Suraj Kumar Sahu

Romance

4  

Suraj Kumar Sahu

Romance

ऑटोग्राफ

ऑटोग्राफ

9 mins
412


"क्या कर रही हो मोना? जरा एक गिलास पानी देना। बाहर कितनी गर्मी हैं, ऑफिस में ज्यादा काम। दोनों ने थका दिया मुझे।"

ऑफिस से घर लौटा कृष्णा पत्नी मोना से कहा। उसके लहजे में प्यार, उम्मीद दोनों थी। पत्नी के हाथ से एक गिलास पानी पीकर अपनी सारी थकान मिटाना चाहता हैं। घड़ी पर रात के आठ बज गये, पूरे दो घंटे देरी से घर आया। पत्नी जो इस वक्त मोबाइल पर व्यस्त, किसी से चैटिंग कर रही थी। पति ने क्या कहा ध्यान नही दी। सोफे पर बैठते हुए उसने चिल्लाया

"सुनाई नहीं दिया क्या? एक गिलास पानी माँग रहा हूँ। इतनी भी क्या व्यस्त हो मोबाइल में?"

मोना उसको दस सेकंड घूरने के बाद मोबाइल सोफे में पटक कर अंदर गई, एक गिलास पानी लेकर आई-

"ऑफिस से आये हो, कोई लॉटरी जीत कर नही। प्यास लगी हैं तो खुद पानी लेकर पिया करो। मैं कोई तुम्हारी नौकर हूँ? जो ऑर्डर करोगे वही करूँगी। देख नहीं रहे सहेली से बात कर रही हूँ।"

"दिनभर क्या करती हो? मैं जब ऑफिस से आता हूँ तभी तुम्हें सहेली से बात करनकरना होता हैं।"

कृष्णा गुस्से में सोफे से उठ खड़ा हुआ, जैसे मोना पर हाथ उठा देखा। मोना कोई डरने वाली औरत थी, बड़े बाप की औलाद, वह जस की टस खड़ी रही। कृष्णा को एक टक देखते रहने के बाद

"तो तुम मेरे ऊपर हाथ उठाओगे?"

कृष्णा अपनी आँखे नीचे कर लिया। उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था। प्यास और थकान दोनों मिट चुकी। सोचा ऑफिस से जाकर पत्नी से दो चार मीठी मीठी बात कर लेगा तो सारी थकान मिट जाएगी। घर पहुँचा नहीं कि महाभारत प्रारंभ हो गया। चुपचाप अपने कमरें में चला गया। कपड़े बदले, हाथ मुँह धुलने के बाद वापस आया तो मोना को जस का टस खड़े पाया। उसके आँखों से आँसू बह रहे थे। कृष्णा पीछे से जाकर सटकर खड़ा हो गया। कंधे पर हाथ रखते हुए कहा-

"थका हुआ था मोना, प्यास लगी थी। तुम मुझे छोड़ कर मोबाइल में लगी हुई हो। इसलिए गुस्सा आ गया। बात खत्म करते हैं न।"

मोना उससे दूर हटकर बड़बडाते हुए अपने काम में लग गई। 

"दिनभर के लिए ऑफिस चले जाने वाले मर्द को लगता हैं औरत आराम कर रही है। अरे! सुबह से उठकर दिव्य को स्कूल के लिए तैयार करना, उसको स्कूल छोड़कर आने के बाद पति की टिफिन तैयार करना। झाडू़ पोछा बर्तन करते करते कमर टूट जाती हैं। शाम को थोड़ा सा मोबाइल चलाते क्या देख लिए, दिनभर करती क्या हो। अरे! सहेली के पास भी तो समय होना चाहिए, दिनभर वो भी किसी की तरह थोड़ी फुर्सत होगी, उसके अपने काम होगें।"

