सही समय पर सही निर्णय
सही समय पर सही निर्णय


"तुम्हारी शादी को चार साल होने को आये हैं,अब एक बच्चा पैदा कर लो। "-शैफाली की माँ ने कहा।
शैफाली ने मुँह बनाते हुए कहा-"उफ्फ मम्मी फिर शुरू हो गई न। चार साल शादी को हो गए तो क्या। इट डजन्ट मैटर। अगर अभी तक शादी नहीं की होती तो क्या तब भी यही कहतीं। नहीं न। वैसे भी अभी बिलकुल टाइम नहीं है मेरे पास"....। "
शैफाली की बात काटते हुए उसकी माँ मीनाक्षी ने कहा-"मैं माँ हूँ इसलिए कह कर हूँ। कभी-कभी किसी फैसले में ढील नहीं करनी चाहिए वो भी कुदरती फैसलों में। एक कर लो बच्च.....। "
"उफ्फ मम्मी बस भी करो। आप भी और औरतों की तरह नेरौ माइंडेड होती जा रही हो। मैं कब मना कर रही हूँ बच्चा नहीं करूंगी। बस कुछेक साल और। मैं और विभूति थोड़ा और सैटल हो जायें। बच्चे को वक्त दे सकें,अपने बच्चे को सब वह दे सकें जो वह चाहे। ऐसे बच्चे करने से क्या फायदा, जिन्हें हम कुछ दे न सकें। "-शैफाली ने थोड़ा अहम दिखाते हुए कहा।
यह सब सुनकर उसकी माँ ने बहस करना सही नहीं समझा और चुप हो गईंं।
छः साल बाद अपने हाथ में मेडिकल रिपोर्ट लिए शैफाली अपनी बारी के इंतजार करते करते अपनी माँ की बातें सोचने लगी और उसकी आँखें झलक उठीं। तभी विभूति आकर उसके पास बैठ गया और उसके कंधे पर हाथ रखकर स्वांतना देते हुए बोला-"कुछ भी नेगेटिव मत सोचो। यह इस शहर के बेस्ट गाइनी हैं। जिनके कंसीव करने के रेयर चांस होते हैं वो भी यहां से कंसीव करके जाते हैं। "
"विभू ! हमारी शादी को आठ साल हो गए हैं। हम लोग तो बस कैरियर ओरिएंटेड रहे। बच्चे पैदा करने की बात को कभी सीरियस लिया ही नहीं। कोई बड़ा कहता भी तो अभी क्या जल्दी है कहकर टाल जाते थेे। मुझे तो अब खुद पर गुस्सा आ रहा है। बन गई न मैनेजिंग डायरेक्टर। मिल गई न सारे जहाँ की खुशी। पागल थी न उस समय। फितूर था सिर पर कैरियर के उस मुकाम पर पहुँचूँ जहाँ सिर्फ़ स्टेटस हो,पैसा हो और अब.......। "शैफाली आगे बोलती तब तक कंपाउंडर ने आवाज दी-"नेक्स्ट, मिसेज़ शैफाली। "
अपना नाम पुकारे जाने पर शैफाली और विभूति अंदर गए। गाइनी बोली-"आपकी टेस्ट रिपोर्ट देखी। कोई मिसकैरेज हुआ है क्या ?"विभूति बोली -"मिसकैरेज तो नहीं पर दो बार एबॉर्शन करवाना पड़ा। "गाइनी फिर बोली-"कोई प्रोब्लम या ऐसे ही...एबॉर्शन करवाया। "शैफाली झेंपती हुई बोली-"मैं थोड़ा उस समय मैंटली प्रिपेयर नहीं थी। वर्किंग वुमन हूँ इसलिए...... अब बेबी चाह रहे हैं पिछले एक साल से पर कंसीव नहीं हो पा रही हूँ। "
सब समझ कर मेडिकल रिपोर्ट बंद करके गाइनी बोली-"अब आपको आठ साल बाद बच्चा पैदा करने की याद आई। पहली गलती तो आप लोगों ने की। दूसरी सबसे बड़ी गलती एबॉर्शन करके की, वो भी दो बार करके। इसी कारण अब आपका बच्चा नहीं ठहर रहा। मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूँगी की आप माँ बनें। आप यह टेबलेट्स और डाइट प्लान फॉलो कीजिए और सबसे बड़ी बात मनोबल मत गिरने दीजिये,तनाव मत पालिए। "
