Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Himanshu Sharma

Abstract Comedy

4  

Himanshu Sharma

Abstract Comedy

सच्ची परिचर्चा

सच्ची परिचर्चा

5 mins
199


"हाँ ! मेकअप दादा, ज़रा गालों पर पैच रह गया है, इसको ज़रा ठीक कर दो!" उसने अपने मेक-अप मेन को बोला, तो वो आकर उसके गालों पे लगा मेक-अप पैच ठीक करने लग गया! "क्या दादा! अगर मेक-अप सही ढंग से नहीं हो पा रहा है, तो छोड़ दो और बुढ़ापा संवारो अपना!" "ओए! चायवाले, चाय तेरा बाप पिलायेगा क्या?" ये कहकर एंकर साहब ने चाय पिलानेवाले बन्दे को बुलाया! चाय वाला अपनी इस बेइज़्ज़ती से पिनक गया और उसने उसके दादा जी (जो कि एक वैद्य थे) द्वारा बनाया हुआ सत्यवादन दवा, उनकी चाय में मिला दी और तमाशा देखने लगा

आज चुनावों के परिणाम को एंकर साहब को पढ़ना था और कल ही एक पार्टी की तरफ़ से उनको हरेक सीट जीतने के ऐलान पर १ लाख देने का वादा किया गया था, इसलिए उनकी ख़ुशी का पारावार नहीं था! मगर किसी को ख़बर नहीं थी कि सच बुलवाने वाली दवाई का असर उन पर शुरू हो चुका था! अचानक "एक्शन" की आवाज़ हुई और एंकर साहब ने बोलना शुरू किया,"नमस्कार! गई-गुज़री ख़बर चैनल में आपका स्वागत है और आज हम बताएँगे फलाँ राज्य के विधानसभा के परिणाम! तो हमारे पैनल में यहाँ मौज़ूद हैं, दद्दू "प्राउड इंडियन" जो कि राष्ट्रीय पुष्प दल से सम्बंधित हैं, अगले पेनलिस्ट हैं, अमा मियाँ, इनको बाकी बचे दल अपना बता रहे हैं जिसमें हस्तगत पार्टी, झाड़ू-सफाई दल, हथौड़ा-चक्का पार्टी, इत्यादि शामिल हैं और हमारे साथ हैं अदलू-बदलू जी, जो कि एक राजनैतिक विश्लेषक हैं, जिन्होनें कई पार्टियाँ बदलीं हैं और जब राजनीति में सफल न हुए तो विश्लेषक बन गए! यहाँ हम लेते हैं छोटा सा ब्रेक और अभी रुझान आने शुरु ही हुए हैं, तो ब्रेक के बाद हम परिचर्चा करेंगे चुनावों के परिणाम पर!" उनके इतना कहते ही ज़ोर का संगीत बजना चालू हो जाता है और कैमरा बंद कर दिया जाता है!"

