इश्क़ की जंग भाग - 12
इश्क़ की जंग भाग - 12
गतांक से आगे :-
DESHMUKH HOUSE
सुबह 7 बजे
सब लोग उठ चुके थे। सावित्री जी आरती करतीं हैं और सब लोग डायनिंग टेबल पर बैठकर ब्रेकफास्ट कर ही रहे होते हैं कि अक्षय आ जाता है जिसे देख शिल्पा जी मुँह बना लेतीं हैं। अक्षय आकर अंकुर के साथ बैठ जाता है। सब लोग ब्रेकफास्ट करते हैं और अमित जी और अमर जी किसी जरूरी मीटिंग के लिए नोएडा चले जाते हैं। अक्षय अपना बैग लेकर बाहर जा ही रहा होता है कि अमृता आती है और बोलती है, "भाई आपको छोटी माँ बुला रहीं हैं।"
तो अक्षय हाँ में सिर हिलाकर पूजा जी के कमरे में जाता है। वो अपनी माँ के सामने बेड पर बैठते हुए बोला, "बोलिए माँ!"
तो पूजा जी ने अक्षय के हाथ थामे और कहा, "अक्की देख अनिल की शादी होने वाली है। और अनिल के बाद तेरा ही नंबर है................ "
अक्षय अपनी माँ की बात को बीच में काटते हुए बोला, "सॉरी माँ मैं आपकी बात बीच में काट रहा हूं पर मैं अभी कोई शादी-वादी नहीं करना चाहता और पहले मुझे जिंदगी में कुछ बनने दीजिए। मैं नहीं चाहता कि मैं और मेरी लाइफ पार्टनर को ताऊ जी और ताई जी के ताने सुनने पड़े।"
इस पर पूजा जी कुछ नहीं कहती और अक्षय भी वहां से चला जाता है। उसका अब मूड खराब हो चुका था। उसका मन कॉलेज जाने का नहीं था लेकिन क़ायनात को देखने की बेचैनी कहाँ कम हो रही थी जनाब की। उसने बाइक को स्टार्ट किया और चल दिया कॉलेज की तरफ।
IN THE COLLEGE
कॉलेज में पहुँचकर बाइक को पार्क करके अपने दोस्तों को मिला जो कि पार्किंग में ही खड़े थे। अक्षय ने कनिष्का को पूरी तरह से इग्नोर किया जिसे सबने नोटिस किया। कनिष्का को बहुत गुस्सा आया लेकिन गुस्से का घूंट पीकर उसने आगे बढ़कर अक्षय से चिपक कर कहा, "I am sorry baby! Please forget about last night."
अक्षय उसे अपने आप से दूर कर देता है उसका मूड वैसे ही खराब था ऊपर से कनिष्का का व्यवहार। इससे पहले अक्षय कनिष्का को कुछ कहता तभी सामने से क़ायनात अपनी कार से उतरी। अक्षय क़ायनात को देखता रह गया। उसने आज प्लेन व्हाइट कुर्ती के साथ ब्लू जीन्स डाली थी। बालों की पोनी की हुई थी। वो सादगी में भी सबसे सुन्दर लग रही थी। आज वो आदिल जी के साथ आई थी। आदिल जी ने देखा कि सब क़ायनात को घूर रहे हैं तो उन्हें गुस्सा आया। वो भी कार से बाहर निकले और ड्राइवर को कहा कि वो उनका वेट करें। अपने अब्बू को बाहर निकलते देख क़ायनात ने पूछा, "क्या हुआ अब्बू? सब ठीक तो है। आप अचानक से बाहर क्यूँ निकले?"
तो आदिल जी बोले, "डीन के ऑफिस तक ले चलिए हमें।"
क़ायनात सारा माजरा समझ गयी तो वो चल पड़ी। सब लोग अभी भी क़ायनात को घूर रहे थे और आदिल जी उन्हें घूर रहे थे। अक्षय समझ गया कि ये क़ायनात के अब्बू हैं। क़ायनात उन्हें डीन के ऑफिस तक ले आई। आदिल जी अंदर जाने लगे तो क़ायनात भी जाने को हुई लेकिन उन्होंने उसे हाथ का इशारा कर रोक दिया। आदिल जी अंदर आए तो डीन डर गया। वो बोला, "सर आप यहां इस वक्त! आइए बैठिए! सब खैरियत तो है?"
