" यत्र तत्र सर्वत्र " लधुकथा
" यत्र तत्र सर्वत्र " लधुकथा
मां ने आवाज दी "बेटी देविना,भोजन के लिए आ जाओ। बहन को भी साथ लाना।"
देविना मां से कहती है "मां, रविना बाहर ही खेल रही है।मैं बुला लाती हूँ। "
देविना और रविना ,दोनों जुड़वा बहनें थी।एक ही कक्षा में पढ़ती , खेलती,कूदती बड़ी होने लगी।
बाहर अपनी बहन,रविना को ढूंढने के लिए देविना निकली।सामने उसे रविना नजर आयी,पर उसके साथ एक आदमी भी था।वे साथ कहीं जा रहे थे।देविना उसे नहीं जानती थी।
"रविना,तुम अभी ,कहाँ जा रही हो।मां भोजन के लिए बुला रही है और यह आदमी कौन है जो तुम्हारे साथ है।"देविना ने अपनी बहन से कहा।
बहन की बात सुन ,रविना घबरा गयी और बोली"देविना ये अंकल कौन हैं, मैं नहीं जानती। मुझसे कहने लगे, मेरे साथ चलो,मैं तुम्हें ढ़ेर सारी चाकलेट खिलाऊंगा ।तो मैं इनके साथ जा रही थी।"
इतने में देविना और रविना की मां, दौड़ते हुए आती दिखी।बोली"मैंने तुम दोंनो को भोजन के लिए बुलाया था।तुम बहन को लाने निकली थी, फिर दोंनो यहां कैसे और कहाँ जा रही हो।ये आदमी कौन है। "
रविना ने अपनी माँ को सारी बातें बतायीं। इतने में मुहल्ले के लोग भी जमा हो गये थे।उस व्यक्ति को कोई नहीं जानता था। वह कहीं बाहर का था।सभी के पूछने पर उसने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया था।
किसी आशंका और संदेह के तहत,उस व्यक्ति की सभी ने जमकर पिटाई की। भीड़ में ही मां को ,उसकी पड़ोसन ने पूछा"बहनजी, आपको कुछ गड़बड़ है,ऐसा कैसे लगा।वह आदमी भी तो यहां का नहीं है। "
माँ ने कहा "दो जवान होती बेटियों की मां को, अनिष्ट होने की आशंका जल्द हो जाती है बहनजी, इस जमाने में यही तो हो रहा है यत्र तत्र सर्वत्र।"