इश्क़ की जंग भाग - 6
इश्क़ की जंग भाग - 6
अभी तक आपने पढ़ा :-
तो कबीर भी मुस्कुराते हुए चला गया। और हमारी क़ायनात पढ़ने लगी लेकिन उसे अचानक से अक्षय की भूरी आंखें याद आ गयीं। वो खुद से ही बोली," वैसे उसकी आंखों में कोई तो जादू है। बहुत गहरी हैं। अगर कोई चाहे तो उन में डूब सकता है। बन्दा भी handsome है। "
तभी उसने अपना सिर झटका और वापिस पढ़ने में मशगूल हो गयी।
अब आगे :-
रात 10 बजे
क़ायनात और कबीर के घर वालों ने डिनर कर लिया था और उन दोनों ने भी।
SHEIKH PALACE
असीम, अयान, कबीर और क़ायनात चारों क़ायनात के कमरे में बैठे थे। असीम बोला," कायु, चल बता आज क्या - क्या हुआ?"
तो क़ायनात ने उन्हें सब कुछ बता दिया। अक्षय के बारे में भी। क़ायनात अपने भाइयों से कुछ भी नहीं छुपाती थी। कबीर बोला, "चलो अच्छा है अल्लाह का कि मेरी बहन ने अपना पूरा नाम बता दिया वर्ना आज तो वो लोग मेरे हाथों मर चुके होते। "
कबीर की ये बात सुन असीम और अयान हँसने लगते हैं और क़ायनात मुंह बना लेती है। असीम अब थोड़ा गंभीर होकर बोला, "कायु, अगर तुम्हें कॉलेज में कोई भी परेशान करे तो सबसे पहले तुम हमें बताओगी। "
क़ायनात असीम की गोद में सिर रखकर बोलती है," जी भाईजान। हम सबसे पहले आप तीन भाईजानों को ही बताएंगे।"
असीम ने मुस्कुराते हुए उसके सिर पे हाथ रखा और उसका माथा सहलाने लगा। ऐसे ही क़ायनात को उसकी गोद में नींद आ गयी। तीनों भाइयों के चेहरे पर लंबी मुस्कान आ गयी। उन्होंने उसका सिर तकिये पर आराम से रखा और तीनों उसके माथे को चूम कर वहां से चले गए। जैसे ही तीनों उसके कमरे से बाहर निकले कोई चौथा आदमी उसके कमरे में आया। वो थे आदिल जी। उन्होंने आगे बढ़कर क़ायनात के माथे को सहलाया। उनकी आंखों में आंसू आ गए। वो रोना नहीं चाहते थे पर क्या करते ऐसी हालत में उन्हें रोना आ ही गया। क़ायनात के माथे को सहलाते हुए वो 15 साल पीछे चले गए।
FLASHBACK
15 YEARS AGO
एक दिन सलमा जी क़ायनात के साथ मस्जिद में गयीं। क़ायनात मस्जिद देखने में व्यस्त थी और सलमा जी दुआ मांग रहीं थीं। अचानक मस्जिद में अफरा-तफरी मच गयी। आवाजों से सलमा जी ने आंखें खोलीं तो क़ायनात उन्हें कहीं भी नहीं दिखी। फिर अफरा-तफरी खत्म हो गयी। सलमा जी ने सारी जगह पर देखा लेकिन उन्हें क़ायनात कहीं नहीं दिखी। घर आकर उन्होंने रोते हुए आदिल जी को सब कुछ बता दिया। आदिल जी ने आमिर से कहा, "हमें किसी भी हाल में क़ायनात चाहिए।"
तो आमिर जी बोले, "आप फिक्रमंद रहिए भाईजान। अगर क़ायनात पाताल में भी हुई तब भी हम उसे ढूँढ लेंगे।"
आदिल जी ने हाँ में सिर हिलाया। आमिर जी बाहर चले गए। धीरे - धीरे 3 - 4 दिन बीत गए लेकिन क़ायनात के बारे में किसी को कुछ पता ना चला। पुलिस भी उसे ढूँढ रही थी लेकिन वो असफल हो रहे थे। एक हफ्ता बीत गया लेकिन क़ायनात नहीं मिली। सलमा जी की तबीयत खराब हो रही थी। फिर एक रोज़ आमिर की आए बोले, "भाईजान चलिए आपको कुछ दिखाना है।"
तो आदिल जी भी चले गए। आमिर जी उन्हें अपने ऑफिस के conference hall में ले गए और projector और एक वीडियो चलनी शुरू हो गयी। उस वीडियो में क़ायनात को कुर्सियों से बांधा हुआ था। उसकी हालत बहुत खराब थी। उसे इस हाल में देखकर आदिल जी का खून खौल उठा। वो गुस्से में बोले, "आमिर कहां है मेरी बच्ची?"
