V. Aaradhyaa

Children Stories Inspirational

4.5  

V. Aaradhyaa

Children Stories Inspirational

फिर से हो गई कुट्टी

फिर से हो गई कुट्टी

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" अरे...अंशु बेटा! छोड़ो ना यूँ उदास होना...! क्या हुआ जो बंटी ने हमें बता दिया कि तुम्हारी रीमा से कुट्टी हो गई!"पापा ने अपनी लाडली की फेवरेट चॉकलेट मिल्क शेक बनाकर उसे और बंटी के हाथ में थमाया और अपने हथेलियों को आपस me रगडकर बोले ,"चलो , अब फटाफट चॉकलेट शेक पियो और अपनी पढ़ाई खत्म करो। फिर घर की सफाई करनी है। कल तुम्हारी मम्मी आनेवाली है... क्या तुमलोग भूल गए?""नहीं पापा! नहीं भूले। मम्मी से तो मैंने अपने और रीमा के लिए एक जैसी ड्रेस लाने को कहा था। अब मम्मी लेकर आएगी और पूछेगी कि... यह ड्रेस रीमा मां को दे दो तो...मम्मी को मैं कैसे बताऊंगी कि मेरा तो रीमा से झगड़ा हो गया.

.. बोलकर अंशु फिर उदास हो गई!"

दरअसल बात मामूली सी थी.. लेकिन इस बात को अंशु ने कुछ ज्यादा ही तूल दे दिया था।

अंशु और रीमा बचपन से पक्की सहेलियां थी पिछले दिनों से अंशु का पढ़ने में कुछ कम मन लगता था और यह बात रीमा बहुत अच्छे से गौर कर रही थी।

और यह क्या परिवर्तन आया था क्लास में रवीना के आने के बाद से।इधर सब बारहवीं के बोर्ड की जमकर तैयारी कर रहे थे और उधर अंशु की दोस्ती रवीना से गहराती जा रही थी।स्कूल के बाद भी अंशु रवीना के साथ काफी समय गुजार दी और क्लास में भी कई बार दोनों बातें करती करती पकड़ी जाती और मैम से डांट खा चुकी थी।अंशु और रीमा बचपन से दोस्ती थी पर एक दूसरे की पढ़ाई में भी मदद करती थी। इधर कुछ दिनों से अंशु पढ़ाई में भी पिछड़ते जा रही थी और अब वह स्कूल के बाद ना तो रीमा के साथ पढ़ाई करती और ना ही कोई डिस्कस करती थी। इन सब बातों को रीमा समझ रही थी और वह अंशु को समझाना चाह रही थी कि दोस्ती और बातें तो जिंदगी भर हो सकती है पर पढ़ाई का सबसे सही वक़्त यही है। अगर बारहवीं में अच्छे अंक आए तब अच्छे कॉलेज में एडमिशन भी हो जाएगा लेकिन अंशु तो उसकी बात सुनती तब ना...?यही बात रीमा ने एक दिन अंशु को अकेले में समझाना चाहा तो अंशु उससे नाराज़ हो गई और चिढ़कर बोल उठी ," रीमा! तु मुझे ज्यादा समझाने की कोशिश मत कर। मैं सब समझती हूँ कि तू मेरे रवीना की दोस्ती से जलती है। इसलिए ऐसा कह रही है!"बस यही बात रीमा को बुरी लग गई और उसने अंशु से बात करना बंद कर दिया।

शुरू में कुछ दिन तो अंशु को अच्छा लगा कि..." चलो अच्छा.....है कि... रीमा मुझसे बात नहीं कर रही है। अगर बात करती तो मेरी और रवीना की दोस्ती को लेकर कुछ ना कुछ करती और पढ़ाई के लिए लेक्चर देती और कहती...हमेशा पढ़ते रहो। उसके साथ तो जब भी बात करो तो बस पढ़ाई की बात करती है। और ये रवीना कितनी मज़ेदार और चटपटी बातें करती है...। और रीमा कितनी बोरिंग बातें करती है। हुँह... अब वह रूठी है तो रूठी रहा करे। मैं तो उसे मनाने नहीं जाऊंगी। हाँ नहीं तो... बड़ी आई रूठनेवाली!"यह सब यह सब मैं नहीं मन में बड़बड़ाकर अंशु अपनी भड़ास निकालती लेकिन जब चार-पांच दिन हो गए तो उसे भी रीमा की याद आने लगी।

इधर क्लास में ज़ब अंशु को मैम से पढ़ाई के लिए बहुत डांट पड़ने लगी तब उसे रीमा की बहुत याद आ रही तुम्हारी मां की अच्छे से पढ़ाई किया करती थी। अब उसे रवीना साथ भी उतना पसंद नहीं आता था।

और... अब तो बाकी लड़कियां भी पूछने लगी थी कि,

"क्या बात है अंशु! आजकल तुम और रीमा आपस में बात नहीं कर रही हो? तुम्हारा और रीमा का झगड़ा हुआ है क्या?"

यह सुनकर अंशु को बहुत बुरा लगता। उसे समझ नहीं आता कि बाकी लड़कियों को वह क्या जवाब दे...?

तो यही कहती थी कि,

"अभी हम दोनों अपनी अपनी पढ़ाई में व्यस्त हैं, इसलिए बात नहीं कर रहे हैं!"बाकी लड़कियां या बात समझ रही थी कि.

 सबको अपनी अपनी पढ़ाई की चिंता है। इसलिए किसी ने इस बात को ज्यादा तूल नहीं दिया।रीमा भी अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गई अब अंशु को लगने लगा कि उसको भी पढ़ना चाहिए क्योंकि अब रवीना भी तो से थोड़ा कम ही बात करती थी.।

अंशु इसलिए बहुत उदास थी। एक तो पढ़ाई की वजह से वह रीमा को मिस कर रही थी। दूसरा उसका रीमा के बिना उसका मन भी नहीं लग रहा था।

और उसे अच्छे से इस बात का एहसास था तो कि...

उसने अपनी प्यारी दोस्त का दिल तोड़ दिया था। और अपनी बचपन की दोस्त का उसने दिल दुखाया था। इसलिए उसको भी बहुत चोट पहुंची थी। अब रीमा को दुख हुआ था तो अंशु कैसे खुश रह सकती थी?

अंशु अब सोच रही थी कि मम्मी आ रही है तो वह मम्मी से ही पूछेगी कि कैसे करके वह रीमा से दोबारा दोस्ती करे।

मम्मी ने अंशु को कहा कि...

" बेटा ! गलती तुम्हारी है, इसलिए दोस्ती की पहल भी तुम्ही को करनी पड़ेगी !"

माँ की बात मानकर अंशु ने अपनी प्यारी सहेली से अपने व्यवहार की माफ़ी मांगी और फिर दोनों फिर से दोस्त बन गईं।

अब अंशु को फिर से स्कूल जाना अच्छा लगने लगा था।


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