STORYMIRROR

Navpreet Kaur

Others

4  

Navpreet Kaur

Others

इश्क़ की जंग भाग - 5

इश्क़ की जंग भाग - 5

7 mins
251

अभी तक आपने पढ़ा :-

ये कह्ते हुए उसने अपना हाथ उसके सामने कर दिया। अक्षय ने जब ये देखा तो उसे बहुत गुस्सा आया। अंजना के हाथ पर जलने के निशान थे। उसने इसका दूसरा हाथ पकड़ा और उसे बाहर ले आया और चिल्लाकर अमित जी को बुलाने लगा।

अब आगे :-


अमित जी आए और गुस्से से बोले, "ये क्या तरीका हुआ अक्षय?"

तो अक्षय ने बिना कुछ बोले अंजना का हाथ उनके सामने कर दिया। जब अमित जी ने अंजना का हाथ देखा तो चौंक गए। उसी वक्त शिल्पा जी आयीं और बोलीं, "क्या लगा रखा है अक्षय? दुनिया में शिष्टाचार नाम की भी चीज़ होती है लेकिन वो आप में तो है ही नहीं। कोई इस घर में अब चैन से किसी से फोन पर बात तक नहीं कर सकता। पूजा (अक्षय और अंजना की माँ) समझा लो अपने इस बेटे को वर्ना अपना समान तय्यार करे और घर से बाहर निकले......... "


अभी वो इतना बोल ही रहीं थीं कि सावित्री जी ने उसके गाल पर जोर का चांटा मार दिया। सावित्री जी बोलीं," अपनी हदें मत तोड़ीए शिल्पा। अगर आप इस घर की बड़ी बहु हैं तो क्या हुआ अभी आपकी सास जिंदा है ये मत भूलिएगा। वर्ना कहीं आपको अपना समान ना तय्यार ना करना पड़े। (अक्षय की तरफ अपना रुख कर) अक्षय आप बताइए क्या बात है?" 

तो अक्षय ने अंजना का हाथ शिल्पा के सामने कर दिया। तो शिल्पा सकपका गयी और नजरें चुराने लगी। अक्षय बोला," क्या कहा अभी आपने शिष्टाचार?! राइट बट शिष्टाचार मुझे नहीं आपको सीखने चाहिए। "


ये सुन शिल्पा जी तिलमिला उठीं। वो गुस्से में बोली," अक्षय तुम भूल रहे हैं कि तुम अपनी बड़ी माँ से बात कर रहे हों।" 

अक्षय कुछ बोलता उससे पहले ही अमित जी बोले, "अक्षय आप अंजना का जला हुआ हाथ दिखाकर कहना क्या चाहते हैं? "


तो अक्षय बोला," बड़े पापा आपको जो भी सुनना है आप अंजना के मुँह से ही सुन लीजिए क्यूंकि क्या पता किसी को मेरी जुबान पर भरोसा ना हो। बोल अंजू। "

अंजना ने बोलना शुरू किया, "बड़े पापा जब सुबह मैं उठी तो मुझे बड़ी माँ ने अवाज लगाई................... 


फ़लैशबैक,,,


सुबह 8:30 बजे देशमुख हाउस,,


अमित जी और अमर जी किसी मीटिंग के सिलसिले में रात से ही बाहर थे। पूजा की और सावित्री जी मंदिर गयीं हुईं थीं। अक्षय, अंकुर और अनिल gym गए हुए थे। अमृता हॉस्पिटल में थी क्यूंकि उसकी सहेली हॉस्पिटल में एडमिट थी। तो घर में सिर्फ अंजना और शिल्पा जी थे। अंजना सुबह उठी। उसने अभी अपने कमरे से बाहर कदम रखा ही था कि शिल्पा जी ने उसे आवाज लगाई, "अंजना ज़रा मेरे लिए चाय बना दे।" 

