तकरार - ए - इश्क़ भाग - 3
तकरार - ए - इश्क़ भाग - 3
गतांक से आगे :-
सुबह 10 बजे
OBEROI MANSION
मानस का कमरा
मानस उठता है और देखता है कि सामने नील और स्तुति सीने पर हाथ बांधे खड़े उसे घूर रहे हैं। उन्हें ऐसे देख वो घबरा गया। जब उसने properly देखा तो उसे बहुत गुस्सा आया। उसने गुस्सा होते हुए कहा, "अबे पागलों! मारोगे क्या हार्ट अटैक से मुझे?!"
नील और स्तुति ने एक दूसरी की तरफ देखा और हाँ में सिर हिलाया। स्तुति ने मानस की अलमारी खोली। उसमें से एक टी शर्ट और लोअर निकाला और मानस को देते हुए कहा, "जा जाकर नहा!"
मानस हैरत भरे भावों में उन्हें देख रहा था। नील बोला," हमें देखना बंद कर और जाकर नहा वर्ना bathroom खुद जाकर नहलवा दूँगा।"
मानस को पता था कि नील ये कर भी सकता है इसीलिए वो दौड़ गया bathroom की तरफ। वो जाकर नहाने लगा। स्तुति ने राधिका से कहकर मानस का खाना कमरे में मँगवा लिया। थोड़ी देर में मानस बाहर आ गया। बाहर आकर उसने देखा कि स्तुति और नील सोफ़े पर बैठे हुए थे औेर सामने टेबल पर ब्रेक फास्ट था। मानस भी आकर बैठ गया और उसने आमलेट उठाया और प्लेट में डाला। साथ में उसने कॉफी ली। ब्रेक फास्ट करके उसने उन दोनों से कहा, "क्या हुआ?"
स्तुति बोली, "तू बता क्या हुआ तेरे और माही के बीच में?"
मानस स्तुति की बात सुन चुप हो गया। उसने एक एक ठण्डी आह भरी और बोला, "माही ने मुझे धोखा दिया है। कल जब मैं उसे लेकर आ रहा था तब मुझे एक मैसेज आया। मैंने उसे इग्नोर किया लेकिन माही ने मुझे कहा कि कुछ ज़रूरी भी हो सकता है। तो मैंने वो मैसेज देखा और पाया कि उस मैसेज में माही किसी दूसरे लड़के के साथ.................... मैंने इस बारे में माही से बात करी। उसने मुझे कहा कि ये सब झूठ है लेकिन अब मेरे पास सबूत था। उस में माही की साफ़ साफ़ तस्वीरें थी और ये भी साफ़ दिख रहा था कि माही के साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं हो रही। वो सब कुछ उसको मरज़ी से हो रहा है। "
नील और स्तुति ये सुनकर हैरान थे। नील बोला," तूने माही को तस्वीरें दिखाईं? "
मानस ने हाँ में सिर हिला दिया। फिर वो फीकी मुस्कराहट से बोला," और उसका मानना है कि वो लड़का मैं हूँ जबकि मैं कभी ऐसे होटल में माही को लेकर ही नहीं गया। वो होटल बहुत ही चीप लग रहा था तस्वीरों में और मैं हमेशा माही को 7 स्टार होटल में लेकर गया हूं। "
मानस की बात सुन नील और स्तुति चुप हो गए। अब वहां खामोशी छा गई। स्तुति ने पूछा," अब तू क्या करेगा मन्नू? "
मानस स्तुति के सवाल पर मुस्करा दिया। उसे मुस्कराते देख नील और स्तुति हैरत भरे भावों से कभी एक दूसरे को तो कभी मानस को देख रहे थे। मानस सोफ़े से सिर टीकाकार, ऊपर की तरफ मुँह करके बोला, "अब तूने कोई सही सवाल किया है स्तुति! मैं अब क्या करूंगा। तुम ये मत सोचना कि मैं अब देवदास बन जाऊँगा बल्कि अब मैं कबीर सिंह से भी खतरनाक बनूँगा।"
मानस के भावों को देख नील समझ गया कि मानस कुछ बहुत ही खतरनाक करने जा रहा है। उसने पूछा, "क्या करेगा तू?"
मानस ने अपनी आंखें बंद करके कहा," माही किसी और लड़के के साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहती है न पर मैं ऐसा होने नहीं दूँगा। उसने आज तक सिर्फ मेरा प्यार, मोहब्बत, इश्क़ देखा है पर अब वो मेरी तकरार, नफरत देखेगी। Just wait and watch!"
उसकी बातें सुनकर नील और स्तुति कांप रहे थे। तभी एक 4 साल की बच्ची कमरे में आई। उसने overcoat पहना हुआ था। उसे देखकर सबने अपने चेहरे के भावों को बदला। मानस ने अपनी गोदी में उठाते हुए पूछा," श्रुति तुम कहां जा रही हो? "
श्रुति ने मानस के गाल पर किस किया जिससे मानस के चहरे पर मुस्कराहट आ गई। श्रुति बोली, "मामू मैं और मम्मा पार्क में जा रहे हैं खेलने।"
मानस फिर बोला, "इतनी सुबह?!"
