सच्चा प्यार सुधाकर का
सच्चा प्यार सुधाकर का
"भाई सुधाकर आज वह दिन आ गया, जिसका हमें कई वर्षों से इंतजार हैं।"
"हाँ बड़े भैया, यही मैं कहना चाहता हूँ। अब हमारे घर वालों की आँख खुली, वो हमारे शादी के लिए लड़की ढूँढें। खैर एक दिन हर किसी का दिन आता हैं आज हमारा आया।"
"तो तू कैसा महसूस कर रहा है ?"
"मैं.... मेरे तो मन में लडडू फूट रहे हैं। बस आप खुद को सम्भल कर रखिए बड़े भैया।"
"चल चल ज्यादा खुशी में तू यह मत भूल की मैं तेरा बड़ा भाई हूँ। गाड़ी तेज चला हमें जल्दी पहुंचना हैं लड़की देखने के लिए।"
"लो न अभी भगाता हूँ।"
उनके गाड़ी की स्पीड बढ़ गई। दोनों शादी के लिए लड़की देखने जा रहे हैं। अपने माँ-बाप के एकलौते बेटे, रिश्ते में भाई क्योंकि उनकी माँ आपस में सगी बहन हैं। एक का नाम प्रभाकर, उम्र 30 साल, हट्टा कट्टा शरीर, रंग गोरा, चेहरे पर हल्की दाढ़ी। बाल गाड़ी के पीछे बैठने से लहरा रही हैं। दूसरा सुधाकर, उम्र 28 साल शरीर से पतला दुबला लड़का, मगर शौक में प्रभाकर से कही आगे। उनके माँ बाप लड़की देखकर अपनी तरफ से रिश्ता मंजूर कर आए। बारी बच्चों की थी दोनों जा रहे हैं।
प्रभाकर तो अपने लिए कोमल नाम की लड़की को पसंद कर लिया। मगर सुधाकर को लड़की दिखाई पसंद नहीं आई। जब से कोमल की छोटी बहन पूनम को देखा तब से प्रभाकर उसके ही चर्चा करता रहा
"बड़े भैया आप मेरे माँ से मेरी शादी पूनम से करने के लिए कहो न, मैं उससे ही शादी करना चाहता हूँ। मुझे यकीन हैं की वह कभी मना नही करेगी।"
"अरे! उसकी उम्र बहुत कम है। अभी वह सोलह साल की हैं। वह तेरे से शादी के लिए तैयार हो भी गई उसके माँ बाप कैसे मानेंगे। कही तू उसके चक्कर में मेरी कोमल से शादी न तोड़वा देना।"
यहाँ सुधाकर की एक न चली। हुआ वही जो भगवान ने चाहा। अपने माँ बाप की पसंद की लड़की से दोनों का रिश्ता मंजूर हो गया। लोग इंतजार करने लगे उस शुभ घड़ी की जिसमें दोनों के सात फेरें करना सके।
सुधाकर चुपके चुपके बनने वाली कोमल भाभी के माध्यम से पूनम से बात करता रहा। पता नहीं उसे क्यों लग रहा था कि पूनम ही उसकी असली हम सफर हैं। दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं। पूनम भी बात करने से कभी इंकार नही की। जब फोन आ जाए घंटों बीत जाता पर दोनों की बात खत्म नही होती। शादी के लिए पसंद की गई लड़की को इससे कुछ फर्क नहीं पड़ा। वह सुधाकर से कम बात करके फोन रख देती जिससे पूनम के साथ बात करने को काफी वक्त मिल जाता।