अंजना हर सुबह उठकर सबसे पहले पढ़ती थी। तो वो बोली, "ताई जी आप नीला (नौकरानी) को कह दीजिए न मुझे पढ़ना है और अमृता के भी नोट्स बनाने हैं (दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे)।" 


उसका उत्तर सुन शिल्पा जी तिलमिला उठीं। वो बोलीं," हाँ तू क्यूँ बनाएगी! घर की रानी जो ठहरी। चुप चाप चाय बना वर्ना तेरी सारी पढाई गयी तेल लेने। अमित जी से कहकर तेरी पढाई बंद करवा दूंगी। "

ये सुन अंजना घबरा गयी। वो बोली," नहीं ताई जी मैं बनाती हूं आपके लिए चाय।" 


ये सुन शिल्पा के होठों पर कुटिल मुस्कान आ गयी। अंजना ने चाय बनाई और शिल्पा जी के सामने टेबल पर रखी और जाने को हुई तो चाय चख कर शिल्पा जी बोलीं," हाए राम! ये लड़की तो मुझे मार डालेगी। इतनी गर्म चाय कौन बनाता है भला। "

तो अंजना मासूमियत से बोली," ताई जी चाय तो अब गर्म ही होती है।"


उसका प्रति उत्तर सुन शिल्पा जी ने उसका हाथ चाय के मग में डाल दिया तो अंजना चिल्ला पड़ी। घर में कोई नहीं था तो किसी को कुछ पता ना चला। अंजना चिल्लाती रही लेकिन शिल्पा तो जैसे बहरी हो चुकी थी। उसने बेपरवाह होकर पूरी चाय उसके हाथ पर उड़ेल दी। जिससे अंजना को और दर्द हुआ। शिल्पा बोली, "किसी को पता नहीं लगना चाहिए वर्ना तेरी पढाई तो समझ गयी."

ये सुन अंजना रोते हुए अपने कमरे में भाग गयी और रोने लगी। lekin शिल्पा पर कुछ असर नहीं हुआ उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे। 


ये सब सुन सबके शिल्पा को छोड़ सबके चेहरे पर शिल्पा के लिए गुस्से के भाव उभर आए। अमित जी ने आगे बढ़कर उसे थप्पड़ मार दिया। थप्पड़ की आवाज इतनी ज्यादा थी कि घर के आसपास के सारे पँछी भाग गए। शिल्पा जी अपने गाल पर हाथ रख अमित जी को घूर रहीं थीं। वो बोलीं, "आपकी हिम्मत कैसे हुई मुझे थप्पड़ मारने की?!" 

तो अमित जी भी गुस्से से बोले, "आपकी हिम्मत कैसे हुई अंजना का हाथ गर्म चाय में डालने की?!"


तो शिल्पा जी कुछ भी नहीं बोलीं। सावित्री जी अंजना का हाथ सहलाते हुए बोली, "अंजू आप हमें ही बता देतीं बेटा। देखिए ज़ख्म कितना बड़ गया है। दर्द हो रहा होगा न आपको। (शिल्पा की तरफ अपना रुख करके) और शिल्पा हम आपको अभी के अभी इस घर से निकाल रहे हैं। "

शिल्पा उन्हें हैरत भरे भावों से देखने लगी तो वो बोलीं, "चिंतित मत होइए हमेशा के लिए नहीं निकाल रहे। सामाज में हमारी भी इज्ज़त है। आपको अपने मायके जाना था न तो जाईए। जितने दिनों के लिए जाना चाहती हैं आप जाईए। कोई रोक टोक नहीं है। "


शिल्पा खुशी से सावित्री जी के गले लग कर अंदर चली गयी लेकिन उसे कोई पछतावा नहीं था। अमित जी आए और अंजना सिर पर हाथ रखकर बोले," माफ़ करना बिटिया। "

सब लोग कमरे में चले गए और अक्षय अंजना को लेकर कमरे में गया। उसकी मलहम पट्टी की।


क़ायनात अपनी अम्मी को आज के दिन के बारे में बता रही थी कि आज क्या - क्या हुआ। तभी उसे कबीर की आवाज सुनायी दी बाहर से। वो बोली," अम्मी हम अभी आए।" 

