सहयोग से जीवन परिवर्तन
सहयोग से जीवन परिवर्तन
हम सब एक दूसरे को प्रभावित करते हैं और एक-दूसरे से प्रभावित होते भी हैं।यह बदलाव कभी-कभी हमारे जीवन को इस प्रकार करता है कि जीवन की दशा और दिशा को बदल देता है।
मेरे बड़े मामाजी के छोटे सुपुत्र मनोज मेरे सम्पर्क में आने पर इतने बदल जाएंगे ऐसा किसी ने अनुमान भी नहीं लगाया होगा।यह बात वे गले मन से स्वीकार करते हैं।
मनोज स्वयं यह कहते हैं-" भाई उम्र में छोटे होने पर भी तुमने हमें वह राह दिखाई जिसके प्रभाव से मेरा पूरा जीवन ही बदलकर रख दिया। तुमने मेरे बारे हुए मन में नयी उम्मीद की किरण दिखाई।इस किरण से मेरा समस्त जीवन प्रकाशित हो गया।"
मैंने कहा-" सारी क्षमता और ज्ञान व्यक्ति के अंदर स्वयं निहित होता है जो उचित समय आने पर स्वमेव प्रकट हो जाता है। हम सब एक-दूसरे का सहयोग देते और एक - दूसरे का सहयोग देते हुए आगे बढ़ते हैं।ऐसे एक-एक व्यक्ति के विकास से समाज व देश उन्नति के शिखर पर पहुंचता है।हम सबने जो किया है । वह समाज में रहते हुए किया है इसलिए समाज के प्रति जिम्मेदारी बनती है किस्म पूर्ण सक्रियता के कारण अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करन होता है।"
वे बोले-" आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के मेरे मन में यह धारणा मन में घर कर गई थी कि दसवीं कक्षा में कोई एक बार में पास होना असंभव है। नौवीं कक्षा में यह धारणा मन में स्थाई रूप से बलवती होती थी कि कितना गणित लगता है। मुझे अच्छी तरह याद है कि मुझसे पहाड़े याद नहीं होते थे। पहाड़ों को रटने की प्रवृत्ति से छुटकारा दिलाने में मुझे तुम्हारा तरीका याद है कि जितने का पहाड़ा सीखा जा रहा है उतना ही जोड़ने से अगली स्टेप पता लग जाती है।इसी प्रकार जोड़ करने से न सिर्फ लिख पाया। दूसरा कोई सूत्र याद रखा जाना संभव नहीं हो पाता। उसके लिए तुमने हर प्रश्न में लागू होने सूत्र को हर बार लिखने पर जोर दिया।इस फार्मूले को रटने प्रवृत्ति से छुटकारा मिला
मुझे तुमको भाई और एक अच्छे मित्र के रूप में पाकर मैं गौरवान्वित हूं। मैं क्या करके तुम्हारे ऋण से उऋण कैसे हो पाऊंगा।"
"उसमें क्या आप भी किसी की सहायता और मार्गदर्शन कर कुछ उत्कृष्ट कर सकते हैं। समाज को एक नयी राह दिखा सकते हैं और स्वयं को समाज उन्नति की ओर अग्रसर कर सकते हैं।"
