ज़मीन
ज़मीन


"देख रामा ! ये ज़मीन मुझे दे दे, अरे ! तुझे इसकी क़ीमत भी दे रहा हूँ सत्तर हज़ार !" बिसेस्वर ने बोला तो रामा ने भी प्रत्युत्तर दिया,"बिसेस्वर ! शुक्र मना कि तू मेरा भाई इसलिए इज़्ज़त से कह रहा हूँ कि ये मेरे हिस्से की ज़मीन बिकाऊ नहीं है ! बाबा ने तुझे तेरे हिस्से की दो बीघे ज़मीन दे रखी है और मेरे पास मेरे हिस्से की दो बीघे है, जो मेरे जीते जी बिकाऊ नहीं है और एक बात बता कहाँ से तुझे दो बीघा खेत सत्तर हज़ार का लगता है ! इसलिए अभी बा-इज़्ज़त चले जा नहीं तो मुझे भूलना पड़ेगा कि तू मेरा भाई है !" बिसेस्वर फुँफकार मारता हुआ वापिस लौट गया !
रामा और बिसेस्वर दोनों सगे भाई थे और संपन्न नहीं तो विपन्नता भी नहीं थी दोनों के घर में ! पिता ने मृत्यु का आभास पाकर मृत्यु-पूर्व ही बराबर बँटवारा कर दिया था खेत-खलिहानों का जहाँ रामा प्रकृति से संतुष्ट रहनेवाला व्यक्ति था उसके विपरीत बिसेस्वर काफ़ी लालची स्वभाव का व्यक्ति था, जिस कारण क्रोध, असंतुष्टि और कुंठा उसका स्वभाव में रच-बस गए थे ! बिसेस्वर की नज़र कब से रामा के हिस्से की ज़मीन पर थी मगर रामा ने हर बार उसकी घुड़कियों का बराबर जवाब दिया था, जिससे बिसेस्वर की इस ज़मीन को लेने की उत्कंठा और बढ़ चुकी थी ! अब वो ये ज़मीन साम-दाम-दंड-भेद, किसी भी नीति के प्रयोग से, प्राप्त करने को आतुर था !
रामा और उसकी पत्नी, रमा, को सारे सुख प्राप्त थे मगर कमी एक ही थी, संतान-सुख का अभाव ! उसने अपनी पत्नी रमा के कहने पे पहले बाबा-दरगाहों के चक्कर काटे मगर जब इस दुःख से निज़ात न मिली तो उसने गाँव के डॉक्टर बाबू से संपर्क किया जिन्होनें उसे अपने दोस्त के पास शहर भेजा था और तब से दोनों यानि पति और पत्नी की दवाईयां शुरू हो गयीं ! रामा पहले तो ख़ुद जाकर शहर से दवाई ले आता था मगर महामारी के समय में उसे उन दवाईयों के लिए डॉक्टर बाबू पर ही निर्भर होना पड़ रहा था !
एक दिन डॉक्टर साहब शहर से दवा लेकर आये वो उनकी उस दवा से मेल नहीं खाती थी जो रामा और रमा लिया करते थे ! डॉक्टर बाबू ने जब रामा को संशय में देखा तो बताया,"अरे रामा ! वो दवा आज ख़त्म थी तो वही सॉल्ट या वही दवाई लाया हूँ जो दूसरी कम्पनी की है !" ये सुनकर रामा का संशय दूर हो गया और वो दवाई लेकर सो गया ! पति-पत्नी ने खाना खाया और दवाई ली, थोड़ी देर बाद ही उन्हें चक्कर आने लगे और बेहोश होने से पहले उसने कुछ लोगों को उसके घर में घुसते देखा जिसमें उसने बिसेस्वर का चेहरा पहचान लिया था ! गाँव में ये बात फैला दी गयी कि अपनी बीवी का इलाज़ करवाने के लिए, रामा, अपनी ज़मीन बिसेस्वर को बेचकर चला गया !
काफ़ी दिनों के बाद, एक अखबार में खबर छपी कि एक पवित्र नदी से कई शव मिले हैं और आशंका है कि ये महामारी से मरे लोग हैं !उधर मुर्दाघर के बाहर डॉक्टर बात कर रहे थे,"यार ! इतनी लाशें निकलीं हैं कि क्या बताएं पोस्टमॉर्टम करना ही मुश्क़िल हो गया और वो जो औरत है न जो उस आदमी के बगल में लेटी है जिसके हाथ में "रमा" नाम का टैटू गुदा है, उसके पेट में भ्रूण मिला है जो करीबन माह-डेढ़ माह का तो होगा !"उधर बिसेस्वर ने रामा के हिस्से के खेत बेचकर पैसा बनाया और ख़ुद के लिए कोठी खड़ी की ! ये भी सुना है बिसेस्वर अब एक बहुत बड़ा आढ़तिया हो गया है और वहीँ डॉक्टर बाबू ने अपना एक क्लीनिक खोला है, जहाँ वो अच्छी खासी फ़ीस, रोगियों से वसूल करते हैं !वहीँ उन अनाम लाशों पे अभी भी पक्ष-विपक्ष आपस में लड़ रहे हैं कि इन शवों के लिए कौन ज़िम्मेदार है वहीँ उन शवों का अंतिम संस्कार हो गया है बिना बोले और सबूत गुनाह के हमेशा के लिए नष्ट हो गए !