आदिल जी डीन को फटकारते हुए बोले, "लगता है आपको मेरे बेटे की जुबान नहीं आई मिस्टर खन्ना। लेकिन कुछ नहीं होता अभी के अभी आपको आपके पद से उठाने पर शायद समझ आ जाए।"
तो डीन डर गया और बोला, "सॉरी सर आगे से नहीं होगा। "
तो आदिल जी बोले," होना भी नहीं चाहिए।"
आदिल जी बाबर आते हैं और क़ायनात के सर पर हाथ रखकर बाहर कार में बैठकर चले जाते हैं लेकिन क़ायनात तो जैसे वहीं जम चुकी थी। ये पहली बार था कि आदिल जी ने क़ायनात के सर पर हाथ रखा हो वर्ना वो उससे कभी बात तक नहीं करते थे। वैसे जो भी कहो आज क़ायनात का दिन बन गया और उसने किसी का दिन भी बना दिया। वो आयशा और श्रेया के पास गयी क्लास में। क्लास शुरू हुई। खत्म होने के बाद जैसे ही टीचर गयी सीनियर आ गए जिन्हें देख सभी बच्चे खड़े हो गए। ये ग्रुप अक्षय का ही था। लेकिन इस सिर्फ लड़कियां थीं और दूसरी सीनियर लड़कियों के साथ। रितिका बोली, "स्टूडेंट्स, फ्रेशर्स पार्टी इस शनिवार है मतलब परसों तो कल कोई क्लास नहीं है। और थीम कलर ब्लू एंड ब्लैक है। गर्ल्स को गाउन डालना है और लड़कों को सूट। गाउन या तो ब्लू होना चाहिए या तो ब्लैक। एंड लड़कों का अक्षय समझा देगा।"
इतना बोल वो सब चलीं गयीं। क़ायनात, आयशा और श्रेया बाहर निकले। आयशा बोली," यार शॉपिंग पर चलेंगे आज हम तीनों और क़ायनात नो बहाना। "
क़ायनात बोली," ओके दादी माँ! "
तीनों हँसते हुए चलीं जातीं हैं। अगले लेक्चर के सर नहीं आए थे तो तीनों लाइब्रेरी में जातीं हैं और श्रेया की हेल्प करते हैं नोट्स बनाने में। श्रेया अब खुद नोट्स बना रही होती है। आयशा भी बना रही होती है। लेकिन क़ायनात का तो सब कुछ कम्प्लीट होता है तो वो लाइब्रेरी में कोई अच्छी सी बुक ढूँढने लगती है पढ़ने के लिए। तभी वो एक बुक निकालने लगती है रैक से लेकिन वो नहीं निकलती क्यूंकि उसे किसी ने दूसरी तरफ से पकड़ा हुआ था। क़ायनात बुक छोड़ देती है और दूसरा भी। फिर से दोनों एक साथ बुक निकालने लगते हैं फिर से वही होता है। तो क़ायनात को गुस्सा आने लगता है वो उस साइड देखने जाती है कि कौन है उस साइड। दूसरा पर्सन भी क़ायनात की साइड देखने जाता है कि कौन है। दोनों जब एक दूसरी की साइड पहुँचते हैं वहां कोई नहीं होता। वो लाइब्रेरी की कॉर्नर की साइड थी तो वहां कोई नहीं था। क़ायनात को कोई नहीं दिखता तो उसे लगता है कि वो चला गया। दूसरा बन्दा भी यही सोचता है। दोनों वापिस बुक निकालने लगते हैं तो वापिस वही होता है। अब दूसरा बन्दा पूरी हिम्मत करके बुक निकालता है तो उसे दूसरी साइड जयंत दिखती है और क़ायनात को अक्षय दिखता है। दोनों एक साथ बोलते हैं लेकिन धीरे, "तुम!"
CONTINUED..............................

