Arun Gode

Tragedy

4  

Arun Gode

Tragedy

गलत सोच.

गलत सोच.

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गलत सोच.

        दक्षिण भारत में एक अत्यंत गरीब परिवार था। उन्हे एक पुत्र था। माता –पिता कड़ी मेहनत करके, परिवार का कैसे तो भी गुजारा कराते थे। कड़ी मेहनत करके, वे अपने एक मात्र पुत्र को स्कूल भेजा करते थे। लड़का भी घर के हालत को अच्छी तरह से समझता था। अन्य लड़कों तरह, मौज –मस्ती करने के लिए उसके हात खुले नहीं थे। कई बार स्कूल की फीस भी नहीं भरने के कारण ,उसे जलील किया जाता था। माता –पिता कड़ी मेहनत करके उसकी आवशकताऐं पूरी करते थे। बच्चपन से ही उसका मुक़ाबला गरीबी से चल रहा था। इसलिए उसकी दिली तमन्ना थी कि वह अपने जीवन में अमीर आदमी बने और अपने माता-पिता और खुद खुशहाली का जीवन व्यतीत करे !। वह यह सपना रोज अपने खुली आंखों से देखा करता था। उसके लिए वह प्रयासरत था। उसने विज्ञान शाखा में स्नातक की उपाधी प्राप्त कर ली थी। उसे एक विज्ञान विभाग में वैज्ञानिक श्रेणी में जॉब भी मिला था। उसे अच्छी ख़ासी तनख्वा मिल रही थी। लेकिन उसके सपने कॉफी बड़े थे। उन सपनों को पूरा करने के लिए वह जद्दोजहद कर रहा था।

           उम्र कॉफी होने के कारण, उसके माता-पिता ,उसकी शादी रचना चाहते थे। कई लड़कीयों के प्रस्ताव उसके पास आऐ थे। लेकिन वह उन्हे ठुकरा दिया करता था। उसके दिमाग में कोई योजना चल रही थी। वह बच्चपन से देख और सुन रहा था कि उसके आस-पड़ोस के लोग विदेश जाकर, बड़े अमीर हो चुके थे। उन्होने वहां जाकर , वही का व्यवसाय जैसे दक्षिणी नाश्ता जैसे वडा सांभार , इडली ,दोसा इत्यादी का व्यवसाय करके अमिर बने थे। उसने विभाग में भी विदेश जानेके लिए, अन्य कर्मचारीयों को देखकर , बहूंत प्रयास किया था। लेकिन वह उस में असफल रहा था।

        अचानक उसे एक ऐसा रिश्ता आया था। उस परिवार में दो लडकीयाँ थी । बड़ी लड़की की शादी किसी अनिवासी भारतीय से हुई थी। वह अमेरीका में व्यवसाय करता था। उसका पूरा परिवार वही स्थाई हो चुका था। उसकी साली भी अमेरिका में रहती थी। वह, वहाँ जॉब के लिए प्रयासरत थी। उस लड़के को इस रिश्ते में, अपने सपने साकार होने के आसार नजर आऐ थे। उसने इस रिश्ते को हामी भर दी थी। शादी होने के कुछ माह बाद उसके पत्नी के बहन का संदेशा आया था कि उसके पत्नी को कोई जॉब का ऑफार आया हैं । इस खबर को सुनकर पत्नी से ज्यादा ,उसका पाती खुश हुआ, था। उसने ,उसमें ,अपनी मंजील नजर आ रही थी। उसने ,अपने पत्नी को भेजने का मन बना लिया था। वह अमेरिका जा चुकी थी। कॉफी समय बीत चुका था । लेकिन उसके पती को, वहाँ का वीजा नहीं मिल रहा था। उसके बहन का बहनोई किसी नीजी कारण से ऐसा होने नहीं दे रहा था। अभी उसे लग रहा था। कि वह अपने पत्नी को खो चुका हैं । अचानक किसी हादसे में उसके सांस –ससुर की मृत्यु हो चुकी थी। उसने इसकी खबर अपने पत्नी को दी थी। लेकिन बहनोईने खबर भेजी की उन्हे आने में कुछ समय लग सकता हैं। इसलिए वह उनका धार्मिक रिती-रिवाजों से अंतीम संस्कार कर ले। उसने सोचा की दामाद भी , पत्नी के माता-पिता के बेटे के तुल्य होता हैं। यह सोचकर , उसने एक बेटे का फर्ज अदा किया था। समय बित चुका था। सभी धार्मिक संस्कार उसने पूरे कर लिऐ थे । लेकिन ना उसकी पत्नी आई थी । ना बड़ी बहन आई थी। वह अभी हिम्मत हार चुका था। उसने संजोऐ सभी सपने ताश की पत्तों की तरह ढह चुके थे।

        उधर उसके पत्नी की दुविधा अलग थी। उसकी बड़ी बहन बच्चे पैदा करने में असमर्थ थी। सभी मेडिकल जांच उसकी पुष्टि कर रहे थे। अब उसके सामने दो ही विकल्प बचे थे। वह एक तो बच्चा गोद ले ,जो अमेरिका में असंभाव था। या उसके पती कों दूसरी शादी करने की अनुमती दे। लेकिन दूसरी शादी अमेरिका में करना असंभव था। इस लिए उसने अपने बहन कों बच्चा पैदा करने की खुली छुट दी थी। उसने अपने जीजा से गर्भ धारण कर लिया था। उसके प्रसूति का समय और उसके माता- पिता के मृत्यु का समय एकही था। इसलिए वह परिवार अपना कुकर्म छुपाने के लिए स्वदेश माता-पिता के अंतीम संस्कार में नहीं आया था ।

       इधर उसके पती अवस्था ,आसमान से गिरे और खजूर में लटके जैसी हो गई थी। जब तक उस नवजवान को अपने गलती का ऐहसास हो चुका था । तब तक सभी बातें और परिस्थितियाँ उसके अनुकुल हो चुकी थी। अब क्या पस्ताने से फायदा ,जब चिड़ियाँ चूक गई खेत । उसने अपने पत्नी को तलाख देनेका सोचा था। कानून उसे वैसा नोटिस भी भेजा था। उस के जवाब में उसने उसको गुजारा भत्ता और उसके संपत्ती में आधा हिस्सा माँगा था। उसने उसे अमेरिकन कोर्ट में खिचने की भी धमकी दी थी। सभी परिस्थितियों का आर्थीक रूप से आकलन करने के बाद ,उसे समझ में आया था कि इस में उसका कॉफी समय और खर्चा होगा !, और अंतिम परिणाम बुराही होनेवाला हैं। उसकी हालत वैसे हो गई थी । जैसे , खाया पिया कुछ नहीं ,गिलास तोड़ा बाराह आना। आखिर हताश होकर उसने समय के साथ चलते रहने का निर्णय लिया था।



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