अनोखा हादसा.
अनोखा हादसा.
एक नवजवान विज्ञान शाखा में स्नातकोत्तर की पदवी प्राप्त करने के बाद, नौकरी की तलाश में था। उसने कई स्पर्धा परीक्षाओं में अपनी क़िस्मत टटोलने की कोशिष की थी । उसका कर्मचारी चयन आयोके के द्वारा भारत मौसम विज्ञान विभाग में वैज्ञानिक श्रेणी में चयन हुआ था। इस विभाग में कई प्रकार के वैज्ञानिक अनुभाग हैं। वह भूकंप अनुभाग में कार्यरत था। यह विज्ञान, नियमित विज्ञान स्नातक के अभ्यासक्रम में नहीं पढ़ायां जाता हैं। विभाग की धोरणानुसार विभाग विज्ञान स्नातक को, जिन्होंने गणित और भौतिक विषय लेकर पदवीं हासिल की हो, ऐसे स्नातक उसके लिए पात्र होते हैं। ऐसी कुछ स्नातको की उस विभाग में नियुक्तियां की गई थी। उन्हे कार्य करने का अनुभव होने के बाद उसमें पारंगत होने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जानेका रिवाज था ।
ऐसे ही कुछ कर्मियों की एक टीम प्रशिक्षण हेतु, देश के विभीन्न विभाग के स्टेशनों से दिल्ली के मुख्य भूकंप वेधशाला में आऐ थे। वहां उनका प्रशिक्षण आरंभ हो चुका था। भूकंपशास्त्र यह भौतिक शाखा की एक महत्वपूर्ण शाखा हैं। प्रशिक्षण के दौरान बहूँत सारे नऐ-नऐ तथ्य ज्ञात हूँऐ थे। भूकंपके प्रति कुछ भ्राँतियां थी । जो दूर हो चुकी थी। पृथ्वी पर रोज ही भूकंप आते हैं। लेकिन जब उसकी तीव्रता रेक्टर स्केल पर चार से अधिक होती हैं, तभी उसका अनुभव पृथ्वीवासियों को होता हैं.
पृथ्वी का बाहरी आवरण जीसे क्रस्ट्स कहते हैं। वह धरातल से लगभग पैंतीस से चालीस किलोमीटर तक ही ठोस हैं। समुद्र के सतह से, यह क्रस्ट्स लगभग सत्तर किलोमीटरके आस-पास होता हैं। उसके बाद का भाग , वह द्रव अवस्था में होता हैं । लेकिन पृथ्वी केंद्र का हिस्सा फिर ठोस हैं। पृथ्वी के दोनों ठोस हिस्से के बीच में द्रव अवस्था पाई जाती हैं । इसी द्रव अवस्था पर विभीन्न टेक्टोनिक प्लेटस धीरे –धीरे चलती रहती हैं। ऐसी दो टेक्टोनिक प्लेटस, जब संपर्क में के बाद, जब आपस में एक दूसरे से टकराती हैं। तभी इन प्लेटों दबाव या बल से तरंगों का निर्माण होता हैं । उस ऊर्जा को को हम भूकंप तरंगें कहते हैं। इन तरंगों को विभीन्न प्रकारो में बाटा जाता हैं। उनके प्रकार जैसे , प्राथमिक तरंगें, द्वितीय तरंगें, सतह तरंगें मोटेत्योर पर होते हैं, सभी प्राथमिक तरंगें ठोस और द्रव अवस्था मैं से गुजर सकते हैं। लेकिन द्वितीय तरंगें सिर्फ ठोस हिस्से गुजर सकते हैं। इन सभी का भूकंप-सूचक यंत्र में रिकॉर्डिंग हो जाती हैं। इसके लि ऐ देश –विदेशो में भूकंपयंत्र लगे होते है। इन तरंगों का गहरा अध्ययन करने के कारण , हमे पृथ्वी की रचना और उसके भीतर पाऐ जानेवाले धातुओंके स्थान और मात्र पता चलती हैं। वैसेही जमीन के अंदर किऐ जानेवाले परमाणु स्फोट का पता चलता हैं । भूकंप और परमाणु स्फोट से निकलनेवाली तरंगों में विशेष अंतर होता हैं। किसी भी देशने किऐ गऐ परमाणु परीक्षणका समय, स्थान और उसकी क्षमता का सही आकलन किया जाता हैं। वैसे तो भूकंप से मानव जाती को बहुत नुकसान हैं। ,तीव्र भूकंप के कारण कई प्रकार के प्राणीयों की नस्ल खत्म हो चुकी हैं। वैसे बहुमूल्य वनसंपदा भी खत्म हो चुकी हैं। भीर भी भूकंप हमारे लिए कई माय नों में उयपयोगी होनेसे उसका अध्ययन करना आवश्यक होता हैं।
कुछ अरसा बित जाने के बाद सभी प्रक्षिशनार्थियों में अच्छी दोस्ती कायम हो गई थी। सभी एक- दूसरे से खुल के बातें करने लगे थे। वे कभी –कभी एक –दूसरे से मज़ाक भी कर लिया करते थे। कोई किसी के बात का बुरा नहीं नाहीं मानता था । एक साथी में कुछ अपंगत्व आ गया था। उसे चलने में कॉफी दिक्कत आती थी। थोड़ पीठ और कमर भी झुकी हूँई थी। तभी सभी को उसे जानने की उत्सुकता थी। सही माहौल और उसका अच्छा मूड देखकर, एक साथीने उससे उसके पीड़ा की वजह पूछ ली थी। उसने जवाब में कहां,वह भी कुछ अरसा पहिले, हमारे जैसा हट्टा-कट्टा नवजवान था। उसे जब भूकंप वेध शाला तुरा, मेलय में तैनाती मिली थी। तब वह कुछ दिन कार्यालय के गेस्ट हाऊस में रुका था। वहां रहकर काम भी सिख रहा था। मैं अपने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के मदत से, कार्यालय के आस-पास मकान ढुंढ रहा था। तभी एक चौराह पे, हम एक जगह चाय पीने रुके थे । वही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पहचान के कुछ लोग मिले थे। तभी उन्होने सवाल किया था की वे क्या तलाश रहे हैं। तभी उसने कहां, ये मेरे कार्यालय में नए साहब आऐं हैं। इन्हे किराए पर मकान दफ्तर के आस-पास चाहिए। वही एक अनजान व्यक्ति खड़ा था। उसका मकान उसी परिसर में था। उसने पूछा आप के दफ्तर में काम होता हैं। तभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने अपने भाषा, अंदाज में उसे समझ में आऐ ,इसलिए अपनी स्थानीय भाषा में बताया कि साहब जमीन के अंदर जो भी चीजे होती हैं । उसे देख लेते हैं। उसने इस बात को बहुत आसानी से कह दिया था। दूसरे दिन वह व्यक्ति उस चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को मिलने कार्यालय में आया था। तभी वह अकेला बाहर बैठा था। और अन्य कर्मचारी अंधकक्ष के अंदर काम कर रहे थे। बाहर लाल रंग की बत्ती जल रही थी। कार्य खत्म होने के बाद, वे सभी कर्मचारी फिर एक अन्य अंधकक्ष में भूकंपले ख फिल्म को धोने के लिए जले गऐ थे । वहां फिर लाल बत्ती जल गई थी। ये सब देखने के बाद, वह व्यक्ति वहां से चला गया था। उसे आक्षंका हो गई थी की ये नया साहब, उसने जमिन के अंदर ,जो बहुमूल्य वस्तुऐं छुपाई हैं। इसे अब सब पता चल जाऐगां !। वह परेशान होकर उसका हल ढूँढ रहा था। तभी उसके मस्तिष्क में एक विकृत विचार आया था। उसने कुछ अपने दो-चार साथियों को खिला-पिलाके तैयार किया था । उसे पता था की रात को वह साहब खाना खाके अकेला वापस दफतर जाता हैं । उसने पूरी रेकी कर ली थी। योजना नुसार वह, उसके लौटने का इंतजार कर रहा था । तभी बीच सड़क पर,उसे अकेला देख कर , उस पर बुरी तरह से हमला किया गया था। बाद में वे ,वहाँ से निकाल गऐ थे। रात को जब कार्यालय का चौकीदार अपने काम पर जा रहा था। तभी उसने सड़क पर कोई मदत मांग रहा करके देखा । तब उसे पता चला की वह साहब हैं। उसने अन्य सहकर्मियों को सूचित करके , उसे अस्पताल में भरती किया था। कॉफी लंबा इलाज चलने के बाद, वह अभी इस लायक हो चुका था। यह उसकी रामकथा सुनने पर सभी क्षुब्ध हो चुके थे।