मानस की बात सुन नील, स्तुति और श्रुति ने अपना सिर पीट लिया। श्रुति उसके सिर पर सपने नन्हे - नन्हे हाथों से चपत लगाते हुए बोली, "मामू 12 बजने वाले हैं और आप कह रहे हैं कि इतनी सुबह! "
ये सुनकर मानस ने झट से उसे नीचे उतारा और अपना फोन लेकर अपनी सेक्रेट्री, जैस्मीन को फोन किया। जैस्मीन ने फोन उठाया और कहा, "हैलो सर................"
मानस ने उसे बीच में टोकते हुए कहा, "हैलो हाय छोड़ो जैस्मीन! मेरी मीटिंग फिक्स करो मिस्टर सिंह के साथ 1 बजे MO Hotel में ।"
बिना आगे जैस्मीन की बात सुने उसने फोन काटा और अलमारी से कपड़े लेकर bathroom की तरफ दौड़ पड़ा। उसे ऐसे देखकर नील, स्तुति और श्रुति एक साथ बोले, "काम! काम! काम!"
साथ ही तीनों हँस पड़े। श्रुति चली गई। नील और स्तुति वहीं बैठे रहे।
सिंह हवेली
माही उठ चुकी थी। उसके सामने अवनी और मुस्कान बैठीं थीं। वो दोनों 1 घण्टे से बैठी हुईं थीं। माही एक ही जगह घूर कर देख रही थी जैसे किसी सोच में गुम हो। अवनी झल्लाकर कहा, "माही तुझे ऐसा क्या दिख रहा है जो मुझे और मुस्की को नहीं दिख रहा?"
माही ने अब उनसे साफ़ साफ़ कहा, "मानस ने मुझसे ब्रेक उप कर लिया।"
उसकी ये बात सुन उन दोनों ने पहले कहा, "तो क्या...... क्या????"
उन दोनों ने उसकी तरफ देखा तो माही ने भरी हुईं आंखों से हाँ में सिर हिला दिया। उसने उन्हें सब कुछ बताया (वही सब कुछ जो मानस ने बताया)। उन दोनों ने उसे गले लगाते हुए कहा, "कुछ नहीं होता? उसने तुझपर विश्वास na करके बहुत बड़ी गलती की है। उसे भूल जा! "
माही ने उन दोनों से अलग होते हुए कहा, "भूल जा! Seriously! मैं उसे भूल जाऊँ जिसने मुझे जीना सिखाया है। वो मेरा पहला प्यार है मुस्कान। उसके आने से पहले मेरी लाइफ क्या थी ये तुम दोनों भी जानती हो। पापा और मिसेज सिंह के कारण एक पल भी चैन से नहीं जी पाती थी लेकिन जबसे मान मेरी जिंदगी में आए तबसे मैंने जीना सीखा है। "
मुस्कान और अवनी कुछ भी नहीं बोल पाए क्योंकि माही सच ही कह रही थी। अभी वो दोनों बात कर ही रहे थे कि कमरे में एक नौकर आया। उसने कहा," माही मैम आपको नीचे बड़े साहब बुला रहे हैं। "
माही ने सिर हिलाकर कहा," हम्म ठीक है। उन्हें कहो कि मैं आ रही हूँ। "
नौकर चला गया। माही ने मुस्कान अवनी से कहा, "मैं तुम दोनों को आज शाम ब्रिज पर मिलूंगी। आ जाना।"
दोनों हाँ में सिर हिला देती हैं। वो दोनों चलीं जातीं हैं। माही भी थोड़ी देर में नीचे पहुँचती है। नीचे हॉल में सोफ़े पर उदय जी और प्रकृति जी बैठे थे। प्रकृति जी ने माही को देखकर मुँह बना लिया। माही ने उन्हें इग्नोर किया और उदय जी के पैर छूकर कहा," क्या हुआ पापा जी आपने हमें बुलाया!"
उदय जी सख्त होकर बोले, "जी हां। आपके लिए एक रिश्ता आया है।"
रिश्ते की बात सुनकर माही चौंक गई। वो बोली, "पापा जी मैं अभी कोई शादी वादी नहीं करना चाहती....."
उदय जी ने माही को डांटते हुए कहा, "हमने आपसे पूछा नहीं है बल्कि आपको हुकुम दे रहे हैं। रिश्ता पापा जी के खास दोस्त के पोते का है। वो लोग जयपुर में रहते हैं। लड़के का नाम विराट है। उनका अपना ट्रांसपोर्ट का बिजनेस है। काफी पैसे वाले लोग हैं। विराट उनका इकलौता बेटा है। तुम रानियों की तरह रहोगी वहां। वो लोग आज तुम्हें देखने आ रहे हैं तो तैयार रहना। मेरी अभी एक बजे किसी के साथ मीटिंग है मैं वहां जा रहा हूं। "
इतना बोल उदय जी चले गए। माही को कुछ भी कहने का मौका नहीं मिला। प्रकृति जी भी अपने कमरे में चलीं गईं। माही अपने कमरे में आई और बेड पर लेटकर रोने लगी।

