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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Abstract Inspirational

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Abstract Inspirational

नये सफर की ओर

नये सफर की ओर

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हर नई शुरुआत के साथ एक अनकही बेचैनी और उम्मीदें जुड़ी होती हैं। जब जीवन का एक अध्याय समाप्त होता है, तो दूसरा शुरू होने की प्रतीक्षा करता है। यही भावना थी उस दिन की, जब विशाल और आर्या शादी के बाद अपने जीवन के नए सफर की ओर बढ़ते जब प्लेस के नए अनजान शहर को जा रहे थे।


सुबह की ठंडी हवा और आसमान पर फैला हल्का नारंगी रंग एक नई किरण का संकेत दे रहे थे। स्टेशन पर लोगों की चहल-पहल, प्लेटफार्म पर दौड़ते बच्चों की हंसी और पटरियों पर गाड़ी के आने की हल्की आवाज इस वातावरण को और भी जीवंत बना रही थी। विशाल और आर्या के परिवार के सदस्य उन्हें विदा करने आए थे। यह एक भावुक क्षण था, क्योंकि यह पहली बार था जब दोनों अपने-अपने घरों से इतनी दूर जा रहे थे।


आर्या की मां ने प्यार से उसे गले लगाते हुए कहा, “बेटा, घर की फिक्र मत करना। बस अपना ख्याल रखते हुए विशाल का ख्याल रखना और अपने सपनों को पूरा करने में लग जाना।” आर्या की आंखों में चमक और हल्का सा डर था, लेकिन उसने मुस्कुराकर कहा, “आप चिंता मत करें, मां। मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगी।”


दूसरी ओर, विशाल के पिता ने उसे कंधे पर थपथपाते हुए कहा, “बेटा, यह सफर आसान नहीं होगा। रास्ते में चुनौतियां आएंगी, लेकिन तुम्हारे अंदर उन्हें पार करने की ताकत है। बस अपनी मेहनत पर भरोसा रखना।” साथ ही आर्या का ध्यान रखना। विशाल ने आत्मविश्वास से सिर हिलाया और अपने पिता के हाथ थाम लिए।


जब ट्रेन स्टेशन पर आई, तो प्लेटफार्म पर खड़े सभी लोग अपने-अपने प्रियजनों को अंतिम बार गले लगाकर विदा करने लगे। विशाल और आर्या ने अपने-अपने बैग उठाए और ट्रेन के डिब्बे में चढ़ गए। खिड़की के पास बैठते हुए दोनों ने अपने परिवारों को हाथ हिलाकर अलविदा कहा।


ट्रेन के चलने के साथ ही आर्या ने गहरी सांस ली और कहा, “यह सफर सिर्फ हमें हमारी मंजिल तक नहीं, बल्कि खुद को जानने और समझने का भी मौका देगा।” विशाल ने उसकी ओर देखते हुए कहा, “बिल्कुल सही। हर मोड़ पर हमें कुछ नया सीखने को मिलेगा। यह सफर हमारी सोच और हमारे सपनों को नई दिशा देगा ।”


दोनों ने मौन स्वीकृत देते हुए एक दूसरे की ओर देखा

खिड़की के बाहर के दृश्य बदलते जा रहे थे। हर गुजरते स्टेशन के साथ दोनों के दिल में उत्साह और बढ़ रहा था। ट्रेन की खिड़की से बहार झांकते हुए आर्या ने सोचा, "यह सफर सिर्फ मीलों का नहीं, बल्कि अपने आप से मिलने का भी है।"


उनके दिल में यह विश्वास था कि यह सफर एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जहां चुनौतियां तो होंगी, लेकिन उनका सामना करने की हिम्मत और सपनों को पूरा करने का जज्बा, एक दूसरे के साथ होने से ,उन्हें हमेशा प्रेरित करेगा।


यह सफर केवल दूरी तय करने का नहीं था, बल्कि अपने अंदर छुपी क्षमताओं को पहचानने और अपने जीवन को एक नई दिशा देने का था। दोनों के लिए यह "नए सफर की ओर" जाने वाला पहला कदम था।

            


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