सांस्कृतिक कार्यक्रम
सांस्कृतिक कार्यक्रम
अरुण, श्रीकांत, गुनवंता और अन्य मित्रों के प्रयास से, जीन कुछ मित्रों ने वर्गमित्रों के पुनर मिलन का एक सपना देखा था। आज उन्होंने उसे अपने जीद और मेहनत से हकिकत में बदल दिया था। जिसके लिए उन्होंने अपना खुन-पसिना बहाया था। इस कार्यक्रम में लग-भग सभी मित्र और गुरुजन पदारे थे।सुबह ही कार्यक्रम की शुरुआत गुरुजनों के आगमन और उनके परंम-परागत तरिके से स्वागत और सम्मान किया गया था। इस कार्यक्रम में श्रीकांत, हृदयाघात से पिडित होने के कारण उसके द्वारा भेजा गया अपने मित्रों के नाम का जो संदेश मिला था उसे पढा गया था। सुबह के कार्यक्रम में सभी गुरुजनों ने अपने माजी विद्यार्थीयों का खुले दिल से हृदयस्पर्षि मार्गदर्शन किया था। विद्यार्थीयों द्वारा किया गया गुरुजनों का सम्मान और इस भव्य कार्यक्रम के आयोजन के लिए उनकी सरहाना की थी। अरुण के हिमानी काव्य संग्रह का भी विमोचन उनके प्रिय मित्र पदमनाभन द्वारा किया गया था। दोपहर के भोजन का समय होने पर, कार्यक्र्म को भोजन के लिए खंडित किया गया था। सभी उपस्थिति छात्रों और गुरुजनों ने दोपहर के स्वादिष्ट भोजन का चर्चा करते-करते लुप्त उठायां था। दोपहर का भोजन का कार्यक्रम खत्म होने के बाद गुरुजनों को धन्यवाद देकर उनकी बिदाई की गई थी। उनके बिदाई के बाद सभी मित्रगण सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए उतावले हो चुके थे। सभी मित्र अपना हुनर दिखाने के लिए आतुर थे। सभी के दिल में एक खुशी की लहर दौड रही थी। वे कौन क्या प्रस्तुत करेगा इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।इंतजार की घडी तब खत्म हो गई थी, जब रिना ने फिर से माईक हाथ में पकड लिया था।
उसके बाद आगे के कार्यक्रम की शुरुवात हुंई थी। रीनाने सभी को अपना स्थान ग्रहन करने की बिनंती की। सभी मित्रों को एक-एक करके अपने अर्धांगीनी के साथ स्टेज पर बुलाकर अपना परिचय और संक्षिप्त में परिवार की जानकारी देने आग्रह किया गया था। सभी विवाहित युगलों का स्मृति चिन्ह और गुलदस्ता देकर स्वागत किया गया था। इस अवसर पर सभी ने अपने अनुभव व्यक्त किये थे। प्रबंधन कॅमेटि के सदस्यों का तह दिल से इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए शुक्रिया अदा किया गया था। परिचय समारोह खत्म होने के बाद चाय के लिए सभी को आमंत्रित किया गया था।
जलपान के बाद फिर दोप्रहर में सांकृतिक कार्यक्रम को शुरुआत की गई थी। उदघोषिका रीना द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया था। बारी-बारिसे वह सभी को आमंत्रित कर रही थी। सर्व प्रथम उसने हृदय रोग तज्ञ डॉकटर अजय, को आमंत्रित किया था। उनसे हृदय और स्वास्थ संबधी जानकारी देने का आग्रह किया गया था। अजय एक माना हुंआ हृदय रोग तज्ञ था। अपने व्यस्ततम कार्यक्रम को रोक कर वह अमरावतीसे इस कार्यक्रम में आया था।वह सभी मित्रों से एक सामान्य मित्र की तरह व्यवहार कर उनसे बहुंत ही भाऊकता से मिल्र रहा था। अजय ने संबोधीत करना शुरु किया था।
