। मैंने दिल से कहा "देखो भाई, नये साल में मेरि पहला संकल्प हैकि मैं अपनी चुनिंदा गज़ल को एक किताब की सूरत में तब्दील करूँ और उसे प्रकाशित करवाऊं। रिटायरमेंट के बाद तो मेरे पास समय की कोई कमी नहीं है और पुस्तक के लिए स्टाॅक भरपूर है।"

नये वर्ष के लिए मेरा दूसरा संकल्प है कि मैं पूरे वर्ष भर, किसी को भी कोई चुभती हुई बात ना कहूँ, भले ही वह परिचित हो या अपरिचित। "होता यह है कि वार्तालाप के समय हम सत्य कह देते हैं और वह सीधे जाकर दिल को लग जाती है। किसी का दिल दुखाना (प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से)उचित नहीं है। भले ही बात सत्य कही गयी हो।

मेरी बातें सुनकर तो मेरा दिल झूम उठा। खुशियाँ मनाने लगा। शायद उसे मेरा संकल्प पसंद आया था। आखिर वह मेरा दिल था। मेरी जरूरतों को पूरी तरह से समझता था।

शाम को हमारा नातू अर्णव स्कूल से घर आया। फ्रैश होकर मुझसे कहा "बाबाजी आपने नये वर्ष का संकल्प तैयार कर लिया। "

मैंने अर्णव को सारांश में बताया "। उसने मुझसे कहा "अच्छा हो गया बाबाजी,नये साल से पहले ही आपने संकल्प कर लिया। मुझे यकीं है कि 2020 में आप अपने संकल्प पर दृढ़ रहकर उसे पूरा जरूर कर लेंगे।


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