सिर्फ सैलरी ही तो कम है.
सिर्फ सैलरी ही तो कम है.
" तुम कितनी समझदार हो बहू! यह जानते समझते हुए कि सुधीर की सैलरी तुमसे कम है और वह तुम्हारे लायक नहीं, फिर भी तुमने कभी उसे महसूस नहीं होने दिया!"
"माँ जी! आप ये कैसी बात कर रही हैं। भला मैं अपने पति के लिए ऐसा कैसे सोच सकती हूँ। पति पत्नी दोनों एक समान ही तो होते हैं। और सिर्फ सैलरी कम ज़्यादा होने से कोई इंसान बड़ा या छोटा थोड़े ही हो जाता है। सुधीर जी गुणों के तो खान हैं... और आज ना कल उनकी सैलरी भी बढ़ेगी। इसलिए आगे से आप ये ना कहें कि सुधीर जी मेरे लायक हैं कि नहीं!"
अपनी बहू शोभा के ऐसे परिषकृत विचार जानकर यमुना जी गदगद हो गईं।
और ज़ब यह बात शोभा के पति कान में पड़ी तो उसके मन में अपनी पत्नी के लिए सम्मान बढ़ गया।
एक पत्नी ज़ब अपने पति का दिल से सम्मान करती है, तब पति के मन में भी उसके लिए प्यार के साथ आदर की भावना बढ़ जाती है। और उनके दांपत्य जीवन में खुशियों की कलियाँ महमहाती रहती है !