Apoorva Singh

Drama Romance Inspirational

3.8  

Apoorva Singh

Drama Romance Inspirational

यारियां

यारियां

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एक..! दो...!और ये तीन...लेट्स गो ..!ये शब्द खत्म होते ही कोहरे से सराबोर दिन की एक सुबह सड़क पर दो युवा लड़के बाइक राइडिंग का आनंद लेते हुए बाइक दौड़ाए जा रहे है।

"यार शिव इस समय सुबह सुबह बाइक राइडिंग कितना सुकून देती है।ये शोरगुल से रहित सड़के जो हमेशा वाहनों की पों पों,चै पै चै पै से भरी रहती है एक यही समय तो होता है जब कुछ पल सुकून के मिल जाते हैं।तभी तो जब भी कोहरा होता है मैं बाइक लेकर निकल आता हूँ"राइडिंग करते हुए सनी ने कहा तो उसकी बात सुन उसके साथ साथ बाइक राइड कर रहे शिव ने कहा "बात तो तेरी बिल्कुल सही है।इस समय तो बाइक राइड करना मुझे भी बेहद पसंद है"।

सनी अपनी बात पर जोर देते हुए बोला, "तो हो जाये एक एक रेस"?

शिव भी कहां कम था तुुरंत हाां करते हुए बोला हॉ हाँ कयु नही।और दोनो स्पीड बढ़ा रेस लगाने लगते हैं।जिसमे शिव बाजी मार कर एक पूर्व निर्धारित जगह पहले पहुंच रुक जाता है।

सनी :- आज फिर तू जीत गया।

शिव :- हां।लेकिन तू हर बार की तरह जानबूझ कर हारा।

सनी :- तेरी खुशी के लिए इतना तो बनता है यार कह शिव से हाई फाइव करता है।और दोनो दोस्त मुस्कुराते हुए वापस आने लगते है।इस बार दोनो बातें करते हुए धीरे धीरे आ रहे है कि तभी उनकी नजर सड़क पर स्कूटी के साथ पैदल चल रही एक लड़की और एक प्रौढ़ व्यक्ति पर पड़ती है।ये देख शिव अपनी बाइक उनके पास जाकर रोक लेता है।

शिव उनसे बातचीत कर उनकी समस्या के बारे में पता करता है जहां उसे पता चलता है वो दोनो एक एग्जाम के लिए जा रहे थे कि रास्ते मे स्कूटी का पिछला पहिया पंक्चर हो गया।और इस सुबह इतनी सर्दी में कोई शॉप भी खुली नही होगी।तो बस इसी उम्मीद से पैदल चलते हुए आगे जा रहे है कि कोई वाहन आये तो शायद कुछ बात बन जाये।ये जान शिव उनसे कहता है बात अगर मदद की है तो वो कर सकता है।वो इसी शहर का रहने वाला है और सुबह अक्सर बाइक राइडिंग के लिए निकलता है।

उसकी बात सुन उस व्यक्ति की आंखों में उम्मीद की चमक आ जाती है और वो स्कूल का पता बता मदद के लिए कहता है। शिव उनसे कहता है "ठीक है अंकल चलिए मैं आप दोनो को ड्राप कर देता हूँ"।शिव की बात सुन व्यक्ति ने स्कूटी की ओर देखा तो शिव बोला "आप चिंता न करिए अंकल ये मेरा दोस्त है सनी ये कोई न् कोई जुगाड़ कर स्कूटी वही कॉलेज ले आएगा"।

"ठीक है बेटे" उस व्यक्ति ने कहा और दोनो पिता पुत्री शिव के साथ उसकी बाइक पर बैठ जाते हैं।शिव बाइक दौड़ा देता है और कुछ ही समय मे दोनो को उनके गंतव्य तक पहुंचा देता है।जहां वो दोनो बाइक से उतर उसका धन्यवाद करते हैं। प्रत्युत्तर में शिव मुस्कुरा देता है और वहीं एक तरफ जाकर बाइक खड़ी कर सनी को कॉल लगाता है।उधर वो लड़की एक नजर शिव को देखती है और फिर कॉलेज गेट से अंदर चली जाती है।

सनी कहाँ है तू मेरे भाई!शिव ने पूछा।

और कहां बस अभी जुगाड़ भिड़ा कर स्कूटी ला कर पहुँच रहा हूँ तेरे पास।सनी ने कहा।

तो शिव बोला वो कैसे मेरे भाई?

बस अभी कुछ देर में पता चल जाएगा पहुंचने ही वाला हूँ।कहते हुए सनी फोन रख देता है।कुछ ही मिनट बाद वो स्कूटी ड्राइव करते हुए शिव के सामने होता है।

शिव:- अच्छा तो ये तेरा जुगाड़ है खुद ही चला कर लाये हो।ठीक करवा ली तुमने।

"हां!किस्मत से एक शॉप खुल ही रही थी तो काम हो गया"।सनी ने कहा।

"हां चलो अच्छा है।अब तुम ही ये जाकर उन अंकल को दे भी आओ फिर हम लोग भी निकलते हैं"।शिव ने उस व्यक्ति की ओर देख कर कहा जो उसके साथ बाइक पर आया था।

"ठीक है" कह सनी स्कूटी जाकर उस व्यक्ति को लौटा देता है।और दोनो वहां से चले आते है।इस घटना के कुछ दिनों बाद एक शाम ये दोनों एक कैफेटेरिया में बैठे हुए कॉफी पी रहे होते है कि तभी इनके पास एक लड़की आकर खड़ी होती है।

