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Kunda Shamkuwar

Abstract Drama Others

4.8  

Kunda Shamkuwar

Abstract Drama Others

स्कूल फ़्रेंड्स

स्कूल फ़्रेंड्स

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संडे की दोपहर…आज सारे काम लेट ही हुए थे।संडे को लेट उठना और फिर सारे काम का यूहीं लेट होते जाना!! लेकिन इस बार का संडे मेरे लिए कुछ अलग था क्योंकि मुझे मेरी बचपन की फ्रेंड सुधा से बात करनी थी।

सुधा, मैं और विशाखा बचपन में एक ही स्कूल में पढ़ते थे।पढ़ाई के बाद सुधा से कांटैक्ट ही नहीं हो सका था। इंस्टा और फेसबुक के ज़माने में भी वह कही मिल नहीं रही थी। लेकिन इस बार किसी फंक्शन में विशाखा को सुधा मिली थी और विशाखा ने कल ही उसका फ़ोन नंबर मुझसे शेयर किया था।

आज संडे की दोपहर में फ़ुरसत से बात करने के लिए मैंने फ़ोन मिलाया। मेरे "हेलो, क्या आप सुधा बोल रही है?" के जवाब में फ़ोन से दूसरी ओर से मधुर आवाज़ थी।"जी हाँ, आप? आप कौन बात कर रही हैं?" मैंने अपना परिचय दिया। दूसरी और से आवाज़ आयी, "ओ, तुम !! पहचान लिया, तुम विद्या हो ना?इतने दिन से तुम कहाँ हो? आजकल कहाँ हो? क्या कर रही हो? घर में कौन कौन है?" मैंने कहाँ, "होल्ड होल्ड...एकसाथ इतने सारे सवाल?" वह हँस दी। मैंने कहाँ,"अरे, मैं तो यही इसी शहर में हूँ। इसी शहर में एक कॉलेज में नौकरी करती हूँ। तुम क्या कर रही हो?" दूसरी ओर से विद्या ने उसी मधुर आवाज़ से कहा, मैं हाउस वाइफ हूँ। पति एक कंपनी में मैनेज

र है। दो बच्चें है। दोनों ही कॉलेज गोइंग है। लाइफ बड़े ही मज़े से चल रही है। और तुम सुनाओ।"

मैं अपने बारें में बताने लगी, "आय एम वर्किंग ऐज़ प्रोफेसर इन इंगलिश…पति फिजिक्स के प्रोफेसर है। बेटा और बेटी दोनों आय आय टी से इंजीनियरिंग कर रहे है।" 

"ग्रेट ... और बताओ?" उसने कहा। मेरे पास कहने के लिए ना जाने कितनी सारी बातें थी। मैंने फ़ोन करने के पहले सारी बातें सोच कर रखी थी लेकिन फ़ोन पर बातचीत के दौरान वे सारी स्कूल वाली बातें इरिवलेंट लगी थी। सालों बाद यूँ फ़ोन पर वह बचपन की स्कूल के ज़माने की बातें करना एक्चुअली बचपना ही लगता। इतने सालों के बाद बात करने के लिए भी तो सब्जेक्ट्स होने चाहिए ना?

मैंने कहा, "बाक़ी सब ठीक है। जल्दी मिलने का प्लान बनाते है।" "हाँ, हाँ, ज़रूर…" कहते हुए हमने एकदूसरे से जल्दी ही मिलने का वादा करते हुए विदा ली।

ऐसा नहीं की उसके पास सब्जेक्ट नहीं थे या मेरे पास सब्जेक्ट नहीं थे शायद इतने सालों के बाद हमारे सब्जेक्ट ही अलग हो गये थे…

क्या वक़्त के साथ संबंधों में दूरियाँ आने लगती है? या फिर बातें ही ख़त्म हो जाती है?

लगता है की बात निकली है तो दूर तलक़ जाएगी…



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