छलावा भाग 10

छलावा भाग 10

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छलावा    

भाग 10

            कमिश्नर ने एक क्षण के लिए बैग को देखा फिर उनकी नजरें बख़्शी के चेहरे पर जम गईं जो अचानक राख की तरह सफेद हो चुका था मानों उसका एक-एक बूँद रक्त निचुड़ चुका हो। मोहिते भी अपलक उसी को देख रहा था। उसने अचानक उठ कर बैग टेबल पर उलट दिया। उसमें से कई बर्फ काटने के सुए और एक छोटा सा इम्पोर्टेड ग्राइंडर गिर पड़े  किसी पिंजरे में कैद हिंसक पशु की तरह एक बार बेचैन होकर बख़्शी ने इधर-उधर ताका फिर चुपचाप बगल से रिवाल्वर निकाली और कमिश्नर पर तान दी। अब बख़्शी किसी प्रेत की तरह लग रहा था। मोहिते चुपचाप बख़्शी को देख रहा था। अचानक बख़्शी ने खुद को संभाल लिया उसके चेहरे पर एक जहरीली मुस्कराहट आई और उसने मोहिते से पूछा,  कब घुसे?

मोहिते बोला, कल रात! जब आप अपनी  इको स्पोर्ट कार में बैठकर नया शिकार ढूंढने निकले थे सर! मोहिते के शब्द आदर सूचक जरूर थे पर आज उनमें दुनियाँ भर की घृणा झलक रही थी। 

        सूझा कैसे? बख़्शी ने मुस्कुराते हुए पूछा वह अब बिलकुल सामान्य हो चुका था। 

        कुत्ते! मोहिते मानो बम की तरह फूट पड़ा, जब तूने खुद पर छलावे के हमले की झूठी कहानी गढ़ी तभी मुझे शक हो गया था। जब तूने आकर कहा कि सिग्नल पर छलावे ने तुझपर आक्रमण किया है तब मैंने गौर किया कि तेरी बाईं आँख के नीचे खरोंच थी जबकि सुए पर दायें हाथ की उँगलियों के निशान थे। तब मैंने कागज़ पर स्केच बनाकर जांचा और पाया कि किसी राइट हैण्ड ड्राइव कार की बगल में खड़े होकर कोई बाइक वाला दायें हाथ से चालक के बाएं गाल पर वार कर ही नहीं सकता तो मैं समझ गया कि तू ही छलावा है 

          बख़्शी ने एक ठहाका लगाया और बोला, वाह मेरे देसी शरलॉक होम्स! फिर?

मोहिते आगे बोला, फिर मैंने वे स्केच ले जाकर कमिश्नर साहब को दिखाए तो वे भी चौंक पड़े और आगे मेरी योजना को कार्यरूप देने के लिए राजी हो गए। मैंने जानबूझकर एक कोरा कागज़ ले जाकर शैलेश पांडे को जांचने के लिए दिया और जब उसपर कोई निशान नहीं मिले तब मैंने तुम्हारी सहायता से कमिश्नर साहब की उँगलियों के निशान लिए जबकि वो सारी कवायद केवल तुम्हारी उँगलियों के निशान के लिए थी। मैं चाहता था कि ऐसी परिस्थिति  बना दूँ कि तुम उँगलियों के निशान देने को मजबूर हो जाओ। पर जब सुए की उँगलियों के निशान तुम्हारी उंगलियों के निशानों से मैच नहीं हुए तो मैं हताश हो गया। आखिर उस सुए पर किसकी उंगलियों के निशान हैं बख़्शी साहब?

बख़्शी अब ऐसी मुद्रा बना कर बैठा था मानो कोई मनोरंजक नाटक देख रहा हो, बोला वो मेरे एक पड़ोसी कॉलेज के विद्यार्थी की उंगलियों की छाप है जिसे एक प्रयोग का हिस्सा बना कर मैंने वो हासिल कर लिया। 

फिर बख़्शी हँसते हुए बोला, देखो! इस कमरे से अब तुम्हारी और कमिश्नर साहब की लाश ही बाहर जायेगी। इसीलिए अपने सारे डाउट क्लीयर कर लो। मैं नहीं चाहता कि तुम दोनों की आत्मा मरने के बाद भी भटकती रहे। पर एक बात बताओ तुम्हे यह बैग कैसे मिल गया?

मोहिते बोला, मैंने कल रात तुम्हारे घर में घुसकर तलाशी ली थी। मैंने कल शाम ही कमिश्नर साहब से साथ देने की गुजारिश की जिसे इन्होंने मान लिया क्यों कि मैं अपनी योजना में और किसी को शामिल नहीं करना चाहता था। तो कल ये तुम्हारे पीछे एक्टिवा लेकर घूमते रहे और मैंने तुम्हारे मकान की तलाशी लेकर यह पापों से भरा बैग बरामद कर लिया।

बख़्शी बोला, मैंने कल सफेद एक्टिवा को अपने पीछे लगा देख लिया था इसी लिए आज के अखबार में किसी क़त्ल की खबर नहीं आई। मैं निरुद्देश्य इधर-उधर घूम घाम कर लौट गया पर अगर मुझे मालूम होता कि ये हमारे आदरणीय कमिश्नर साहब हैं तो आज पेपर के मुख्यपृष्ठ पर इनकी सुआ घुंपी तस्वीर होती। फिर एक जोरदार ठहाका लगाया।

वह अब परिस्थितियों का आनंद लेता सा महसूस हो रहा था। उसके सामने उसके दो शिकार निहत्थे बैठे हुए थे और उसके हाथ में लोडेड रिवाल्वर थी। उसका पलड़ा भारी था।

 

क्या बख़्शी ने उन दोनों का क़त्ल कर दिया?

क्या था सेल्समैन विलास और शैलेश पांडे के खून का राज

कहानी अभी जारी है .....


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