क़ायनात भाग कर बाहर गयी और कमर पर हाथ रखकर कबीर को घूरने लगी। जब कबीर ने उसे देखा तो उसने आसपास देखा तो क़ायनात बोली, "हम आपको ही देख रहे हैं भाईजान।" 


तभी ऊपर से एक रौबदार आवाज आयी, "क़ायनात आपके भाईजान अभी - अभी बाहर से आए हैं और उनको अस्ल आम माले कुम कहने की जगह आप उन्हें घूर रहीं हैं?!" 

तो वो बोली, "माफ़ी अब्बू! (तो ये थे हमारी क़ायनात के हिटलर अब्बू की आवाज) (कबीर की तरफ देखते हुए) अस्ल आम माले कुम भाईजान।" 


क़ायनात अंदर चली गयी लेकिन उसे अंदर आने का इशारा करके गयी। कबीर भी उसके पीछे - पीछे अंदर चला गया। ऊपर आदिल जी ऊपर की तरफ देखते हुए बोले, "ए खुदा! मैं मानता हूं कि क़ायनात मेरी अपनी बेटी है लेकिन उसकी वज़ह से मेरा सिर हमेशा आमिर के सामने झुका रेहता है। क़ायनात को हम अपना मानते हैं लेकिन वो एक लड़की है। हमें उससे कोई ऐतराज नहीं है लेकिन अगर हमारे ही छोटे भाई उसपर गंदी नज़र रखे तो कैसे चलेगा। हमें जल्द से जल्द क़ायनात का निकाह करना होगा। अगर कहीं देरी हो गयी तो............. "

यह कहते हुए उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने उन आंसुओ को जल्दी पोछा और अपने कमरे की तरफ बढ़ गए। उधर क़ायनात कबीर पर तक्कियों से हमला कर रही थी। लेकिन कबीर समझ नहीं पा रहा था कि वो यह क्यूँ कर रही है। जब क़ायनात थक गयी वो बैठ गयी और हांफने लगी। अब कबीर उसके पास आया और उसे पानी दिया। वो बोला, "क्या हुआ आपको काया? आप ऐसे हम पर हमले पर हमला क्यूँ कर रही थीं?" 


तो क़ायनात ने पानी का गिलास साइड पर रखके उसे घूरते हुए कहा, "क्या जरूरत थी आपको कॉलेज में कहने की कि हम आदिल शेख की बेटी हैं। और ऊपर से उन में मेरे नाम का इतना खौफ। ए खुदा! आपको पता है जैसे ही उन्हें पता लगा मैं आपकी बहन हूं उन्होंने कैसा अजीब बरताव किया। भाईजान स्कूल में भी यही सब था। कोई हमारा दोस्त नहीं था और अब कॉलेज में भी। हमें तो लगता है कि हम अकेले ही रह जाएंगे। "

तो कबीर उसके कन्धे पर हाथ रखकर बोले," नहीं काया ऐसी बात नहीं है। हमें ये सब करने के लिए अब्बू ने ही कहा था। वो नहीं चाहते कि कोई भी आपको तंग करे। "


क़ायनात बोली," ठीक है। अब आप जाईए मुझे पढ़ना है। टाटा बाइ। अब रात को डिनर पर ही मिलते हैं।"

तो कबीर भी मुस्कुराते हुए चला गया। और हमारी क़ायनात पढ़ने लगी लेकिन उसे अचानक से अक्षय की भूरी आंखें याद आ गयीं। वो खुद से ही बोली," वैसे उसकी आंखों में कोई तो जादू है। बहुत गहरी हैं। अगर कोई चाहे तो उन में डूब सकता है। बन्दा भी हैंडसम है। "

तभी उसने अपना सिर झटका और वापिस पढ़ने में मशगूल हो गयी। 






Rate this content
Log in