Arun Gode

Inspirational

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Arun Gode

Inspirational

किरण

किरण

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      कुछ वर्गमित्र सेवानिवृत्ति के बाद, अपने जन्म गाँव में मिलते हैं । वे सभी अपनी एकसठवीं सामूहिक तरीके से मनाते हैं । उसमें कुछ लंगोटीयार भी होते हैं। वे अपनी एकसठवीं बड़े धूमधाम से मनाते हैं। बिछड़े स्कूली यारों को दुबारा पाकर, वे अपने आप को दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान समझते हैं । इस मिलने के खुशी को, वो सभी बार –बार जीना चाहते थे। इसलिए वे हर साल, उस कार्यक्रम की वर्षगांठ मानाने की सोचते हैं । अगले साल, फिर उस कार्यक्रम की सालगिरह

मनाने इकट्ठे हुए थे । उन्हें, उस कार्यक्रम से, जीने की नई ऊर्जा और उमंग मिलती थी । वे सभी, एक नए ऊर्जा के साथ अपने गाँव और शहर चले जाते हैं। उधर कुछ ही दिनों बाद महामारी, कोरोना का तांडव शुरू होता हैं । देश में जिधर –उधर, एक भय और सन्नाटे का वातावरण तैयार होता हैं। सभी अपने आपको सुरक्षित करने का भरपूर प्रयास कराते हैं। फिर भी जिधर –उधर, महामारी का प्रकोप दिखाई देता हैं। हर परिवार का, हर सदस्य, अपने आप डरा सा महसूस करता हैं। 

    अचानक एक दिन, एक मित्र का, अरुण को फोन आता हैं । इधर-उधर की संक्षिप्त में वार्ता-लाप खत्म करके ,वह हिम्मत जुटा के, अरुण से पूछता हैं कि क्या, उसे, कुछ किरण के बारे में पता हैं क्या ?। ऐसा सवाल करता हैं। अरुण, उसे जवाब में कहता हैं कि उसे किरण के संबंध में कोई जानकारी नहीं हैं । तब, वह मित्र, अरुण को बताता हैं कि किरण कोरोना महामारी से संक्रमित हो चुका हैं । उसे सरकारी अस्पताल में भरती किया हैं। वहाँ, उसका इलाज चल रहा हैं । उसकी बचने की कोई उम्मीद नहीं हैं । उसे वेन्टीलेटर पर रखा गया हैं। यह सुनकर अरुण चौंक जाता हैं। उस वक्त, कोरोना का प्रकोप बहुत चरमसीमा पर था। वयोवृध्द लोगों को, उसके संपर्क से बचने की खास सलाह दी जाती थी। इसी कारण, उसको मिलने जाने की कोई भी हिम्मत जुटा नहीं सकता था। अगर हिम्मत जुटा भी लेते ,तो उनके परिवारवाले और प्रशासन , उन्हें कही भी जाने नही देते !। बहुत दिन तक किरण कि कोई खबर नहीं मिल रही थी। उसका फोन भी बंद था। उसकी खोज –खबर करना बहुत कठिन काम हो गया था। कोई खबर नहीं ,याने सब कुछ कुशल –मंगल समझा जाता हैं । अचानक बहुत दिनों बाद, अरुण के दिल में खयाल आता हैं कि वह, अपने मित्र किरण को फोन करके कुछ हाल-चाल पता करे । फोन करते समय, उसके दिमाग में कई अच्छे –बुरे खयाल आयें थे। फिर भी , उन सब बातों को, नजर अंदाज करके, उसे फोन किया था । बेल कॉफी समय बजने के बाद , जब अरुण की उम्मीद, पूरी तरह से टूट जाती हैं ,और वह निराश होकर ,फोन काटने वाला ही था कि उधर से आवाज आती हैं। अरे बोल अरुण, तूने कैसे आज इस गरीब को याद किया हैं। तभी अरुण के जान में जान आती हैं। उसे विश्वास हो जाता हैं कि, उसका यार अभी जिंदा हैं । वह एक लंबी चैन की सांस लेता हैं। उसके चेहरे पर एक हँसी मुस्कान दिखती हैं । तभी, उसे सही सलामत देखकर, वह खुशी से समा नहीं पाता। उसे, अपना दोस्त कोरोना की जंग जीतकर आया हैं। इसी की उसे बेहद खुशी होने के कारण ,वह कुछ भी बोल नहीं पाता। तभी किरण कहता हैं, मैं किरण ही बोल रहा हूं ,अभी तुम्हारे दुआओं के कारण, कोरोना राक्षस को मात देकर , पहिले जैसा ही हूं । यह सुनकर, वह उससे बात आगे बढ़ाता हैं । फिर उसके स्वास्थ्य के संबंध में पूछ –ताछ करता हैं। औपचारिकता पूरी होने के बाद ,दोनों में याराना बातचीत शुरू होती हैं । तभी अरुण किरण से पूछता हैं की अरे तू यमराज को चकमा देकर कैसा जिंदा हैं । मैंने, तो तेरी जाने की खबर सुन ली थी । हमने तो ख़ाब में तेरा अंतिम संस्कार कर लिया था !। फिर वह अपनी आप बीती सुनाता हैं।