कृष्णा जो इस वक्त मौन होकर टीवी ऑन कर लिया, ताकी पत्नी की बड़बडाहट कम सुनाई दे। आखिर वह मिडिल क्लास पुरूष जो ठहरा। दिनभर ऑफिस में काम करने के बाद, शाम को सुकुन की तलाश करता है, यदि पत्नी का मूड खराब हुआ तो सारा सुकुन चुल्हे में चला जाता हैं। पत्नी का बड़बड़ाना बंद नहीं हुआ तो टीवी की आवाज कम करके कहा-

"अब बस भी करो यार, बहुत हो गया। एक गिलास पानी दे देती तो क्या हो जाता। मगर तुम्हें तो सिर्फ लड़ाई का बहाना मिलना चाहिए।"

"हाँ मैं यहाँ लड़ाई के लिए बैठी रहती हूँ। जिन्दगी में आगे की कोई फिक्र हैं। धीरे धीरे दिव्य अब बड़ा हो रहा है। मगर अपना खुद का घर नहीं। आप तो पंद्रह बीस हजार की नौकरी कर घर लौट आते हैं, उससे होता क्या है। घर का खर्च चल जाता हैं। मैं शौक करने लगूँ न, तो घर खर्च भी मुश्किल हो जाए। मगर कोई परवाह नहीं, जाने कब तक यही चलता रहेगा मेरी किस्मत में।"

न जाने ऐसी कितनी बात थी जो बड़बड़ाते हुए मोना बोल गई। कृष्णा क्या करता। एक गिलास पानी माँग कर गुनाह जो कर दिया। ऊपर से पत्नी पर गुस्सा हो जाना बड़ी भूल। 

कृष्णा उम्र बत्तीस वर्ष, श्याम रंग का लड़का। हट्टा कट्टा बदन, छः फिट का शरीर। चेहरे पर हल्की दाड़ी रखने का शौकिन हैं। चार वर्ष छोटी उसकी पत्नी मोना का रंग गोरा, भरा बदन लम्बाई भी कोई कम नहीं थी कृष्णा से। उनका एक बच्चा था दिव्य, आठ साल उम्र, जो एक प्राईवेट स्कूल में पढ़ता हैं।

शादी के बाद परिवार को लेकर शहर आ गया। किराये का मकान, एक कमरा, एक हॉल और किचन बॉस रूम। किराया महीने का यही कोई छ: हजार रूपये। वह नौकरी करता, मोना घर सम्भालती। प्राईवेट नौकरी हैं तन्ख्वाह यही कोई बीस हजार के लगभग, मकान का किराया, बच्चे की स्कूल फीस, घरेलू खर्चें सहित मोना के शौक में ही पूरा पैसा निकल जाता। शादी से पहले सरकारी नौकरी के लिए तैयारी तो किया मगर सफलता नहीं मिली, तब प्राईवेट नौकरी ही सही, गुजारा तो चल रहा है। 

मोना के लब्ज़ में बच्चे के भविष्य की जो चिंता थी, ऐसा नहीं  कि कृष्णा को उसकी फिक्र नहीं। मगर वह भी क्या करता। शादी के दस वर्ष बीत चुके। आठ साल का बच्चा हो गया। कृष्णा की इतनी औकात नही ज्यादा फीस चुका पाने की, मगर उसने हिम्मत करके दिव्य को प्राईवेट स्कूल में दाखिला करवाया। माँ बाप से दूर लेकर शहर आ गया, पत्नी की जरूरत फिर भी पूरी नहीं हो रही। उसे पता है पत्नी का जिस दिन मूड़ खराब हुआ, ताने जरूर देगी। यह कोई पहली दफा नहीं, जब उसके कमाई पर ताना मारा गया हो। अब तो उसकी आदत हो चुकी सुनने की।

