तेरे इंतजार में..!
तेरे इंतजार में..!
गुड़िया!मेरी प्यारी सी!लगती राजदुलारी सी!निंदिया रानी आयेगी!सपनो में ले जायेगी।गुड़िया फिर मुस्कायेगी...!अपनी तीन वर्ष की गुड़िया शोभना को लोरी सुनाते सुनाते आयशा की आंख नम हो चली।लोरी सुनते सुनते गुड़िया तो सो गयी लेकिन हर रात की तरह इस रात भी आयशा खो गयी अतीत के उन लम्हो में जिनमे कभी उसकी जिंदगी गुलज़ार रहा करती थी।
उन लम्हो में वो थी और था आयशा का प्यार नील!चार साल पहले ही की तो बात है जब वो नील से मिली थी।नील एक सफल डिटेक्टिव था।एक केस के सिलसिले से ही तो उसकी मुलाकात हुई थी नील से।नील गोरा चिट्टा अच्छी खासी डीलडौल, सामान्य से रंग का एक तीव्रबुद्धि चौबीस साल का युवा।जो अपने जिले का माना हुआ डिटेक्टिव था।कई छुपे मुल्जिमो की जासूसी के साथ साथ वो शहर वासियों की भी मदद करता था।ऐसे ही एक दिन उसकी मुलाकात हुई थी नील से जब वो कॉलेज के गार्डन में अपने दोस्तो के साथ बैठी थी।तभी उसकी नजर कॉलेज के कॉरिडोर में खड़े फोटोज को ध्यान से देखते एक शख्स नील पर पड़ी।पहले तो उसने ये सोच कर इग्नोर किया होगा कोई व्यक्ति जो कॉलेज में किसी कार्य से आया होगा कार्य हो गया होगा तो कॉरिडोर में लगे फोटोज देखने लगा होगा।नील वहां से आगे बढ़ गया और गमलो को ध्यान से देखते हुए आगे बढ़ने लगा।अगले ही पल आयशा की नजर प्रिंसिपल ऑफिस से बाहर कुछ ढूंढते हुए नील पर पड़ी।न जाने क्या ढूंढ रहा है कुछ तो बात है इसके साथ आयशा ने सोचा और उठकर उसके पास चली आई।"हेल्लो,कुछ ढूंढ रहे है क्या आप"आयशा ने पूछा तो नील ने मुड़कर पीछे देखा।थोड़ी लम्बी और स्लिम क्या के साथ हल्के घुंघराले वालो वाली आयशा को देख एक पल रुका और फिर कहने लगा!"जी कुछ विशेष नही बस यूँही बारीकी से कॉलेज की सरंचना देख रहा हूँ" उसने कहा।बावरा लगता है सोच वो वहां से चली आयी थी।लेकिन कुछ तो था जो उसे खींच रहा था।वो जाकर फिर अपनी पुरानी जगह बैठ गयी और फिर से अपने दोस्तो के साथ बातों में लग गयी।कुछ देर बाद उसने देखा वो कॉलेज की छत के किनारे खड़े हो झांक रहा था।लेकिन क्यों?उसे देख उसने खुद से सवाल किया कही कोई चोर डाकू तो नही है जो कॉलेज सरंचना देखने के बहाने कुछ चुराने की प्लानिंग कर रहा हो।वैसे भी आजकल चोरियां बहुत बढ़ गयी है।कॉलेज है चुराने के लिए तो कुर्सी मेज और कागजात ही मिलेंगे उससे ज्यादा कुछ नही।देखना चाहिए उसने सोचा और उसकी हरकतों पर नजर रखने लगी।वो नीचे आया और फिर चारो ओर कॉलेज का राउंड लगा वहां से वापस प्रिंसिपल रूम में चला गया।
आयशा इन सब में उसके पीछे ही थी।जब दो मिनट तक वो नही निकला तब वो वहां से वापस बागीचे में आकर बैठ गयी।कुछ देर बाद उसकी क्लासेस टाइमिंग हुई और वो वहां से क्लास में चली गयी।जब वापस लौटी तो उसकी नजर कॉलेज के एंट्री गेट पर खड़े नील और लाइब्रेरियन पर पड़ी।जिनकी बातें सुन उसे समझ आया नील वहां क्यों आया था तब वो खुद की सोच पर कितना हंसी थी।वो नील को चोर समझ रही थी जबकि वो तो जासूस था जो कॉलेज में पिछले दिनों हुई बेंचेज और बुक्स की चोरी का सुराग लगाने आया था।जिसके बारे में कॉलेज प्रशासन ने छुपा लिया था।वो वहीं खड़ी हो लाइब्रेरियन के जाने का इंतजार करने लगी।जो कुछ देर बाद चला भी गया था।फिर उसने किस तरह आगे बढ़ नील से बात की उसके बारे में जो सोच रही थी उसके लिए सॉरी कहा!एक यही बात तो उसमे नील को भा गयी थी।बातों,मुलाकातों का सिलसिला चलने लगा था।शहर के एक पार्क में वो नील का इंतजार किया करती थी जब नील आता तो वो कैसे नकली गुस्सा करने लगती नील का मनाना,मान मनुहार धीरे धीरे प्रेम में बदला और फिर इजहार और विवाह।वो दिन एक काला दिन ही तो था जब उसे ये खबर मिली कि उसका नील एक केस के सिलसिले में जिस होटल में रुका था उसमे ब्लास्ट होगया।उस दिन के बाद से नील कभी लौटकर नही आया।उसके पास लौटकर आती थी तो सिर्फ उसकी यादें...!जो उसे हर रात ले जाती थी उन्ही गलियो में जो कभी गुलज़ार हुआ करती थी..!इन्ही गलियो में घूमकर अगले दिन आयशा फिर उठी अपने नील के इंतजार में इसी उम्मीद से एक न एक दिन नील इन गलियो से निकल कभी तो आयेगा।