अभी वह लड़की ऐसा क्यों कर रही हैं सुधाकर ने सोचा भी नहीं। एक दिन खबर आई, उसका अपना भी कोई प्रेमी था। वह शादी होने से पहले उसके साथ भाग गई। इस सबका जिम्मेदार लोगों ने सुधाकर को ठहराया। सब उसे कोसने लगे, पर एक वही था जो सुनकर बहुत खुश हुआ। अच्छा हुआ, वरना शादी के बाद भागती तो बहुत बदनामी होती। उसे पूनम के साथ वक्त बीतने के लिए पूरा वक्त मिल गया। वह शादी भी कर पायेगा दिल में उम्मीद जग गई।
दरअसल नाना के कोई पुत्र नहीं थे, सिर्फ दो बेटियाँ थी। इसलिए मरने से पहले अपनी सारी सम्पति दोनों बेटियों में बाँटकर स्वर्ग सिधार गए। अब मायके में पतियों की चलती कहाँ हैं। इसलिए हुआ वही जो उनकी माँओ ने चाहा। एक ही घर से दो दो बहु लाना उन्हें मंजूर नही हुआ। सुधाकर के लिए दूसरा रिश्ता ढूँढना लगे। तब तक प्रभाकर की शादी रोक दी गई।
जहाँ सुधाकर के लिए नए रिश्ते की तलाश जारी हुई वही पूनम से बात बंद होने की कगार में आ गई। पूनम कम बात करने लगी, कभी जवाब देती कभी नहीं। बाद में बात करेंगे कह कर फोन काटने लगी।
पूनम के व्यवहार से नाराज सुधाकर खुद दूरी बना लिया। शादी भी तय नही हुई। तब प्रभाकर की शादी सम्पन्न करने का विचार किया गया। तैयारिया हुई, दिन तिथि सब तय हुआ। चारों तरफ निमंत्रण बांटा गया। लोग आने जाने लगे। शादी से ठीक पन्द्रह दिन पहले कोमल ने दुनिया को अलविदा कह दिया। हे भगवान! उसके हाथ में सगुन के मेंहदी लगने वाला था उसके पहले गुजर गई। उनके परिवार में दुख का पहाड़ टूट पड़ा। प्रभाकर का दिल कोमल पर आ चुका था वह भी खुद को सम्भल नही पा रहा। अपनी पत्नी जिसे माना शादी से पहले गुजर गई। ये कैसे दिन दिखाए भगवान ने, किसी को कुछ समझ नहीं आया।
प्रभाकर और सुधाकर दोनों के खुशी में किसी की नजर लग गयी। उनके परिवार को तो ठीक था कुछ गया नही। मगर कोमल का परिवार मैं तो जवान बेटी भगवान को प्यारी हो गई। दोनों इस दुख की घड़ी में कोमल के परिवार को सहारा दिये। उनका परिवार भी कोमल के परिवार के साथ था। मिलकर लोगों ने तय किया प्रभाकर की शादी नहीं हो सकी तो सुधाकर की शादी कर देते हैं। कोमल के छोटी बहन पूनम के साथ। सभी को मालूम है सुधाकर पूनम को चाहता है। किन्तु जब उससे शादी करने के लिए कहा गया तो उसने इंकार कर दिया
"मुझे पूनम से शादी नही करना। मैं भूल चूका हूँ उसे। उससे बहुत दूर जा चुका हूँ। मैं दोबारा उसके करीब नहीं जाना चाहता।"
"जब हम राजी नही थे तब तू उसे पसंद करता था। आज क्या हो गया? जब हम चाहते हैं पूनम को अपना बहु बनाना, तो तुझे इंकार क्यों है?"