ये आपने अपने नाम के आगे "प्राउड इंडियन" क्यों लगा रखा है, दद्दू जी?" एंकर साहब ने पूछा तो दद्दू जी उवाचः,"ये आजकल का स्टाइल है भैया जी! देश में आजकल देशभक्ति के नाम से आप कुछ भी करवा सकते हो!" "अच्छा-अच्छा" एंकर ने प्रत्युत्तर में सिर हिलाकर सहमति दी! जैसे ही निर्देशक की तरफ़ से निर्देश मिला, एंकर बाबू पुनः समाचार चैनल पर लाइव आ गए! "नमस्कार! गई-गुज़री ख़बर चैनल में आपका पुनः स्वागत है, तो ई वी एम खुल रहीं हैं और धीरे-धीरे रुझान आने लगे हैं और दद्दू जी, आपकी पार्टी ने शुरुआत में लीड ले रखी है और.... " उनका इतना ही कहना था कि बाकी के पैनेलिस्ट लोगों ने "ई वी एम को छेड़ा गया है" का शगूफ़ा छेड़ दिया। "एक मिनट, एक मिनट, सुनने में आ रहा है कि अमा मियाँ साहब की पार्टी अब आगे हो चुकी है!" अमा मियाँ जी ने एंकर को थोड़ा झिंझोड़ते हुए धीरे से पूछा,"अमा! कौन सी वाली अभी वाली या पहले वाली?" "अरे अमा साहब! अभी वाली, अभी वाली!" एंकर साहब ने जैसे ही बताया, "अच्छा" कहकर अमा मियाँ ने अपनी पीठ कुर्सी से सटा ली! एंकर ने पुनः अपना ईयर-पीस संभाला और उद्घोष किया कि अब फलां पार्टी ने अब बढ़त बना ली है और वो अदलू-बदलू जी से इस बाबत उनकी राय जानना चाहेंगे! अदलू-बदलू जी उवाचः,"अजी! मैंने पहले ही बताया था कि ये फलां पार्टी ही जीतेगी क्यूंकि बाकी दलों से लोग उकता चुके हैं, वो क्या है...." एंकर साहब ने बीच में टोका,"आपने तो पिछली बार तो इस दल को शून्य सीटें बतायीं थीं न, ख़ैर, एक अपडेट हमारे पास आई है कि दद्दू जी की पार्टी ने फिर से बढ़त बना ली है.." जैसे ही एंकर साहब ने ये चीख कर बोला अमा मियाँ ने बड़े ही नज़ाकत के साथ कहा,"यार तुम तो ऐसे ख़ुशी से इनकी बढ़त की ख़बर दे रहे हो, जैसे इनसे बख़्शीश लेकर ख़बर पढ़ रहे हो!" अचानक सत्यवादन दवाई के प्रभाव ने कहलवाया,"आपको कैसे पता?" मियाँ साहब ने प्रत्युत्तर दिया,"भाई! मैं बस दस हज़ार से चूक गया वर्ना आज इस ख़ुशी के साथ तुम मेरी जीत की ख़बर पढ़ रहे होते!" एंकर साहब ने "अच्छा" कहकर ख़ुद को पुनः चुनाव परिणामों की तरफ़ मोड़ दिया और अचानक, सब ग़श खा गये, एक नव-निर्मित पार्टी जिसमें सब पढ़े-लिखे और ईमानदार लोग थे वो बाकी दलों को पीछे छोड़ते हुए आगे आने लगी!

सुबह से शुरू हुई परिचर्चा, दोपहर में भी ज़ारी रही और शाम तक आते-आते, उस नव-निर्मित दल ने सभी दलों को पीछे छोड़कर बहुमत जुटा लिया था, पनीली आँखें लिए एंकर साहब ने सभी राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों से पूछा तो सारे भेद मिटाते हुए उन सबने एक सुर में इसे "ई वी एम की साज़िश" करार दिया और जब अंत में एंकर साहब जब विश्लेषक जी के पास पहुँचे तो उन्होनें वही जवाब दिया,"मैंने पहले ही बताया था कि ये फलां पार्टी ही जीतेगी क्यूंकि बाकी दलों से लोग उकता चुके हैं, वो क्या है...." एंकर साहब ने पुनः उनको काटते हुए रुआँसी आवाज़ में बोला,"हमें ये बताते हुए दुःख हो रहा है कि हमारे एक साथी का आज हृदयाघात से निधन हो गया है ओऱ...." इतना कहते कहते एंकर साहब ने बुक्का फाड़कर रोना शुरू कर दिया, कैमरे के पीछे लोग हैरान थे कि दोनों एक दूसरे को फूटी आँख न देखते थे और ये उसकी मौत पर इतना ज़ोर से रो रहा है? अब उन्हें क्या पता ये दुःख पैसे खोने का है क्यूंकि जिस पार्टी ने उन्हें खरीदने का प्रस्ताव दिया था, वो शून्य सीटें जीती थी और अंततः अपने पैसे बचाने में कामयाब हुई !


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