हमारी डायरी..!
हमारी डायरी..!
डायरी आज हम फिर आ गये है तुम्हारे साथ अपने दिन भर का कच्चा चिठ्ठा लेकर।अब कच्चा चिट्ठा ही समझ लो इसे और नही तो क्या कहूँ हर लम्हे को सुनहरी यादो के रूप में सहेजना कुछ ऐसा ही तो है न।पल पल की बातो को अनुभवो का रूप देकर सफेद मखमली से पन्नो को काली नीली पीली मनचाही रंग से रंगना।आज का दिन भी अच्छा ही रहा।मन कभी खुश हुआ तो कभी दुखी।सुबह जब आंख खुली तो वही चिंता हमे आज फिर काम पर जाना है।जल्दी जल्दी उठे थोड़ा बहुत काम निपटाया फिर जाकर रेडी हुए।खाने में दाल चावल थे सो जानकर मन खुश हो गया।जल्दी जल्दी ही हम और हमारी रूममेट रानी दोनो ही भागे फिर घर से।कल हल्के से देरी होने पर सबक लिए थे सो आज कुछ समय पहले ही निकल भागे।घर से निकले तो बड़ी ही खुशी खुशी थे लेकिन जब गुरुग्राम बस स्टैंड पहुंचे तो दिमाग का दही बनना शुरू!सरकार की सख्ती का सारा दारोमदार हम यातायात करने वालो पर ही निकलेंगी।दुगुना किराया वसूल कर रहे हैं आजकल।मनमानी है है इनकी भी।मजबूरी है जाने की दो तो ठीक नही तो कोई जबरन थोड़े ही ले जाएंगे।भाई क
िराया तो इतना ही लगेगा इच्छा पड़े तो दो।सुनकर ही मन भर आया।ख्याल आया एक तो lockdown जैसे हालात उस पर नयी नयी जॉब।अब पैसे क्या पेड़ पर लगते है जो जितना कहोगे तोड़कर दे देंगे।फिर सोचा का कर सकते हैं इसमें अब अकेले चने से भार तोड़े ही भुना जायेगा।जब तक बाकी लोग न कुछ कहेंगे तब तक कोई कैसे समझेगा हम जैसे चिंने पुनने लोगों का दर्द।सो मजबूरी थी झुकना पड़ा।चार गुना किराया देकर घर वापस आ पाये।यानी जो किराया दो दिन काट जाना था वो पूरा एक ही दिन ले उड़ा।
आते हुए थोड़ा बहुत किस्मत को कोसा फिर बारी आई सरकार की जी भर कर कोस लिया।रही सही कसर वाहन धारियों ने पूरी कर ली।अब क्या करे एक यही काम कर सकते हैं हम।कोई और इस ओर ध्यान नही दे रहा है देंगे भी कैसे परवाह किसे है यहां...!वैसे भी सब लिमिटेड खुल रहा है बाजार, संसाधन सब कुछ।उसमे भी अगर ऐसे हालात रहेंगे तो कैसे काम चलेगा डायरी..!अब मिलते हैं बाद में आज का कोटा पूरा हो गया हमारा। मूड अच्छा कर ले अब कहानियां भी लिखनी है न..!!मिलते है कल इसी समय के आसपास राधे राधे।