विभूति और शैफाली घर आ गए।
करीब महीने भर बाद शैफाली के दिन चढ़ गये। वह बहुत खुश थी। डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने हिदायत दी और ध्यान रखने को कहा। होनी को कुछ और मंजूर था। शैफाली नहाते वक्त बाथरुम में पैर फिसलने से गिर गई और साथ ही गर्भ भी........।
शैफाली यह सब बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। उसके साथ रहने के लिए उसकी मम्मी घर आईंं और बेटी को संभालते हुए बोली-"ईश्वर ने चाहा तो तुम फिर माँ बनोगी। तुम्हारे घर भी किलकारियां गूँजेगी। मीनाक्षी जी अपनी बेटी की देखभाल एक छोटी बच्ची की तरह कर रही थीं। खाने-पीने का पूरा ख्याल रखतींं। साथ साथ उसे मोटिवेट करतीं,पार्क ले जातीं। विभूति भी अब उसे कंपनी का काम नहीं सौंपता था। धीरे-धीरे शैफाली अवसाद से बाहर निकल आई।
एक दिन विभूति बोला-"शैफाली,कल बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर की मीटिंग है। तुम अब वेटर फील कर रही हो तो....ऑफिस। "इतना कहते ही शैफाली बोली-"प्लीज़ ऑफिस का नाम मत लो। "यह सुन कर विभूति ऑफिस चला गया।
माँ के प्यार,दुलार,केयर से शैफाली दो महीने बाद फिर गर्भवती हो गई। शैफाली अब अपना पूरा ध्यान रखती। वह बच्चे से जुड़ाव महसूस करने लगी। मीनाक्षी जी अपनी बेटी का पूरा ध्यान रख रही थीं। शैफाली अपनी माँ से वही प्यार व दुलार पा रही थी जैसा बचपन में पा रही थी। सोचने लगी संतान कितनी भी बड़ी क्योंं हो जाए एक माँ के लिए बच्चे ही रहते हैं। वह भी अपने बच्चे का ऐसे ही ख्याल रखेगी। डॉक्टर की सलाह और माँ की देखरेख से वह सातवें महीना लग गया।
एक दिन अचानक शैफाली बाथरूम में जोर शोर से चिल्लाने लगी और उसे आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर ने तुरंत ऑपरेशन का आदेश दे दिया। गायनी विभूति से बोली-"आप फॉरमेल्टी पेपर में साइन कीजिए। माँ बच्चे को किसी एक को बचा पायेंगे। "यह सुनकर विभूति फफक फफक के रो पड़ा और रोते हुए बोला-"मम्मी जी,कितने मन्नतों के बाद एक खुशी मिली थी और देखो कैसा ग्रहण लग रहा है। बहुत खुश था। "यह कहकर वह रो पड़ा।
काफी कठिन ऑपरेश के बाद डॉक्टर ने दोनों जच्चा-बच्चा को बचा लिया। डॉक्टर बाहर आकर बोली-"बधाई हो बेटी हुई हे। बच्ची प्रीत्व-मैच्योर है इसलिए इसके समुचित विकास के लिए यह बच्ची यही रहेगी।
शैफाली आज अपने बच्चे को हाथ में लेकर बहुत खुश थीँ। आज उसके पैर जमीं पर नहीं पड़ रहे थे। आज एक माँ का इंतजार पूरा हुआ था। वह मन ही मन माँ,डॉक्टर और ईश्वर को धन्यवाद दे रही थी।
दोस्तों, यह अब हमारे समाज में बहुत को मिल रहा है। कामकाजी महिलाऐं अपने करियर को ज्यादा अहमियत दे रही हैं। पर समय निकलने पर वह संतान सुख से वंचित हो रहे हैं।