मानवता।
मानवता।
एक बड़े शहर के नई बस्ती में कुछ परिवार ने, साहस करके, अपने सपनों का आशियाना बनाने का संकल्प किया था। संकल्प इतना कठिन था की सुनसान जगह परिवार के साथ रहना कठिन था। महानगर पालिका कि किमान सुविधाएँ भी नहीं थी। एक परिवार ने अपना मकान बनाने का कार्य आरंभ किया था। घर काम में आनेवाले जरूरी व महंगे सामान रखने के लिए एक मजबूत झोपड़ी बनवाई थी । धीरे –धीर मकान बनाना शुरू हुआ था। तभी एक वाहन चालक, लगातार उनके मकान के लिए आवश्यक सामान ढोने का कार्य अपने वाहन द्वारा करने लगा था। धीरे –धीरे उसकी दोस्ती, उस मकान वाले परिवार के साथ हो गई थी। अभी वह उनका विश्वासपात्र मित्र बन चुका था। परिवार वाले उसके साथ, घर के सदस्य जैसा व्यवहार करने लगे थे। कभी-कभी वह अपने परिवार को भी वहाँ लाया करता था। इसलिए दोनों परिवार में संबंध जुड़ गए थे। जब मकान बन गया था। तब उस परिवार ने, मकान के वास्तु कार्यक्रम में, उस परिवार को आमंत्रित किया था। उस दंपति ने, उनकी अपने घर के सदस्य जैसी मदद कार्यक्रम में की थी। परिवार को एक कामवाली बाई की जरूरत थी। तभी मकान मालकिन ने , उसके सामने वह प्रस्ताव रखा था। साथ में बगलवाली झोपड़ी में रहने का प्रस्ताव भी रखा था। नई बस्ती होने के कारण उस दंपति ने सोचा की दोनों को वहाँ रोजगार के काफी अवसर होंगे !। और किराया भी बचेगा । उस सोच के कारण वह परिवार वहाँ स्थानांतरित हो गया था। दोनों परिवार वहाँ मिल –जुल के रहे रहे थी। उसके छोटे-छोटे बच्चे अभी काफी बड़े हो रहे थे। सब कुछ ठीक –ठाक चल रहा था। अचानक उस वाहन चालक का अपघात में देहांत हो जाता हैं। उस परिवार पर संकट के बादल छा गाएँ थे। उस मकान मालिक के परिवार ने, उस टूटे हुये परिवार का साहस बंधाया था। वह नौकरानी उनके अलावा, अन्य घरों में भी काम –काज करके ,एड़ी –चोटी का ज़ोर लगाकर अपने परिवार को पाल रही थी। उसे तीन पुत्र थे। समय के साथ नई बस्ती बढ़ रही थी। काफी परिवार वहाँ रहने आ चुके थे। वहाँ, उस मकान मालिक के पत्नी ने, एक महिला मण्डल बनाया था। उसके काफी सदस्य बन चुके थे। अभी उस बेसहारा परिवार के लड़के काफी बड़े हो चुके थे। उसका बड़ा लड़का, कई घरों में रोटी बेलने का काम करता था। धीरे –धीर वह कुछ घरों में खाना बनाने का कार्य करने लगा था। उस बस्ती में महिला मण्डल और अन्य त्यौहारों के छोटे –मोटे सांस्कृतिक कार्यक्रम होने लगे थे। उस परिवार के महिला ने, उसके लड़के को , छोटे पैमाने में खान पान का व्यवसाय करने के लिए प्रोत्साहित किया था। उसने उसकी व्यवसाय शुरू करने के लिए कुछ आर्थिक मदद भी की थी। इस तरह, उसका केटरिंग व्यवसाय शुरू हुआ था। जैसे हजारों मिल के सफर की शुरुवात पहिले कदम से होती हैं । परिवार के अच्छे दिन आने शुरू हो गए थे।
