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V. Aaradhyaa

Drama Romance Fantasy

4.1  

V. Aaradhyaa

Drama Romance Fantasy

नारी मन कैसे समझन..?

नारी मन कैसे समझन..?

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" क्या हुआ राकेश ! तुमने अपनी वाइफ को वैलेंटाइन डे पर गुलाब का फूल दिया तभी वह खुश नहीं हुई क्या...?"


 गोविंद ने राकेश को देखकर कहा क्योंकि राकेश आज ऑफिस में देर से आया था और उदास भी था।


राकेश को चुप देखकर गोविंद ने ही खुद कहना शुरू कर दिया।


" सच....

इन औरतों को समझना और इनका प्यार करना बहुत मुश्किल है ! मेरी पत्नी रेखा भी मुझसे कभी खुश नहीं रहती है मैं उसे खुश रखने की कितनी कोशिश करता हूं लेकिन कोई ना कोई कमी रह जाती है !"


 आज ऑफिस में राकेश जब बहुत उदास था।


 तो उसके दोस्त गोविंद ने उससे पूछा कि...


"क्या बात है दोस्त ! कल वैलेंटाइन डे था....तभी तुमने अपनी पत्नी को गिफ्ट भी दिया था। तब भी क्या वह खुश नहीं है...?"


तब राकेश ने हंसकर कहा,


" बिलकुल सही कह रहे हो दोस्त ! इन औरतों को समझना भी मुश्किल है और इनसे प्यार पाना भी मुश्किल है। मैं जब भी अपनी पत्नी मीना को प्यार करता हूं तो वह खुश नहीं होती। जब ज्यादा प्यार करता हूं तब भी खुश नहीं होती है। कम प्यार करता हूं तब भी खुश नहीं होती है।


मुझे तो अब समझ नहीं आता है कि मैं उसे कैसे खुश रखूं? "


 राकेश और गोविंद की बात उसे ऑफिस की सीनियर स्टाफ लीला मैडम सुन रही थी।


 और उन्होंने राकेश और गोविंद को बुलाकर कहा,


" आप दोनों परेशान मत होइए।

वैसे मैं भी एक स्त्री हूं इसलिए कह रही हूं कि... स्त्रियों को समझना इतना आसान नहीं है और ना ही उनसे प्यार पाना आसान है।उनके दिल में तभी बस पाओगे जब वह स्त्री तुम्हें प्यार करेगी। बिना प्यार के कोई भी स्त्री किसी भी पुरुष के लिए समर्पित नहीं होती है!"


 राकेश ने कहा कि....


" मैं तो उसे कीमती गिफ्ट देता हूं तब भी खुश नहीं होती !"


 राकेश की बात पर गोविंद ने भी कहा कि,



" लीला मैडम ! मैं भी उसे हमेशा खुश रखने की कोशिश करता हूं। बाहर घूमने ले जाता हूं और उसे नई-नई साड़ी दिलवाता हूं लेकिन फिर भी वह खुश नहीं होती है क्या करूँ ...? "


 इस पर लीला मैडम ने अपने अनुभव बताना शुरू किया...


" आप औरत से प्र

ेम में अगर आप ये उम्मीद करते हैं कि वो आपसे पूरी तरह खुश है तो आप नादानी में हैं...

ये औरत के मूल में ही नहीं है... 


अगर आप बहुत ज्यादा केयर करते है तो उससे भी ऊब जाएगी...

अगर आप बहुत उग्र हैं तो वो उससे भी बिदक जाएगी...

अगर आप बहुत ज्यादा विनम्र हैं तो वो उससे भी चिढ जाएगी...


अगर आप उससे बहुत ज्यादा बात करते हैं तो वो आपको टेक इट फौर ग्रांटड लेने लगेगी ...

अगर आप उससे बहुत कम बात करते हैं तो वो मान लेगी कि आपका चक्कर कहीं और चल रहा है... 


यानी आप कुछ भी कर लीजिए वो संतुष्ट नहीं हो सकती...


ये उसका स्वभाव है...


वो एक ऐसा डेडली काॅम्बीनेशन खोजती है जो बना ही न हो, बन ही न सकता हो...


ठीक वैसे ही जैसे कपड़ा खरीदने जाती है तो कहती कि इसी कलर में कोई दूसरा डिजाइन दिखाओ, इसी डिजाइन में कोई दूसरा कलर दिखाओ... 


कपड़े का गट्ठर लगा देती है... 

बहुत परिश्रम के बाद एक पसंद आ भी गया, तो भी संतुष्ट नहीं हो सकती...

आखिरी तक सोचती है कि इसमें ये डिजाइन ऐसे होता तो परफैक्ट होता...


इन सबके बावजूद एक बहुत बड़ी खूबी भी है औरत के अंदर ...

एक बार उसे कुछ पसंद आ गया तो उसे आखिरी दम तक सजो के रखती है  

वो चाहे रिश्ते हो या चूड़ी...


रंग उतर जाएगा, चमक खत्म हो जाएगी पर खुद से जुदा नहीं करेगी....बस यही खूबी औरत को विशिष्ट बनाती है....!"


 लीला मैडम की बात सुनकर राकेश और गोविंद समझ गए कि...

अगर उनकी पत्नी उन्हें प्यार करेगी तभी वह खुश रहेगी इसके लिए जरूरी है की पत्नी का सम्मान किया जाए… और उससे छल ना किया जाए और झूठ ना बोला जाए। साथ ही उसे सच्चा प्यार किया जाए तभी पत्नी खुश रहेगी।


 आज लीला मैडम ने स्त्री के मां के का सच बता दिया था। जिससे राकेश और गोविंदा की शादीशुदा जिंदगी बहुत ही खुशहाल हो गई।


सच में...स्त्री को पैसा रूपया गिफ्ट नहीं चाहिए। उसे तो पति का सच्चा प्यार और सम्मान चाहिए।


 जिस घर में स्त्री का सम्मान होता है उसे घर में हमेशा खुशियां रहती है और उसे घर में ही देवी का वास होता है।



(समाप्त )



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