Arun Gode

Abstract

4  

Arun Gode

Abstract

जो बोओगें,वही काटेगें।

जो बोओगें,वही काटेगें।

6 mins
394


एक गरीब बड़ा उच्चजातिका परिवार था। परिवार कई  पिढीयोंसे आर्थिक तंगीकी परिस्थितियोंसे जूझ रहा था। परिवार में कोई कन्याका कई पीढ़ियों से आगमन नहीं हुआ था। परिवार इस बातके लिए हमेशा से ही तरस रहा था। शायद इसिलिए उनके परिवार में लक्ष्मी वास्तव्य नहीं कर रही थी।ऐसी उनकी समाज थी। सभी भाई, ज्यादातर सिनेमागृह में गेटकीपरका काम करके, अपना और परिवारका, जैसे -तैसे गुजारा कर रहे थे। उस परिवार में एक सबसे छोटा लड़का था। वह दिखने में और व्यवहार में अन्य भाईयों से चतुर था। सबसे छोटा होनेके कारण सभी का लाड़ला था। व्यक्त के साथ वह बड़ा हो रहा था। सभी भाईयों को उम्मीद थी कि वह पढ़ -लिखकर कुछ उनसे अच्छा कारेगाँ !। लेकिन जैसा सोचा था, वैसा हुआ नहीं था। वह भी अपने बड़े भाईयोंके नकशे -कदम पर चल रहा था। दसवीं परीक्षा वह उत्तीर्ण नहीं कर सका था। लग-भग सभी विषयों में, वह असफल हो गया था। लेकिन रहन-सहन से, वह अन्य भाईयों में अलग दिख पड़ता था। उसने कभीभी फिर कोई परीक्षा लिखने की हिम्मत नहीं जुटाई थी। इसलिए उसके बड़े भाईने, सिफारिश करके, उसे एक सिनेमाघर में, सिनेमा टिकेट बेचने की जगह दिलाई थी। वह लिखा पढ़ा और व्यवहार चतुर होने के कारण, वह वहाँ अच्छी तनख्वा के अलावा अच्छी कमाई कर रहा था। खुशामत करके सिनेमा प्रबंधक को अपने नियंत्रण में रखता था। उसकी पहचान आजु -बाजु के सभी काम करनेवाले कर्मचारीयों से थी। सिनेमाघर के परिसर में एक बड़ा लॉज था। वहां भी उसकी पहचान थी। केंद्र सरकार के एक कार्यालय का बड़ा अधिकारी उस लॉज में रूका था। वह अपने सेवानिवृत्ती के अंतिम समय में पदोंनोन्नती पर आया था। उसका परिवार उसके अपने शहर में बस चुका था। इस लिए वह, वहाँ अकेलेही रहता था। उसकी पहचान उस सिनेमा घरके उस नवजवान से वहाँ काम करनेवाले मित्रों के कारण हो चुकी थी। वह शुरू से व्यवहार कुशल और उड़ते पंछी के पंख गिनने में माहिर था। उसने उस अधिकारी से मेल -जोल बढ़ाना शुरू किया था। वह अकसर उसे फिल्म देखने के लिए प्रेरित किया करता था। उस अधिकारी को भी फिल्मों से लगाव रहता था। जब भी वह अधिकारी फिल्म देखने के लिए हामी भरत था। वह उसे अच्छी जगह देकर, उसकी पूरी सेवा करता था। 

अधिकारीके कार्यालय में कुछ चतुर्थ श्रेणी के पद खाली थे। उसने उसे, उस कार्यालय में स्थाई नौकरी दी थी। उसे अपने कक्षके बाहर प्रवेश द्वार पर बीठायां था। उसके कारण, उसकी कॉफी कार्यालय में झूठी इज्जत बनी थी। अभी उसके अच्छे दिन चल रहे थे। वह कॉफी खुश था। 

