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Priyanka Gupta

Abstract Inspirational Others

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Priyanka Gupta

Abstract Inspirational Others

सिर्फ मेरे बदलने से क्या होगा !!!

सिर्फ मेरे बदलने से क्या होगा !!!

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"जया' तुम्हारा शुगर और ब्लड प्रेशर दोनों ही बहुत बड़ा हुआ है। केवल दवाइयों से नियंत्रित नहीं होगा। जीवनशैली' खानपान' दिनचर्या सब बदलना होगा। मॉर्निंग वॉक करना बहुत जरूरी है। ",राजेश अपनी पत्नी की रिपोर्ट डॉक्टर को दिखाकर आने के बाद' उसे बता रहा था। 

तब ही उनके किशोर होते हुए बेटे ने सौरभ कहा कि' "मम्मी' आपको मीठा खाना भी छोड़ना पड़ेगा। "

"यही नहीं' तुम जो नाश्ता न करके सारा दिन चाय पीती हो और दोपहर में सीधे खाना ही खाती हो ;यह आदत भी बदलनी पड़ेगी। तुम्हें भूखे पेट बिलकुल भी नहीं रहना। ",राजेश ने फिर कहा। 

जया चुपचाप अपने पति और बेटे की बात सुनती जा रही थी। साथ ही सोच रही थी कि क्या मुझे अपना ख्याल रखना नहीं आता ?जब मैं घर के सभी लोगों का ख्याल रख सकती हूँ ;तब अपना भी तो रख सकती हूँ। दोनों को सुबह चाय से लेकर रात को दूध तक समय पर देती हूँ। दोनों मुझे उपदेश पर उपदेश दे रहे हैं ;मुझे ही बदलने के लिए कह रहे हैं। लेकिन मैं तो तब ही बदल पाऊँगी न ;जब ये लोग बदलें। 

घर भर की जरूरतें पूरा करते -करते मुझे अपने लिए समय ही कहाँ मिलता है। बाप -बेटे दोनों' एक गिलास पानी तक तो खुद से पी नहीं सकते हैं। चाहे कितनी ही तबियत खराब हो ;दवाई खा -खाकर भी पूरा खाना बनाया है। खिचड़ी या दलिया कभी बना भी दिया तो दोनों बाप -बेटे मुँह सिकोड़कर ठीक से खाना खाये बिना ही उठ जाते हैं। 

सुबह उठने के बाद फुर्सत कहाँ मिलती है ;जो मैं वाक पर जाऊँ। हर साल नववर्ष पर वाक पर जाने का संकल्प लेती हूँ ;२-४ बार जाने के बाद कहाँ जा पाती हूँ ?घर के बजट को देखते हुए' कोई घेरलू सहायिका भी नहीं रख सकती। अब उम्र का भी तकाजा है तो शरीर में पहले जैसी फुर्ती भी नहीं रही। लेकिन सौरभ के पापा को यह सब कहाँ नज़र आता है। अस्वस्थ होना किसे अच्छा लगता है ;मैं खुद भी तो चाहती हूँ स्वस्थ रहूँ ताकि अपना और अपने परिवार का ध्यान रख सकूँ। तिनका -तिनका जोड़कर अपने हाथों से यह गृहस्थी खड़ी की है ;मैं अगर बिस्तर पर पड़ गयी तो मेरी गृहस्थी तो बिखर ही जायेगी। 

"अरे दीदी' आपकी बहिन किसी की सुनती कहाँ है ?अपना ध्यान तो उसे खुद ही रखना पड़ेगा न। कितनी मुश्किल से तो डॉक्टर के पास लेकर गए थे। ",राजेश जया की बड़ी बहिन को फ़ोन पर बता रहे थे। 

"अब सभी रिश्तेदारों को मेरी लापरवाही के बारे में बताएँगे। पहले तो बाप -बेटे का लेक्चर सुना और अब सभी लोग लाइन से मुझे समझायेंगे। कोई यह जानने की कोशिश तक नहीं करेगा कि मैं अपने प्रति लापरवाह क्यों हूँ ?जो औरत घर व्यवस्थित रख सकती है ;क्या अपने आपको व्यवस्थित रखने की उसमें सामर्थ्य नहीं होगी ?यह तो दिया तले अँधेरा वाली ही बात हो गयी न। ",जया अपनी सोच के घोड़ों की लगाम आज नहीं थाम पा रही थी। 

जब राजेश ने उसे दीदी से बात करने के लिए फ़ोन पकड़ाया' तब उसने हाँ -न कहकर ही बातों को विराम देने का प्रयास किया। शायद दीदी भी उसकी अनिच्छा को समझ गयी थी। इसलिए उन्होंने भी इतना कहकर फ़ोन रख दिया था कि' "अपना ध्यान रखा कर। "

"मम्मी अब आप अपना एक टाइम टेबल बना लो। नियम से व्यायाम और खाना-पीना होगा। ",जया का बेटा फिर शुरू हो गया था। 

"वैसे भी घर में काम ही कितना होता है ?पूरा दिन अकेले करती ही क्या हो ?अपना ध्यान तो रख ही सकती हो। ",राजेश ने कहा। 

अब तक अपने गुस्से को काबू में रखकर बैठी ;जया एकदम से बिफर गयी थी और बोली' "हाँ' क्या काम है ?एक दिन के लिए आप दोनों घर सम्हाल लो। घर नहीं तो कम से कम एक समय का खाना ही बना देना। हर चीज़ आपको घर की बनी हुई चाहिए। मसाले तक घर में पीसती हूँ। आज भी सिलबट्टे पर चटनी पीसती हूँ ;क्यूँकि मिक्सर में पीसी हुई आपको पसंद नहीं। अपने अंडर गारमेंट्स तक तो दोनों बाप बेटे धोते नहीं हो ;फिर कहते हो काम ही क्या है ?",जया बोलते -बोलते रोने लग गयी थी। 

सौरभ और राजेश किंकर्तव्यविमूढ़ कभी एक -दूसरे के चेहरे की ओर और कभी जया की शक्ल की तरफ देख रहे थे। 

"मेरे अकेले के बदलने से कुछ नहीं होगा। मेरी दिनचर्या तो आप दोनों के अनुसार चलती है। आप दोनों के बदलने से ही कुछ होगा। ",जया ने आँसू पोंछते हुए कहा। 

"एक और बात ;अगर समय रहते आप दोनों नहीं बदले तो शायद बदलने के लिए कुछ बचे ही नहीं। ",जया ऐसा कहकर वहाँ से उठकर चली गयी थी। 

"पापा' आपने और मैंने कभी यह तो सोचा ही नहीं। ",सौरभ ने अपने पापा से कहा। 

"हां बेटा' कैसे सुबह तुम जल्दी उठकर अपनी माँ को वॉक पर लेकर जाओगे। तुम दोनों के आने तक मैं नाश्ता तैयार कर दूँगा। फिरतूम तैयार होकर कॉलेज जाने से पहले' अपनी माँ की लंच तैयार करने में मदद करना। ",राजेश ने कहा। 

"पापा' कॉलेज से आकर मैं बर्तन आदि साफ़ कर दूँगा। ",सौरभ ने कहा। 

"चलो' अब जया के पास चलकर उसे भरोसा दिलाते हैं कि उसके साथ हम दोनों भी बदलने की पूरी कोशिश करेंगे। ",राजेश ने सौरभ से कहा।


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