रात के साढ़े दस बज गए मोना अकेले खाना खाकर सोने चली गई। उसने पति से पूछी भी नहीं। जिस दिन उसका मूड़ खराब, कृष्णा को स्वयं खाना परोसकर खाना पड़ता। मोना एक सरकारी नौकरी वाले की औलाद हैं। कृष्णा ठहरा सीधा साधा एक माध्यम घर का लड़का। पढ़ाई में होनहार था तो मोना के पिता ने अपने खूबसूरत बेटी का हाथ उसे दे दिया, यह सोच कर कि लड़का अच्छे मार्क से पास हुआ है तो एक दिन सरकारी नौकरी मिल जाएगी। मगर उसका नसीब कहाँ। शरीर का रंग भी संवाला हैं, एक खूबसूरत पत्नी मिल गई बस।

कृष्णा सोफे से उठकर कॉलेज की एक कापी निकाल लाया। उसके पन्नों को पलटा कर देखने लगा। उसमें किसी लड़की के ऑटोग्राफ थे। जो कभी उसके साथ पढ़ती थी। उसका जब भी मूड खराब होता उन ऑटोग्राफ को देखकर पुरानी यादों में खो जाता। मुस्कान, नाम था उसका, कॉलेज की बेहद खूबसूरत लड़की, जिसको अपना बनाने के लिए न जाने कितने लड़के सपना देखते, मगर उसका सपना कुछ और था। फिल्म दुनिया में जाकर सुपरस्टार बनने का। कृष्णा से जब भी मिलती उसके कापी पर अपने ऑटोग्राफ देती यह कहकर

"क्या पता एक दिन तुम्हें इन ऑटोग्राफ के लिए मेरे कार के पीछे भागना पड़े, घर के सामने भीड़ में खड़ा होना पड़े। मैं नहीं चाहती वो दिन आये सम्भाल कर रखना इन्हें, बाद में नहीं मिलेगें।'

दोस्त मनाती थी उसे। साथ में उठना बैठना, पढ़ाई करना, घूमने जाना हो तो कृष्णा के साथ। एक विश्वास जो बन चुका था। दोनों को देखकर किसी को यकीन नहीं होता ये खास दोस्त होगें। मगर कृष्णा के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था। आज खूबसूरती के कारण मुस्कान के पैर फिल्म और मॉडलिंग की दुनिया में जम चुकें। वह सुपरस्टार तो नहीं मगर लोगों के लिए जाना पहचाना नाम बन चुकी। वो दिन दूर नहीं जब सुपरस्टार बन जाए। 

मोना आराम से बिस्तर पर सो रही हैं, उसे मालूम है कृष्णा का मूड खराब होगा तो उन ऑटोग्राफ को देखेंगा। ये कोई नई बात नहीं, शादी होने के बाद ही कृष्णा बता चुका था। कुछ दिन तक कापी को बेचने का दबाव दी,मगर जब कृष्णा नहीं माना तो कहना छोड़ दी। उसे मालूम हैं मुस्कान से कृष्णा नहीं मिल सकता। न कृष्णा से मिलने मुस्कान आ सकती। मुस्कान तरक्की पाकर कृष्णा को याद भी नहीं करती होगी। 

एक दिन मीडिया के हवाले से खबर मिली मुस्कान शहर आई है। अपने माँ बाप से मिलने और फैन के लिए कोई गिफ्ट लेकर। तब किसी को नहीं पता वह गिफ्ट क्या होगा। फैन तो उसकी एक झलक पाने के लिए घर के सामने जमा होने लगे।  मुस्कान का शहर वापस आना हुआ और कृष्णा का ऑफिस के काम से शहर से बाहर जाना पड़ा। उसके पत्नी को सुकुन था, कृष्णा मौका पाकर भी मुस्कान से नहीं मिल पायेगा। जब उसके गिफ्ट के बारें में पता चला तो खुशी से उछल पड़ी। 

मुस्कान अपने फैन को गिफ्ट में एक लाख रूपये इनाम देने वाली है, उसके फैन को बस इतना करना होगा, मुस्कान के सबसे अधिक ऑटोग्राफ लेकर दिखाना होगा। जिसके सबसे अधिक ऑटोग्राफ होंगे, वही विजेता माना जाएगा। उसी को इनाम दिया जाएगा। यह सुनकर तो शहर के तमाम लोग उसके घर और गाड़ी के आगें पीछे दौड़ने लगे। 