अचानक किस्मतने करवट ली थी। उसका सबसे बड़ा भाई था। उसे कोई संतान नहीं थी। वह उसेही अपना बच्चा समझता था। लेकिन उसके भाभी को किसी कारण वश यह बात हजम नहीं हो रही थी। उनके बीच में अकसर लढाई -झगड़े निरंतर चलते रहते थे। एक दिन जब वह नवजवान घर में था। तभी दोनों मिया-बीबी में भयंकर झगड़ा चल रहा था। शायद उसे के में चला था। झगडने उग्र रूप धारण कर लिया था। वह भी अपने भाई के पक्ष में खड़ा हो गया था। नौबत मार -पीट तक बढ़ गई थी। किसीका, किसी के ऊपर नियंत्रण नहीं बचा था। उस हादसे में उसके पत्नी की मृत्यु हो गई थी। उन्होंने परिस्थितिकों काबू से बाहर नहीं जाना चाहिए, इसलिए आनन -फानन में उसकी प्राकृतिक मौत दिखाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। लेकिन उनके भी, मोहल्ले में कुछ दुश्मन थे। उन्होंने ने लड़के के महके में आग लगाई की उसको मारा गया था। उन्हे कुछ पहिले से अनदेशा था। उन्हे पति -पत्नी के बीच जो झगड़ा चल रहा था। उसकी जानकारी थी। उन्होंने पुलिस में शिकायत की थी। उनकी कॉफी छान -बिन हो रही थी। ठोस सबूत न मिलने के कारण पुलिस लाचार थी। लेकिन कभीभी उन पर गाज गिर सकती हैं । यह सोचकर उसने अपना तबादला, एक दुर्गम स्थान में, एक अधीनस्थ कार्यालय में कर लिया था। कुछ सालों बाद जब मामला ठंडा पड गया था। तब उसने अपनी शादी बिरादरी में करने की सोची थी। लेकिन उस परिवार में कोई अपनी लड़की देना नहीं चाहता था। क्योंकि सभी बिरादरीवालों को वह हादसा पता था। लेकिन उसकी किस्मत अच्छी थी कि एक अत्यंत गरीब स्वर्गवासी माँ-बाप कि कुरूप लड़की, जो अपने भाईयों पर बोझ थी। उस परिवार के लोग शादी के लिए तैयार हुऐ थे। दोनों का कोई मेल नहीं था। फिर भी उसने, उससे शादी कर ली थी।वह उसे अपने कार्यस्थल में ले गया था। लेकिन उसके पुराने धंदे अभी भी चल रहे थे। उसकी धर्मपत्नी उन सभी बातों को नजर अंदाज कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि कुत्ते की दुम कभी भी सीधी नहीं हो सकती!। उसे एक बड़ा लड़का और एक छोटी लड़की थी। कई पीढियों बाद उस परिवार में लड़की ने जन्म लिया था। इसलिए वह लड़की माता-पिता और सगे -संबंधीयों की लाड़ली थी। उसका लड़का भी धीरे -धीरे अपने बाप के साथ कदम-ताल करते-करते जवान हो चुका था। उसका भी पढ़ाई में ध्यान नहीं था। लेकिन लड़की पढ़ाई में रुची रखती थी। उसके पिताका अन्य स्थान पर तबादला हुआ था। लेकिन लड़का उसी शहर में बसाना चाहता था। वह एक निजी कंपनी में कार्यरत था। उसके पिताको बड़ा बनाने का शौक था। इसलिए वह मामूली बढ़ती पर, वहाँ चला गया था। लेकिन एक दिन, उसके बेटे का, उसे शाहर में स्कूटर अपघात में मृत्यु हो जाती हैं। उसके माता-पिता को कंपनीवाला 

 अपघात की सूचना देकर, तुरंत बुला लेता हैं। जब उसे ढके शव के पास ले जाते हैं। तभी वह उसे देखकर पर तेजीसे गिरता हैं। लेकिन इलाज बाद उसे होश आता हैं। उसके कार्यालय के सभी कर्मचारी मदत करके उसका अंतिम संस्कार करते हैं। 

कुछ माह बाद, उसे चलने में तकलीफ होती हैं। जांच करने पर पता चलता हैं कि उसकी कमर की कटोरी टूटकर बेकार हो चुकी हैं। उसे बदलके, वहाँ स्टील की कटोरी लगानी पड़ती थी । उसके कारन, उसका वह पैर छोटा होना था। आपरेशन के बाद वह लकड़ी लेकर चलाने लगा था। अनुभव के आधार व वरीयता के कारण उसे तृतीय श्रेणी में पदोन्नती मिली थी। वह पदोन्नती पर एक दूसरे स्थान पर चला गया था। वहाँ, वह अपने बिरादरीके मकान मालिक के घर में किराएं से रहता था। 

उस मकान मालिकको तीन सुंदर लड़कियां थी। उनकी शादियाँ हो चुकी थी। उसे एक छोटा रूपवान लड़का था। माँ -बाप के प्यार ने उसे बिगाड़ दिया था। उसे, वो सभी बुरी आदतों की लत लग चुकी थी। उसकी कहीं भी शादी निककमा होने के कारण जम नहीं रही थी। उन्होंने मान लिया था कि यह अब कुंवारा ही इस दुनिया से चला जाऐगां !। और उनके वंश का नाश हो जाऐगां। लेकिन फिर उनकी उम्मीदे जग उठी, जब उसके लड़केने, अपने किरायेदार के लड़की पर डोरे डालने लगा था। लड़का दिखने में आकर्षक होने के कारण, लड़की भी उसके जाल में फसती जा रही थी। लड़की के माँ -बाप को भी लड़की की शादी बिरादरी में होने की आशंका थी। इसलिए वह भी राजी थे। लड़केने अपने असली चेहरे को छुपाने का प्रयास किया था। जिसमें वह सफल भी हुआ। दोनों को भ्रम था कि उन्होंने मैदान मार लिया था। लड़के की सोच थी लड़की कॉलेज पढ़ रही हैं। उसे कोई जॉब मिल जाऐगां !। और उसका होनेवाला ससुर को सेवानिवृती के बाद अच्छा पैसा के साथ हर माह सेवानिवृत्ती वेतन मिलेगा। और फिर वह पहिले की तरह ऐश करेगा !। उसके लिए उसने अपने मॉस्टर प्लानको अगली -जामा पहनाना शुरू किया था। धीरे -धीर इस रिश्ते की खबर बिरादरी में फैलाने लगी थी। बहुत सारे दबी जबान में बातें भी कर रहे थे। लेकिन लड़की के बाप को किसी फरिश्तेने लड़के की असलीयत सामने खोल के रख दी थी। उसके कारण उसका बना बनायां खेल बिगड़ चुका था। अभी रिश्ते में खटास आ चुकी थी। लेकिन लड़की, उस लड़केको अपना दिल दे चुकी था। उसका फायदा उठाकर लड़केने उसे गर्भवती बना दिया था। वह अपनी चाल चल चुका था। लड़की उसे खोना नहीं चाहती थी। उनमें कॉफी लढाई -झगड़े होने लगे थी। अंत में लड़की के पिताने उसका घर खाली कर दिया था। लड़कीका गर्भपात कराके, उसे अपने साथ, अपने सगे संबंधीयोंके पास स्थानातर पर चला गया था। वहाँ प्रयास करके तुरंत लड़की की चुपचाप शादी कर दी थी ।  


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract