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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Tragedy Inspirational

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Tragedy Inspirational

सशक्त या स्वार्थी

सशक्त या स्वार्थी

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नारीवाद के दुरुपयोग पर आधारित कहानी आज के समाज की एक महत्वपूर्ण और विचारणीय समस्या को उजागर करती है। यह कहानी नारी सशक्तिकरण और उसके सही अर्थ को समझाने का प्रयास करती।


आरती है, जो एक उच्च शिक्षित और महत्वाकांक्षी युवती है। वह नारीवाद का झंडा बुलंद करती है और हर मौके पर महिलाओं के अधिकारों की बात करती है। लेकिन उसकी विचारधारा का उद्देश्य दूसरों की मदद करने के बजाय, अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति करना है।


आरती एक बड़ी कंपनी में काम करती है। वहां उसके बॉस विनय और उसकी सहकर्मी प्रिया उसकी कामकाजी जीवन का हिस्सा हैं। विनय उसे काफी पसंद करता है और आरती इस बात का फायदा उठाते हुए उसे हर छोटी-बड़ी बात पर गिल्ट में डालती है। वह हर बार "महिला सशक्तिकरण" का हवाला देकर अपने लिए विशेष सुविधाएं लेती है।


आरती की सहकर्मी प्रिया, जो वास्तव में कठिन परिस्थितियों से जूझ रही है, आरती के इस व्यवहार से दुखी है। प्रिया को आरती के व्यवहार से यह महसूस होता है कि नारीवाद का सही अर्थ "समानता" है, न कि "विशेषाधिकार"।


एक दिन कंपनी में एक प्रोजेक्ट के लिए प्रिया और आरती के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है। आरती अपनी पहुंच और 'नारीवाद' के नाम पर सहानुभूति बटोरते हुए प्रोजेक्ट हासिल कर लेती है। यह देखकर प्रिया को निराशा होती है, लेकिन वह हार नहीं मानती


कुछ महीनों बाद, प्रोजेक्ट असफल हो जाता है और कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। जांच में पता चलता है कि आरती ने अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभाया। इस पर आरती नारीवाद का सहारा लेते हुए खुद को 'पीड़ित' के रूप में पेश करती है और कंपनी के खिलाफ लैंगिक भेदभाव का आरोप लगाती है। 


लेकिन इस बार प्रिया सामने आती है। वह कंपनी और सहकर्मियों के सामने नारीवाद के सही मायने बताती है। वह कहती है, "नारीवाद समानता के लिए है, विशेषाधिकार के लिए नहीं। अगर हम इसका दुरुपयोग करेंगे, तो यह उन महिलाओं के संघर्ष का अपमान होगा, जिन्होंने हमें इस अधिकार तक पहुंचाया है।"


आरती की सच्चाई सबके सामने आ जाती है। कंपनी उसे नौकरी से निकाल देती है, और प्रिया को प्रोजेक्ट का नेतृत्व करने का मौका मिलता है।

आज आज बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जो केवल नारीवाद के अधिकार का प्रयोग अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए हथियार रूप में करती है चाहे वैवाहिक संबंध हो बच्चों का पालन पोषण ,या नौकरी के क्षेत्र में आज इस अधिकार की आड़ में खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग हो रहा है । झूठ दहेज के केस में फसाना ,सास ससुर को नीचा दिखाना , ससुराली जनों के साथ अपमान का व्यवहार करना और बात-बात में नारी के अधिकार की धमकी देना। 

इस कहानी के जरिए यह संदेश दिया गया है कि नारीवाद का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है, न कि स्वार्थ साधने का जरिया बनाना। सशक्तिकरण का सही अर्थ तब ही सार्थक होगा, जब हम इसे सही दिशा में उपयोग करेंगे। जो काम कर पुरुष कर रहे थे आज वही काम महिलाएं कर रहे हैं सशक्तिकरण का उद्देश्य समानता है न कि शोषण। 

             



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