लड़की दोनो से हेल्लो कहती है तो दोनो उसे जवाब देते हुए थोड़ा असमंजस में पड़ जाते हैं।

जिसे देख वो लड़की मुस्कुराते हुए कहती है "इतना हैरान परेशान होने की जरूरत नही है मैं धरा,अरे वही, जिसकी उस दिन घने कोहरे में सड़क पर तुम दोनो ने मदद की थी।और तुम दोनो की मदद से उस दिन मेरा एग्जाम हो पाया था आज जब दोनो को यहां देखा तो बस थैंक यू कहने चली आई"।

"ओके।वैसे थैंक्यू की जरूरत तो नही थी।वो काम हमने थैंक्यू के लिए तो नही किया था "शिव बोला।उसकी बात सुन धरा बोली "तो कोई बात नही एक कॉफी तो साथ पी ही जा सकती है"।

"धरा की बात सुन सनी मुस्कुराते हुए कहता है हां बिल्कुल"।और तीनों साथ मे बातचीत करते हुए कॉफी पीते हैं।इस मुलाकात के बाद मुलाकातों और बातों का सिलसिला बन जाता है।जहां कुछ मुलाकातों के बाद धरा शिव को और सनी धरा को पसंद करने लगते हैं और शिव दोनो से एक दोस्त की तरह बातचीत करता है। एक दिन सनी ने पहल करते हुए धरा तक अपने मन की बात पहुंचाने के लिए खत का सहारा लिया और एक खत लिख कर धरा तक पहुंचाने के लिए वो कॉफी हाउस पहुंचा जहां उसकी नजर धरा पर पड़ी जो इस समय शिव के साथ बैठे हुए कॉफी पी रही होती है।उसका एक हाथ कॉफ़ी टेबल पर और दूसरा अपनी गोद मे रखे पर्स में झांक रहे खत पर होता है।जिसे वो कभी निकालती और कभी कुछ सोच अंदर कर देती है।ये देख सनी सब समझ जाता है वो वहीं दूर से ही उल्टे पांव वापस लौट आता है और हर बार की तरह अपने दोस्त की खुशी के लिए अपने कदम पीछे हटा लेता है।लेकिन इस बात से अनजान कि शिव के मन मे धरा के लिए कोई भावनाएं नही है।वहीं सनी के जाने के बाद शिव के पास एक कॉल आता है जिसे अटैंड करने वो बाहर पार्किंग एरिया में आता है।और कुछ देर बात कर वहां से वापस अंदर चला जाता है।उसके अंदर जाते ही हिम्मत कर के धरा वो खत शिव के सामने रख देती है जिसे देख शिव सवालिया नजरो से उसकी ओर देखता है।जिसे देख धरा अपनी नजर झुका चुप हो जाती है कुछ नही कहती है।ये देख शिव शिव धरा से कहता है "ओके समझ गया मुझे पोस्ट मैन का कार्य करना है ..और मुस्कुराते हुए वो खत उठा कर पॉकेट में रख लेता है"।

वहीं धरा शिव के मुंह से पोस्ट मैन सुन चौंक जाती है उसका रिएक्शन देख शिव उससे कहता है "ये खत सनी के लिए ही है न क्योंकि उसने भी तो तुम्हारे लिए एक खत लिखा है" कहते हुए शिव ने अपनी पॉकेट में रखा वो खत निकाल कर धरा के सामने कर दिया।जिसे देख धरा चौंकते हुए शिव की ओर देखती है।

जिसे देख शिव कहता है "ये मुझे बाहर पार्किंग में मेरी बाइक के पास मिला।शायद सनी यहां आया था लेकिन तुमसे बात करने की हिम्मत नही कर पाया होगा तो लौट गया।क्या बात है मेरे दोनों दोस्त कभी मुझसे अलग नही होंगे मैं तो ये सोच सोच कर ही खुशी से फूला नही समा रहा"।

शिव को इतना खुश देख धरा हैरत में पड़ जाती है वो समझ जाती है कि शिव के मन मे उसके लिए कतई वैसी भावनाएं नही है।बल्कि वो तो सनी के लिए खुश हो रहा है ये जान वो मुस्कुराने का अभिनय करते हुए वहां से चली आती है"।वहीं शिव वहां से सनी के पास जाता है और उसे धरा का खत देते हुए कहता है पार्टी तो बनती है भाई..!ये खत शिव के लिए नही उसके लिए था ये जान सनी खुशी से सरोबार हो शिव को गले लगा लेता है।शिव मन ही मन कहता है मेरी खुशी के बारे में सोचने का सिर्फ तेरा कॉपीराइट नही है।और धरा उसके लिए तुमसे अच्छा कोई हो नही सकता जो प्रेम में त्याग करना भी जानता है। शिव की खुशी के लिए धरा अपनी भावनाओ को दबा कर सनी के प्रेम को स्वीकार कर लेती है।कुछ दिनों बाद दोनो सर्वसम्मति से विवाह करते है तो दोनो के रिसेप्शन पर शिव धरा और सनी के साथ मस्ती करते हुए उनसे कहता है अब मुझे तुम दोनो के खत को पहुँचाने के लिए पोस्ट मैन की ड्यूटी से आजादी मिल गयी..! शिव की बात सुन वहां हंसी का माहौल बन जाता है।

समाप्त.!


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