सिक्के अठन्नी चवन्नी के
सिक्के अठन्नी चवन्नी के
नवंबर भाग 4
भारतीय मुद्रा के सिक्कों में अठन्नी (50 पैसे) और चवन्नी (25 पैसे) का अपना अलग ही इतिहास रहा है। ये केवल धातु के छोटे टुकड़े नहीं थे, बल्कि भारतीय समाज, अर्थव्यवस्था और रोजमर्रा के जीवन का अभिन्न हिस्सा थे। चाहे आज वे हमारे जीवन का हिस्सा न हों, लेकिन उनके साथ जुड़ी स्मृतियां हमेशा जीवित रहेंगी ।
यह बातें सन 70 की हैं जब मैं 8-9 साल की थी । गांव के मेले में चवन्नी का बड़ा महत्व होता था। और अगर यह किसी बच्चे के हाथ में होती, तो वह खुद को शहंशाह समझता था, किसी खजाने से कम नहीं थे।
चवन्नी में क्या नहीं आ जाता था । पांच पैसे में तीन गोलगप्पे ,दो पैसे में छोटी झड़बैरी और तीन पैसे में बहुत सी कंपटें (संतरी चॉकलेट)आतीं, तब भी 10 पैसे खर्च कर बाकी बचा लेते । कभी-कभी बचे पैसे एक दूसरे को दिलदारी दिखाते उधारी भी दे देते । घर में शेर छाप चवन्नी अठन्नी दिखते ही मैं और मेरी बहन गुल्लक में डाल देते ।
आज चवन्नी और अठन्नी तो चलन से बाहर ही हो चुकी है यहां तक कि1, 2,5 रुपया का भी महत्व नहीं रहा बच्चे भी नहीं लेते। कितना अवमूल्यन हो चुका है, मुद्रा चीजों या भावनाओं का।
तब सिनेमाई टिकट अठन्नी और चवन्नी में मिल जाते थे। 2011 में चवन्नी और अठन्नी का चलन समाप्त कर दिया गया। लेकिन उनके साथ जुड़ी यादें अमूल्य हैं।
अठन्नी और चवन्नी केवल मुद्रा नहीं थीं, वे समाज के विकास और समय के परिवर्तन की गवाही देती हैं।