उस परिवार की एक सहेली थी । दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी । वह भी, वही आस-पास रहा करती थी। उसका पति किसी निजी कंपनी में वाहन चालक था। वह गर्भवती थी। इसलिए वह उसका अच्छे से खयाल रखती थी। वह पहिली बार माँ बनाने वाली थी। इसलिए वह उसका ज्यादा ध्यान रखती थी। दोनों परिवारों में भले ही खून का रिश्ता नहीं था। फिर भी दोनों परिवारों में अटूट रिश्ता था। अचानक उस महिला की एक दिन तबीयत खराब हो गई थी। उसका पति, कंपनी के काम से बाहर गया था। उस परिवार ने उसे अस्पताल में भारती किया था । लेकिन उसे कुछ चिकित्सा संबंधी विसंगतीयां हो गई थी। जिसके कारण उसका सीजर करना अत्यावश्यक हो चुका था। उसके पति के अनुमती से से, सीजर द्वार उसने एक बालक को जन्म दिया था। जब उसका पति अपने परिवार को मिलने, दूसरे दिन आया था। तब बालक के आगमन के कारण दंपति कॉफी खुश थे । उनके खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। लेकिन वह खुशी, अचानक एक हादसे में बादल गई थी। जब उसका पति काम पर जाने के लिए निकाला था। तब उसके पत्नी को याद आया की डॉक्टर ने कुछ दवाइयां लाने को कहा था। तभी बह दवाई का परचा ढूँढने लगी थी। जब परचा मिला था। तब तक उसका पति काफी दूर चला गया था। उसे परचा थमाने के हड़बड़ी में, वह अपने बिस्तर से एकदम खड़ी हो गई थी। और वह , उसके और बढ़ाने लगी थी। आवाज देते –देते वह काफी दूर निकल गया था । वह अचानक जमीन पर गिर गई थी। डॉक्टरों ने उसका इलाज करना शुरू किया था । लेकिन वे उसे बचा नहीं सके थे । इस हादसे से, दोनों परिवारों पर आसमान टूट पड़ा था। लेकिन उसके सहेली ने, ऐसे परेशानी में एक विवेक पूर्ण निर्णय लिया था। उसने, उस बालक का देख –भाल करने का जिम्मा लिया था। वह एक मानवी सराहनीय कदम था। धीरे –धीर जैसे बालक बड़ा होने लगा , वैसे ही उस परिवार का केटरिंग का व्यवसाय रफ्तार पकड़ने लगा था। तभी बालक चलाने लगा था। तब उसके पिता को अन्य कंपनी में स्थाई वाहन चालक की नौकरी मिली थी। वह उस परिवार को धन्यवाद देकर, उनके अनुमति से बालक को ले गया था। कुछ दिनों बाद उसने, एक लड़की से, अपनी परेशानियां साझी की थी। उस लड़की ने, उस बालक को मां प्यार देने का वादा किया था। उन्होंने शादी कर ली थी। जिस में उस परिवार को आदर –सत्कार के साथ बुलाया था । दोनों परिवारों ने शादी खुशियाँ बटोरी थी।
अचानक देश , कोरोना महामारी के चपेट आया था। देश में रोजगार और भुखमरी का बोल –बाला था। उस परिवार ने हिम्मत करके, कोरोना ग्रसित परिवारों को नाश्ता और दो समय का भोजन देने का कार्य जारी रखा था। उस परिवार ने जी जान लगाकर मरीजों की अपने कार्य से सेवा की थी । इस तरह उसका टीफीन व्यवसाय, ज़ोर पकड़ने लगा था। उसके बाद उसके पास भोजन आपूर्ति के कई ऑर्डर आने लगे थे । आज शहर में उसका अच्छा नाम हैं । अभी वह बड़े पैमाने पर केटरिंग का व्यवसाय करता हैं । उसने कई लोगों को रोजगार देना शुरू किया था। वह एक बेरोजगार युवा से, रोजगार निर्माता बना चुका था। साहस ,विश्वास व इच्छा शक्ति , बड़े से बड़े विपरीत परिस्थितियों को अनुकूल बना सकती. इसका वह एक आदर्श उदाहरण हैं ।