    अपना कार्यक्रम खत्म होने के बाद, आप सब चले जाने के पश्चात , उसके, एक स्थानीय मित्र के मातोश्री का निधन हो जाता हैं । उस दिन हम सभी मित्र, उसके अंतिम संस्कार में लगे थे। उस दिन, उसका दो-तीन बार स्नान हो चुका था। दूसरे दिन उसे काफी थकान और बुखार था। तभी उसने डॉक्टर को दिखाया था। उसने , उसे बड़े अस्पताल में जाकर भरती होने को कहां था क्योंकि उसका ऑक्सीज़न स्तर काफी नीचे आया था। लेकिन मैंने , उसकी बात न मानते हुए , दूसरे डॉक्टर की सलाह ली थी। उसने , उसे कुछ टेस्ट करने को कहाँ था । टेस्ट रिपोर्ट आने में विलंब हुआ था । एस लिए, वह दूसरे दिन बड़े जिला स्तर के अस्पताल में गया था । वहाँ, उसने , वो सभी रिपोर्ट दिखाने के बाद, उसे अतिसंवेदनशील कक्ष में रखा गया था। उसे वहाँ वेन्टीलेटर के सहारे, ऑक्सीज़न की मात्रा बढ़ाने का कार्य चल रहा था। लेकिन, उसके प्रकृति में कोई सुधार नहीं हो रहा था। डॉकटर के टिमने घरवालों को, उसके जीवित रहने की संभावना को नकारा था। और अंतिम संस्कार की उचित करवाई करने को कहाँ था। उसे बाद में, मृत्यु कक्ष में स्थानांतरित कर दिया गया था। उस कक्षसे रोज दो –तीन मरीज इस संसार से बिदाई ले रहे थे। वह, यह नजारा, अपने खुले आंखों से देख रहा था। अचानक, एक दिन एक महिला को ,उसके बगल में रखा गया था। उस महिला को असहाय वेदना हो रही थी। और फिर उसने दम तोड़ दिया था। तभी मेरे कान खड़े हो गऐ थे । उसने सोचा की यमराज उसके बगल में खड़ा हैं । और वह, उसके दम तोड़ने का इंतजार कर रहा हैं । तभी उसने ,अपनी पूरी ऊर्जा को संघटित किया था । और वेंटिलेटर के साथ ताल-मेल बैठाने लगा । उस हादसे ने, उसे जीने की शक्ति प्रदान की थी । उसका फिर ऑक्सीज़न स्तर धीरे –धीरे बढ़ाने लगा था। जब डॉक्टर ने, उसकी औचारिकतावश जांच की तो, उसके भी कान खड़े हो गऐ थे। उसने फिर दूसरा ओक्सीमीटर मंगाया था । जांच के बाद उसे संतुष्टि हो गई की उसका ऑक्सीज़न स्तर ठीक था। तुरंत उसे, फिर से अतिसंवेदनशील कक्ष में भेजा गया था । वहाँ इलाज के बाद वह ठिक हो गया था। इस तरह उसने, यमराज को चकमा दिया और अपने यारों का साथ देने के लिए, वह उनके साथ जिंदा था. उसने एक बात बड़े विश्वास के साथ कहीं थी कि उसे अभी मौत से डर लगता हैं। उसका कहना था । जो मौत के मुंह से एक बार लौट आता हैं , उसे फिर मौत का डर नहीं लगता हैं। कायर लोग तो जिंदगी में रोज मरते हैं । लेकिन किरण जैसे जांबाज सिर्फ एक बार ही शान से मरते हैं। तब अरुणने अपने विचार व्यक्त किऐ थे कि उसके माता –पिताने , उसका नाम सोच समझकर ही किरण रखा था । ताकि वह, औरों के लिए एक आशा की किरण बने !। उसके हिम्मत को सराहते हुए , सभी हमेशा मौत का सामना करना सीखे !। 



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