सुधाकर के पिता ने आश्चर्य से पूछा। सभी को लगा सुधाकर तो फौरन तैयार हो जाएगा। वह तो इंकार कर रहा है।"
"मैं किसी और लड़की से शादी करना पसंद करूंगा, मगर पूनम से नही। मुझे माफ करना। प्रभाकर भैया शादी कर सकते हैं मुझे कोई ऐतराज नहीं।"
सभी समझ चुके थे सुधाकर शादी नहीं करने वाला। तब प्रभाकर को मनाया गया। वह शादी करने के लिए तैयार हो गया। तय समय से बारात दुल्हन के घर पहुँची। स्वागत सत्कार हुआ। हाल ही में दुख का झेला परिवार था, इसलिए ज्यादा धूम धाम और साज सजावट नहीं की गई। दूल्हा और दुल्हन जयमाला के लिए मंच पर पहुंचे। उनके साथ कुछ दोस्त सहेली सभी थे, किन्तु नही था तो सुधाकर। वह पूनम के खुशी के लिए दूर रहने में भलाई समझा। उसे लगा पूनम उसके निर्णय से नाराज होगी। वह अपने घनिष्ठ रिश्तेदारों के साथ मंच के नीचे रहा। पूनम बुरा न मान जाये सोचकर मंच पर जाने की हिम्मत नही किया।
अचानक पूनम रोते हुए अपनी जगह से उठ खड़ी हुई। जिसे देखने के बाद सभी हक्के बक्के रह गए। वह कुछ कहना चाहती थी। भरे मंच से उसने ताली बजाई। सभी उसकी तरफ देखने लगे।
सभी का दिल जोर जोर से धड़कने लगा। अचानक पूनम को क्या हो गया? पूनम जब सुधाकर की तरफ देखी तो उसका सिर झुक गया।
"नज़र क्यों झुका रहे हो? यदि तुम इस शादी से खुशी हो तो सभी के साथ खुशी क्यों नहीं मना रहे। मैंने तो कभी इंकार नहीं की, मगर तुम साफ इंकार कर चुके हो। एक बात याद रखना सुधाकर, अभी तो शुरुआत हैं, कल मैं तुम्हारे भाई की पत्नी बन कर घर चली जाऊंगी तब क्या करोगे? जब मैं इधर उधर चलकर पैर की पायल बजाऊंगी तो तुम कैसे बर्दाश्त करोंगे, बोलो? मैं तो कल तक सिर्फ इसलिए चुप थी कि कही मेरी वजह से मेरी बहन का रिश्ता न टूट जाए, आज तो अकेली हूँ अब तो तुम्हारी पत्नी बन सकती थी मैं। फिर तुमने कोशिश क्यों नहीं की?"
सभी एक दूसरे का मुँह देखते रह गए। आखिर वह चाहती क्या है? सभी के मन में बस यही सवाल था। अब तक तो सब अपनी जगह से खड़े हो चुके थे। प्रभाकर भी अपनी जगह से खड़ा होकर चुप चाप सुन रहा था।
पूनम ने पुन: आगे बोलना चाही। उसके आँख में आँसू थे, डर से ओठ काँप रहे थे। वो शब्द ही थे जो रूके नही
" मैं मानती हूँ प्रभाकर दिल के बुरे नही, मैं उनसे शादी करके उतना ही खुश रहूंगी। किंतु मेरे खुशी को देखकर कही तुम दुखी न हो जाओ। इसलिए मैं दोनों की खुशी चाहती हूँ। क्यों न शादी करके हम एक दूसरे के हो जाये। मुझे यकीन हैं प्रभाकर बुरा नहीं मानेंगे।"
किसी ने सोचा नही था पूनम शादी वाले दिन अपने प्यार का इजहार करेगी। सुधाकर चुप चाप नजर गड़ाकर रखा। बोलने की हिम्मत नही हुई तो पूनम ने कहा-
"जिस तरह से तुम मौन हो मैं उसका दर्द समझ सकती हूँ। क्योंकि मैं खुद इतने दिन तक चुप रह कर उस दर्द को महसूस की। सुधाकर आगे आओ, अपने खुशी के लिए नही तो मेरे खुशी के लिए। मैं तुम्हारा पग पग में साथ दूंगी, हर सीतम सह लुंगी। मगर आज मुझे अपने से दूर मत करो। वरना मैं तुम्हारे ही घर में तुम्हारे बहुत नजदीक रह कर तुम्हारी नही रह पांऊगी।"
पूनम की चाहत और हिम्मत देख कर लोग आश्चर्य थे। मगर उसे कुछ फर्क नहीं पड़ रहा। सुधाकर असमंजस में हैं भाई की होती शादी को तोड़कर अपनी कैसे कर ले। सभी ने पूनम का समर्थन किया। सुधाकर को मिलकर समझाया, तब वह पूनम के प्यार के आगे झुक गया। उसने स्वीकार कर लिया कि वह पूनम के लिए ही बना हैं। आज पूनम के हिम्मत को देख दंग था। वह समझ चुका दुनिया में सब कुछ मेहनत से पाया जा सकता हैं किंतु सच्चा प्यार सिर्फ किस्मत से मिल सकता हैं। उसने पूनम से शादी करके अपना घर बसा लिया। रही बात प्रभाकर की तो वह भी कुंवारा नही रहा, उसी मंडप में दूसरे लड़की के साथ उसको भी सच्चा प्यार मिल गया।