‘बाहर क्यों खायेंगे, हम यहीं बना लेंगे न! ‘बाहर क्यों खायेंगे, हम यहीं बना लेंगे न!
गौरांबर के हाथ-पैर सुस्त हो गये। गौरांबर के हाथ-पैर सुस्त हो गये।
आज बादल और बिजली के डराने की कोई संभावना नहीं थी, गरजने-चमकने की तो ज़रूर थी। आज बादल और बिजली के डराने की कोई संभावना नहीं थी, गरजने-चमकने की तो ज़रूर थी।
सुनो, अगर शेर आएगा, तो मुझे बस अधित्या के पास भागना होगा। सुनो, अगर शेर आएगा, तो मुझे बस अधित्या के पास भागना होगा।
यह एक अजीब फिल्म थी. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा दिमाग घुमाया जा रहा है। यह एक अजीब फिल्म थी. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा दिमाग घुमाया जा रहा है।
एवलांच एवं क्रेभास से भरे आपको चैलेंज देती हुई मिलेगी। एवलांच एवं क्रेभास से भरे आपको चैलेंज देती हुई मिलेगी।
श्रेया पुलिस के पास गई और अपना मामला पेश किया। श्रेया पुलिस के पास गई और अपना मामला पेश किया।
गड़बड़ हुई है! बुरी तरह घबरा गईं सुष्मिताजी। कैसी गड़बड़? क्या हो गया? गड़बड़ हुई है! बुरी तरह घबरा गईं सुष्मिताजी। कैसी गड़बड़? क्या हो गया?
रवि कहां चला गया इसका आज तक किसी को पता नहीं चला। रवि कहां चला गया इसका आज तक किसी को पता नहीं चला।
जादूगर प्रेम तो अच्छे शो और तगड़ी कमाई की रौ में बहा जा रहा था जादूगर प्रेम तो अच्छे शो और तगड़ी कमाई की रौ में बहा जा रहा था
"खाकर देखना ,कोई ठंड नहीं है ,यहाँ पर सब खाते हैं, कुछ अलग हटकर होता है ये। "खाकर देखना ,कोई ठंड नहीं है ,यहाँ पर सब खाते हैं, कुछ अलग हटकर होता है ये।
बेटा !! तुम्हारी बात सही है यहां पास में आगे चलकर 1 किलोमीटर बाद एक कोठी है बेटा !! तुम्हारी बात सही है यहां पास में आगे चलकर 1 किलोमीटर बाद एक कोठी है
यह बात तुम हमें अब बता रहे हो, हमें शीघ्र इस होटल से बाहर जाना होगा, यह बात तुम हमें अब बता रहे हो, हमें शीघ्र इस होटल से बाहर जाना होगा,
लेखक: मिखाइल बुल्गाकव अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: मिखाइल बुल्गाकव अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
राजा वीरभद्र की आँखों से झर-झर आँसू बहने लगे। राजा वीरभद्र की आँखों से झर-झर आँसू बहने लगे।
मन बोझिल है पर फिर भी नहाकर अच्छे स्वच्छ कपड़े पहनता है मन बोझिल है पर फिर भी नहाकर अच्छे स्वच्छ कपड़े पहनता है
वो जानती थी कि उसकी माँ पापा को बहुत प्यार करती है और उन पर आँख मुंदकर विश्वास करती है वो जानती थी कि उसकी माँ पापा को बहुत प्यार करती है और उन पर आँख मुंदकर विश्वास क...
प्रिय मित्र की कुटिलता की जड़ें ज्यादा गहरी थीं या फिर देश में फैले भ्रष्टाचार की ! प्रिय मित्र की कुटिलता की जड़ें ज्यादा गहरी थीं या फिर देश में फैले भ्रष्टाचार की...
अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश का समवेत स्वर गूँज उठा। अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश का समवेत स्वर गूँज उठा।
सीढ़ी के बगल में एक दरवाजा था जो बंगलों के बैकयार्ड की ओर खुलता था सीढ़ी के बगल में एक दरवाजा था जो बंगलों के बैकयार्ड की ओर खुलता था