मोना को लालच जाग गया। उसे पता हैं पति घर में नहीं, और मोना के ऑटोग्राफ से भरी कापी उसके पास हैं। एक लाख रूपये ऐसे मिल रहे हैं बिना मेहनत के। एक दिन कापी गलकर खराब हो जायेगी। फिर रद्दी में देने पर पाँच रूपये नहीं मिलेंगे। वह कृष्णा को बिना बताये कापी लेकर पहुँच गई। मौजूद कर्मचारी को ऑटोग्राफ दिखाये, मैडम के ऑटोग्राफ से मैच हो गये। सभी आश्चर्य थे इतने ऑटोग्राफ मैडम के। मगर उन्हें क्या, कापी जमा कर लिए। नाम पता लिखकर उसे जाने दिये। 

जल्द ही मोना के मोबाइल में कॉल आया। आप एक लाख रूपये की विजेता हैं। उसके खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुस्कान इनाम की राशि बांटने के लिए सभी फैन को बुलाई। मोना तो उसकी विजेता हैं। पति के आते ही उसके सेवा में लग गई। 

"मैं कही मुस्कान से मिलने न चला जाऊँ सोचकर ही मोना मेरा ख्याल ज्यादा रख रही हैं।" कृष्णा के मन में विचार आया। 

"पति की अच्छी सेवा करूँगी तो उन्हें कापी की याद नहीं आयेगी, बाद में इनाम की राशि पाकर खुश हो जाएगा।"

मोना सोच रही थी।

"देखो जी, आज न एक बहुत बड़ी खुशखबरी हैं हमारे लिए। लेकिन मैं तभी बताऊँगी, जब आप मना नहीं करोगें।"

सुबह सुबह ही कृष्णा को प्यार से बोली। 

"तुम इतना प्यार से बोलोगी तो मैं कैसे मना कर सकता हूँ। कहो क्या करना है?"

हकीकत से अंजान कृष्णा उसकी बातों में आ गया। 

"बस कुछ नहीं, आपकी दोस्त मुस्कान से मिलने जाना है।"

मोना की बात सुनकर उसकी आँख फटी की फटी रह गई। एक पत्नी के सामने दूसरी लड़की से मिलने जाने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। वह भी वही सोचता हैं जो मोना कल तक सोचती थी। भूल गई होगी मुस्कान, यदि पहचान भी ली तो क्या कहेंगे मिलकर। यही की जिंदगी घिस रहा है। उसने बहाना बनाया। 

"कैसी बात कर रही हो मोना, वो मुझे कॉलेज में मिली थी, आज दस साल से ज्यादा हो गये कॉलेज छोड़ें, एक फिल्म स्टार होकर वह मुझे कैसे पहचानेगी।"

"वो आप सब छोड़ो न, मत मिलना। दूर से देखकर आ जाऐंगे। चलो न प्लीज। वैसे तो आप बहुत कहते थे दोस्त हैं मेरी। जब शहर आ गई तो देखने तक नहीं जा रहें।"

मोना उसे मनाने के लिए बोली। कृष्णा को समझ नहीं आया औरत दूसरी लड़की को देख लेने से तांडव कर देती हैं, मगर मेरी वाली तो ऑफर कर रही हैं। वह फौरन तैयार हो गया। चलो इसी बहाने देखने को तो मिल जाएगी। दोनों सज धज कर गये। साथ में उनका बेटा दिव्य, कुछ ही देर में तय स्थान पर पहुँचे। देखें तो इतनी भीड़, पैर रखने के लिए जगह नहीं। 

किसी तरह जाकर पीछे खड़े हो गये। मुस्कान कुछ साथियों के साथ मंच पर आई। अपने फैन्स का अभिवादन की। मोना का नाम विजेता के लिए पुकारा गया। कृष्णा पूरी बात से अंजान था। मोना हँसते हुए मंच पर पहुँचीं, इनाम की राशि ली, मुस्कान ऑटोग्राफ से भरी कापी को दिखाकर बोली

"मैम, कैसा लगा यह इनाम पाकर?"