तो आमिर जी बोले, "शांत भाईजान, शांत! आपकी बच्ची मेरे कब्जे में है। आप बिल्कुल भी फिक्र ना करें उसका एक बाल भी बांका नहीं हुआ। और उसे मस्जिद से उठवाया भी मैंने ही था।"
ये सुन आदिल जी सुन्न हो गए। उन्हें यकीन ही नहीं हुआ कि उनका अपना भाई ऐसा करेगा। उन्होंने कहा, "तुम्हें क्या चाहिए? "
तो आमिर जी बेशर्मी से हँसते हुए बोले," भाईजान जो मुझे चाहिए वो तो मेरे पास ही है। "
आदिल जी असमंजस होकर बोले," आपके कहने का क्या मतलब है?"
तो आदिल जी बोले, "भाईजान मुझे आपकी बेटी क़ायनात चाहिए। जैसे ही वो 18 हो जाएगी मुझे उसका जिस्म चाहिए। "
ये सुन आदिल जी ने उसका कॉलर पकड़ लिया और कहा, "अपनी हद में रहिए आमिर। आप भूल रहे हैं कि क़ायनात हमारी बेटी है। और आप ये क्या बेहूदगी बातें कर रहे हैं।"
तो आमिर जी अपना कॉलर छुड़ाते हुए बोले," भाईजान अगर मुझे क़ायनात नहीं मिली तो मैं उसे बेच डालूंगा। वैसे भी उसकी कीमत बहुत होगी तो उसे बेचने में मुझे इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। पार्टी भी रेडी ही बैठी है। "
अब आदिल जी धड़ाम से चेयर पर बैठ गए। आमिर जी बोले, "भाईजान चुनना आपको है। या तो आप क़ायनात के 18 होने पर मुझे सौंप देंगे या तो उसे मैं आज किसी और के हाथों में सौंप दूँगा। "
आदिल जी ने उसकी पहली बात मानी मतलब 18 वाली। तो आमिर जी खुश हो गए। उन्होंने क़ायनात को घर भेज दिया। क़ायनात को कुछ याद नहीं था 1 हफ्ते पहले उसके साथ क्या हुआ। आदिल जी एन भी किसी को कुछ नहीं बताया।
PRESENT TIME
आदिल जी मन ही मन बोले," काया बेटा हम आपको जल्द ही इस चंगुल से निकाल देंगे। हमारे जीते जी आप पर हम एक आंच नहीं आने देंगे। हम आपको किसी भी हाल में उस इंसान के रूप जानवर के हाथों में कभी भी नहीं सौंपे गे।"
आदिल जी ने उसका माथा चूमा और चले गए।
DESHMUKH HOUSE
अक्षय अपने कमरे में सो रहा था। तभी उसे सपने में क़ायनात की झील सी गहरी आंखें दिखी। वो झट से उठ गया। उसने पानी पिया और वापिस लेट गया। जैसे ही उसमें आंखें बंद की वापिस उसके सामने क़ायनात की आंखें दिखी। वो उठकर बैठ गया और उसने वापिस आंखें बंद की तो वापिस वही हुआ। उसने खुद से कहा, "ये मेरे साथ क्या हो रहा है। बार बार क़ायनात की आंखें क्यूँ दिख रही हैं। लेकिन जो भी कहो उसकी आँखें हैं बहुत सुन्दर कितनी गहरी आंखें हैं उसकी। हाए............."
क़ायनात के बारे में सोच - सोच कर अक्षय कब सो गया। उसे भी पता ना चला।
CONTINUED.............