डॉकटर अजय : आज इस कार्यक्रम में उपस्थित होते हुयें मुझे बेहद खुशी हो रही हैं। प्रबंधन कॅमेटि के लिए मैं विशेष आभार व्यक्त करुंगा!। वे सभी, मुझे कार्यक्रम सबंधी जानकारी देने हेतु मेरे क्लिनिक अमरावती में आये थे। बहुंत मरिज होने के कारण उन्हे थोडा इंतजार करना पडा। मित्रों को इंतजार करवाना मुझे महाभारत के कृष्ण व सुदामा के मित्रता को अपमानित करने जैसा महसूस हुआ था। आज फिर में आप सभी के सामने उनकी माफी मांगता हुं। और उसके बाद अजेय ने आवश्यक स्वास्थ सबंधी जानकारी दी थी। अंत में एक गीत गाकर सभी का मनोरंजन किया था। अगले सम्मानित सदस्य को आमंत्रित करने हेतु रीना को माईक सुपुर्द किया था।
रीना: हम सभी मित्र डॉकटर अजय, को धन्यवाद देते हैं कि उसने इतनी व्यस्तता के बावजुद अमरावती से आकार अपना बहुमल्य समय अपने मित्रों को दिया। मुझे लगता हैं कि जीवन में पैसा और अन्य संबधोंसे बढकर पुरानी स्कूली मित्राता ज्यादा किंमती होती हैं। सभी के कंठ भर आयें थे। सभी ने तालियां बजाकर इस बात का समर्थन किया था। उसने फिर प्रमोद को आमंत्रित किया था। प्रमोद भी सेना में एक महत्वपूर्ण उच्च अधिकारी था, जो कार्यक्रम के लिए सुबह वाली फ्लाईट से पुना से नागपुर, नागपुर से अरुण के परिवार के साथ आया था।
प्रमोद: सभी का हार्दीक अभिनंदन करते हुयें कुछ अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा की थी। स्कूल जीवन काल की यादे सभी के साथ साझा की थी। एक गाने की रेकार्डेड धुंध जो उसने बजाई थी। हम सब को सुनाया। उसी गाने को फिर खुदही गाया था। गाने के बोल थे।तुम अगर मुझे नहीं चाहो तो कोई बात नहीं, -------- यह गाना उसने किस संदर्भ में गाया था। ये तो वह और वही जाने। अंत में उसने अरुण के पुत्र को उसे नागपुर से कार्यक्रम में लाने के लिए धन्यवाद दिया था।
रीना: ने प्रमोद को धन्यवाद देते हुये कहा। आप गैर को ना चाहो तो कोई शिकायत नहीं। लेकिन मित्रों को
ना चाहो तो शिकायत जरुर होगी !।
रीना: अब बारी हैं उस नौजवान मित्र की जो आज भी पहिले जैसा ही नौजवान लगता हैं। सभी मित्रगण, उससे ये जानने के लिए उत्सुक थे कि उस के सदाबहार होने का राज क्या हैं ? हम सबको बताएं। मैं आमंत्रित कर रही हूं गुनवंता को, आईयें अपना रहस्य सबको बताईयें।
गुनवंता : सभी को मेरा नमस्कार, वैसे तो गृहमंत्रालय का सक्त आदेश हैं कि यह जानकारी किसी से साझा नहीं करना हैं।लेकिन आप सभी मेरे मित्र हैं इसलिए आप से साझा करना चाहुंगा !। गृहमंत्रालय मुझ पर नियम के उलंघन के लिए अनुशासनात्म्क कार्र्वाई भी कर सकता हैं। बस इसका राज हैं रोज खाने में पौष्टीक आहार और् पत्नी का भरपुर प्यार, और रोज उसके हाथो से संतुर साबुन से स्नान। सभी मित्र भाभी के तरफ देखकर जोर से हसने लगे थे।
अरुण: भाभी, इस में कितनी सच्चाई हैं।क्रुपया बताने का कष्ट करे!।
शांता ;सुनो भाई साहब, कल आप सुबह हमारे घर आईये गां !।
अरुण: क्यों भाभी, नाश्ते के लिए बुला रही क्या ?