"बहुत खुशी हो रही हैं अंदर से। एक साथ इतने पैसे पाकर मैं बहुत खुश हूँ।"

"लेकिन आपके पास मेरे इतने ऑटोग्राफ से भरी कापी आई कैसे?"

"पति से।"

"कहाँ हैं वो? यदि यही हैं तो मंच पर बुलायेंगी आप।"

कृष्णा को आवाज दी गई। वह सारा माजरा समझ गया। डरते डरते मंच पर पहुँचा। हजार की भीड़, मुस्कान सामने। हाथ में माइक लिए, मुस्कराते हुए देख रही हैं। कृष्णा की नजर झुकी हुई। वह कुछ बोल नही पा रहा था। 

"कैसे हो कृष्णा?"

नाम वह भी नहीं भूली। 

"मैं ठीक हूँ मुस्कान, तुम कैसी हो?"

"मैं भी बहुत अच्छी हूँ। आखिर मेरे ये ऑटोग्राफ तुमसे मिला ही दिया। मुझे लगा यदि शहर छोड़कर चले गए होंगे तो नहीं मिलोगे। मगर ऐसा नहीं हुआ। मैं आज बहुत खुश हूँ। मोना जी आपकी पत्नी, वो भी बहुत खूबसूरत हैं। आप दोनों की जोड़ी हमेशा सलामत रहे, मैं दुआ करती हैं।"

"मुस्कान मुझे इन ऑटोग्राफ का कोई पैसा नहीं चाहिए, मुझे मेरी कापी वापस चाहिए। जो भी हुआ मेरे से छिपाकर किया गया। मुझे मालूम होता तो शायद यहाँ तक कभी नहीं पहुँचते। मुझे माफ करना।"

मुस्कान मुस्कराते हुए बोली

"इसमें तुम्हारी कोई गलती नही। इतने बड़े शहर में किसी व्यक्ति को कितने ऑटोग्राफ दे सकती थी। ज्यादा से ज्यादा पाँच दस, मगर मुझे मालूम था जो तुम्हारे पास हैं उनकी कोई गिनती नहीं। मुझे जब सफलता मिली, तो पहली सैलरी का पैसा में तुम्हें देना चाहती थी। जो तुम्हारे पत्नी के हाथ में हैं। मगर तुम इन ऑटोग्राफ का क्या करोगे?"

"वही जो आज तक करते आया हूँ। मुस्कान मैंने जब भी कठिन वक्त देखा, अपने आप को परेशान पाया तो इन ऑटोग्राफ को देखा। मुझे तुम्हारे ऑटोग्राफ से जो हिम्मत मिली शायद इन पैसों से न मिले। मैं इन्हें नहीं खोना चाहता।"

मुस्कान ने वह कापी वापस कर दी। जिसे पाकर कृष्णा का चेहरा खुशी से खिल उठा। वह पत्नी मोना की तरफ देखा, जो सिर झुकाकर खड़ी थी। जैसे जिंदगी की सबसे बड़ी गलती कर दी हो। आज तक पति उसके लिए सिर्फ जरूरत पूरी करने वाला व्यक्ति था, मगर कितना बड़ा दिलवाला था, उसे आज मालूम चला। एक फिल्म स्टार उससे मिलने के लिए बेताब हैं, सोचकर ही उसका चेहरा उतर गया। उसके बाद उसने कभी पति को ताना नहीं मारी। घर आने से पहले गिलास भर पानी लेकर खड़ी मिलती। वह समझ चुकी थी कृष्णा की कीमत।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance