V. Aaradhyaa

Romance

3.7  

V. Aaradhyaa

Romance

हैप्पी वैलेंटाइन डे ❤️🌹❤️

हैप्पी वैलेंटाइन डे ❤️🌹❤️

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34


आज ही तो था वैलेंटाइन डे।

और संजोग ऐसा कि... वह आज ही अपने सोलमेट से मिली थी।

उस रात....


"तुम इतनी रात में फ्रिज खोलकर क्या कर रही हो दी?"


ईशा ज़ब आधी रात को पानी लेने उठी तो अपनी तृषा दी को फ्रिज़ खोलकर चॉकलेट निकालते देखकर चौंक गई।


ईशा के पूछने पर तृषा शर्मा कर बोल उठी, "वो मैंने आज ऋषभ के सामने यूँ ही कह दिया था कि... मुझे चॉकलेट पसंद नहीं, तो अब मुझे चॉकलेट खाने का बहुत मन कर रहा था तो चली आई फ्रिज से निकालने। तुझे तो पता है ना कि... मुझे चॉकलेट कितना ज़्यादा पसंद है!"

"अरे दीदी! तो होने वाले जीजू को बताना था ना। अब कल को आपकी उनसे शादी होगी तो इस झूठ के साथ कैसे चलेगा। और ऊपर से चॉकलेट आपको इतना ज़्यादा पसंद है!"

"वही तो इशू....

जब आज ऋषभ जी ने कहा कि उन्हें चॉकलेट पसंद नहीं तो मैंने भी हाँ में हाँ मिलाने के लिए बोल दिया कि.....

मुझे भी चॉकलेट कोई खास पसंद नहीं,

बस उन्होंने मान लिया तो मैं फिर कैसे खाती!


"ओफ्फोह दी... आप भी ना "

ईशा ने अपनी दीदी की मासूमियत पर सर पीट लिया।


"क्या करती इशू! मुझे लगा इसी बहाने हम दोनों की एक और आदत कॉमन हो जाएगी तो हमारे बीच प्यार और अंडरस्टैंडिंग और कितनी बढ़ जाएगी, ज़रा सोचो तो!"

"और दी, जो ऋषभ जी को यह मालूम पड़ जाए कि आपको चॉकलेट इतना पसंद है और आपने सिर्फ उनको इम्प्रेस करने के लिए अपने आपको अपनी पसंद के चॉकलेट से दूर किया है तो उन्हें एकबारगी तो बहुत बुरा लगेगा कि आपने उनसे इतनी छोटी सी बात क्यों छुपाई और फिर उन्हें यह भी तो लग सकता है कि आप उन पर विश्वास नहीं करतीं!"


ईशा ने अपनी तृषा दी को समझाते हुए कहा।

अब सगाई के बाद ज़ब ऋषभ ने तृषा के मुँह में चॉकलेट का टुकड़ा रखा तो चौंकने की बारी तृषा की थी। उसने नज़र बचाकर अपनी छुटकी ईशा की तरफ देखा तो वह भी उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी।


तृषा सोचने लगी कि....

आखिर इस नौटंकी ईशा ने ऋषभ को बता ही दिया कि मुझे चॉकलेट कितना पसंद है।

ज़ब तृषा ने ईशा को नकली गुस्सा दिखाते हुए पूछा कि,

"नौटंकी, तुने ऋषभजी को क्यों बतला दिया कि मुझे पसंद है चॉकलेट। पता नहीं अब वो मेरे बारे में क्या सोचेंगे। अरे... वो तो इतने अच्छे हैं कि उनके प्यार की खातिर मैं सारी उम्र के लिए चॉकलेट छोड़ सकती हूँ!"


बोलते हुए तृषा ने चॉकलेट का एक बड़ा सा टुकड़ा अपनी प्यारी बहन को भी खिला दिया।

"वैसे तो मुझे चॉकलेट कोई खास पसंद नहीं, पर ये चॉकलेट खाने वाली बहुत पसंद है। उसके लिए मैं धीरे धीरे थोड़ा थोड़ा चॉकलेट पसंद करने की कोशिश ज़रूर करूँगा!"ये ऋषभ की आवाज़ थी।

ऋषभ ना जाने कैसे दोनों बहनों के पीछे आकर खड़ा हो गया और उनकी बात सुनकर बोला।

इस आवाज़ पर पलटकर तृषा ने जो पीछे मुड़कर देखा तो ऋषभ को एकटक अपनी तरफ देखता हुआ पाकर उसे बड़ी शर्म आई।


और ऋषभ....?

वो तो लाज से रत्नार हुई तृषा पर से जैसे नज़रें ही नहीं हटा पा रहा था।

दोनों को एक दूसरे की निगाहों में खोया हुआ देखकर ईशा ने एक और छोटी सी शरारत कर दी।


उसने चुपके से चॉकलेट का एक छोटा सा टुकड़ा ऋषभ के मुँह में डाल दिया। ऋषभ तृषा की गहरी मदभरी आँखों में ऐसा डूबा हुआ था कि...... वह उस टुकड़े को खा गया और फिर भी मुस्कुराता रहा।

दोनों एक दूसरे को निहारने में ऐसे लीन थे कि उस एक पल में ना जाने दोनों के कितने एहसास साझे हो रहे थे। बिना बोले, बिना किसी आडम्बर के दो दिलों में एक दूसरे को पूर्ण रूप से अपनाने की बात हो रही थी। दोनों सच में हृदय में उमड़ती भावनाओं को शब्दों का रूप नहीं दे पा रहे थे। शरारती ईशा इस मौके का फायदा उठाकर ईशा ने उनकी बहुत सारी फोटो ले ली।

उसने सोच लिया था....कि बाद में वह अपनी दीदी और जीजाजी को यह सारे फोटोग्राफ दिखाएगी और उन्हें खूब चिढ़ाएगी।


उस दिन ऋषभ और तृषा प्रेम का यह गूढ़ रहस्य समझने की कोशिश कर रहे थे कि.....

प्रेम का एक रूप एक दूसरे की पसंद को पसंद करना और उसका सम्मान करना भी है। फिर चाहे वह बात छोटे से चॉकलेट के पसंद नापसंद की हो या फिर किसी बड़ी चीज की।


इस बार का वैलेंटाइन डे दोनों के लिए बहुत ही स्पेशल था। जिसमें चॉकलेट की मिठास भी घुल गई थी।


प्रेम तो त्याग समर्पण और एक दूसरे की पसंद को आत्मसात करने का नाम है।


आज ऋषभ और तृषा के लिए एक दूसरे की पसंद और ख़ुशी से ज़्यादा और कोई चीज मायने नहीं रखती थी, और यह उनके आगामी सुखमय वैवाहिक जीवन की नींव की शुरुआत थी।


(समाप्त)

प्रिय सखियों एवं प्रिय पाठकों, नमस्कार आपको मेरी यह रचना कैसी लगी? कृपया निःसंकोच बताइयेगा और मुझे फ़ॉलो भी कीजियेगा। पुनः धन्यवाद आपकी सखी



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