Himanshu Sharma

Comedy

3  

Himanshu Sharma

Comedy

खाना

खाना

2 mins
132


मैं शिक्षक की तरह एक संस्थान से जुड़ा था और आते ही उस संस्थान ने मुझे एक छात्रावास का सहायक छात्रावास अधीक्षक या कहिये असिस्टेंट हॉस्टल वॉर्डन का भी अतिरिक्त पदभार सौंप दिया था! क्यूँकि मैस या कहिये भोजनालय छात्रावास परिसर में ही हुआ करता था और मैं भी गाहे-बगाहे वहाँ की परिस्थिति को देखने हेतु पहुँच जाया करता था तभी जा कर मुझे पता चला कि बच्चे खाना बहुत बर्बाद करते हैं, क़रीबन हर दिन 4-5 किलो खाना फेंकने में जाता था और मुझे ये चीज़ बहुत ख़राब लगती थी! 

तो मुझे लगा बच्चों को ज़मीनी वस्तुस्थिति का पता चलना चाहिए ताकि इन्हें एहसास हो कि जो ये भोजन बर्बाद करते हैं वो कैसे आता है? कितने दिन उसे इनके हाथ तक आने में लगते हैं? उन्हें उगानेवालों की वास्तविक वस्तुस्थिति क्या है और जिन्हें ये नहीं मिलता उनकी परिस्थिति क्या है? ये सब सोच मैंने बच्चों को इक फिल्म दिखाने का न्यौता भेजा जिसमें काफी मार्मिक और वास्तविक लोगों का साक्षात्कार था! फिल्म के बाद कक्ष में मानो कर्णभेदी चुप्पी थी! मैंने बच्चों को समझाया और उन्हें प्रोत्साहित किया चलिए आपके मन में जो भी उद्गार आते हैं उन्हें मैस की दीवार पे एक चार्ट चिपका के लिख दीजिये ताकि आप जब भी आयें उन्हें पढ़ें तो आपको ये बात ध्यान रहें कि अन्न की महत्ता क्या है? सभी बच्चों ने बहुत ही अच्छे-अच्छे विचार चार्ट पेपर पे लिखकर चिपका दिए जिसमें कई उक्तियाँ तो ऋग्वेद से ली गईं थीं! 

खैर शाम को मैं पुनः मैस समाप्ति के पश्चात बड़ा आशावान हो कर भोजन कितना बर्बाद हुआ इसका जायज़ा लेने पहुँचा तो पता चला कि क्यूँकि मैस वाले ने आज पुनः टिंडा बनाया था तो भोजन की बरबादी आज रोज़ से ज़्यादा थी और मैं सिर पकड़कर बैठ गया!


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Comedy