शांता : नाश्ता तो मैं दोनो को जरुर खिलाऊंगी ! सच्चाई जानना चाहते हो ना, सच्चाई का वीडिओ कौन लेगा ?।
अरुण : कैसा वीडिओ भाभी।
शांता ; अरे कल मैं, इनकी, मेरे हात के झाडू से संतुर स्नान करवानी वाली हूं ! सब मित्र जोर हसने लगे।
अरुण :अरे भाभी, हमारा इरादा तो कुछ ऐसा नही था।खता हो गई, खता बक्ष दो, ओ मेरी अच्छी भाभी। गुनवंता ने फिर माईक रीना को संचालन के लिए दिया।
रीना : अन्य मित्रो को भी बारी- बारी से बुलायां गया था। प्रस्तुती के बाद, सबका धन्यवाद देते रही। फिर उसने अरुण को आमंत्रित करते हुयें, उसने अपनी इच्छा व्यक्त की, वो उसके काव्य संग्रह में से जो कविता उसे पसंद हैं उसे सुनायें।
अरुण : धन्यवाद रीना। सभी का अभीवादन करते हुयें उसने कहा, जीस तरह से आज रीना ने कार्यक्रम का संचालन किया उसके लिए रीना सही माने में सादुवाद की पात्र हैं। मेरे जैसा मित्र उसकी इच्छा पूर्ण ना करे ये हो नहीं सकता। आप उसे होने नहीं देंगे। और रीना मुझे ऐसे जाने नहीं देगी !।उसे जो कविता पसंद थी उसका मैंने वाचन किया था।
बडे अरमान से रखा हैं मेरे सनम, तेरी कसम,
रीटायर्मेंट के जीवन में ये पहिला कदम, पहिला कदम।
तेरी कसम, मेरे सनम।
सुबह उठकर थमा के झाडू, मुकर मत जाना,
एक चाय के प्याली के लिए, मेरे सनम, तेरी कसम।
दोस्तों से कहा देखो मैंने रीना की बात रखी हैं। सौ सोनार की, एक लौहार की। तो रीना ने भी हम सब की बात रखनी चाहिए की नहीं ? सभी दोस्तो ने कहा बिलकुल रखनी चाहिए। उन्होने तालिया बजाकर समर्थन किया। फिर मैंने सब के आग्रह पर उसे एक शानदार, जानदार और बहारदार गीत गाने का आग्रह किया था।
रीना : सभी को धन्यवाद देते हुयें उसने एक सुंदर गीत गाया था।सभी ने उसे सराहा, तालियां और स्कूली अंदाज में सीटीयां भी बजाई थी। उसके बाद अन्य इच्छुक मित्रों के भी कार्यक्रम हुये थे। रिना ने सभी का धन्यवाद किया था। कार्यक्रम अभी अंतिम चरण में पहुंच कर धन्यवाद प्रस्ताव के कगार पर खडा था। इसलिए उसने गुनवंता को धन्यवाद प्रस्ताव के लिए आमंत्रिक किया।
गुनवंता : उसने कहाँ जब यह कार्यक्रम करने की हमने सोचा था। तब यह असंभव सा लग रहा था। लेकिन मेरी, अरुण और श्रीकांत की इच्छा शक्ति इतनी प्रबल थी कि यह कार्यक्रम आज सफल संपान्न हुआ हैं। इस कार्यक्रम के सफलता से मानों हम सभी ने आसमान छुल लिया हैं। इसके लिए में स्थानिय मित्रों का आभार व्यक्त करता हुं। जीन्होने पल- पल पर अपना सहयोग दिया हैं। अपना धन, समय और शक्ति का व्यय कार्यक्रम को सफल बनाने में दिया। लेकिन यह कार्यक्र्म अधुरा रहता अगर हमारे मित्र इतने दूर जैसे, चैनई, बेंगलुरु, मुंबई, पुना अहमदाबाद और अन्य नगरों से आये नहीं होते !। शादय उन्हे इस कार्यक्रम का महत्व समझम में आया था। आज जो सुनहरे पल उन्होंने अपने पुराने मित्रों और मैंत्रीनीयों के साथ बितायें, शायद यह पल उन्हे जीवन के अंतिम क्षण तक याद और प्रेरना देते रहेंगे !, ऐसा मुझे और प्रबंधन समिती को पुरा विश्वास हैं। प्रबंधन समिती ने अपनी और से जो बन सकता था, वो सब अपनी क्षमता से बढकर प्रयास किया हैं। सफलता के लिए एडी-चौटी का जोर लगायां हैं। फिर भी कुछ् कमियां अगर रह गई हो तो आप सब हमे क्षमा करे!। अंत में फिर मैं श्रीकांत के प्रयासो का आभार करते हुयें, हम सब की और से ईश्र्वर से उसके जल्दी स्वस्थ होने की कामना करते है। और आज का कार्यक्र्म समाप्त होने की घोषना करता हुं। आप सब को धन्य्वाद फिर से देते हुयें अपने शब्दों को विराम देता हुं। सभी मित्रगन अपने- अपने तय कार्यक्रमनुसार कार्यक्र्म समाप्त होने के बाद चले गयें थे। कुछ मित्र अगले दिन जानेवाले थे।